कोटा। आध्यात्मिक विशुद्ध ज्ञान वर्षायोग समिति द्वारा श्री मज्जिनेन्द्र 1008 अरिष्ट नेमिनाथ भगवान के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन श्रुत संवेगी मुनि आदित्य सागर ससंघ के सानिध्य में नेमीकुमार की बारात व तपकल्याणक मनाया गया।
मज्जिनेन्द्र नेमीनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक में मंगलवार को युवराज नेमीकुमार की बारात कुन्हाडी दि.जैन मंदिर सभा स्थल से निकाली गई, जो प्रमुख मार्ग से गुजरी। हाथी, तीन उंट, कई बग्गियां भी इसमें शामिल हुईं। बारात का कई स्थानों पर स्वागत भी किया गया। कृष्ण व बलराम भी बाराती बन कर शामिल हुए।
बारात में लोग बनठन कर नाचते गाते और हाथी व बग्ग्यिों पर सवार होकर चल रहे थे। बारात में लोक नृत्य, कच्ची घोडी, 25 ढोल सदस्य, कर्नाटक के चिंदे बैंड, सेमारी बैंड और अन्य दिव्यघोष शामिल थे। शौरीपुर से जूनागढ़ पहुंची बारात में 56 करोड बाराती शामिल हुए।
पंचकल्याण महोत्सव में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल शामिल हुए। उन्होंने मुनि श्री श्रुत संवेगी मुनि आदित्य सागर ससंघ का आशीर्वाद लिया तथा जिन्नबिंब का अवलोकनकिया। इस अवसर उन्होंने जैन मंदिर क्षेत्र के विकास की बात मंच से कही। शाम को आरती के लिए दि.जैन मंदिर कुन्हाडी के अध्यक्ष राजेन्द्र के घर से हाथी पर सवार होकर नाचते-गाते पहुंचे, जहां हजारो श्रावकों ने मिलकर आरती में भाग लिया। आरती के पुण्यार्जक परिवार मनोज-नेहा जैसवाल परिवार रहा।
शोभायात्रा में सकल समाज के सरंक्षक राजमल पाटोदी, अध्यक्ष विमल जैन नांता, कार्याध्यक्ष जे के जैन, प्रकाश बज, मंत्री विनोद टोरडी, मनोज जैसवाल, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज आदित्य, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, ऋद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, संजय सांवला, जिनेन्द्र जज साहब, पारस कासलीवाल,अंकित जैन आरकेपुरम, महेंद्र बगड़ा, पारस जैन एवं मंदिर समिति के लोग उपस्थित रहे।
ऐसे शामिल हुए 56 करोड़ बाराती: श्रीकृष्ण के चचेरे भाई नेमीनाथ भगवान हैं, उज्जैन में श्रीकृष्ण पढ़ने आए थे, इसलिए नेमीनाथ का अवंतिका नगरी से भी संबंध है। ऐसा माना जाता है कि जब नेमीनाथ की बारात निकली थी तो 56 करोड़ यदुवंशी शामिल हुए थे, ऐसे में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 56 करोड़ यदुवंशी आज भी शामिल माने गए।
ऐसे हुआ आयोजन: प्रातः 6:00 बजे से तपकल्याणक में विशिष्ट पूजन, अभिषेक, नित्य नियम और जन्म कल्याणक पूजन प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र.पीयूष प्रसून सतना एवं सहयोगियों द्वारा किया गया। इसके बाद प्रातः 9:00 बजे शांति हवन कार्यक्रम हुआ। 11:00 बजे मुनिश्री के मंगल प्रवचन दिए। दोपहर 12:00 बजे नेमी कुमार की बारात का आगमन हुआ, जिसके बाद राज दरबार में 32 मुकुटधारी राजाओं द्वारा भेंट, श्री कृष्ण-बलराम संवाद, राज्याभिषेक या युवराज पद अभिषेक किया गया। इसके साथ ही वैराग्य दर्शन, लौकांतिक देवागमन, वन गमन और दीक्षा विधि संस्कार का भी आयोजन किया गया। सायं 6:00 बजे गुरुभक्ति और आरती व 7:00 बजे श्रीजी की आरती, शास्त्रा सभा और सांस्कृतिक संध्या का कार्यक्रम में बढचढ कर श्रृद्धा भाव से श्रावकों ने हिस्सा लिया। समारोह में देशभर से हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे है। यह कार्यक्रम जैन धर्म की समृद्ध परंपरा और संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक अनूठा संगम बन रहा है।