Monday, November 11, 2024
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कोटा में मझोले उद्यमियों के लिए आय फाइनेंस की नई शाखा शुरू

कोटा। भारत में तेजी से बढ़ रही वित्तीय कंपनी आय फाइनेंस ने राजस्थान में 5 नई शाखाएं शुरू की है। छोटे एवं मझोले उद्यमियों को सेवा नई शाखाएं कोटा, चित्तौड़गर, भीलवाड़ा, पाली और ब्यावर में शुरू की गई हैं। नई शाखाएं खुलने से अब राजस्थान में आय की शाखाएं की संख्या बढ़कर 12 हो गई है।

एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के तौर पर आय फाइनैंस मॉर्गेज, हाइपोथेकेशन और टर्म लोन सेवाएं भारत के कम सुविधा प्राप्त एमएसएमई सेक्टर के लिए मदद कर रही है।आय फाइनेंस के कार्यकारी निदेशक विक्रम जेटली ने कहा, ‘ भारत के एमएसएमई सेक्टर के साथ जमीनी स्तर पर जुड़कर आय फाइनेंस की नई शाखाएं बड़ी तादाद में छोटे और मझोले व्यवसायियों तक नवीनतम वित्तीय उत्पद मुहैया कराकर उन्हें अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल कराने में सक्षम बनाएंगी।’

आय फाइनेंस  तीन प्रख्यात फंड हाउसों – एक्शन इंटरनैशनल, सैफ पार्टनर्स और एलजीटी इम्पैक्ट वेंचर्स द्वारा वित्त पोशित है और उसके एमएसएमई फाइनैंस व्यवसाय को भारत के सबसे बड़े पीएसयू बैंक एसबीआय समेत दर्जनों सेवा प्रदाताओं का वित्तीय समर्थन हासिल है।

 

रिकॉर्ड को डिजिटल करने से हजारों रोगियों का इलाज हुआ आसान

रोगियों को राहत : शहर में तीन सरकारी डिस्पेंसरी में मेडकॉर्ड्स के जरिए मरीजों के रिकॉर्ड निःशुल्क डिजिटलाइज करने से हजारों रोगियों को मिला फायदा। बुधवार को रामपुरा जिला अस्पताल में लांच हुआ डिजिटल इको सिस्टम

-अरविन्द
कोटा। डिजिटल इंडिया मुहिम के तहत स्मार्ट सिटी के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के रिकॉर्ड को डिजिटल करने से हर वर्गं के मरीजों को फायदा मिलने लगा है। भीमगंजमंडी व दादाबाड़ी के बाद बुधवार को रामपुरा जिला अस्पताल में मेडकॉर्ड्स कें जरिए बहुउद्देश्यीय डिजिटल हैल्थकेअर सुविधा प्रारंभ की गई।

मुख्य अतिथि विधायक प्रहलाद गुंजल ने कहा कि मुझे 15 दिन पहले डॉक्टर को दिखाना था, लेकिन पर्चा मिला नहीं, तब मेडकॉर्ड्स के माध्यम से मुझे तुरंत उपचार मिल गया। शहर से बाहर भी आपातकालीन स्थिति में ये डिजिटल रिकॉर्ड हर वक्त हमारे काम आ सकता है। शहर के दो आईटी विशेषज्ञ युवा श्रेयांस मेहता व निखिल बाहेती अपने शहर में एक सरकारी अस्पताल तक रूके नहीं, वे हर माह इससे शहर के विभिन्न हिस्सों को जोड़ रहे हैं।

पीएम  नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया मिशन के तहत मरीजों के रिकॉर्ड को डिजिटलाइज करने का कदम कोटा में 9 मई को एक सरकारी डिस्पेंसरी से उठाया गया। आज 6 हजार से अधिक रोगी अपना निशुल्क पंजीयन करवाकर सर्वश्रेष्ठ इलाज का लाभ उठा रहे हैं। रामपुरा क्षेत्र के नागरिक अपना मेडिकल रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के लिए इसका पूरा लाभ उठाए।

महापौर  महेश विजय ने कहा कि शहर के युवा किसी कंपनी में जॉब करके करोडों रूपए कमा सकते हैं, लेकिन इन्होंने जन्मभूमि कोटा के लिए बेहतरीन सेवा कार्य किया है। समारोह में क्षेत्र के पार्षद बृजेश शर्मा ‘नीटू’, चंद्रप्रकाश सैनी, हेमा सक्सेना, इंद्रकुमार जैन, मीनाक्षी खंडेलवाल व कमरूद्दीन सहित कई गणमान्य नागरिक व चिकित्सक मौजूद रहे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जेएल जेठवानी ने आभार जताया। डॉ सुधीर उपाध्याय ने संचालन किया।

स्मार्ट सिटी के लिए ‘रिक्रिएटिव कोटा’
विशिष्ट अतिथि जिला कलक्टर श्री रोहित गुप्ता ने कहा कि कोई भी अच्छा प्रोजेक्ट प्राइवेट सेक्टर में चालू होता है लेकिन मेडकॉर्ड्स ऐसा प्रोजेक्ट है, जो सबसे पहले कोटा में सरकारी डिस्पेंसरी से शुरू किया गया। जिला प्रशासन मेडकॉर्ड्स के साथ एमओयू करके इसे ‘डोर-टू-डोर’ तक ले जाएगा। ताकि हर नागरिक अपनी डिजिटल हैल्थ प्रोफाइल तैयार कर सके। यह प्रोफाइल गवर्नमेंट व प्राइवेट हॉस्पिटल दोनों में काम आएगी।

उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी नागरिकों के सहयोग से स्मार्ट बनती है, इसलिए प्रशासन के साथ सहयोग करें। जल्द ही स्मार्ट सिटी के लिए ‘रिक्रिएटिव कोटा’ ग्रुप बनाया जा रहा है, जिसमें ऐसे युवा जो जनहित में शहर के लिए इनोवेटिव कार्य करके नई पहचान दिला सके, उन्हें जोड़ा जाएगा। यहां के कोचिंग विद्यार्थियों को सस्ती किताबें उपलब्ध करवाने के लिए कंपनी से करार करके बुक बैंक की स्थापना भी की जाएगी।

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ गिरीश वर्मा ने कहा कि मेडकॉर्ड्स देश के मेडिकल क्षेत्र में डिजिटल क्रान्ति है। इस इको सिस्टम से डॉक्टर, रोगी, लेबोरेट्री व केमिस्ट एक साथ जुड़ जाएंगे, जिससे रोगियों को बहुत लाभ मिलेगा। यह पहला एप है जो बिना स्मार्टफोन भी गरीब मरीजों के रिकॉर्ड को सुरक्षित रखेगा। कोटा के सभी सरकारी अस्पतालों में इसे जल्द लागू किया जाएगा।

हमारे इलाज में काम आया डिजिटल रिकॉर्ड

केस-1 : भीमगंजमंडी क्षेत्र में एक प्रसूता रूखसार बानो रात 9 बजे अचानक तेज दर्द हुआ लेकिन डिस्पेंसरी बंद हो जाने से उसके पति ने मेडकॉर्ड्स के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके मदद मांगी। डिस्पेंसरी में उसका रिकॉर्ड डिजिटल होने से डॉक्टर ने यूजर आईडी से मोबाइल पर उसकी स्थिति को समझकर तत्काल ट्रीटमेंट दे दिया। रूखसान को सुबह तक आराम मिल गया।

केस-2 : दादाबाडी क्षेत्र में रहने वाली 81 वर्षीया नानीबाई का शाम 7ः30 बजे घर पर अचानक जी घबराने लगा। उसकी तबीयत बिगड़ रही थी लेकिन डिस्पेंसरी 7 बजे बंद हो चुकी थी। उसके बेटे ने मेडकॉर्ड्स के कॉल सेंटर पर फोन करके मदद मांगी, जिससे डॉक्टर ने मोबाइल से ही उसे दवाइयां नोट करवा दी। उसे कहीं भागदौड़ नहीं करनी पड़ी और जल्दी आराम मिल गया।

केस-3 : रोगी महेंद्रसिह का इलाज सरकारी डिस्पेंसरी में चल रहा था लेकिन अचानक ब्रेन हेमरेज हो जाने से शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। उन्हें इलाज से आराम नहीं मिला तो मेडकॉर्ड्स के हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया। टीम ने दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश श्रीवास्तव को डिजिटल रिपोर्ट भेजकर परामर्श लिया, समय पर अच्छा ट्रीटमेंट मिलने से अब तबीयत में सुधार है।

ऐसे तैयार करें मेडिकल प्रोफाइल
डिस्पेंसरी में रोगी को एक बार मेडकार्ड्स पर लॉग इन करना है। इसमें नाम, मोबाइल नंबर व क्षेत्र भरते ही वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मोबाइल पर आएगा, उसे फीड करते ही रोगी का आईडी बन जाएगा। जिस पर सारे मेडिकल रिकॉर्ड अपलोड कर सकता है। यह मेडिकल प्रोफाइल किसी भी विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाई जा सकती है। मेडकॉर्ड्स का हेल्पलाइन नंबर 78168 11111 है।

जीएसटी पोर्टल डाउन, रजिस्ट्रेशन में छूटे डीलर्स को पसीने

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नई दिल्ली। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में रजिस्ट्रेशन लेने की कोशिश कर रहे हजारों कारोबारियों को इन दिनों खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। मौजूदा रजिस्टर्ड कारोबारियों के माइग्रेशन के साथ ही नए रजिस्ट्रेशन के लिए 25 जून से खुले जीएसटी के कॉमन पोर्टल gst.gov.in पर लोड इतना ज्यादा है कि बहुत मुश्किल से साइट ओपन हो रही है।

अगर लंबी कवायद के बाद साइट खुलती भी है तो किसी भी लिंक पर क्लिक करते ही नेटवर्क एरर आ जाता है। रजिस्ट्रेशन के दूसरे चरण में 15 जून तक दिल्ली में करीब 3 लाख वैट रजिस्टर्ड कारोबारियों ने एनरॉलमेंट नंबर हासिल कर लिया था, जबकि बाकी करीब एक लाख को प्रविजनल आईडी-पासवर्ड भर मिला था।

इस आईडी पासवर्ड के साथ ये कारोबारी 26 जून से पोर्टल पर लॉग-इन कर रहे हैं, जबकि एनरॉलमेंट पाने वाले मांगे गए डॉक्युमेंट अपलोड कराकर प्रविजिनल रजिस्ट्रेशन नंबर और सर्टिफिकेट डाउनलोड करने की कोशिश कर रहे हैं।कारोबारियों की ओर से मंगलवार सुबह से ही पोर्टल स्लोडाउन की शिकायतें आने लगीं।

ऑल दिल्ली कंप्यूटर ट्रेडर्स असोसिएशन के एक सदस्य ने बताया, ‘हमारे कई सदस्यों का एनरॉलमेंट हो गया है और उन्हें ऐप्लिकेशन रेफरेंस नंबर (एआरएन) भी मिल गया था। लेकिन कुछ डॉक्युमेंट अपलोड करने के लिए वे सोमवार सुबह से ही कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कामयाबी नहीं मिली है।’ यही हाल पहली बार जीएसटी के दायरे में आ रहे कपड़ा व्यापारियों और कुछ अनाज व्यापारियों का भी है।

नया रजिस्ट्रेशन लेने में उनके पसीने छूट रहे हैं। हालांकि, नए रजिस्ट्रेशन के लिए वैधानिक रूप से कारोबारियों के पास 30 दिन का समय होगा, लेकिन मौजूदा रजिस्टर्ड ट्रेडर्स के लिए जरूरी है कि वे माइग्रेशन के साथ ही नए टैक्स रिजीम में जाएं। इससे वे अपने क्लोजिंग स्टॉक पर इनपुट क्रेडिट ले सकेंगे और रिफंड को आसानी से कैरी फॉरवर्ड कर सकेंगे।

वैट विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक करीब 3.9 लाख ट्रेडर्स को प्रविजिनल आईडी पासवर्ड जारी हुए हैं, जिनमें से लगभग 3 लाख को एआरएन मिल गया है और उनमें से ज्यादातर का माइग्रेशन तय है।30 जून तक प्रविजनल जीएस-टिन पाने वाले ट्रेडर 1 जुलाई से जीएसटी रजिस्टर्ड माने जाएंगे और उनका टिन भी स्थायी हो जा जाएगा।

चूंकि जीएसटी ऐक्ट 1 जुलाई से लागू हो रहा है, इसलिए अभी सिर्फ प्रविजनल रजिस्ट्रेशन ही मिल सकता है। जीएसटीएन अधिकारियों ने पोर्टल स्लोडाउन से जुड़े सवालों का जवाब नहीं दिया, लेकिन सीबीईसी के एक अधिकारी ने बताया कि माइग्रेशन के साथ ही नए रजिस्ट्रेशन के चलते पोर्टल पर दबाव ज्यादा है। जहां बड़ी संख्या में कैंसल्ड रजिस्ट्रेशन नया रजिस्ट्रेशन ले रहे हैं, वहीं पहली बार टैक्स रिजीम में आने वाले ट्रेडर भी नए रजिस्ट्रेशन की कोशिश कर रहे हैं।

1 जुलाई से कैसे बदल जाएगा रेल सफर, वेटिंग से मुक्ति व रिफंड आसान

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नई दिल्ली।  अगर आप ट्रेन से सफर करते हैं तो ये खबर आपके लिए है, क्योंकि 1 जुलाई से भारतीय रेलवे अपने नियमों में कई बदलाव लाने जा रही है। इसका सीधा असर ट्रेन यात्रियों पर पड़ने वाला है। आइए जानते हैं कौन-कौन नियम बदल जाएंगे और आप पर क्या असर होगा।

तत्‍काल टिकट कैंसिल पर 50 फीसदी मिलेगा रिफंड : फिलहाल तत्काल टिकट कैंसिल करवाने पर कोई रिफंड नहीं है। 1 जुलाई से आपको तत्‍काल टिकट कैंसिल कराने पर 50 फीसदी तक रिफंड मिलेगा। साथ ही सुविधा ट्रेन के टिकट वापस करने पर पैसेंजर्स को 50 फीसदी भाड़ा वापस मिलेगा। इसके लिए एसी-2 पर 100 रुपए, एसी-3 पर 90 रुपए और स्लीपर पर 60 रुपए प्रति पैसेंजर्स की दर से रिफंड चार्ज काटा जाएगा।

रिफंड के अन्‍य नियम में भी बदलाव :अगर किसी पैसेंजर्स के पास ई-टिकट है और ट्रेन कैंसिल हो जाती है तो इसके लिए अब टिकट डिपॉजिट रिसिप्ट भरना जरूरी नहीं होगा। रिफंड अपने आप अकाउंट में आ जाएगा। साथ ही आरएसी टिकट कैंसिल कराने के लिए ट्रेन निकलने से आधा घंटा पहले तक टिकट कैंसिल कराने पर चार्ज काट कर रिफंड दे दिया जाएगा।

अब मिलेंगे कई भाषाओं में टिकट   : आईआरसीटीसी से ऑनलाइन टिकट बुक कराने पर पैसेंजर्स को अभी तक सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही टिकट मिलता था। लेकिन, 1 जुलाई से पैसेंजर्स को अन्‍य भाषाओं में भी ट्रेन टिकट रेलवे उपलब्ध कराएगा। टिकट बुक करते वक्‍त आप अपनी सुविधा और पसंद के मुताबिक टिकट का चुनाव कर सकते हैं।

राजधानी और शताब्‍दी में पेपरलेस टिकट
1 जुलाई से भारतीय रेलवे में पेपरलेस टिकटिंग व्यवस्था शुरू होने जा रही है जिसकी शुरुआत शताब्दी और राजधानी ट्रेनों से की जाएगी। इस सुविधा के बाद शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में सफर करने वाले पैसेंजर्स को पेपर वाली टिकट नहीं मिलेगी,बल्कि आपके मोबाइल पर टिकट भेजा जाएगा। साथ ही रेलवे इस ट्रेन में सफर करने वाले पैसेंजर्स को फास्‍ट फूड ऑन डिमांड उपलब्‍ध कराएगा।

सुविधा ट्रेनों में मिलेगा कन्‍फर्म टिकट : अब रेलवे में वेटिंग लिस्‍ट का झंझट भी खत्म होने वाला है। रेलवे की ओर से चलाई जाने वाली सुविधा ट्रेनों में पैसेंजर्स को कन्फर्म टिकट की सुविधा दी जाएगी। इसके लिए रेलवे 1 जुलाई से राजधानी, शताब्दी, दुरंतो और मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के तर्ज पर सुविधा ट्रेनें चलाएगा।

शताब्‍दी और राजधानी में बढ़ेगी सीट :शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में कोचों की संख्या भी बढ़ाई जाने वाली है। इससे आरएसी टिकट को भी कन्‍फर्म किया जा सकेगा।

बिना आधार नहीं मिलेगी रियायती टिकट :अब रेलवे में रियायती टिकट के लिए 1 जुलाई से आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है। सीनियर सिटीजन, महिला कोटा जैसे कई रियायतों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर जिया गया है। ऑनलाइन और रिजर्वेशन काउंटर से टिकट लेते समय आपको आधार नंबर देना होगा।

1 जुलाई से फ्लेक्सी फेयर सिस्टम बंद :रेलवे ने एयरप्लेन्स की तर्ज पर फ्लेक्सी फेयर सिस्टम की शुरुआत की थी। जो 6 महीने के लिए ट्रायल पर था। लेकिन प्लान पूरी तरह फेल होने के बाद इसे वापस लिया जा रहा है। इसकी जगह प्रीमियम,राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में रेलवे पावर कोच हटाकर पैसेंजर्स कोच ट्रायल बेस पर लगाएगी।

दवा बाजार पर लगाम, जीएसटी से पहले गिरे दाम

नई दिल्‍ली। औषधि उद्योग ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद दवाओं की कीमतें चढ़ने का अंदेशा जताया था क्योंकि उन पर 12 फीसदी जीएसटी लगाया जाना है। लेकिन दवाएं महंगी होने का खटका दूर करने के लिए राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) हरकत में आ गया है ताकि कीमतों पर काबू रखा जा सके।

एनपीपीए ने औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ), 2013 की प्रथम अनुसूची में शामिल 761 दवाओं की अधिकतम मूल्य सीमा में तब्दीली कर दी है और इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई है। संशोधित मूल्य सूची के मुताबिक ज्यादातर दवाओं के दाम कम कर दिए गए हैं और कुछ दवाओं के दाम ही पहले जितने रहे हैं। इन सभी दवाओं पर 12 फीसदी कर लगना है।

इस अधिसूचना के बाद एचआईवी की दवा, रेबीज की दवा, की दवाओं, रेबीज निवारक दवाओं, दिल की धड़क नियमित करने वाली दवा, निमोनिया की दवा, कैंसर की दवा, फोलिक एसिड की गोलियां और क्रॉन डिजीज जैसी दुर्लभ बीमारियों की दवा सस्ती हो जाएंगी। त्वचा रोगों की कुछ दवाएं भी सस्ती हो जाएंगी। इनमें से कुछ के दाम में तो 400 रुपये से भी ज्यादा की कटौती की गई है।

मसलन कैंसर की दवा बोर्टेजॉमिब की कीमत पहले 11,636.60 रुपये थी, जो अब 11,160.08 रुपये कर दी गई है। गंभीर रोगों की दवाएं तो सस्ती की ही गई हैं, पैरासिटामॉल जैसी रोजमर्रा की दवाओं के दाम भी घट गए हैं। अधिकतम दाम में कमी का सीधा मतलब यह है कि जीएसटी लागू होने के बाद इन दवाओं की कीमतों में मामूली इजाफा ही होगा।

इस औषधि उद्योग को इस पर ताज्जुब नहीं हुआ है। भारतीय औषधि विनिर्माता संघ (आईडीएमए) के अध्यक्ष दीपनाथ रायचौधरी कहते हैं, ‘अनुसूचित दवाओं की मूल्य सीमा घटाई गई है और इसकी उम्मीद भी की जा रही थी।’ एनपीपीए की सूची में दिए गए दाम में जीएसटी शामिल नहीं है। इसमें वैट उत्पाद शुल्क तथा वैट को भी हटा दिया गया है।

जिन अनुसूचित दवाओं पर कंपनियों को उत्पाद शुल्क नहीं देना पड़ता है, उनके मूल्य में बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि रायचौधरी कहते हैं, ‘अधिकतम मूल्य घट गया है, लेकिन इसमें जीएसटी जोड़ेंगे तो कीमत पहले से ज्यादा ही हो जाएगी।’ बहरहाल जीएसटी प्रणाली में भी स्टेंट की कीमतें बढ़ाई नहीं गई हैं। एनपीपीए ने स्टेंट की अधिकतम कीमत 30,180 रुपये तय की है और धातु के सादा स्टेंट का दाम 7,400 रुपये रखा है।

स्टेंट की ही तरह शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को कम करने वाली इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं जैसे साइक्लोस्पोरिन के दाम भी नहीं बदले गए हैं। ल्यूकीमिया की दवा और लाल रक्त कणिकाओं के उत्पादन पर नियंत्रण रखने वाली दवा और हेपैटाइटिस बी के टीके की कीमत भी जस की तस है। लेकिन जो दवाएं अनुसूची में शामिल नहीं हैं, उनकी कीमत में सालाना 10 फीसदी बढ़ोतरी की जा सकेगी। उद्योग को नई सूची से तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन निकोटिन गम पर 18 फीसदी कर लगाया जाना उसे नहीं भा रहा है।

सिप्ला का निकोटेक्स इसी श्रेणी में आ रहा है और सरकार ने उस पर कर की दर अभी तक कम नहीं की है। इन दवाओं के अलावा कुछ जीवनरक्षक दवाओं पर 5 फीसदी जीएसटी लगना है। विश्लेषक पहले ही कहते आए हैं कि जीएसटी से दवाओं पर बहुत अधिक असर नहीं पड़ेगा। लेकिन उद्योग रसीद के बगैर बिकने वाली दवाओं पर केवल 40 फीसदी इनपुट टैक्स क्रेडिट की बात से भी निराश है।

 

आईआईटी में सीट आवंटन का पहला चरण आज  

 काउंसलिंग : जेईई-एडवांस्ड,2017 में चयनित छात्रों को ऑल इंडिया रैंक के अनुसार पसंदीदा आईआईटी में मिलेगा दाखिला

अरविन्द कोटा।

आईआईटी में बीटेक प्रोग्राम में एडमिशन का सपना देखने वाले हजारों स्टूडेंट्स की नजरें पहले राउंड के सीट आवंटन पर टिकी हैं। संयुक्त सीट आवंटन अथॉरिटी (जोसा) द्वारा बुधवार सुबह 23 आईआईटी की 10,988 सीटों पर प्रथम राउंड में सीटें आवंटित की जाएंगी।

ऑनलाइन काउंसलिंग में पंजीयन के बाद जिन चयनित परीक्षार्थियों ने अपनी च्वाइस के संस्थान व ब्रांच के लिए आवेदन किया है, उन्हें केटेगरी व रैंक के अनुसार वरीयता क्रम से सीटें आवंटित कर दी जाएंगी। इसके पश्चात् ये विद्यार्थी संबंधित जोनल आईआईटी संस्थान में जाकर निर्धारित दस्तावेजों के साथ रिपोर्टिंग करेंगे। 

प्रथम राउंड के बाद रिक्त सीटों पर दूसरे राउंड का सीट आवंटन 4 जुलाई को होगा। 18 जुलाई तक चलने वाली ऑनलाइन काउंसलिंग इस वर्ष 7 राउंड में पूरी होगी। कोटा कोचिंग से सफलता पाने वाले टॉप-100 रैंक वाले 50 स्टूडेंट्स को आईआईटी मुंबई व दिल्ली में सीटें मिल जाएंगी। इसके अतिरिक्त शीर्ष रैंक पर क्वालिफाई सभी परीक्षार्थियों ने पुराने 7 आईआईटी संस्थानों में मनपसंद ब्रांच में प्रवेश लेने के लिए च्वाइस भरी हैं। इस वर्ष कोर ब्रांच इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन, कम्प्यूटर साइंस को ज्यादा पसंद किया गया। 

सामान्य वर्ग के लिए 5394 सीटें 

आईआईटी की 10,988 सीटों में 5394 सीटों पर सामान्य वर्ग, 2870 पर ओबीसी (नॉन क्रीमी लेयर), 1594 सीटों पर एससी वर्ग, 800 सीटों पर एसटी वर्ग के चयनित विद्यार्थियों को एडमिशन दिए जाएंगे। इस वर्ष दिव्यांग केटेगरी के लिए सभी वर्गों की 330 सीटें आरक्षित हैं।

इसके अतिरिक्त आईआईटी की 1000 अतिरिक्त सीटों पर 6 देशों से चयनित परीक्षार्थियों को दाखिले मिलेंगे। आईआईटी में प्रवेश की पात्रता के लिए 12वीं बोर्ड परीक्षा में सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम 75 प्रतिशत तथा आरक्षित वर्ग के लिए 65 प्रतिशत अंक अनिवार्य है। 

ऑनलाइन काउंसलिंग की प्रक्रिया

  • 28 जून को प्रथम सीट आवंटन।
  • 29 से 3 जुलाई तक जोनल सेंटर पर रिपोर्टिग
  • 4 जुलाई को द्वितीय सीट आवंटन।
  •  5 व 6 जुलाई को जोनल सेंटर पर रिपोर्टिंग
  •  7 जुलाई तीसरा सीट आवंटन।
  • 8 व 9 जुलाई को जोनल सेंटर पर रिपोर्टिंग
  •  10 जुलाई चौथा, 13 को पांचवां, 15 को छठा व  18 जुलाई को 7वां सीट आवंटन।

23 आईआईटी में सीटों का विवरण –

  • 10,988 – कुल सीटें बीटेक प्रोग्राम में
  • 5394 – सीटें सामान्य वर्ग के लिए
  • 2870 – सीटें ओबीसी-एनसीएल वर्ग
  • 1594 – सीटें एससी वर्ग
  • 800 – सीटें एसटी वर्ग
  • 330 – सीटें दिव्यांग वर्ग सभी केटेगरी में
  • 1000 – सीटें विदेशी परीक्षार्थियों के लिए आरक्षित
  • 50,455 – विद्यार्थी हुए क्वालिफाई 1.56 लाख में से
  • 245 प्रोग्राम – 23 आईआईटी में।

जीएसटी का विरोध, राजस्थान में दो लाख से ज्यादा कपडे की दुकानें बंद रहीं

जयपुर। जीएसटीके दायरे में कपड़े को लाने के विरोध में मंगलवार से प्रदेश भर के साड़ी आैर कपड़ा कारोबारियों ने चार दिवसीय बंद की शुरुआत कर दी। पहले ही दिन सभी जिलाें में दो लाख से अधिक कपड़ा प्रतिष्ठान बंद रहे और व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन किए।पहले ही दिन 500 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित होने का अनुमान है।

राजस्थान कपड़ा व्यापार महासंघ के बैनर तले कपड़े पर जीएसटी लागू करने के विरोध में मंगलवार से प्रदेश में तीन दिन तक कपड़ा व्यापारी कारोबार बंद रखने का ऐलान किया था। जिसका हाड़ौती में खासा असर देखने को मिल रहा है।  कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ जिले के कपड़ा व्यापारी हड़ताल पर चले गए ।

चारों जिलों में कपड़े की सभी दुकानें बंद रहीं और व्यापारियों ने सरकार के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री के जिले झालावाड़ से लेकर कोटा, बारां और बूंदी तक में कपड़े की किसी भी दुकान का ताला नहीं खुला। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष गिर्राज न्याती ने बताया कि देश में आजादी के बाद पहली बार कपड़े पर कर लगाया जा रहा है। जिसका विरोध  देशभर का कारोबारी कर रहा है।

कपडा व्यापारियों की दुकानें बंद, बाजार बना खेल मैदान

 राजस्थान कपड़ा एवं साड़ी व्यवसाय संघ के अध्यक्ष ओम प्रकाश तनेजा के अनुसार देशभर में कपड़ा व्यापार संघर्ष समिति की ओर से आयोजित तीन दिवसीय बंद के समर्थन में प्रदेश के कारोबारियों ने भी पूरा सहयोग दिया। 30 जून को अखिल भारतीय बंद के कारण कपड़ा हड़ताल चार दिन चलेगी। 

जगह-जगह हुए प्रदर्शन
दुकानें खोलने के बजाय कपड़ा व्यापारियों ने शहर और कस्बों में प्रमुख स्थानों पर इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और रैली निकाली। जिला मुख्यालय पर जिला कलक्टर, तहसील मुख्यालय पर एसडीएम और तहसीलदार को जीएसटी के विरोध में ज्ञापन सौंपे गए।

1 जुलाई से घर खर्च, घूमना-फिरना महंगा, वेटिंग टिकट होगा खत्म

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अगले महीने की पहली तारीख से ऐसा काफी कुछ होने वाला है, जिससे आपकी जिंदगी में काफी बदलाव आ जाएगा। इसमें जहां घर के खर्च से लेकर के घूमना-फिरना महंगा हो जाएगा। वहीं रेल और हवाई यात्रियों के लिए सफर करना थोड़ा सा आसान हो जाएगा। हम आज आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी चीजें जिनकी वजह से 1 जुलाई से आपको क्या फर्क पड़ेगा……

जीएसटी से होगा सबसे बड़ा परिवर्तन
1 जुलाई से आजादी के बाद से देश का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने जा रहा है। इस टैक्स के लागू होने से घर का खर्च बढ़ जाएगा, क्योंकि खाने-पीने की कई रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ जाएंगे। हालांकि सरकार ने जीएसटी में कई जरूरी चीजों को इसके दायरे से बाहर रखा हैं लेकिन ब्रांडेड आटा, पनीर, मक्खन, तेल और मसालों पर टैक्स लगा दिया है जो 5 से 18 फीसदी के बीच है। 

शुरू होंगी सुविधा ट्रेन
लोगों की मांग के बाद अब रीजनल भाषा में भी टिकट उपलब्ध कराए जाएंगे। भारतीय रेलवे एक जुलाई से राजधानी, शताब्दी, दुरंतो और मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों की तरह ही सुविधा ट्रेन चलाएगा। इन ट्रेनों में यात्रियों को केवल कंफर्म टिकट ही दी जाएगी। इनमें वेटिंग का सिस्टम नहीं रखा गया है। इसके साथ ही प्रिमियम ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया जाएगा।

शताब्दी, राजधानी में बढे़ंगे कोच
रेलवे ने शताब्दी, राजधानी और कई अन्य ट्रेनों के कोचों की संख्या बढ़ाने का भी फैसला किया है। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को कन्फ‍र्म टिकट मिल सकें। टिकट कैंसिल कराने पर उसकी आधी कीमत यात्रियों को मिलेगी। टिकट रद्द कराने का चार्ज अलग-अलग कोच का अलग-अलग होगा।फर्स्ट और सेकेंड एसी का टिकट कैंसिल कराने पर 100 रुपए, एसी थर्ड के लिए 90 रुपए और स्लीपर के लिए 60 रुपए रखा जाएगा। तत्काल टिकट कैंसिल कराने पर भी आधी कीमत वापस की जाएगी। 

गोल्ड ज्वैलरी की मेकिंग पर लगेगा टैक्स
गोल्ड खरीदने पर सरकार ने 3 फीसदी टैक्स लगाया है। मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी टैक्स लगता है। इस हिसाब से 8 फीसदी टैक्स लोगों को देना होगा। मान लीजिए आप 60 हजार रुपये की ज्वैलरी खरीदने जा रहे हैं तो अभी 1800 रुपये देने पड़ते हैं। 1 जुलाई से यह 2000 रुपये से अधिक हो जाएगा।  

घूमना-फिरना हो जाएगा महंगा
अगर आप एसी या फिर वॉल्वो बस से सफर करते हैं और उसके लिए ऑनलाइन टिकट बुक कराते हैं, तो फिर सर्विस टैक्स देना होगा। इसमें भी सर्विस टैक्स रेलवे के समान है।

कैब सर्विस 
घूमने के लिए अगर आप 1 जुलाई के बाद कैब, टैक्सी की सर्विस लेते हैं तो फिर आपको टैक्स के तौर पर ज्यादा पैसा चुकाना होगा। इसके साथ ही पेट्रोल-डीजल को भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। 

एयरपोर्ट पर नहीं भरना होगा डिपॉर्चर कार्ड
हवाई टिकट से यात्रा करने पर आपको टिकट तो सस्ता मिल जाएगा, क्योंकि लो कॉस्ट एयरलाइंस कंपनियों ने अपने किराये में काफी कमी करने की घोषणा की है। इसके साथ ही विदेश यात्रा करने वालों को एयरपोर्ट पर डिपॉर्चर कार्ड भरने से भी मुक्ति मिलेगी। 

ATM से पैसे निकालना हो जाएगा महंगा
वहीं एटीएम में फ्री ट्रांजेक्शन के बाद होने वाले पेड ट्रांजेक्शन पर भी टैक्स रेट बढ़ जाएगा। अभी सर्विस टैक्स 15 फीसदी लगता है, जो कि 1 जुलाई के बाद 18 फीसदी हो जाएगा। 

चेकबुक यूज करने पर भी लगेगा टैक्स
बैंकों ने चेकबुक के इस्तेमाल पर भी टैक्स लगा दिया है। एक साल में 50 से ज्यादा चेक के इस्तेमाल पर सर्विस टैक्स देना होगा। एचडीएफसी बैंक साल में दो बार  25 चेक वाली चेकबुक फ्री देगा। इससे ज्यादा चेक बुक लेने पर 75 रुपये प्रति चेकबुक कस्टमर से वसूले जाएंगे। 

एसबीआई में अगर कोई बचत खाताधारक 10 पेज (लीफ) वाली चेक बुक लेता है तो 30 रुपये देने होंगे। 25 पेज वाली के लिए 75 रुपये और 50 पेज वाली चेक बुक के लिए 150 रुपये शुल्क देना होगा। इसमें सर्विस टैक्स अलग लगेगा। 

सेंसेक्स 180 अंक गिरकर 30958 पर बंद, बैंकिग शेयर्स में मुनाफावसूली

नई दिल्ली । मंगलवार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 180 अंक की कमजोरी के साथ 30958 के स्तर पर और निफ्टी 64 अंक की कमजोरी के साथ 9510 के स्तर पर कारोबार कर बंद हुआ है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज पर मिडकैप 1.39 फीसद और स्मॉलकैप 1.49 फीसद की कमजोरी देखने को मिली है। बैंकिग शेयर्स में मुनाफावसूली हुई। 

बैंकिंग शेयर्स में बिकवाली
सेक्टोरियल इंडेक्स की बात करें तो सभी सूचकांक लाल निशान में कारोबार कर बंद हुए हैं। बैंक (1.35 फीसद), ऑटो (0.53 फीसद), फाइनेंशियल सर्विस (1.04 फीसद), एफएमसीजी (0.18 फीसद), आईटी (1.11 फीसद), मेटल (0.15 फीसद), फार्मा (0.09 फीसद) और रियल्टी सेक्टर में गिरावट देखने को मिली है।

बैंक ऑफ बड़ौदा टॉप लूजर
दिग्गज शेयर्स की बात करें तो निफ्टी में शुमार शेयर्स में से 16 हरे निशान में, 34 गिरावट के साथ और एक बिना किसी परिवर्तन के कारोबार कर बंद हुआ है। सबसे ज्यादा तेजी आईओसी, गेल, भारती एयरटेल, ओएनजीसी और हीरोमोटो कॉर्प के शेयर्स में हुई है। वहीं, गिरावट बैंक ऑफ बड़ौदा, एसीसी, जील, अल्ट्रा सीमेंट और बीपीसीएल के शेयर्स में हुई है।

वैश्विक बाजार में मिले जुले संकेत
अंतरराष्ट्रीय बाजार से मिले जुले संकेत मिल रहे हैं। जापान का निक्केई 0.30 फीसद की तेजी के साथ 20213 के स्तर पर, चीन का शांघाई 0.09 फीसद की कमजोरी के साथ 3128 के स्तर पर, हैंगसैंग 0.09 फीसद की तेजी के साथ 25893 के स्तर और कोरिया 0.16 फीसद की तेजी के साथ 2392 के स्तर पर कारोबार करते दिख रहे है।

वहीं, अमेरिकी बाजार के प्रमुख सूचकांक डाओ जोंस 0.07 फीसद की कमजोरी के साथ 21409 के स्तर पर, एसएंडपी500 0.03 फीसदी की बढ़त के साथ 2439 के स्तर पर और नैस्डैक 0.29 फीसद की कमजोरी के साथ 6247 के स्तर पर कारोबार कर बंद हुआ है।

यस बैंक टॉप गेनर
दिग्गज शेयर्स की बात करें तो निफ्टी में शुमार शेयर्स में से 24 हरे निशान में और 27 गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। सबसे ज्यादा तेजी ऑरोफार्मा, सिप्ला, एशियनपेंट, यस बैंक और अदानीपोर्ट्स के शेयर्स में है। वहीं गिरावट इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस, बैंक ऑफ बड़ौदा, एसबीआईएन, इंफ्राटेल और बीपीसीएल के शेयर्स में है।

जीएसटी की कैसे करें तैयारी, देखिये वीडियो

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कोटा। गुड्स एंड सर्विस टैक्स के लागू होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं । जीएसटी के बारे वो सब कुछ जिनके बारे में आपको आपके सवालों का जवाब नहीं मिला है। खासतौर पर व्यापारियों को बिजनेस करने के तरीके में होने वाले बदलाव में पूरी तरह से कोई जानकारी नहीं है। आपको आज बताने जा रहे हैं सीनियर टैक्स कसल्टेंट अनिल काला।  देखिये वीडियो……………

खरीद-बिक्री का रखना होगा रिकॉर्ड
ऐसे व्यापारी जो अपना पूरा बिजनेस कैश पर करते थे, उनको हरेक खरीद-बिक्री का रिकॉर्ड रखना होगा। इसी से उनके इनपुट टैक्स क्रेडिट के बारे में पता चलेगा। 

इस तारीख को भरना होगा रिटर्न
व्यापारियों को रिटर्न फाइल करने के लिए 15 दिनों की मोहलत मिलेगी। उदाहरण के तौर पर जुलाई के महीने में ट्रांजेक्शन का रिटर्न 15 अगस्त तक भरने की मोहलत मिलेगी। हालांकि सरकार ने फिलहाल केवल जुलाई महीने के रिटर्न के लिए  25 अगस्त तक की मोहलत मिलेगी।  

रिटर्न भरने में हुई गलती, तो सुधारने के लिए मिलेगा 2 महीने का समय 
जीएसटी एक्ट के अनुसार सरकार ने केवल जुलाई के लिए भरे गए रिटर्न में किसी भी तरह का बदलाव करने के लिए दो महीने का वक्त मिलेगा। अगस्त में भरे गए रिटर्न के लिए सरकार बाद में जानकारी देगी, कि उसमें गलती होने पर सुधारने के लिए कितना वक्त मिलेगा। 

छोटी बिक्री होने पर नहीं देना होगा किसी तरह का बिल
जीएसटी काउंसिल ने व्यापारियों को 1 रुपये से लेकर के 200 रुपये की बिक्री होने पर बिल देने से मुक्ति दे दी है। व्यापारी इस तरह की बिक्री के लिए पूरे दिन का एक बिल काट सकते हैं। वहीं अगर किसी ऐसे सामान की बिक्री हुई है, जिस पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता है वो इनवॉयस बिल की जगह बिल ऑफ सप्लाई बना सकता है। 

पुराने स्टॉक पर नहीं मिलेगा इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ
जीएसटी लागू होने के बाद अगर किसी व्यापारी के पास पुराना स्टॉक पड़ा है और उसका बिल नहीं है, तो उसको भी व्यापारी जीएसटी टैक्स स्लैब लगाकर के बेच सकता है। लेकिन इस पर उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा। 

गुड्स के लिए तुरंत जारी करना होगा बिल
जीएसटी में गुड्स और सर्विस सेक्टर में व्यापारियों को अलग-अलग रखा गया है। अगर कोई व्यापारी गुड्स में डील करता है तो उसको सामान की डिलीवरी से पहले बिल जारी करना होगा। सेवाओं के मामले में डिलीवरी के 30 दिनों के भीतर बिल भेजे जा सकते हैं।

छोटे कारोबारियों को नहीं रखना होगा अकाउंटेंट
छोटे कारोबारी जिनका टर्नओवर 75 लाख रुपये से कम है उनको अलग से सीए या फिर अकाउंटेंट रखने की जरुरत नहीं है। छोटे कारोबारियों के लिए मासिक या सालाना शुल्क पर बाजार में कई सीए या आईटी समाधान मौजूद होंगे।