नई दिल्ली। Compensation cess: राज्य सरकारों ने केंद्र को बताया है कि वे मार्च 2026 के बाद मुआवजा उपकर की मौजूदा व्यवस्था समाप्त होने पर उसे 28 फीसदी के उच्चतम वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) स्लैब में मिला देने के पक्ष में हैं।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की अध्यक्षता में जीएसटी मुआवजा उपकर पर मंत्रिसमूह की पहली बैठक में राज्यों ने यह प्रस्ताव भी दिया कि नया जीएसटी स्लैब बनाने के लिए उपकर को विलय करने के दौरान, विलासिता और अहितकर वस्तुओं की सूची में कोई नया सामान नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
बैठक में शामिल एक राज्य के वित्त मंत्री ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘सभी राज्यों ने उपकर को जीएसटी दरों में मिलाने का अनुरोध किया। उपकर वर्तमान में केंद्र द्वारा संग्रह किया जाता है और इसके जीएसटी दर में विलय के बाद राज्यों को ज्यादा राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी क्योंकि इसे केंद्र और राज्यों के बीच समान रूप से बांटा जाएगा। अगली बैठक में मंत्रिसमूह इस पर चर्चा करेगा कि मुआवजा उपकर को किस तरह से जीएसटी दर में शामिल किया जाए।’
मंत्रिसमूह को 31 दिसंबर तक जीएसटी परिषद को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। चौधरी ने कहा, ‘मुआवजा उपकर के मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई थी। राज्यों ने इस मसले पर अपने विचार साझा किए। बैठक में मुआवजा उपकर को आगे बढ़ाने या उसे घटाने पर भी चर्चा की गई। अगली बैठक नवंबर के दूसरे हफ्ते प्रस्तावित है।’
जुलाई 2017 में जब जीएसटी लागू किया गया था तब राज्यों को भरोसा दिया गया था कि नई कर व्यवस्था के लागू होने से राज्यों के राजस्व में किसी तरह के नुकसान पर 5 साल के लिए मुआवजा दिया जाएगा। इसके लिए 28 फीसदी कर स्लैब पर विलासिता तथा अहितकर वस्तुओं पर विभिन्न दरों के हिसाब से मुआवजा उपकर लगाया गया था।
राज्यों को मुआवजा भुगतान की अवधि आधिकारिक तौर पर जून 2022 में खत्म हो गई थी मगर महामारी के दौरान राजस्व में कमी के चलते 2.7 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के भुगतान के लिए इसे मार्च 2026 तक के लिए बढ़ा दिया गया था।
9 सितंबर को जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिया था सरकार जनवरी 2026 तक ब्याज सहित पूरा कर्ज चुका सकती है। इससे फरवरी और मार्च 2026 में उपकर संग्रह से लगभग 40,000 करोड़ रुपये का अधिशेष प्राप्त हो सकता है।
ऐसे में परिषद ने मुआवजा उपकर के भविष्य पर व्यापक अध्ययन की आवश्यकता पर चर्चा की और इसके खत्म होने के बाद उपकर के लिए कराधान प्रस्ताव तैयार करने के लिए मंत्रिसमूह के गठन का प्रस्ताव किया था। पीडब्ल्यूसी में पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा कि अगर उपकर को जीएसटी दरों के साथ मिलाया जाता है तो कर का नया स्लैब बनाना होगा।