नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हैरानी जाहिर करते हुए शनिवार को कहा कि जीएसटी को लेकर उपभोक्ता कोई शिकायत नहीं कर रहे तो फिर व्यापारी इतने परेशान क्यों हैं। जबकि टैक्स का बोझ तो अंतत: उपभोक्ताओं पर ही पड़ना है।
वित्त मंत्री ने कहा कि चूंकि सरकार ने जीएसटी में टैक्स की दरें बेहद तार्कि क रखी हैं, इसलिए उपभोक्ताओं को इससे कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि वह टैक्स नहीं दे।
लोग मानते हैं कि टैक्स नहीं देना कोई गलत बात नहीं है, लेकिन अब समाज की इस सोच को बदलने की जरूरत है। अगर हमें विकसित भारत बनाना है तो यह सोच बदलनी होगी। एक कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि सरकार ने कई कड़े कदम उठाए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
जीएसटी की एक या दो दर के सुझाव को फिलहाल खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भविष्य में ऐसा जरूर हो सकता है। जेटली ने कहा कि तब 12 और 18 फीसदी की श्रेणी को मिलाकर एक श्रेणी बनाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि लेकिन अगर हम 15 फीसदी की एक दर से जीएसटी लागू करेंगे तो टैक्स छूट वाली वस्तुएं भी महंगी हो जाएंगी, जिनका इस्तेमाल गरीब भी करते हैं। यह सही नहीं होगा। मालूम हो कि जीएसटी में 5, 12, 18 और 28 फीसदी टैक्स की चार दर तय की गई हैं।
जेटली ने कहा कि जीएसटी का फैसला पूरे देश का है। सभी राज्य सरकार ने सहमति से मिलकर यह फैसला लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जब कोई बदलाव होता है तो थोड़ी बहुत तकनीकी समस्याएं आती ही हैं, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है।