Thursday, November 14, 2024
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जीएसटी के दूसरे दिन भी ऑटो, कन्ज्यूमर गुड्स समेत कई सामानों में छूट की बहार

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मुंबई/कोलकाता/नई दिल्ली।
जीएसटी लागू होने के दूसरे दिन यानी रविवार को कुछ कारों और दोपहिया वाहनों की कीमतें घटाने के ऐलान हुए जबकि कई कंपनियों ने आनेवाले दिनों में कुछ और कटौतियों का आश्वासन दिया। इनका कहना है कि 1 जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद बने प्रॉडक्ट्स सस्ते में मिलेंगे।

जापान की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा ने अपनी कारों के दाम में 13 प्रतिशत तक की कटौती की जबकि नई दिल्ली स्थित हीरो मोटोकॉर्प ने दोपहिया वाहनों के दाम 400 से 4,000 रुपये तक घटा दिए। उम्मीद की जा रही है कि ह्यूंदै मौटर्स, टाटा मोटर्स और फोर्ड इंडिया भी अगले कुछ हफ्ते में कीमतों में कटौती का ऐलान करेंगी।

कन्ज्यूमर गुड्स
रविवार को प्रमुख कन्ज्यूमर गुड्स कंपनियों ने भी अगले कुछ हफ्तों में कीमतें घटाने का भरोसा दिलाया। इनका कहना है कि 1 जुलाई के बाद बने सामान सस्ते में मिलेंगे। इससे पहले देश की सबसे बड़ी कन्ज्यूमर फर्म हिंदुस्तान यूनिलिवर ने कुछ सामानों के दाम घटा दिए तो कुछ के वजन बढ़ा दिए।

फूड सेक्टर की बड़ी कंपनी नेस्ले अपने मैगी केचअप, सेरलैक और कुछ डेयरी प्रॉडक्ट्स के दाम कम करेगी। नेस्ले के एमडी सुरेश नारायणन ने कहा, ‘जिन कैटिगरीज में टैक्स घटे हैं, उनमें 1 जुलाई के बाद बने सामानों की कीमतों में उचित कटौती की जाएगी। नई कीमत वाले स्टॉक मार्केट में आने तक ट्रांजिशन टाइम रहेगा।’

गोदरेज कन्ज्यूमर प्रॉडक्ट्स के एमडी विवेक गंभीर ने कहा कि उनके साबुनों के दाम घटाने या इनके वजन बढ़ाने की योजना है। इसी तरह, पेप्सिको, मैरिको, पार्ले और बिसलरी ने भी कहा है कि 1 जुलाई के बाद बने सामान सस्ते में दिए जाएंगे।

जीएसटी में लागत घटने का फायदा ग्राहकों को देने संबंधी कानून को लेकर कंपनियों का कहना है कि नए सामान के उत्पादन में जीएसटी का क्या असर होता है, उन्हें यह देखना है। पेप्सिको के चेयरमेन डी शिवकुमार ने कहा, ‘हम कीमत में तुरंत बदलाव नहीं कर रहे।

दरअसल, जहां तक संभव हो सके, मौजूदा कीमतों के जरिए ग्राहकों को पहले सुविधा और स्थिरता मुहैया कराना ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर किसी वस्तु का दाम 5 रुपये है तो इसे बढ़ाकर 5 रुपये 30 पैसे या 40 पैसे करने का कोई मतलब नहीं है। हम कीमतें स्थिर रख रहे हैं। हम जीएसटी का मुद्दा सुलझने तक वेट ऐंड वॉच की नीति अपना रहे हैं।’

इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स
हालांकि, जीएसटी से ग्राहकों को हर जगह फायदा नहीं होने वाला। कुछ कन्ज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के दाम थोड़ा बढ़ने की भी आशंका है। टेलिविजन, रेफ्रिजरेटर, एयर-कंडीशनर और वॉशिंग मशीनों के दाम 2.5 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं। अच्छी बात यह है कि यह पहले जताई जा रही आशंका से करीब-करीब आधा है।

40,000 रुपये का 42 इंच का एलआईडी टीवी अब 40,900 रुपये में मिलेगा जबकि 26,000 रुपये का 280 लीटर का फ्रॉस्ट-फ्री रेफ्रिजरेटर अब 500 रुपये महंगा हो जाएगा। इसी तरह, एसी और वॉशिंग मशीन के दाम भी 400 से 1,000 रुपये तक बढ़ेंगे। कुल मिलाकर, ज्यादातर प्रॉडक्ट्स के दाम में 1.5 से 2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि होगी।

मक्खन, पनीर, घी
अमूल ने कॉटेज चीज, डेयरी वाइटरनर और बेबी फूड के दाम घटा दिए, तो घी का दाम बढ़ा दिया है जबकि चीज, बटर और आइसक्रीम के दाम ज्यों के त्यों रखे गए हैं। अचार, जैम, टमॉटो कैचअप बनानेवाली कंपनियों ने जीएसटी में टैक्स बढ़ाने की शिकायत की है।

उनका कहना है कि 1 जुलाई से इनकी बिक्री घटी है। वहीं, ब्रैंडेड चावल और गेहूं का आटा बचनेवाले बोल रहे हैं कि उनके डिस्ट्रिब्यूटरों को नए सिस्टम से परेशानी तालमेल नहीं हो पा रहा है। राजधानी ग्रुप के राकेश जैन ने कहा कि उनकी कंपनी ने गेहूं के आटे का दाम 5 प्रतिशत यानी 1.20 प्रति किलो बढ़ा दिया है जो बढ़कर 25.20 रुपये प्रति किलो हो गया है।

जीएसटी से अब शेयर बाजार में पड़ सकता है खलल

मुंबई। जीएसटी की वजह से शेयर बाजार में चल रहे बुल रन में खलल पड़ सकता है। कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ पर नए टैक्स का क्या असर होगा, अभी तक मार्केट ऐनालिस्ट इसका अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। अगर मार्केट पर्टिसिपेंट्स को यह लगता है कि जीएसटी का कंपनियों पर लंबे समय तक नेगेटिव असर रहेगा, तो उससे निवेशकों का मूड खराब हो सकता है।

शेयर बाजार के महंगा होने से निवेशक पहले ही आशंकित हैं। देश की आजादी के बाद जीएसटी को सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म बताया जा रहा है। यह शनिवार से लागू हुआ है। इससे टैक्स चोरी कम होने की उम्मीद है। बिड़ला सनलाइफ म्यूचुअल फंड के को-चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर महेश पाटिल ने बताया, ‘बाजार पहले ही महंगा है।

ऐसे में जीएसटी की वजह से कोई मुश्किल आती है तो कुछ करेक्शन हो सकता है। मुझे लगता है कि यह बांधा लंबे समय तक नहीं बनी रहेगी। इसका असर कुछ वैसा ही होगा, जैसा नोटबंदी का हुआ था।’जून में पिछले साल नवंबर के बाद सेंसेक्स और निफ्टी में मंथली गिरावट आई। कैश मार्केट का वॉल्यूम मई की तुलना में 11.6 पर्सेंट गिरकर 27,291 करोड़ रुपये रह गया।

शेयर बाजार के दिग्गज रमेश दमानी ने कहा, ‘वोलैटिलिटी की वजह से कुछ घबराहट है, लेकिन कंपनियों का कहना है कि तीन महीने में सबकुछ सामान्य हो जाएगा।’ निवेशकों में बाजार के महंगा होने की वजह से घबराहट है। वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपियन यूनियन से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो विदेशी निवेशक इमर्जिंग मार्केट्स से पैसे निकालेंगे।

सेंसेक्स शुक्रवार को 30,921.61 और निफ्टी 9,520.90 पर बंद हुआ। जून के लाइफ टाइम हाई लेवल से ये इंडेक्स 2 पर्सेंट नीचे आ गए हैं। हालांकि, इस साल इनमें 16 पर्सेंट की मजबूती आ चुकी है। वन इयर फॉरवर्ड अर्निंग के हिसाब से बेंचमार्क इंडेक्स 18.2-18.9 के पीई पर ट्रेड कर रहे हैं। एशियाई बाजारों में यह सबसे अधिक वैल्यूएशन है। एशिया के दूसरे बाजारों का पीई 10-17 के बीच है और एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स 12.8 के पीई पर ट्रेड कर रहा है।

वोलैटिलिटी इंडेक्स भी 23 जून के 8.8 के लो लेवल से 33 पर्सेंट चढ़ा है। इससे शॉर्ट टर्म में रिस्क बढ़ने का संकेत मिल रहा है। जून के मध्य से विदेशी निवेशक 1,176 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए के चीफ क्रिस्टोफर वुड ने गुरुवार को कहा था कि वह इंडिया पर वेटेज कम कर रहे हैं। उनका कहना था कि एशियाई देशों में सीएलएसए को साउथ कोरिया और ताइवान से अधिक उम्मीद है।

वहीं, जेपी मॉर्गन में इंडिया इक्विटी रिसर्च के हेड भारत अय्यर ने कहा, ‘भारतीय बाजार 18-19 के पीई पर ट्रेड कर रहा है, जबकि कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ के अनुमान में कटौती हो रही है। विदेशी निवेशकों ने भी यहां पैसा लगाना कम कर दिया है।’ एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि शॉर्ट टर्म में भले ही बाजार को चुनौतियों का सामना करना पड़े, लेकिन मीडियम से लॉन्ग टर्म में इसमें मजबूती आएगी।

जीएसटी के बहाने कचौरी के दाम बढ़ाने का मौका

कोटा। वर्षों से टैक्स चोरी करते आ रहे कचौरी और नमकीन विक्रेताओं को जीएसटी के बहाने एक बार फिर दाम बढ़ाने का मौका मिल गया है। इन्होंने दाल बेसन और तेल के दाम घटने पर भी कीमत नहीं घटाई । अब जीएसटी लागू होते ही कहने लगे हैं दाम बढ़ाएंगे।

जीएसटी लागू होने से कचौरी का स्वाद महंगा हो सकता है। केन्द्र सरकार ने कचौरी में उपयोग होने वाली सामग्री पर 5 फीसदी जीएसटी लगा दिया है। कचौरी बनाने में काम आने वाले नौ आइटमों में पांच पर पहली बार टैक्स लगा है और अन्य चार सामानों पर टैक्स बढ़ गया है। 

दुकानदारों का मानना है कि कचौरी का स्वाद बढ़ाने वाले सभी आइटमों पर असर होने से इसकी लागत बढ़ेगी। ऐसे में मार्जिन कम होगा। उसकी भरपाई के लिए कचौरी के दाम बढ़ाए जा सकते हैं।

कोटा में करीब 1500 से ज्यादा दुकानों और इतने ही ठेलों पर हर रोज 6 लाख से ज्यादा कचौरियां बिकती हैं। ऐसे में कीमत बढऩे से शहरवासियों की जेब पर रोज लाखों का फटका लगना तय है। 

जीएसटी की पांच फीसदी की स्लैब में कई मसाले और सामान कचौरी बनाने में मैदा, बेसन, तेल, उदड़मोगर, सौंफ, धनिया, कालीमिर्च, लौंग व हींग का उपयोग होता है। इसमें मैदा, बेसन, दाल व सौंफ पर पहले टैक्स नहीं था। अब ब्रांडेड प्रोडक्ट पर पांच फीसदी जीएसटी लगाया है। 

अग्रसेन बाजार व्यापार संघ के महेन्द्र कांकरिया का कहना है कि आजकल तो मैदा, बेसन और दाल मिल से तैयार होकर कट्टों में आते हैं। इन पर ब्रांड का नाम होता है। इनको ब्रांडेंड माना जाएगा तो जीएसटी देना पड़ेगा।

हर सामान ही ब्रांडेड है, लागत भी बढ़ेगी
कचौरी बनाने में जो भी सामान आता है, वह अधिकांश ब्रांड के नाम से ही होता है। एेसे में मैदा, दाल, मसालों और तेल पर पांच फीसदी टैक्स लगेगा। जिससे कचौरी की लागत तीस से चालीस पैसा बढ़ जाएगी। यह भार ग्राहकों पर ही पड़ेगा। 
राजेन्द्र जैन,  नमकीन एंड स्वीट्स विक्रेता

कोटा स्टोन पर दूसरे दिन भी टैक्स क्लियर नहीं, 300 फैक्ट्रियों में लदान रुका

जीएसटी इम्पैक्ट : सैंड और कोटा स्टोन पर रॉयल्टी, जीएसटी लगने से खफा व्यापारी

 कोटा । जीएसटी लागू हुए दो दिन हो गए, लेकिन कोटा स्टोन पर कितना टैक्स लगेगा, अभी तक यह तय नहीं हो पाया है। इससे जिले की 300 से ज्यादा फैक्ट्रियों में लदान और विक्रय बंद हो गया है। वहीं, सैंड स्टोन पर रॉयल्टी 143 रुपए टन और 5 प्रतिशत जीएसटी से उनके धंधे पर दोहरी मार हो गई है। इससे पूरा कारोबार ठप पड़ा है। इसके लिए सैंड स्टोन कारोबारी मुख्यमंत्री वसुधरा राजे से मिलने की बात कर रहे हैं। 

कोटा स्टोन के स्लैब का पता नहीं लग पाया है। स्टोन  व्यापारी सेल्स टैक्स विभाग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहा है। हाड़ौती स्टोन एसोसिएशन के महासचिव मुकेश त्यागी ने बताया कि दो दिन से उपायुक्त एनके गुप्ता से बात कर रहे हैं, लेकिन वे कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

इससे कोटा जिले की 300 फैक्ट्रियों में काम ठप पड़ा है। रोजाना 5 से 6 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो रहा है। ऐसे में करीब 20 हजार लोगों के साथ रोजगार का संकट हो गया है। इसके लिए रविवार शाम को सभी व्यवसायियों ने मीटिंग की है, लेकिन किसी के कुछ समझ में नहीं रहा है। जल्द इस पर कोई नतीजा नहीं निकला तो आंदोलन किया जाएगा। केंद्र राज्य सरकार को जल्द ही इस बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

सैंड स्टोन का 40 से 50 करोड़ का कारोबार प्रभावित
हाड़ौती स्टोन मर्चेंट विकास समिति के संभागीय अध्यक्ष उत्तमअग्रवाल ने बताया कि सैंड स्टोन का काम दो दिन से बंद है। सैंड स्टोन पर दोहरा टैक्स देना पड़ रहा है। सरकार को रॉयल्टी से वैट हटाना चाहिए। इससे जीएसटी का प्रभाव सैंड स्टोन पर नहीं पड़ेगा। रोज 500 से ज्यादा गाड़ियां खान स्टॉक से भेजी जाती हैं, लेकिन सबका काम बंद है। इससे 1500 व्यापारी और 250000 लोगों का रोजगार बंद पड़ा है।

एक प्रकार का टैक्स नहीं लगाया है। इस संबंध में जन अभाव अभियोग के चेयरमैन श्रीकृष्ण पाटीदार से बात की है। जल्दी ही सीएम से मुलाकात करेंगे। आंदोलन के लिए मीटिंग बुलाई गई है। इसमें आंदोलन को लेकर चर्चा की जाएगी, नहीं तो व्यापार पूरा चौपट हो जाएगा।

बिल को लेकर असमंजस
ट्रकयूनियन के अध्यक्ष नवरत्न सिंह राजावत ने बताया कि कोटा सैंड स्टोन का लदान बंद होने से रविवार को भी 1500 ट्रक खड़े रहे। स्टोन व्यवसायी असमंजस में हैं कि वे कैसे और कितने का बिल बनाएं। स्टोन का मामला सही नहीं हुआ तो ट्रक चालकों के सामने भी संकट खड़ा हो जाएगा।

आज क्लियर हो जाएगा कोटा स्टोन का मैटर

यह सही है कि कोटा स्टोन को लेकर असमंजस है। इसके लिए काउंसिल से राय मांगी गई है। आज मामला क्लियर हो जाएगा। होटल वालों को दो तरह के ही टैक्स लेने हैं। इसमें आधा केंद्र और आधा राज्य सरकार का है। इसमें किसी तरह का कोई कन्फ्यूजन नहीं है।
-एनके गुप्ता, उपायुक्त सेल टैक्स

 

 

 

जीएसटी क्या है, नहीं पता राजस्थान के कृषि मंत्री को

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बारां। जीएसटी का गुणगान करते ना थक रहे राजस्थान की भाजपा सरकार के मंत्री को इसका मतलब तक नहीं पता। रविवार को बारां जिले के सर्किट हाउस में उस समय अजीबो-गरीब स्थिति बन गई, जब एक पत्रकार ने राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी से जीएसटी का मतलब पूछ लिया। मंत्री बहुत देर तक सोचते रहे और बाद में सिर्फ गुड्स बोलकर चुप्प हो गए। 

सर, ये जीएसटी क्या है? पत्रकार वार्ता में पूछे गए सीधे सवाल पर कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी अचकचा गए। जीएसटी लागू होने के फायदे बता रहे कृषि मंत्री से एक पत्रकार ने जीएसटी का पूरा नाम पूछ लिया। इस पर सैनी पहले तो चुप हो गए। फिर उन्होंने केवल गुडस् बोला। तभी पास बैठे प्रभारी मंत्री बाबूलाल वर्मा ने बात संभाली। वर्मा बात काटते हुए बोले कि कमाल करते हो फुलफॉर्म पूछ रहे हो। इसका अर्थ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स होता है।

गिनाने आए थे जीएसटी के फायदे 
इसके बाद सैनी ने कहा कि जीएसटी से कर प्रणाली में सुधार होगा। पहले 17 प्रकार के टैक्स लगने से व्यापारी परेशान रहते थे। 23 प्रकार के सर्विस चार्ज भी समाप्त कर दिए हैं। अब पूरे देश में सभी पर एक ही प्रकार का टैक्स लगाया है। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी।

किसानों के मुद्दे से बचते रहे 
शहर के झालावाड़ रोड स्थित आशीर्वाद गार्डन में आयोजित पत्रकार वार्ता में सैनी किसानों की आत्महत्या मामलों में सीधे कहने से बचे। सैनी बोले कि किसानों की आत्महत्या के मामले 174 सीआरपीसी में दर्ज हैं। संबंधित थानों की पुलिस अनुसंधान कर रही है। जांच के बाद ही पता चलेगा कि किसानों की आत्महत्या के पीछे क्या कारण रहे।

स्विस बैंक में जमा धन: भारत 88वें स्थान पर फिसला

नई दिल्ली। स्विट्जरलैंड के बैंकों में रखे धन के मामले में भारत करीब 4500 करोड़ रुपये के साथ फिसलकर 88वें स्थान पर आ गया है। वहीं ब्रिटेन पहले पायदान पर बना हुआ है। स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के ताजा आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार भारतीयों द्वारा रखा गया धन विदेशी ग्राहकों के स्विस बैंकों में रखे कोष का केवल 0.04 प्रतिशत है।

भारत 2015 में 75वें स्थान पर जबकि इससे पूर्व वर्ष में यह 61वें स्थान पर था। भारत वर्ष 1996 से 2007 तक लगातार स्विस बैंकों में विदेशियों के जमा धन के मामले में शीर्ष 50 देशों में शामिल था। 2004 में भारत इस मामले में 37वें स्थान पर था।काले धन की समस्या के समाधान के लिए स्विट्जरलैंड और भारत के बीच सूचना के स्वतऱ् आदान-प्रदान के लिए नए मसौदे से पहले ज्यूरिख स्थित एसएनबी ने यह आंकड़ा जारी किया।

एसएनबी के इन आंकड़ों में इस बात का जिक्र नहीं है कि भारतीयों, प्रवासी भारतीयों या विभिन्न देशों की इकाइयों के नाम पर अन्य ने कितना-कितना धन जमा किया हुआ है। स्विट्जरलैंड में बैंकिंग गोपनीयता के खिलाफ वैश्विक अभियान के बाद ऐसी धारणा है कि जिन भारतीयों ने अपना अवैध धन पूर्व में स्विस बैंकों में रखा था, वे उन्हें दूसरी जगहों पर स्थानांतरित कर सकते हैं। 

स्विस बैंक में कौन कहां
रूस- 19वें
चीन-25वें
ब्राजील- 52वें
दक्षिण अफ्रीका-61
पाकिस्तान- 71वें
बांग्लादेश- 89वें
नेपाल- 150वें
श्रीलंका- 151वें
भूटान-282वें

जीएसटी से भारत के कर राजस्व और क्रेडिट प्रोफाइल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा: मूडीज

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नई दिल्ली। 1 जुलाई 2017 से भारत में लागू हुआ वस्तु एवं सेवा कर कानून (जीएसटी) देश के क्रेडिट प्रोफाइल के लिए सकारात्मक है। क्योंकि इससे बेहतर कर अनुपालन के माध्यम से सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी। यह बात अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कही है।

 30 जून की मध्यरात्रि को संसद के सेंट्रल हॉल में एक भव्य समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी को लॉन्च किया था।क्या कहा मूडीज ने: मूडीज इन्वेस्टर सर्विस के वाइस प्रसिडेंट विलियम फोस्टर ने बताया, “यह (जीएसटी) बेहतर कर अनुपालन और प्रशासन के माध्यम से उच्च सरकारी राजस्व का समर्थन करेगा। ये दोनों ही भारत के क्रेडिट प्रोफाइल के लिए सकारात्मक होंगे जो कि कम राजस्व आधार के चलते लाचार हैं।

”उन्होंने आगे कहा, “हम अपेक्षा करते हैं कि बेहतर कर अनुपालन के जीएसटी सिस्टम में टैक्स क्रेडिट का प्रोत्साहन देने, अनुपालन में अधिक आसानी; एक आम उपयोग के माध्यम से, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझा आईटी अवसंरचना और देशभर में सरलीकृत कर दरों से अनुपालन की समग्र लागत में कमी के जरिए संचालित किया जाएगा।”उन्होंने आगे कहा, “हमें उम्मीद है कि सरकारी राजस्व पर जीएसटी का शुद्ध प्रभाव सकारात्मक होना चाहिए।”

अब फ्लाइट की तरह ट्रेनों में भी होगी इकोनॉमी एसी क्लास

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नई दिल्ली। जल्द ही फ्लाइट की तरह ही ट्रेनों में भी इकोनॉमी क्लास शुरू होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि इकोनॉमी एसी क्लास का किराया एसी-3 से कम होगा।आने वाले समय में शुरू होने वाली फुल एसी ट्रेनों में एसी-3, एसी-2 और एसी-1 के अलावा अब थ्री-टियर इकोनॉमी एसी कोच भी लगाए जाएंगे।

फिलहाल देश के अलग-अलग रूटों पर चलने वाली ट्रेनों में स्लीपर, थर्ड एसी, सेकंड एसी और फर्स्ट एसी बोगियां होती हैं। वहीं राजधानी, शताब्दी जैसी ट्रेनें पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेनें हैं, जिनमें एसी की तीन श्रेणियां होती हैं।हाल में ही शुरू हमसफर और तेजस भी पूरी तरह से एसी ट्रेनें हैं। दरअसल, रेल विभाग कुछ रूटों पर पूर्णतः वातानुकूलित ट्रेनें शुरू करने की योजना बना रहा है।

इसका मकसद ज्यादातर यात्रियों को सामान्य बजट में एसी का सफर मुहैया कराना है। इसी क्रम में रेलवे ने पिछले दिनों हमसफर एक्सप्रेस और तेजस जैसी फुल एसी ट्रेनें शुरू की हैं।हमसफर एक्सप्रेस में सारी बोगियां थर्ड एसी की हैं। इसे हाल में ही शुरू किया गया है और कम समय में ही यह ट्रेन लोकप्रिय हो गई है।

यह देश की प्रीमियम ट्रेनों में से एक है और इसमें सुरक्षा और यात्रियों की सुविधा की हर संभव व्यवस्था की गई है। हालांकि, अभी इकोनॉमी एसी कोच का मामला प्लानिंग लेवल पर ही है।इस पर विस्तार से काम करना बाकी है। इसके विस्तृत पहलुओं को अंतिम रूप देने के बाद ही इसके निर्माण से जुड़ी बातों पर फैसला किया जाएगा।

इकोनॉमी एसी की खूबियां

  • इकोनॉमी एसी क्लास में सफर करने वाले यात्रियों को कंबल की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि उसका तापमान 24-25 डिग्री सेल्सियस होगा।
  • इकोनॉमी एसी क्लास के कोचों में ऑटोमेटिक दरवाजे होंगे। हालांकि, इस फीचर को दूसरे एसी कोचों में भी शुरू करने की योजना है।
  • इसमें कैटरिंग की सुविधा सामान्य ट्रेनों की तरह ही उपलब्ध होंगे। हालांकि, सीट चौड़ाई की लेकर अब तक कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है।

क्या है सरकार का मकसद

  • दरअसल, भारतीय रेल ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को स्लीपर के बजाय एसी का सफर कराना चाहती है।
  • इससे रेलवे की कमाई बढ़ जाएगी और लोगों को कम पैसे में एसी का सफर करने को भी मिल जाएगा।

रितु बेरी की डिजायन की हुई ड्रेस पहनेंगे रेलवे कर्मचारी

इसी साल अक्टूबर से भारतीय रेल के सभी कर्मचारी नई पोशाकों में नजर आएंगे। इनमें स्टेशन मास्टर, लोको पायलट, टीटीई से लेकर गार्ड तक सभी शामिल हैं।

मशहूर फैशन डिजाइनर रितु बेरी ने रेलवे कर्मचारियों के लिए वर्दी डिजाइन की है। यह कदम रेलवे को आधुनिकता के साथ-साथ उन्हें विशिष्ट पहचान देने के लिए उठाया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे कर्मचारी अब चमकदार जैकेट और काली एवं पीली टीशर्ट की डिजाइनर वर्दी में नजर आएंगे।रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रितु बेरी द्वारा तैयार यूनिफार्म की अभी जांच की जा रही है और जल्द ही इस पर फैसला ले लिए जाने की उम्मीद है।

470 मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नीट की मेन काउंसलिंग आज से

एडमिशन : इस वर्ष क्वालिफाई 6.11 लाख विद्यार्थियों के लिए 2 राउंड में होगी सेंट्रलाइज ऑनलाइन काउंसलिंग

अरविंद, कोटा। देश के 470 गवर्नमेंट एवं प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस व बीडीसी की 15 प्रतिशत सीटों के लिए सेंट्रलाइज काउंसलिंग प्रक्रिया आज से प्रारंभ होगी। जिसमें नीट-2017 में क्वालिफाई 6 लाख 11 हजार 739 विद्यार्थी 11 जुलाई तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।

मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) द्वारा संचालित 2 राउंड की ऑनलाइन काउंसलिंग में विद्यार्थियों को ऑल इंडिया रैंक के अनुसार विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में वरीयता क्रम से प्रवेश दिए जाएंगे। 16 अगस्त को ऑल इंडिया कोटा की 15 प्रतिशत में रिक्त सीटें स्टेट कोटा में ट्रांसफर कर दी जाएगी।   

क्वालिफाई विद्यार्थी मेडिकल कॉलेजों के लिए अपनी रैंक के अनुसार अधिकतम च्वाइस प्राथमिकता से भर सकते हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व च्वाइस भरने तथा लॉक करने में पूरी सावधानी बरतें। ऑनलाइन च्वाइस लॉक करके सबमिट करें व प्रिंट आउट लें लें।

कोटा में प्रमुख कोचिंग संस्थान एलन इंस्टीट्यूट, आकाश इंस्टीट्यूट, कॅरिअर पॉइंट, रेजोनेंस व सर्वोत्तम इंस्टीट्यूट में इसके लिए हेल्प डेस्क काउंटर बनाए गए, जहां काउंसलर्स विद्यार्थियों को रैंक के अनुसार कॉलेज व कोर्स च्वाइस भरने की गाइडेंस देंगे। 

गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में कटऑफ 500 अंक संभव

कॅरिअर पॉइंट के अकादमिक निदेशक शैलेंद्र माहेश्वरी ने बताया कि इस वर्ष नीट में एआईआर-8000 तक सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में दाखिला मिलने की संभावना रहेगी। नीट में 500 अंक प्राप्त करने वाले सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को किसी गवर्नमेंट कॉलेज में सीट मिल सकती है।

ओबीसी में रैंक-9500 से 10000 तक सीट मिलने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि सभी क्वालिफाई विद्यार्थी प्राथमिकता से अधिकतम च्वाइस भरें। जल्द ही राज्यों में स्टेट काउंसलिंग भी प्रारंभ होगी। राजस्थान सहित कुछ राज्यों में एसबीसी जैसे विशेष आरक्षित कोटे में भी रिजर्वेशन मिलेगा। 

दो राउंड में केंद्रीय काउंसलिंग प्रकिया राउंड-1

  • 3 से 11 जुलाई – मेन काउंसलिंग रजिस्ट्रेशन 
  • 5 जुलाई – संभावित सीटों पर च्वाइस फिलिंग
  • 12 जुलाई – च्वाइस देखना व लॉक करना
  • 13 से 14 जुलाई- राउंड-1 सीट आवंटन की प्रक्रिया
  • 15 जुलाई – सीट आवंटन (राउंड-1)
  • 16 से 22 जुलाई- आवंटित कॉलेज में रिपोर्टिंग करना

राउंड-2

  • 1 से 4 अगस्त – च्वाइस देखना व लॉक करना
  • 5 से 7 अगस्त – राउंड-2 सीट आवंटन की प्रक्रिया
  • 8 अगस्त – सीट आवंटन (राउंड-2)
  • 9 से 16 अगस्त – आवंटित कॉलेज में रिपोर्टिंग करना
  • 16 अगस्त- रिक्त सीटें राज्यों को ट्रांसफर 

प्रवेश के लिए ये डॉक्यूमेंट अनिवार्य

  • 12वीं बोर्ड या इंटरमीडिएट की मार्कशीट
  • 12वीं बोर्ड या इंटरमिडिएठ का सर्टिफिकेट
  • नीट,2017 का प्रवेश पत्र
  • नीट,2017 का रैंक कार्ड या लेटर
  • केटेगरी सर्टिफिकेट (आरक्षित वर्ग के लिए)
  • जन्म प्रमाणपत्र
  • 6 पासपोर्ट साइज फोटो
  • प्रोविजनल आवंटन पत्र
  • पहचान पत्र (आईडी) आधार कार्ड, वोटर आईडी आदि। 

नीट-यूजी, 2017

  •  6,11,539 विद्यार्थी हुए क्वालिफाई
  • 3,45,313 गर्ल्स 
  • 2,66,226 ब्वायज 

मेडिकल कॉलेज व सीटें कितनी

  • 470 गवर्नमेंट व प्राइवेट मेडिकल कॉलेज
  • 90,900 कुल सीटें 
  • 65,170 एमबीबीएस सीटें
  • 25,730 बीडीएस सीटें
  • 308 डेंटल कॉलेजों में

सावधानी से भरें ऑनलाइन च्वाइस :

  • क्या मैं च्वाइस फिलिंग के समय मैं च्वाइस बदल सकता/सकती हूं ?
  • बिल्कुल, ऑनलाइन च्वाइस फिलिंग प्रक्रिया के दौरान आप च्वाइस को लॉक करने से पहले एडिट या डिलिट कर सकते हैं। प्राथमिकता के अनुसार, अधिकतम च्वाइस भरें। 
  • राउंड-1 में फ्रेश च्वाइस सबमिट नहीं करने पर क्या राउंड-2 के लिए पात्र हूं ?
  • नहीं, राउंड-2 में सीट आवंटन के लिए फ्रेश च्वाइस सबमिट करना आवश्यक है। यदि विद्यार्थी ने च्वाइस फिलिंग अवधि के दौरान फ्रेश च्वाइस को सबमिट नहीं किया तो राउंड-2 में सीट नहीं मिलेगी। 
  • दूसरे राउंड में कौन भाग ले सकते हैं ?
  •  पंजीकृत विद्यार्थी जिन्हें पहले राउंड में सीट नहीं मिल सकी।
  •  प्रवेश के लिए रिपोर्टिंग करते समय डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान आरक्षित या दिव्यांग वर्ग के पंजीकृत विद्यार्थियों को यदि केटेगरी बदल जाने से सीट रद्द हो गई तो उन्हें दूसरे राउंड में मौका मिलेगा।
  • ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने राउंड-1 में सीट मिलने पर कॉलेज में रिपोर्टिंग कर दी तथा दूसरे राउंड में अपग्रेड लेने की इच्छा जताई, वे राउंड-2 के लिए पात्र होंगे ।
  • यदि मैने राउंड-2 में च्वाइस अपग्रेड ऑप्शन लिया और सीट मिल गई तो क्या उसी कॉलेज में जाना होगा ?
  • राउंड-1 की च्वाइस का क्या होगा ?निर्धारित शेड्यल के अनुसार, राउंड-2 में सीट आवंटित होने पर राउंड-1 की सीट स्वतः रद्द हो जाती है। क्यांकि राउंड-1 में वह सीट किसी अन्य विद्यार्थी को आवंटित कर दी जाती है। ऐसे विद्यार्थी को राउंड-1 के आवंटित कॉलेज से ऑनलाइन रिलिविंग लेटर लेकर राउंड-2 में आवंटित कॉलेज में प्रवेश लेना होगा।   

‘प्रविजनल आईडी ही बनेगा फाइनल GSTIN नंबर’ राजस्व सचिव ने किया भ्रम दूर

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नई दिल्ली। आजादी के बाद का देश का सबसे बड़ा कर सुधार जीएसटी 1 जुलाई से अस्तित्व में आ गया है। दावा किया जा रहा है कि इससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और भ्रष्टाचार में कमी आएगी। जीएसटी के तहत टैक्स रेट के 4 स्लैब बने हैं जो 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं।

एक तरफ जहां इस ऐतिहासिक टैक्स सिस्टम ने ‘एक देश, एक कर’ के सपने को साकार किया है, वहीं दूसरी तरफ लोगों में इसने चिंता भी बढ़ाई है कि यह उनके बिजनस, वित्तीय स्थिति और रोजमर्रा की जिंदगी को कैसे प्रभावित करेगा। जीएसटी को लेकर लोगों के मन में तमाम तरह के मिथक हैं।

राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया ने रविवार को जीएसटी के बारे में बनी कुछ गलत धारणाओं को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने ट्विटर पर जीएसटी के बारे में बने कुछ कॉमन मिथकों और सच्चाई क्या है, उसके बारे में बताया।

उच्च कर दर
भ्रम- जीएसटी रेट पहले के VAT की तुलना में ज्यादा है।
सच्चाई- ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि पहले ऐक्साइज ड्यूटी और दूसरे कर अदृश्य थे जबकि अब ऐसे सभी कर जीएसटी में समाहित हैं। इस वजह से यह ज्यादा दिख रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शंस
भ्रम- सभी तरह के इनवॉइस (बिल) सिर्फ कंप्यूटर/इंटरनेट द्वारा ही तैयार होंगे।
सच्चाई-इंटरनेट की जीएसटी के लिए मंथली रिटर्न भरते वक्त ही जरूरत होगी।

बिजनस परमिट्स
भ्रम- मेरे पास प्रविजनल आईडी है लेकिन बिजनस करने के लिए फाइनल आईडी का इंतजार कर रहा हूं।
सच्चाई- प्रविजनल आईडी ही आपका फाइनल GSTIN नंबर होगा।

इज ऑफ डूइंग बिजनस
भ्रम-ट्रेड का कोई आइटम जो पहले टैक्स के दायरे से बाहर था लेकिन अब बिजनस शुरू करने से पहले रिटेलर को नया रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
सच्चाई- आप बिजनस जारी रख सकते हैं। 30 दिनों को भीतर रजिस्ट्रेशन करा लें।

फाइलिंग रिटर्न्स
भ्रम- हर महीने 3 रिटर्न भरना होगा।
सच्चाई- सिर्फ एक रिटर्न भरना है जो तीन हिस्सों में है। पहला हिस्सा डीलर द्वारा भरा जाएगा और बाकी दोनों हिस्सों कंप्यूटर द्वारा ऑटोमैटिकली भरे जाएंगे।

छोटे कारोबार
भ्रम- यहां तक कि छोटे डीलरों को भी रिटर्न में बिलवार डीटेल भरना होगा।
सच्चाई- जो लोग रिटेल बिजनस (B2C) में हैं उन्हों कुल बिक्री का सिर्फ सारांश ही बताना होगा।