नई दिल्ली । जीएसटी के अंतर्गत अगर आप रेडी टू मूव फ्लैट लेने का मन बना रहे हैं तो आपको अपनी जेब थोड़ा ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी, ऐसा इसलिए क्योंकि डेवलपर कर की ऊंची दरों का बोझ खरीदरों पर डालने का मन बना रहे हैं। हालांकि नए फ्लैट आपको जरूर कुछ सस्ते जान पड़ेंगे और डेवलपर्स के लिए उनके आगामी प्रोजक्ट्स को देखते हुए यह एक राहत भरी खबर है।
जीएसटी के अंतर्गत निर्माणाधीन अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स पर प्रभावी टैक्स बढ़कर 12 फीसद हो गया है, जो कि 6.5 फीसद का इजाफा है। रियल्टी पर वास्तविक जीएसटी की दर 18 फीसद है, लेकिन इसमें भूमि मूल्य की डेवलपर की ओर से चार्ज की गई कुल लागत में से एक तिहाई कर कटौती की अनुमति दी गई है।
एक डेवलपर ने बताया कि जीएसटी पूर्ण इनपुट सेट-ऑफ क्रेडिट प्राप्त करने का एक विकल्प देता है, हालांकि यह रेडी-टू-मूव इन फ्लैट पर लागू नहीं है। इसी वजह से डेवलपर्स को ऊंची कर दरों का बोझ उठाना पड़ेगा या तो इस बोझ को उपभोक्ताओं को पास करना होगा या फिर कीमतों में इजाफा कर उन्हें नए टैक्स बोझ के साथ इसकी भरपाई करनी होगी।
“