कोटा दशहरा मेला आयोजन पर विवाद की शुरुआत, बनाई नई मेला समिति

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राज्य सरकार के स्वायत्त शासन विभाग ने सबसे अधिक अहम मानी जाने वाली कोटा दशहरा मेला आयोजन समिति को भंग कर कोटा नगर निगम उत्तर की महापौर मंजू मेहरा की जगह कोटा दक्षिण में नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी को नया अध्यक्ष बना कर एक तरह से कांग्रेस से दलबदल कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले महापौर राजीव अग्रवाल भारती को भी आईना दिखा दिया है कि नई पार्टी में उनका कद कितना उंचा है? यह तो पहले ही से आशंका व्यक्त की जा रही थी कि इस बार कोटा के ऐतिहासिक दशहरा मेला के सौहार्द और शांतिपूर्वक माहौल में आयोजित किये जाने की संभावना कम है। क्योंकि अब जिस तरीके से राज्य सरकार ने कोटा दशहरा मेला आयोजन समिति को भंग किया है, उसका विरोध होना तय है।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा।
Controversy over organizing Kota Dussehra fair: जैसी की पहले ही से आशंका व्यक्त कर दी गई थी कि इस बार कोटा के ऐतिहासिक दशहरा मेला के सौहार्द और शांतिपूर्वक माहौल में आयोजित किये जाने की संभावना कम है और हुआ भी वही है।

राज्य सरकार ने जैसी की कांग्रेस खेमे में आशंका जताई जा रही थी, स्थानीय निकाय विभाग के जरिये राज्यपाल की अनुशंसा से शनिवार को एक प्रशासनिक आदेश जारी करके पिछली कांग्रेस सरकार के शासनकाल के कोटा नगर निगम उत्तर की महापौर मंजू मेहरा के नेतृत्व में गठित कोटा दशहरा मेला आयोजन समिति को भंग कर दिया और उसके स्थान पर कोटा नगर निगम दक्षिण के नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी की अगुवाई में नई मेला समिति का गठन कर डाला।

यहां भी खास बात यह रही दलबदलू का तमगा धारण किए बैठे कोटा नगर निगम दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल भारती के हाथ एक बार फिर से रीते ही रह गये, जिन्होंने कांग्रेस के शासनकाल में तात्कालिक कांग्रेस सरकार के दिग्गज नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल की पसंद से मेला समिति अध्यक्ष बनाई गई मंजू मेहरा के चयन पर ढ़के तौर पर नाखुशी जाहिर की थी और पूरे मेले के दौरान इससे दूरी बनाये रखी थी।

इस बार तो कांग्रेस से बगावत कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए महापौर राजीव अग्रवाल भारती का दुर्भाग्य यह रहा कि उन्हें अब तक चली आ रही महापौर को ही मेला समिति का अध्यक्ष बनाये जाने की सामान्य परम्परा को तोड़कर अध्यक्ष बनाना तो दूर रहा, उन्हें तो 19 सदस्यों वाली भारी-भरकम मेला समिति में एक सामान्य सदस्य के रूप में भी जगह नहीं मिली।

इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि अपनी बरसों पुरानी निष्ठा-प्रतिष्ठा को दाव पर लगा कर कांग्रेस को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी को अपनाने वाले राजीव अग्रवाल का उनकी नई पार्टी में कद कितना उंचा है? हालांकि उन्हे इस बात के लिए खैर मनाना चाहिए कि वे अब तक महापौर पद पर टिके हुए हैं।

पहले प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने और बाद में लोकसभा चुनाव के पहले कोटा नगर निगम दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल के कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल शामिल होने के बाद से ही कोटा के दोनों नगर निगमों को मिलाकर बनाई गई सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाली मंजू मेहरा के नेतृत्व की कोटा दशहरा मेला आयोजन समिति के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा हो गया था कि यह कब तक टिक पायेगी।

भाजपा के एक विधायक ने तो पिछले दिनों स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा से मुलाकात कर मांग कर डाली थी कि कोटा शहर का ऐतिहासिक मेला नगर निगम कोटा दक्षिण की ओर से ही भरवाया जाना चाहिए और कांग्रेस सरकार में बनी निगम की सभी समितियों को भंग किया जाना चाहिए, जो मांग राज्य सरकार ने पूरी कर दी।

विधायक का यह कहना था कि पूरे देश में ख्याति प्राप्त कोटा का दशहरा मेला कोटा दक्षिण नगर निगम क्षेत्र में आयोजित होता है तथा आयोजन के लिए अधिकांश संसाधन भी कोटा दक्षिण निगम के ही लगाये जाते हैं, फिर भी गत कांग्रेस शासन में पक्षपात कर कोटा उत्तर नगर निगम महापौर को मेला समिति अध्यक्ष बनाकर मेले का आयोजन उत्तर नगर निगम से करवाया जाता है।

यह मांग भी पूरी हो गई, लेकिन राज्य सरकार ने अपनी राजनीतिक निष्ठाओं के चलते कांग्रेस के दलबदलू महापौर की जगह अपनी पार्टी के निष्ठावान नेता प्रतिपक्ष को कोटा दशहरा मेला आयोजन समिति का अध्यक्ष बनाया।

कोटा के विशाल जनभागीदारी वाले और विराट स्वरूप में आयोजित होने वाले कोटा दशहरा मेला के नजदीक आने के पहले ही किसी बड़े बदलाव के संकेत उसी दिन मिल गए थे, जब पुरानी रीति-नीति के अनुसार देवशयनी ग्यारस से पहले पारम्परिक गणेश पूजन के कार्यक्रम के आयोजन में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी पार्षदों सहित दोनों नगर निगमों में तैनात नौकरशाही ने इस पूजन तक का बहिष्कार किया था। तब नौकरशाही तक ने राजनीतिक दबाव में असहयोग का रवैया अपनाते हुए इस पूजन कार्यक्रम का बहिष्कार किया था।

जबकि महापौर मंजू मेहरा ने फोन करके खुद कोटा के दोनों नगर निगमों के आयुक्तों को सूचना दी थी लेकिन वे नहीं आये। हालांकि महापौर मंजू मेहरा ने यह आशा प्रकट की थी कि पूर्व में राष्ट्रीय दशहरा मेला का आयोजन जिस प्रकार से नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण ने संयुक्त रूप से किया गया था, उसी प्रकार से इस वर्ष भी राष्ट्रीय दशहरा मेंला 2024 का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है।

लेकिन राज्य सरकार ने अब उन्हें ही कोटा दशहरा मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष पद से हटाकर नये अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है। वैसे जिस दिन पुरानी रीति-नीति के अनुसार देवशयनी ग्यारस से पहले पारम्परिक गणेश पूजन के कार्यक्रम का आयोजन में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी पार्षदों सहित दोनों नगर निगमों में तैनात नौकरशाही ने इस पूजन तक का बहिष्कार किया था , उसे देखते हुए इस साल आयोजित होने वाले कोटा दशहरा मेला के सफल आयोजन पर ग्रहण लगने की आशंका उत्पन्न हो गई थी।

राज्य सरकार के कोटा दशहरा मेला आयोजन समिति को भंग करने के फैसले का विरोध होना तय है लेकिन कांग्रेस इसका कितने बड़े पैमाने पर विरोध कर पाती है। यह देखना होगा क्योंकि आमतौर पर कांग्रेस का विरोध ज्यादा टिकाऊ नहीं होता। वैसे भी यह दावा किया जाता है कि महापौर के अलावा कुछ कांग्रेस पार्षदों के भी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने के कारण कांग्रेस नगर निगम दक्षिण में अल्पमत में आ गई है, लेकिन कांग्रेस के पार्षद इस दावे को खारिज करते आ रहे हैं।