Wednesday, November 13, 2024
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जीएसटी से कर का दायरा बढ़ेगा, भारतीय उद्योग अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे-सीआईआई

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नई दिल्ली। जीएसटी के क्रियान्वयन से भारतीय उद्योग अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे, नियार्त को प्रोत्साहन मिलेगा और कर का दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी। उद्योग मंडल सीआईआई ने यह बात कही। भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई ने कहा कि महत्वपूर्ण कर सुधार लागू होने से उद्योग को यह भरोसा बढ़ा है कि सरकार निवेश को सुगम बनाने तथा व्यापार माहौल को आसान बनाने को लेकर कदम उठाना जारी रखेगी।
         
सीआईआई अध्यक्ष शोभना कामिनेनी ने कहा जीएसटी के क्रियान्वयन के साथ हमने आर्थिक सुधार के नये युग में कदम रखा है। यह दुनिया के लिये मिलकर किये गये सुधार का बेजोड़ उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में माल एवं सेवा कर जीएसटी व्यापार सुगमता को बढ़ाएगा और नये व्यापार उद्यमों में तेजी लाएगा।
         
सीआईआई अध्यक्ष ने कहा कि जीएसटी में कच्चे माल पर दिये गये कर की वापसी इनपुट टैक्स क्रेडिट  के साथ स्व-अनुपालन की बात कही गयी है। यह कंपनियों के लिये कर अदायगी के संदर्भ में प्रोत्साहन देने वाला कदम है। उन्होंने कहा कि इनपुट टैक्स क्रेडिट से कर पर कर नहीं लगेगा जिससे मुद्रास्फीति पर लगाम लगेगी।

हमें विश्वास है कि अधिकतर कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ ग्राहकों को देंगी ताकि महंगाई पर अंकुश लगे। सीआईआई अध्यक्ष ने कहा कि उद्योग जीएसटी के क्रियान्वयन को लेकर तैयार है। उद्योग मंडल एसोचैम ने भी कहा कि पिछले चार साल में खुदरी कीमतों में धीमी गति से वद्धि हो रही है, ऐसे में मुद्रास्फीति के नजरिये से जीएसटी का क्रियान्वयन का समय बिल्कुल उपयुक्त है।

जीएसटी का असर : अगले 2-3 महीने में दूर होगी समस्या, नहीं बढ़ेगी कीमत – दास

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नयी दिल्ली। पूर्व राजस्व सचिव शक्तिकांत दास ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बाद कीमत वृद्धि की आशंका से इनकार करते हुए कहा कि इस प्रकार की आशंका भ्रामक हैं और क्रियान्वयन को लेकर जो शुरूआती समस्या है, वह अगले 2-3 महीने में दूर हो जाएगी। दास ने यह भी कहा कि केंद्र तथा राज्य जीएसटी के क्रियान्वयन को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। जीएसटी एक जुलाई से लागू हो गया है।

वैट समेत सभी अप्रत्यक्ष कर जीएसटी में समाहित हुए हैं। जम्मू कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों ने इसे स्वीकार कर लिया है। यह पूछे जाने पर क्या जीएसटी से कीमतों में वृद्धि होगी, दास ने कहा, ‘बिल्कुल नहीं’ और यह भ्रामक है। इसका कारण यह है कि लोग केवल एकतरफा कर को देख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि लोग उन वस्तुओं और सेवाओं को देख रहे हैं जहां अधिक कर की वजह से कीमतें बढ़ी हैं। हालांकि वे कच्चे माल पर दिये गये कर की वापसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) को नहीं देख रहे। यह सुविधा उद्योग को उपलब्ध होगी। उन्होंने लोगों से कर सुधार को समग्र रूप से देखने को कहा।

‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ सुविधा में उद्योग पर कर कच्चे माल पर नहीं बल्कि उत्पादों के मूल्य वर्धन कर लगाया जाता है।दास ने कहा कि कहानी का दूसरा पहलू इनपुट टैक्स क्रेडिट की उपलब्धता है। इसका कर दर में तथाकथित वृद्धि पर कम प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सीलिए लोग जिस वृद्धि की बात कर रहे हैं, वह बहुत अधिक नहीं होगी।

आपको समग्र रूप से चीजों को देखने की जरूरत है। आप ऐसा नहीं कर सकते कि पांच जिंसों को लीजिए और कहिए कि इनकी कीमतें बढ़ेंगी। जीएसटी के क्रियान्वयन में बाधाओं को लेकर चिंता के बारे में दास ने कहा, कि किसी भी नई प्रणाली में क्रियान्वयन मुद्दा होता है। मुझे लगता है कि 2-3 महीनों में चीजें ठीक हो जाएंगी। 
 

जीएसटी : रेडी टू मूव फ्लैट महंगा, नई प्रॉपर्टी के लिए देने होंगे कम दाम

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नई दिल्ली । जीएसटी के अंतर्गत अगर आप रेडी टू मूव फ्लैट लेने का मन बना रहे हैं तो आपको अपनी जेब थोड़ा ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी, ऐसा इसलिए क्योंकि डेवलपर कर की ऊंची दरों का बोझ खरीदरों पर डालने का मन बना रहे हैं। हालांकि नए फ्लैट आपको जरूर कुछ सस्ते जान पड़ेंगे और डेवलपर्स के लिए उनके आगामी प्रोजक्ट्स को देखते हुए यह एक राहत भरी खबर है।

जीएसटी के अंतर्गत निर्माणाधीन अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स पर प्रभावी टैक्स बढ़कर 12 फीसद हो गया है, जो कि 6.5 फीसद का इजाफा है। रियल्टी पर वास्तविक जीएसटी की दर 18 फीसद है, लेकिन इसमें भूमि मूल्य की डेवलपर की ओर से चार्ज की गई कुल लागत में से एक तिहाई कर कटौती की अनुमति दी गई है।

एक डेवलपर ने बताया कि जीएसटी पूर्ण इनपुट सेट-ऑफ क्रेडिट प्राप्त करने का एक विकल्प देता है, हालांकि यह रेडी-टू-मूव इन फ्लैट पर लागू नहीं है। इसी वजह से डेवलपर्स को ऊंची कर दरों का बोझ उठाना पड़ेगा या तो इस बोझ को उपभोक्ताओं को पास करना होगा या फिर कीमतों में इजाफा कर उन्हें नए टैक्स बोझ के साथ इसकी भरपाई करनी होगी।

 

 

30 जून की मध्यरात्रि को ब्यावर में जन्मा जीएसटी

ब्यावर । 30 जून की आधी रात को जिस वक्त संसद के सेंट्रल हॉल से नई टैक्स व्यवस्था जीएसटी को लॉन्च किया जा रहा था, ठीक उसी वक्त यहाँ एक बच्चे का जन्म हुआ। संभवतः इस वक्त भारत में कई बच्चों का जन्म हुआ होगा, लेकिन यह बच्चा बेहद खास है। इसकी वजह यह कि उसकी मां ने उसका नाम जीएसटी रखने का फैसला किया है।

राजस्थान के ब्यावर में आधी रात को 12.02 बजे इस बच्चे का जन्म हुआ। बच्चे और मां की एक तस्वीर सामने आई है। अपने नवजात बच्चे के साथ सेल्फी ले रही मां बेहद खुश नजर आ रही है, जबकि मां की गोद में वह सुकून की नींद सो रहा है।

उल्लेखनीय है कि एक जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी पूरे देश में लागू हो गया। इसके साथ ही अब केंद्र और राज्यों के स्तर पर लगने वाले 17 केंद्रीय और राज्य स्तरीय टैक्स के साथ-साथ 23 अलग-अलग तरह के सेस के बदले केवल जीएसटी देना होगा।

एचएसएन कोड को लेकर न हों भ्रमित , 75 लाख टर्नओवर तक एकमुश्त समाधान

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कोटा। जीएसटी लागू होने के बाद भी डीलर्स में एचएसएन कोड को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इस बारे में हमने हमारे सीनियर टैक्स कन्सलेन्ट अनिल काला से बातचीत की। हांलाकि इस बारे में LEN-DEN NEWS की ओर से वीडियो जारी हो चुके हैं। आप youtube.com पर हमारे विडिओ देख सकते हैं। प्रस्तुत है आपके सवालों के जवाब —-

  •  जीएसटी में एचएसएन कोड को लेकर असमंजस है। कुछ श्रेणी में कई एचएसएन कोड हैं, कैसे पता करें?
     जीएसटी की वेबसाइट पर एचएसएन कोड की सूची है। जिस श्रेणी में कारोबार करना है उसी श्रेणी का कोड चयन करें। शुरुआत में कुछ  दिक्कत आएगी लेकिन आने वाले दिनों में यह दिक्कत दूर हो जाएगी।
  • जीएसटी में रिटर्न के लिए दो माह की राहत दी गई है। इस दौरान क्या कोई प्रवर्तन कार्रवाई पर भी रोक है? 
  • रिटर्न में राहत नहीं दी गई है। एक जुलाई से लागू जीएसटी में जुलाई का रिटर्न अगस्त में दाखिल नहीं करना है इतनी राहत है। जुलाई और  अगस्त का रिटर्न सितंबर में दाखिल करना है।कर निर्धारत से जुड़े विभागों को राज्य और केंद्र सरकार ने कारोबारी के कागजों में कमी या गलती होने पर कड़ी कार्रवाई ना करने के निर्देश  जारी किए हुए हैं। इस दौरान लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलता रहेगा। 
  •  एकमुश्त समाधान योजना क्या है, इसका लाभ कैसे लिया जाएगा? 
     जिन डीलरों का सालाना टर्नओवर 75 लाख तक है वह एकमुश्त समाधान योजना का लाभ ले सकते हैं। कारोबारी को 1%, उत्पादक को 2%  एवं रेस्टोरेंट सेवा पर 5% जीएसटी देना है। योजना का लाभ लेनेवालों को कर तथा रिटर्न तिमाही दाखिल करना है। जो डीलर इस योजना का लाभ लेंगे वह ग्राहकों से कर नहीं ले सकते।  न ही उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिलेगा। 
  • जीएसटी में उत्पादों के कर की दर को लेकर असमंजस कैसे दूर करें? 
     जिस प्रकार एचएसएन कोड का चयन करेंगे उसी प्रकार कर की दर को लेना है। संबंधित कर विभाग की हेल्पडेस्क की जानकारी भी ली जा सकती है। आप इस मामले में कर विशेषज्ञ से भी राय ल सकते हैं। 
  • सॉफ्टवेयर की दिक्कत आ रही है। कौन सा सॉफ्टवेयर सही है?  
     बाजार में विभिन्न कंपनियों के सॉफ्टवेयर 10 हजार से 20 हजार रुपये में उपलब्ध हैं। सभी सॉफ्टवेयर कंपनियों ने जीएसटी के लिहाज से  जरूरी फीचर दिए हुए हैं। 
  • जीएसटी स्लैब अपने माल पर कैसे लागू करें। पुराने और नए माल पर कैसे टैक्स लगाएं?
     जुलाई से सारा माल जीएसटी के मुताबिक नए टैक्स ढांचे में ही खरीदना या बेचना है। पुराना स्टॉक एक वर्ष से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए। 
  • विभिन्न टैक्स स्लैब का माल खरीदने पर बिलिंग कैसे संभव होगी? 
     जिस टैक्स श्रेणी का माल है उस श्रेणी पर देय कर ही लेना है। 
  • जीएसटी से जुड़ी जानकारी कहां से हासिल करें?
     वाणिज्य कर और सेवा कर विभाग में हेल्पडेस्क बनाई गई है। जीएसटी की वेबसाइट पर भी जीएसटी से जुड़ी जानकारी प्रश्न-उत्तर तथा  ऑडियो एवं वीडियो में उपलब्ध हैं। इसके अलावा हमारी वेबसाइट www.lendennews-ee4f51.ingress-erytho.ewp.live और हमारे यूट्यूब चैनल LEN-DEN NEWS पर भी जानकारी उपलब्ध है 
  • ऐसी पंजीकृत फर्म जिसमें कारोबार नहीं हो रहा, उसका भविष्य जीएसटी में क्या होगा?
     वैट में पंजीकृत फर्म का जीएसटी नंबर हासिल करें, कारोबार शुरू करें, पंजीकरण सरेंडर करें अन्यथा 6 माह बाद पंजीकरण निरस्त कर दिया जाएगा। 
  • भरोसा नहीं है जीएसटी में सही काम कर रहा हूं या गलती हो रही है। इसे कैसे दूर करें?
     उत्पाद का एचएसएन कोड तथा कर की दर का निर्धारण सही करें। उसके बाद बिलिंग में कोई दिक्कत नहीं आएगी। 

जीएसटी से ग्राहकों को शिकायत नहीं तो व्यापारी परेशान क्यों : जेटली

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नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हैरानी जाहिर करते हुए शनिवार को कहा कि जीएसटी को लेकर उपभोक्ता कोई शिकायत नहीं कर रहे तो फिर व्यापारी इतने परेशान क्यों हैं। जबकि टैक्स का बोझ तो अंतत: उपभोक्ताओं पर ही पड़ना है। 

वित्त मंत्री ने कहा कि चूंकि सरकार ने जीएसटी में टैक्स की दरें बेहद तार्कि क रखी हैं, इसलिए उपभोक्ताओं को इससे कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि वह टैक्स नहीं दे। 

लोग मानते हैं कि टैक्स नहीं देना कोई गलत बात नहीं है, लेकिन अब समाज की इस सोच को बदलने की जरूरत है। अगर हमें विकसित भारत बनाना है तो यह सोच बदलनी होगी। एक कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि सरकार ने कई कड़े कदम उठाए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। 

जीएसटी की एक या दो दर के सुझाव को फिलहाल खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भविष्य में ऐसा जरूर हो सकता है। जेटली ने कहा कि तब 12 और 18 फीसदी की श्रेणी को मिलाकर एक श्रेणी बनाई जा सकती है। 

उन्होंने कहा कि लेकिन अगर हम 15 फीसदी की एक दर से जीएसटी लागू करेंगे तो टैक्स छूट वाली वस्तुएं भी महंगी हो जाएंगी, जिनका इस्तेमाल गरीब भी करते हैं। यह सही नहीं होगा। मालूम हो कि जीएसटी में 5, 12, 18 और 28 फीसदी टैक्स की चार दर तय की गई हैं। 

जेटली ने कहा कि जीएसटी का फैसला पूरे देश का है। सभी राज्य सरकार ने सहमति से मिलकर यह फैसला लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जब कोई बदलाव होता है तो थोड़ी बहुत तकनीकी समस्याएं आती ही हैं, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है।

जीएसटी ने ठप कराया कोटा स्टोन कारोबार, थमे ट्रकों के पहिए

कोटा। जीएसटी लागू होने के बाद कोटा स्टोन कारोबार पर पूरी तरह ब्रेक लग गया। कोटा-झालावाड़ जिले की करीब 1 हजार स्टोन इकाइयां बंद होने से 2 हजार श्रमिकों को शनिवार को रोजगार नहीं मिला। बाहर माल सप्लाई करने वाले 250 ट्रकों के चक्के थम गए।

रामगंजमंडी क्षेत्र से प्रतिदिन ढाई सौ ट्रकों में पत्थर लदान होता है। एक ट्रक पर पत्थर लदान के लिए चार-पांच श्रमिक होते हैं। करीब एक हजार से ज्यादा श्रमिकों को पॉलिश माल की गाडिय़ां नहीं भरने से रोजगार नहीं मिला। ऐसे में श्रमिक दिनभर सुस्ताते रहे। इसी तरह इकाइयां बंद होने से इकाइयों में कार्यरत 1 हजार श्रमिकों को भी काम नहीं मिला।

भ्रांतियां दूर करने की कोशिश
जीएसटी को लेकर शनिवार को कलक्ट्रेट स्थित टैगोर हॉल में वाणिज्यिक कर विभाग व केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग की ओर से कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें दोनों विभागों के अधिकारियों के साथ प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि, व्यापारी, उद्यमी, सीए उपस्थित रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री का भाषण ऑनलाइन सुना गया। वाणिज्यिक कर उपायुक्त प्रशासन नरेंद्र गुप्ता ने कहा कि जीएसटी लागू होने से खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आने के साथ राजस्व भी बढ़ेगा। 

माह में सिर्फ एक रिटर्न
केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर विभाग के उपायुक्त नरेश बुंदेल ने कहा कि देश में अलग-अलग प्रकार के 500 टैक्स लगते हैं। उन्हें सरकार ने एक देश, एक टैक्स में समेट दिया। व्यापारियों में भ्रांति है कि जीएसटी लागू होने के बाद माह में तीन व साल में 37 रिटर्न भरने होंगे, जबकि एेसा कुछ नहीं है। माह में सिर्फ एक ही रिर्टन भरना होगा। दो रिटर्न अपने आप ऑनलाइन जनरेट होंगे। इनमें थोड़ा बहुत संशोधन करना होगा, वहीं जिनका सालाना कारोबार 75 लाख तक है, वह कम्पोजिशन स्कीम के तहत लाभ ले सकते हैं।

हेल्प डेस्क शुरू
जीएसटी लागू होने के बाद वाणिज्यिक कर विभाग ने हेल्प डेस्क शुरू की है। यहां पर वाणिज्यिक कर अधिकारी व तकनीकी सहायक को नियुक्त किया गया। प्रभारी वाणिज्यिक कर अधिकारी अवधेश पाराशर ने बताया किसी व्यापारी, उद्यमी को जीएसटी से सम्बंधित कोई भी परेशानी हो, सवाल हो यहां आकर जानकारी ले सकते हैं

अब ‘कचरा’ नहीं बिल्डिंग मटेरियल बन जाएगी कोटा स्टोन स्लरी

कोटा । जिले के खनन क्षेत्रों आसपास के गांवों के लिए मुसीबत बन चुकी कोटा स्टोन स्लरी का अब स्थायी समाधान खोज लिया गया है। अब यह अनुपयोगी स्लरी बिल्डिंग मटेरियल में काम आएगी। करीब 3 साल से चल रहे रिसर्च के बाद सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई), रूड़की ने वह टेक्नोलॉजी तैयार कर ली है, जिससे इस स्लरी को बिल्डिंग मटेरियल में बदला जा सकेगा।

कोटा जिले में अलग-अलग माइंस एरिया प्रोसेसिंग यूनिट्स के आसपास भारी मात्रा में स्लरी जमा है। कई क्षेत्रों में तो इसके पहाड़ जैसे बन गए हैं। पर्यावरण के लिए इसे बड़ा खतरा मानते हुए 3 साल पहले राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (आरपीसीबी) ने सीबीआरआई को एप्रोच किया था। इसके बाद वहां के वैज्ञानिकों ने इस पर काम शुरू किया और अब वह तकनीक डवलप की जा चुकी है। पिछले माह आरपीसीबी के सीनियर अधिकारी रूड़की जाकर टेक्नोलॉजी भी देख आए हैं।

टेक्नोलॉजी खरीदने के लिए चल रहा नेगोशिएशन: अधिकारियों ने बताया कि सीबीआरआई द्वारा इस स्लरी से पेवर ब्लॉक्स, टाइल्स ब्रिक्स बनाई जा चुकी है। मापदंडों पर ये मटेरियल जांच में खरा भी मिला है। इन्हें बनाने के लिए स्लरी में बजरी मिलाने की जरूरत नहीं होगी। अब यह टेक्नोलॉजी आरपीसीबी खरीदेगा। इसे लेकर नेगोशिएशन चल रहा है।

आरपीसीबी को इस टेक्नोलॉजी के लिए सीबीआरआई को 20 से 25 लाख रुपए देने होंगे। इसके बाद स्थायी रूप से यह टेक्नोलॉजी आरपीसीबी की हो जाएगी। इसके बाद आरपीसीबी उद्यमियों को इसका प्लांट लगाने के लिए टोकन मनी पर टेक्नीक देगा।
सीबीआरआई से पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड खरीदेगा टेक्नोलॉजी

स्टार्ट अप पॉलिसी में लगेगा पहला प्लांट
राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड मुख्यालय में इस प्रोजेक्ट को देख रहे सीनियर इंजीनियर भुवनेश माथुर ने भास्कर को बताया कि हम उम्मीद करते हैं कि अगले 6 माह में कोई एक प्लांट लग जाए। यह भी प्रयास कर रहे हैं कि पहले प्लांट को स्टार्ट अप पॉलिसी में लेते हुए कुछ लाभ दिलाएं।

तीन साल पहले हमने सीबीआरआई से कोटा स्टोन स्लरी का समाधान ढूंढने को कहा था, जो अब उन्होंने खोज लिया है। पिछले माह मैं रूड़की जाकर उनके सैंपल पूरी टेक्नोलॉजी देख चुका हूं। यदि कोई प्लांट लगाने का इच्छुक होगा तो हम उसे रूड़की से प्रशिक्षण भी दिला देंगे।

  • कितनी बड़ी है स्लरी की समस्या ?
  • संभाग के कोटा और झालावाड़ जिले में करीब 2500 कोटा स्टोन प्रोसेसिंग यूनिट्स संचालित है।
  • कोटा शहर आसपास 250 यूनिट है, जो रोजाना 200 से 250 टन स्लरी प्रोड्यूस कर रहे हैं।

 

 

जीएसटी के बाद कोचिंग में पढ़ना हुआ और महंगा

-दिनेश महेश्वरी

कोटा। । जीएसटी लगने के बाद कोचिंग में पढ़ना महंगा हो गया है। अब 15 की जगह 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा। स्टूडेंट्स को कोचिंग फीस में 3 फीसदी ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा। इससे कोचिंग क्लास की फीस बढ़ जाएगी। यानी एक लाख पर 18000 रुपये जीएसटी चुकाना पड़ेगा। 

वैसे तो स्कूलों और कॉलेजों की फीस को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है लेकिन कोचिंग फीस 18 फीसदी टैक्स के दायरे में है यानी अब कोचिंग क्लास से फीस बढ़ाने को लेकर पैरंट्स को नोटिस दिया है, जिससे वे चिंतित हैं।

जीएसटी काउंसिल ने पारंपरिक कोर्सों और सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों द्वारा स्वीकृत कोर्सों को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है। लेकिन गैर पारंपरिक और सर्टिफिकेट कोर्स पर टैक्स ज्यादा है।इसको लेकर एक्सपर्ट्स और शिक्षाविदों की राय अलग-अलग है।

जहां ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि जीएसटी से शिक्षा क्षेत्र पर कोई असर नहीं पड़ेगा और पढ़ाई खर्च का घरेलू बजट असंतुलित नहीं होगा । वहीं शिक्षाविदों की राय इससे अलग है। उनका मानना है कि अन्य कई रास्तों से शिक्षा के क्षेत्र पर इसका असर पड़ेगा। 

लिविंग कॉस्ट में इजाफा

बड़ी संख्या में छात्र कोटा जैसे बड़े शहरों में पढ़ने के लिए आते हैं। जीएसटी का असर वैसे छात्रों पर पड़ेगा। कॉलेज फीस तो नहीं बढ़ेगी लेकिन इन छात्रों को ट्रांसपोर्ट, मेस और कैंटीन, हॉस्टल्स एवं अन्य सर्विसेज की जरूरत पड़ती है, जिस पर जीएसटी का असर पड़ेगा। इससे उनकी लिविंग कॉस्ट में इजाफा होगा। हॉस्टल में रहने वाले अधिकतर छात्र कैंटीन या मेस में खाते हैं। अब वहां खाना छात्रों को महंगा पड़ेगा।

विरोध दर्ज कराया था

इस मामले में कोचिंग संचालकों और छात्रों ने अपना विरोध दर्ज कराया था। जीएसटी लागू होने के बाद परन्तु सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इस कारण इसका भार पेरेंट पर पड़ गया। LEN-DEN NEWS ने इस मामले में कोचिंग संचालकों से बात की थी और सुझाव दिया था , की वह अपनी बढ़ी हुई फीस वापस ले ले। परन्तु उन्होंने अपने खर्चे गिनाते हुए फीस कम करने से इंकार कर दिया।
 

आधार से पैन को लिंक कराने के लिए फॉर्म नोटिफाई

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नई दिल्ली । आयकर विभाग ने करदाताओं के लिए एक-पेज का फॉर्म पेश किया है ताकि करदाता मैन्युअली रुप से पैन कार्ड को आधार से जोड़ पाएं। यह सुविधा पैन को आधार से जोड़ने की ऑनलाइन और एसएमएस सुविधा से इतर है।

इंजिविजुअल टैक्स पेयर को इस फॉर्म में उनके पैन कार्ड और आधार कार्ड में दर्ज सही सही जानकारी लिखनी होगी। साथ ही उसे यह भी डिक्लेरेशन देना होगा कि उनकी ओर से पैन कार्ड को आधार से जोड़ने के लिए आवेदन नहीं दिया गया है।साथ ही उन्हें यह भी घोषणा करनी होगी कि उन्हें उस पैन कार्ड, जिसका उन्होंने फॉर्म में उल्लेख किया है के अलावा कोई दूसरा पैन कार्ड भी अलॉट नहीं किया गया है।

करदाता घोषणा के रूप में बताएगा, “मैं समझता हूं कि आधार आधारित प्रमाणीकरण के उद्देश्य के लिए प्रदान किए गए मेरे व्यक्तिगत पहचान डेटा की पूरी सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित की जाएगी।”कर विभाग के अधिकारी ने बताया, “यह फॉर्म सिर्फ एक और प्रक्रिया है, जो कि पेपर के माध्यम से है।

ताकि पैन को आधार से लिंक कराया जा सके, जैसा कि एक जुलाई से अनिवार्य कर दिया गया है।” सीबीडीटी की 29 जून की नोटिफिकेशन के अंतर्गत विभाग ने औपचारिक रूप से एक पैन कार्ड होल्डर की ओर से आई-टी विभाग को आधार संख्या को सूचित करने के लिए प्रक्रिया और प्रारूप को अधिसूचित किया है।