GST मुआवजा उपकर के भविष्य पर पहली बार चर्चा होगी, मंत्री समूह की बैठक कल

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नई दिल्ली। GST Compensation Cess:केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के नेतृत्व में 10 सदस्यीय मंत्रियों का समूह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर बैठक करेगा। बैठक में मार्च 2026 की ऋण भुगतान अवधि के बाद जीएसटी मुआवजा उपकर के भविष्य पर पहली बार चर्चा होगी। यह जानकारी इस मामले से वाकिफ कई सूत्रों ने दी।

एक सूत्र ने बताया, ‘मार्च 2026 तक लेवी का हालिया स्वरूप समाप्त होगा। हम इससे जुड़े कई मुद्दों पर 16 अक्टूबर को चर्चा करेंगे। यह समूह संभवत: इस मामले पर चर्चा करेगा कि वित्त वर्ष 26 की समाप्ति के बाद शुल्क को अलग तरीके से लगाया जाना चाहिए या इसे उच्च कर दायरे में समाहित कर देना चाहिए।’

जीएसटी 1 जुलाई 2017 से शुरू किया गया था। इसके तहत राज्यों को जीएसटी लागू होने पर राजस्व में कोई भी नुकसान होने पर अगले पांच वर्ष यानी जून 2022 तक भरपाई का आश्वासन दिया गया था। हालांकि मुआवजे का भुगतान जून 2022 में आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया था लेकिन इस प्रक्रिया को महामारी के दौरान राजस्व में गिरावट के कारण केंद्र के 2.7 लाख करोड़ रुपये के ऋण भुगतान को सुविधाजनक बनाने के लिए मार्च 2026 तक विस्तारित किया गया था।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की 9 सितंबर को हुई 54वीं बैठक में संकेत दिया था कि सरकार की योजना ऋण के ब्याज सहित जनवरी 2026 तक पूरा भुगतान करने की है। इससे फरवरी और मार्च 2026 तक उपकर संग्रह में करीब 40,000 करोड़ रुपये का अधिशेष हो सकता है।

इसके बाद परिषद ने इस पर चर्चा की है कि मुआवजा उपकर के भविष्य की परीक्षण करने की जरूरत है क्या और उपकर हटाने की स्थिति में प्रस्तावित कर प्रस्तावों के लिए एक मंत्रिसमूह के गठन का प्रस्ताव रखा गया।

एक अन्य सूत्र ने बताया, ‘हालिया स्लैब में शुल्क को समाहित करने की कम उम्मीदे हैं। इसके अलावा मंत्रियों का समूह यह भी सिफारिश देगा कि अहितकारी व विलासिता वाली वस्तुओं पर एकत्रित किए गए शुल्क का कैसे केंद्र और राज्यों में बंटवारा किया जाए और इसके लिए आवश्यक कानूनी बदलाव पर भी चर्चा की जाएगी।’

पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा कि मंत्रियों का समूह कई विकल्पों पर विचार कर सकता है। इसमें एक बार उपकर हटाए जाने पर जीएसटी के आधार दर को एकसमान करना या उपकर के बदले अन्य कर लगाना शामिल हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘अन्य उपकर लगाने के लिए संवैधानिक रूप से जांच करने की जरूरत हो सकती है।’

उपकर मुआवजे पर मंत्रियों के समूह में पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओम प्रकाश चौधरी, पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, उत्तर प्रदेश के वित्त व संसदीय मामलों के मंत्री सुरेश कुमार खन्ना सहित अन्य शामिल हैं।

ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर कृष्ण अरोड़ा ने बताया कि सरकार को राज्यों की वित्तीय स्थिरता व अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले पूरे प्रभाव और दूसरी तरफ उद्योग की प्रतिस्पर्धा के उचित सामंजस्य के महत्त्वपूर्ण कार्य को अंजाम देना है।