बैंकों के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए लोस में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पेश

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नई दिल्ली। Banking Laws Amendment Bill: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोक सभा में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। इसमें जमाकर्ताओं एवं निवेशकों के लिए बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार लाने, बैंकों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को किए जाने वाले खुलासों में निरंतरता सुनि​श्चित करने और सहकारी बैंकों के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए चार मौजूदा बैंकिंग कानूनों में संशोधन किया गया है।

सरकार भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम और बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम में संशोधन के जरिये यह सुनि​श्चित करना चाहती है कि निवेशकों द्वारा लगातार सात वर्षों तक दावा न किए गए लाभांश, शेयर, ब्याज अथवा परिपक्व बॉन्ड को निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (आईईपीएफ) में स्थानांतरित करने की सुविधा प्रदान करना चाहती है। ऐसे में निवेशकों को आईईपीएफ अपनी रकम या रिफंड का दावा करने की अनुमति मिलेगी। इससे निवेशकों की हितों की रक्षा होगी।

हालांकि, सरकार ने बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम में किसी ऐसे बदलाव का प्रस्ताव नहीं किया है, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के स्वामित्व ढांचे में बदलाव हो सके। सीतारमण ने अपने वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में आईडीबीआई बैंक के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।

इकनॉमिक लॉ प्रैक्टिस के वरिष्ठ वकील मुकेश चंद ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन के तहत भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम और बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम के प्रावधानों को कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुरूप करने की को​शिश की गई है। उन्होंने कहा, ‘इन कानूनों में सामंजस्य स्थापित करते हुए यह संशोधन निजी क्षेत्र के बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए एक समान दृष्टिकोण स्थापित करता है। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, निवेशकों के हितों की रक्षा होगी।’

विधेयक में सहकारी बैंकों में निदेशकों (चेयरमैन एवं पूर्णकालिक निदेशकों को छोड़कर) का कार्यकाल 8 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया है। इस विधेयक में केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक को राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड में सेवा करने की भी अनुमति दी गई है। साथ ही बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक को सांवि​धिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तिथियों में भी संशोधन किया गया है। इस तिथि को मौजूदा शुक्रवार से बदलकर पखवाड़े, महीने अथवा तिमाही के अंतिम दिन करने का प्रस्ताव है।