LIC अब हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में अपनी धाक जमाएगी, प्राइवेट कंपनियों को मिलेगी टक्कर

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नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी, भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड (LIC) की योजना अब हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस में भी अपनी धाक जमाने की है। कंपनी अब इस सेक्टर में कदम रखने की तैयारी कर रही है।

बीमा कंपनी के CEO और MD सिद्धार्थ मोहंती ने बताया कि LIC चालू वित्त वर्ष में एक हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने पर फैसला करेगी। मोहंती ने सरकारी बीमा कंपनी के नतीजों के ऐलान के बाद आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। बीमा दिग्गज के हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में कदम रखने के बाद प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है।

सिद्धार्थ मोहंती ने कहा, “जमीन पर काम चल रहा है…उपयुक्त हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की खोज हो रही है…हम इस वित्तीय वर्ष के भीतर हिस्सेदारी को अंतिम रूप देंगे।” उन्होंने बताया कि एक बार सभी तैयारी पूरी हो जाने के बाद LIC हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में कदम रखने के लिए बोर्ड से मंजूरी हासिल करने के लिए संपर्क करेगी। हालांकि मोहंती ने उस कंपनी का नाम नहीं बताया, जिसमें LIC हिस्सेदारी खरीदने की योजना बना रही है।

बीमा अधिनियम में संशोधन की जरूरत
फरवरी 2024 में, एक संसदीय समिति ने बीमा प्रदाताओं के लिए खर्च और नियामकीय बोझ को कम करने के उद्देश्य से कॉम्पोजिट इंश्योरेंस लाइसेंस को लागू करने की सिफारिश की थी। वर्तमान में, जीवन बीमा कंपनियों को विस्तारित हेल्थ इंश्योरेंस (extended health insurance) लाभ प्रदान करने तक सीमित किया गया है। जीवन बीमा कंपनियों को अस्पताल में भर्ती और मुआवजा कवरेज प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए बीमा अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता होगी।

LIC ने रिडिजाइन किए अपने बीमा प्रोडक्ट
इसके अलावा, 1 अक्टूबर से लागू हुए सरेंडर वैल्यू के नए नियमों पर, महंती ने कहा कि LIC ने अपने बीमा प्रोडक्ट्स को फिर से डिजाइन किया है और वे पूरी तरह से नियमों का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमने ग्राहकों और बाजार मध्यस्थों के हितों के बीच संतुलन बनाए रखा है।”

नए सरेंडर वैल्यू नियम उन जीवन बीमा पॉलिसीधारकों के लिए बेहतर निकासी भुगतान सुनिश्चित करते हैं, जो अपनी पॉलिसी का प्रीमियम जारी रखने में असमर्थ या अनिच्छुक होते हैं। सरेंडर वैल्यू वह राशि होती है जो पॉलिसीधारक को मिलती है जब वे अपनी पॉलिसी को मैच्योरिटी से पहले समाप्त करने का निर्णय लेते हैं। बीमाकर्ता योजना की शर्तों के आधार पर एक निश्चित राशि को ‘सरेंडर चार्ज’ के रूप में काटते हैं।

सितंबर तिमाही में LIC की रिजल्ट
सरकारी बीमा कंपनी LIC का नेट प्रॉफिट सितंबर तिमाही में 3.75 प्रतिशत घटा क्योंकि कंपनी ने अर्जित प्रीमियम की तुलना में अधिक लाभ का भुगतान किया। सितंबर तिमाही में बीमा दिग्गज का नेट प्रॉफिट 7,729 करोड़ रुपये रहा। पिछले साल की समान अवधि में कंपनी का मुनाफा 8,030.28 करोड़ रुपये था।

दूसरी तिमाही के दौरान सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (GNPA) 1.72 प्रतिशत रही, जो पिछली तिमाही में 1.95 प्रतिशत थी। पिछले वर्ष की इसी अवधि में GNPA 2.43 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष की समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी की नेट प्रीमियम आय 1.2 लाख करोड़ रुपये हो गई।