अब ‘कचरा’ नहीं बिल्डिंग मटेरियल बन जाएगी कोटा स्टोन स्लरी

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इंद्रप्रस्थ इंडस्ट्रियल एरिया में फैली कोटा स्टोन की स्लरी

कोटा । जिले के खनन क्षेत्रों आसपास के गांवों के लिए मुसीबत बन चुकी कोटा स्टोन स्लरी का अब स्थायी समाधान खोज लिया गया है। अब यह अनुपयोगी स्लरी बिल्डिंग मटेरियल में काम आएगी। करीब 3 साल से चल रहे रिसर्च के बाद सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई), रूड़की ने वह टेक्नोलॉजी तैयार कर ली है, जिससे इस स्लरी को बिल्डिंग मटेरियल में बदला जा सकेगा।

कोटा जिले में अलग-अलग माइंस एरिया प्रोसेसिंग यूनिट्स के आसपास भारी मात्रा में स्लरी जमा है। कई क्षेत्रों में तो इसके पहाड़ जैसे बन गए हैं। पर्यावरण के लिए इसे बड़ा खतरा मानते हुए 3 साल पहले राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (आरपीसीबी) ने सीबीआरआई को एप्रोच किया था। इसके बाद वहां के वैज्ञानिकों ने इस पर काम शुरू किया और अब वह तकनीक डवलप की जा चुकी है। पिछले माह आरपीसीबी के सीनियर अधिकारी रूड़की जाकर टेक्नोलॉजी भी देख आए हैं।

टेक्नोलॉजी खरीदने के लिए चल रहा नेगोशिएशन: अधिकारियों ने बताया कि सीबीआरआई द्वारा इस स्लरी से पेवर ब्लॉक्स, टाइल्स ब्रिक्स बनाई जा चुकी है। मापदंडों पर ये मटेरियल जांच में खरा भी मिला है। इन्हें बनाने के लिए स्लरी में बजरी मिलाने की जरूरत नहीं होगी। अब यह टेक्नोलॉजी आरपीसीबी खरीदेगा। इसे लेकर नेगोशिएशन चल रहा है।

आरपीसीबी को इस टेक्नोलॉजी के लिए सीबीआरआई को 20 से 25 लाख रुपए देने होंगे। इसके बाद स्थायी रूप से यह टेक्नोलॉजी आरपीसीबी की हो जाएगी। इसके बाद आरपीसीबी उद्यमियों को इसका प्लांट लगाने के लिए टोकन मनी पर टेक्नीक देगा।
सीबीआरआई से पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड खरीदेगा टेक्नोलॉजी

स्टार्ट अप पॉलिसी में लगेगा पहला प्लांट
राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड मुख्यालय में इस प्रोजेक्ट को देख रहे सीनियर इंजीनियर भुवनेश माथुर ने भास्कर को बताया कि हम उम्मीद करते हैं कि अगले 6 माह में कोई एक प्लांट लग जाए। यह भी प्रयास कर रहे हैं कि पहले प्लांट को स्टार्ट अप पॉलिसी में लेते हुए कुछ लाभ दिलाएं।

तीन साल पहले हमने सीबीआरआई से कोटा स्टोन स्लरी का समाधान ढूंढने को कहा था, जो अब उन्होंने खोज लिया है। पिछले माह मैं रूड़की जाकर उनके सैंपल पूरी टेक्नोलॉजी देख चुका हूं। यदि कोई प्लांट लगाने का इच्छुक होगा तो हम उसे रूड़की से प्रशिक्षण भी दिला देंगे।

  • कितनी बड़ी है स्लरी की समस्या ?
  • संभाग के कोटा और झालावाड़ जिले में करीब 2500 कोटा स्टोन प्रोसेसिंग यूनिट्स संचालित है।
  • कोटा शहर आसपास 250 यूनिट है, जो रोजाना 200 से 250 टन स्लरी प्रोड्यूस कर रहे हैं।