Wednesday, November 13, 2024
Home Blog Page 4784

जीएसटी के विरोध में कपड़ा व्यापार पांच जुलाई से अनिश्चतकालीन बंद

कोटा। जीएसटी को लेकर पहले से ही आंदोलित  कपड़ा व्यापारियों ने अब  5 जुलाई से प्रदेशभर में अनिश्चतकालीन बंद की घोषणा कर दी है। वहीं, सैंड स्टोन का मामला सीएम तक पहुंच गया है। सैंड स्टोन व्यापारियों से सीएम कल जयपुर में मिलेंगी। वहीं, कोटा स्टोन के स्लैब को लेकर तीसरे दिन भी असमंजस में बीता। भामाशाहमंडी तीसरे दिन भी बंद रही।

मांग नहीं मानने तक बंद: कपड़ा एसोसिएशन के अध्यक्ष गिर्राज न्याती ने बताया कि कपड़े पर से 5 फीसदी जीएसटी नहीं हटाया है। पूरे देश में आंदोलन चल रहे हैं। सूरत में सोमवार को पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। जोधपुर और सूरत अनिश्चितकालीन बंद चल रहा है। कपड़ा व्यापारी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। सरकार ने मांग नहीं मानी तो 5 जुलाई से अनिश्चितकालीन बंद का निर्णय किया है।

आज से मंडी यथावत चलेगी : ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी ने बताया कि मंगलवार से मंडी खुलेगी। व्यापारियों को समझने के लिए वक्त चाहिए था। अब आज से मंडी यथावत चलेगी।

 तीसरे दिन भी स्टोन फैक्ट्रियां बंद रहीं : हाड़ौती कोटा स्टोन एसोसिएशन के महासचिव मुकेश त्यागी ने बताया कि  एक्साइज के उपायुक्त नरेश बुंदेल, सेल्स टैक्स के उपायुक्त एनके गुप्ता अन्य अधिकारियों के साथ कोटा स्टोन व्यापारियों की मीटिंग हुई है।

सेल्स टैक्स और एक्साइज विभाग के अधिकारियों कोटा स्टोन के व्यापारियों की मीटिंग हुई। इसमें अधिकारियों ने उन्हें 5 प्रतिशत के स्लैब में आने की बात कही, लेकिन व्यापारियों ने लिखित में देने को कहा तो वे तैयार नहीं हुए। इसके चलते सैंड और कोटा स्टोन का कारोबार तीसरे दिन भी ठप रहा।  अधिकारी उनसे 5 फीसदी की कह रहे हैं, लेकिन जब व्यापारियों ने कहा कि आज वे 5 फीसदी का बिल काट देते हैं और बाद में इसे नहीं माना गया तो कौन जिम्मेदार होगा, तो कोई जवाब नहीं दे पाए। 

उन्होंने प्रोसेसिंग के लिए लिखित में देने के लिए कहा है। हमने दस्तावेज तैयार करवा लिए हैं। वे मंगलवार को देंगे। अधिकारियों ने कहा कि प्रोसेसिंग के बाद वे इसे लिखित में देंगे। प्रतिनिधि मंडी में सुरेश मित्तल, विकास जोशी, गोविंद अग्रवाल, धीरज भारद्वाज शामिल थे। तीसरे दिन भी सभी फैक्ट्रियों में लदान बंद रहा।

कल सीएम से मिलेंगे स्टोन व्यापारी :कोटा स्टोन मर्चेंट विकास समिति के अध्यक्ष उत्तमचंद अग्रवाल ने बताया कि सैंड स्टोन का काम तीसरे दिन भी बंद रहा। जन अभाव अभियोग के अध्यक्ष श्रीकृष्ण पाटीदार की पहल पर सीएम से बुधवार को सुबह 10 बजे का समय मिला है। इसमें बूंदी, कोटा, डाबी के व्यापारी जयपुर जाएंगे। सांसद सभी विधायकों से भी सैंड स्टोन से वैट हटाने की मांग करेंगे। सैंड स्टोन पर अभी भी दो टैक्स लागू है।  सीएम से भी यही मांग करेंगे। तीसरे दिन भी 500 में से केवल 3 गाड़ियां भरी गई हैं।

अब रेलवे ने कंफर्म टिकट पर तत्काल प्रभाव से बंद किया मॉडिफिकेशन

0

कानपुर। यदि आप रेल यात्रा के लिए आरक्षण कराने जा रहे हैं तो सतर्क होकर टिकट बुक कराएं। अब कंफर्म यात्रा टिकट की तिथि में बदलाव नहीं हो पाएगा। रेलवे ने आरक्षित टिकट पर होने वाले मॉडिफिकेशन को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। इसकी फीडिंग भी रेल आरक्षण के मास्टर कंप्यूटर में करा दी गई है।

इसकी वजह से सोमवार को कई यात्री निराश होकर आरक्षण काउंटर से लौट गए। रेलवे अफसरों ने बताया कि रेल आरक्षण टिकट की कई सुविधाओं को बंद किया जा रहा है। पिछले हफ्ते क्लस्टर और सर्कुलर टिकट पर रोक लगी थी और अब मॉडिफिकेशन टिकट पर रोक लगा दी गई।

अफसरों का मानना है कि इन सब की वजह से रेलवे काउंटरों पर अनैतिक दबाव पड़ता था। ई-टिकटिंग व्यवस्था के बाद वैसे भी काउंटरों पर 50 फीसदी लोड घट गया है। धीरे-धीरे इस व्यवस्था को पूरी तरह से ऑनलाइन किया जाना है ताकि स्टेशनों पर एक-दो काउंटर आपातकाल के लिए चालू रहें। ऐसे में केवल टिकट का निरस्तीकरण और सेम डे का आरक्षण ही संभव है। 

यूं हो जाता था मॉडिफिकेशन
यदि आपका रेल आरक्षण टिकट 28 जुलाई का पुष्पक एक्सप्रेस में है। किसी कारणवश आप इस तिथि के आगे-पीछे जाना चाहते थे तो अभी तक यह सुविधा थी कि उस यात्रा टिकट का मॉडिफिकेशन करा सकते थे। इसके लिए स्लीपर में 20 तो एसी में 45 रुपये देने पड़ते थे। बशर्ते उस तिथि में उस ट्रेन में सीटें खाली हो।

‘पहले कई टैक्स दिखते नहीं थे, इसलिए ज्यादा लग रहा जीएसटी’ – अढिया

0

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था एक जुलाई से लागू जरूर हो गई है, लेकिन इसको लेकर अफवाहों और अटकलों का बाजार गरम है। अप्रत्यक्ष कर की नई व्यवस्था तमाम लोगों के लिए पहेली बनी हुई है। इस परेशानी का अहसास करते हुए राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने तमाम आशंकाओं को दूर करने का बीड़ा खुद उठा लिया है।

उन्होंने लोगों से सोशल मीडिया के जरिये अपुष्ट संदेश न फैलाने की अपील की है। अढिया ने रविवार को जीएसटी के बारे में बनी कुछ गलत धारणाओं को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर जीएसटी के बारे में बने कुछ सामान्य मिथक और उनसे जुड़े सच के बारे में बताया। इन्हें लेकर लोगों में घबराहट पैदा हो रही थी।

1. क्रेडिट कार्ड से बिल भरना
झूठ : अगर क्रेडिट कार्ड से यूटिलिटी बिलों का भुगतान किया जाता है, तो व्यक्ति को दो बार जीएसटी का भुगतान करना होगा।
सच : यह कतई गलत है।

2. कर की ऊंची दर
झूठ : जीएसटी के तहत नई दरें वैट की तुलना में ज्यादा हैं।
सच : यह सिर्फ देखने में ज्यादा लग रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले उत्पाद शुल्क और दूसरे टैक्स छिपे हुए होते थे। जीएसटी में इन सबको शामिल कर दिया गया है।

3. बिजनेस परमिट
झूठ : प्रोविजनल आइडी के साथ जीएसटी के तहत बिजनेस नहीं किया जा सकता है।
सच : प्रोविजनल आईडी फाइनल जीएसटिन होगा। इसके तहत व्यवसाय किया जा सकता है।

4. इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन
झूठ : जीएसटी के अंतर्गत कारोबार करने के लिए सभी इनवॉयस कंप्यूटर या इंटरनेट पर ही जेनरेट करने होंगे।
सच : इनवॉयस को हाथ से भी बनाया जा सकता है।

5. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
झूठ : पहले जो बिजनेस जीएसटी के दायरे से बाहर थे, कारोबार करने के लिए उन्हें अब नए रजिस्ट्रेशन की जरूरत होगी।
सच : कारोबार को जारी रखा जा सकता है। एक महीने में रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

6. इंटरनेट की आवश्यकता
झूठ : जीएसटी के तहत व्यापार करने के लिए हर वक्त इंटरनेट की जरूरत होगी।
सच : इंटरनेट की आवश्यकता सिर्फ मासिक जीएसटी रिटर्न फाइल करने के समय होगी।

7. रिटर्न की फाइलिंग
झूठ : हर महीने 3 बार रिटर्न फाइल करना होगा। छोटे डीलरों को भी रिटर्न फाइल करने के दौरान इनवॉयस के आधार पर पूरी डिटेल देनी होगी।
सच : सिर्फ एक रिटर्न है। उसके तीन भाग हैं। इसका पहला भाग डीलर के जरिये फाइल किया जाएगा। दो अन्य भाग कंप्यूटर से ऑटोमैटिक भरे जाएंगे।

कहीं कोई गड़बड़ी नहीं –
अढिया ने कहा कि जीएसटी का दूसरा दिन बिना किसी बड़ी समस्या के निकला। राज्य और केंद्र के अधिकारी व्यापार और उद्योगों को सूचना दे रहे हैं। सड़क किनारे ढाबे वालों से लेकर बडे़ रेस्तरां और किराना दुकानों तक से उत्साहजनक रिपोर्टे आ रही हैं।

सभी नई टैक्स प्रणाली को अपना रहे हैं। ड्राफ्ट एप्लिकेशन फाइल करके 25 जून तक 2.23 लाख नए डीलर जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) का हिस्सा बन गए हैं। इनमें से 63 हजार ने पूरा विवरण भी जमा कर दिया है। इनमें से 32 हजार को ताजा पंजीकरण भी दे दिया गया है।

 

20 लाख से अधिक सालाना आय वाले मंदिर भी जीएसटी के दायरे में

0

हैदराबाद। बड़े धर्मस्‍थलों पर जाकर दान देने वाले श्रद्धालुओं को जुलाई से अब अधिक राशि देना होगी। बड़े मंदिर, जिनका सालाना रेवेन्‍यू 20 लाख रुपए से अधिक है, वे जीएसटी के दायरे में लाए गए हैं। तेलंगाना में ऐसे 149 मंदिर हैं।

जीएसटी एक्‍ट की धारा 73 के तहत यहां किराये के कमरे जिनका किराया एक हजार या इससे अधिक राशि प्रतिदिन है, परिसर का किराया, कम्‍युनिटी हॉल और ऐसे ओपन एरिया जिनका किराया प्रतिदिन 10 हजार रुपए है, वहां अब 18 प्रतिशत अतिरिक्‍त टैक्‍स लगेगा।हालांकि अभी ये तय नहीं है कि जीएसटी में मंदिरों की अन्‍य सेवाओं को तय किया गया है या नहीं।

तेलंगाना धर्मस्‍व मंत्री इंद्राकरण रेड्डी ने कहा कि 149 ऐसे मंदिर हैं जिनकी सालाना आय 20 लाख से अधिक है, इनमें से 16 मंदिरों का राजस्‍व एक करोड़ तक हो जाता है, जबकि 3 का 25 लाख तक होता है। उन्‍होंने कहा कि अभी ये तय नहीं है कि जीएसटी में इन मंदिरों की कौन सी सेवाएं दायरे में आएंगी।

अधिकारियों का कहना है कि पदमासन की तैयारियों में अधिक खर्च होगा। मंदिरों को पदमासन, अर्गितासेवा, हुंडी की राशि, लीज की भूमि व अन्‍य स्‍त्रोतों से आय होती है। अभी हुंडी के जीएसटी में आने के बारे में भी तय नहीं है।

नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट में 55 % का इजाफा

नई दिल्ली। डिजिटल पेमेंट में वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 55 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। आने वाले वर्षों में भी इस ट्रेंड के बने रहने की उम्मीद है। यह संकेत देता है कि भारत इस क्षेत्र में क्रांति की ओर है। नीति आयोग के प्रमुख सलाहकार रतन पी वातल ने सोमवार को ये बातें कहीं।

बीते साल नवंबर में सरकार ने 500 और 1000 की पुरानी नोटों को बंद करने का फैसला किया था।डिजिटल भुगतान में 2015-16 की तुलना में उल्लेखनीय बढ़ोतरी का यही प्रमुख कारण है। वातल ने बताया कि 2011-12 से 2015-16 के दौरान डिजिटल भुगतान की सालाना बढ़ोतरी दर 28 फीसद रही है।

यहां उद्योग संगठन फिक्की की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वातल बोले कि ये आंकड़े दिखाते हैं कि भारत डिजिटल क्रांति की दहलीज पर है। डिजिटल भुगतान पर समिति की अगुआई कर चुके पूर्व वित्त सचिव वातल ने कहा कि डिजिटल भुगतान की टेक्नोलॉजी में इनोवेशन व उपभोक्ताओं की बढ़ती संतुष्टि के मद्देनजर डिजिटल पेमेंट में वृद्धि का रुख सकारात्मक बना रहेगा।

डिजिटल पेमेंट में यह बढ़ोतरी इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि सरकार ने मार्च, 2018 तक 25 अरब लेनदेन का लक्ष्य रखा है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने हाल में एक लेख में कहा था कि नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट में आई तेजी अस्थायी थी क्योंकि नकदी की उपलब्धता नहीं थी। नकदी उपलब्ध होने के साथ डिजिटल पेमेंट की रफ्तार घट गई।

उन्होंने इसके पक्ष में आरबीआइ के आंकड़े भी दिए थे। इस लेख का जिक्र करते हुए वातल ने कहा कि चिदंबरम का विश्लेषण आरबीआइ के कुछ चुनिंदा आंकड़ों पर आधारित था। यह सही तस्वीर को नहीं दर्शाता है।डिजिटल पेमेंट फीस पर नीति जल्द वातल ने यह भी बताया कि सरकार जल्द ही डिजिटल भुगतान के विभिन्न तरीकों के लिए चार्ज की जा रही फीस पर एक पॉलिसी लाएगी।

नीति आयोग ने सरकार को डिजिटल भुगतान के रुझानों और चुनौतियों पर एक रिसर्च रिपोर्ट जमा की है।इस रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल लेनदेन को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों में से एक डिजिटल भुगतान पर शुल्क हैं। आरटीजीएस, एनईएफटी और डेबिट कार्ड के जरिये डिजिटल भुगतान पर अलग-अलग शुल्क हैं।

जीएसटी इम्पेक्ट : 22 राज्यों ने हटाए चेक पोस्ट, 2300 करोड़ बचेंगे

0

नई दिल्ली। एक देश, एक टैक्स के नारे के साथ शुक्रवार की आधी रात से लागू किए गए गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स से भारत की अर्थव्यवस्था को सालाना 2,300 करोड़ रुपये की भारी बचत होगी। अब तक राज्यों के चेक पोस्ट्स पर ट्रकों को जगह-जगह रुकना पड़ता था। अब जीएसटी के चलते इनकी आवाजाही तेज होगी और रास्ते की बाधाएं हटने से भारी बचत होगी।

वर्ल्ड बैंक की 2005 की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘चेकपॉइंट्स पर ट्रकों को होने वाली देरी के चलते सालाना 9 अरब रुपये से लेकर 23 अरब रुपये तक का नुकसान होता है।’ ऑपरेटिंग आवर्स के इस नुकसान को टालकर इस स्थिति से बचा जा सकता है। हालांकि इस आंकड़े में तमाम चेक पोस्ट्स से निकलने के लिए ट्रकों की ओर दी जाने वाली घूस को शामिल नहीं किया गया है, वरना यह आंकड़ा 900 करोड़ रुपये से 7200 करोड़ तक पहुंच सकता है।

स्टडी के मुताबिक इस तरह की घूस से इकॉनमी को सीधे तौर पर कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन सरकार को मिलने वाले राजस्व को जरूर चपत लगती है। लेकिन, अब चेक पोस्ट्स पर ट्रकों का लेट होना बीते दौर की बात हो सकता है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे कई राज्यों ने 1 जुलाई के बाद से ही चेक पोस्ट्स की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। आने वाले दिनों में कई और राज्य इस ओर अपने कदम बढ़ा सकते हैं।

जीएसटी से पहले के दौर में चेक पोस्ट गुड्स के मूवमेंट पर टैक्स कलेक्ट करते थे। रेवेन्यू सेक्रटरी हसमुख अधिया ने कहा, ‘जहां तक टैक्सेशन की बात है तो अब चेक पोस्ट्स का दौर खत्म हो जाएगा। इसके अलावा भी कई चेक पोस्ट्स होती हैं, जैसे स्टेट चेक पोस्ट्स। इनमें शराब पर स्टेट एक्साइज वसूला जाता है। यह व्यवस्था पहले की तरह ही बनी रहेगी।’

जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों ने फील्ड ऑफिसर्स अडवायजरी जारी कर गुड्स के मूवमेंट को न रोकने और नए नियमों के पालन का आदेश दिया है। असम और उत्तर प्रदेश ने अपने अधिकारियों को ई-वे बिल की व्यवस्था लागू होने तक जीएसटी पहचान नंबर, इनवॉइस नंबर, टैक्स इनवॉइस और लॉजिस्टिक्स फर्म के रजिस्ट्रेशन को चेक करने का आदेश दिया है। सरकार जीएसटी लागू होने के 6 महीने के भीतर ही ई-वे बिल लाने की योजना पर काम कर रही है। इससे ट्रकों की आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी।

जानें, कैसी होगी ई-वे बिल की व्यवस्था
इसके तहत 50,000 रुपये से अधिक के सामान को राज्य या राज्य से बाहर ले जाने के लिए जीएसटी-नेटवर्क की वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इस प्रस्ताव के तहत जीएसटी-एन के जरिए जो ई-वे बिल जनरेट होगा, वह 1 से 15 दिन तक वैध होगा। यह वैधता सामान ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगी। जैसे 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-बिल बनेगा, जबकि 1,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 15 दिन की वैधता वाला ई-बिल तैयार होगा।

जीएसटी : कारों पर छूट की बरसात, उठायें फायदा

मुंबई। जीएसटी लागू होने के बाद मारुति सुजुकी ,ऑल्टो, बीएमडब्ल्यू मर्सेडीज और ऑडी ने कारों पर छूट देनी शुरू कर दी है। इन कंपनियों की कारों पर दो हजार से लेकर दो लाख रुपए की छूट मिल रही है। 

मारुति सुजुकी -मारुति सुजुकी इंडिया ने अपनी कारों पर 3 प्रतिशत तत्काल प्रभाव से छूट का ऐलान कर दिया था। हालांकि, इस ऑफर्स से सियाज व अर्टिगा के डीजल मॉडल्स को अलग रखा गया था। ऑल्टो पर 2,300 से 5,400 रुपये की छूट। वैगनआर पर 5,300 से 8,300 रुपये की छूट।

स्विफ्ट पर 6,700 से 10,700 रुपये की छूट दी गई है। बलेनो की कीमत में भी 6,600 से 13,100 रुपये की छूट मिली है। कंपनी ने इनके अलावा डिजायर में भी 8,100 से 15,100 रुपये तक की छूट दी है।

अर्टिगा की बात करें तो इसके पेट्रोल वैरिअंट में 21,800 रुपये तक की छूट व सियाज पेट्रोल पर 23,400 रुपये का बंपर डिस्काउंट चल रहा है। कंपनी ने विटारा ब्रेत्जा पर भी 14,400 से 14,700 रुपये तक का डिस्काउंट दिया है, वहीं एस-क्रॉस पर मारुति 17,700 से 21,300 तक की छूट दे रही है।

एसयूवी फॉर्च्युनर : कंपनी ने अपनी धाकड़ एसयूवी फॉर्च्युनर के दामों में 2.17 लाख रुपये की छूट दी है। इसी के साथ ही इनोवा क्रिस्टा पर 98,500 व करोला आल्टिस पर 92,500 रुपये घटाए गए हैं।

प्लैटिनम ईटिअस पर कंपनी ने 24,500 रुपये कम किए हैं तो ईटिअस लीवा पर 10,500 रुपये की छूट दी जा रही है। हालांकि, कंपनी ने हाइब्रिड वैरिअंट कैमरी और प्रियस के दामों में 3.5 लाख से 5.24 लाख रुपये की बढ़ोतरी की है।

बीएमडब्ल्यू : लग्जरी कार मेकर बीएमडब्ल्यू ने अपनी गाड़ियों पर 70,000 से 1.8 लाख रुपये तक की छूट दी है। हालांकि, कंपनी ने अपने फ्लैगशिप मॉडल आई8 की कीमत 4.8 लाख से 2.28 करोड़ रुपये बढ़ाई है।

टाटा मोटर्स  : टाटा मोटर्स के अधिकार वाली जैगुआर लैंड रोवर ने अपने वीइकल्स के दाम 7 प्रतिशत औसत के हिसाब से घटाए हैं। देशभर में इसके 25 आउटलेट्स पर कीमतें अपडेट हो गई हैं।

मर्सेडीज और ऑडी : शान की सवारी मर्सेडीज और ऑडी ने भी अपनी गाड़ियों की कीमतें घटाई हैं। आपको बता दें कि 1,500 सीसी तक 15 प्रतिशत व इससे ऊपर अधिकतम 28 फीसदी जीएसटी लागू होगा।

जीएसटी : अब ईएमआई पर सामान लेना हुआ महंगा

0

नई दिल्ली। जीएसटीलागू होने के बाद से अगर आप क्रेडिट कार्ड के जरिए ईएमआई पर सामान लेते हैं तो ऐसा करना महंगा हो गया है। आपकी जेब पर हर महीने ईएमआई का बोझ बढ़ जाएगा, क्योंकि टैक्स रेट काफी बढ़ गया है। 

सर्विस टैक्स खत्म तो जीएसटी में हुआ 3 फीसदी का इजाफा
केंद्र सरकार ने सर्विस टैक्स को खत्म करके जीएसटी को लागू कर दिया है। जुलाई से आप जितनी बार भी अपने क्रेडिट कार्ड से सामान खरीदेंगे, उतनी बार आपको 18 फीसदी के हिसाब से जीएसटी देना होगा। इसके अलावा हर महीने आने वाले बिल पर भी जीएसटी देना होगा।

ईएमआई पर सामान लेने पर 36 फीसदी देना होगा जीएसटी
ईएमआई पर सामान लेने वालों को दोहरी मार पड़ेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ कंपनियों ने अपने इलेक्ट्रोनिक प्रॉडक्ट्स जैसे कि टीवी, फ्रिज,वाशिंग मशीन, एसी आदि के प्राइस में इजाफा कर दिया है, वहीं बैंकों ने भी कार्ड आदि से पेमेंट करने पर जीएसटी 3 फीसदी बढ़ाकर के 18 फीसदी कर दिया है।

क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर भी 18 फीसदी टैक्स हर महीने टोटल बिल में जुड़कर आएगा। इस हिसाब से देखा जाए तो हर महीने 3 फीसदी अतिरिक्त के हिसाब से 36 फीसदी टैक्स का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

आपने दो लाख रुपये का सामान खरीदा तो पहले आप 15 फीसदी के हिसाब से 300 रुपये टैक्स देते थे। वहीं अब 18 फीसदी के हिसाब से 360 रुपये देने पड़ेंगे। इस हिसाब से हर महीने आपको 40 रुपये अतिरिक्त टैक्स के तौर पर देने होंगे। 

होम लोन पर भी पड़ेगा असर
जीएसटी का असर केवल कंज्यूमर गुड्स की खरीद पर नहीं, बल्कि होम लोन की ईएमआई पर भी पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि बैंक अपने इंटरेस्ट रेट को कम नहीं कर रहे हैं और आरबीआई ने भी फिलहाल अपने रेपो रेट को स्थिर रखा है। इससे कस्टमर को हर महीने ईएमआई पर ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा, जिससे घर खरीदने के बजट पर असर पड़ेगा।  

जीएसटी इम्पेक्ट : सब्सिडी में कटौती से बढ़ेगी घरेलू गैस की कीमत

0

नई दिल्ली। जुलाई से एलपीजी गैस सिलिंडर खरीदने के लिए लोगों को अपनी जेबें ढीली करनी पड़ेंगी। जीएसटी लागू किए जाने और सब्सिडी में की गई कटौती के कारण अब लोगों को 32 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। इसके अतिरिक्त दो साल की अनिवार्य निगरानी, इंस्टॉलेशन, नए कनेक्शन और अतिरिक्त सिलिंडर के दस्तावेजों के प्रशासनिक शुल्क पर पहले से ज्यादा खर्च करना होगा।

एलपीजी को जीएसटी के 5 प्रतिशत के स्लैब में रखा गया है। इससे पहले कई राज्यों को एलपीजी के लिए टैक्स नहीं देना होता था, जबकि कुछ राज्य को 2 से 4 प्रतिशत तक वैट देना होता था। जीएसटी लागू किए जाने के बाद उन राज्यों में एलपीजी सिलिंडर की कीमत में 12-15 रुपये की वृद्धि होगी, जहां एलपीजी पर टैक्स नहीं लगता है। जिन राज्यों में वैट लिया जाता है, वहां यह जीएसटी की दर और प्रचलित टैक्स के अंतर पर निर्भर करेगा।

हालांकि, जून से सब्सिडी में कटौती का असर भी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। ऑल इंडिया एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन के नैशनल सचिव विपुल पुरोहित ने बताया कि ‘उदाहरण तौर पर, आगरा के वैसे ग्राहक जो सब्सिडी के पात्र हैं, उन्हें जून तक दी गई 119.85 रुपये की सब्सिडी में कटौती की गई है। नई अधिसूचना के मुताबिक, अब सिर्फ 107 रुपये ही उनके बैंक खाते में आएंगे।’

इन दोनों का संयुक्त प्रभाव यह होगा कि हर सिलिंडर पर 32 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। अलग-अलग राज्यों की कीमत में अंतर होगा। कीमत में बदलाव की वजह अलग-अलग राज्यों में ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स में अंतर है।

वहीं, सरकारी ईंधन रिटेलर्स के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जीएसटी के कारण उपभोक्ताओं को दिए जाने वाली सब्सिडी में कोई अंतर नहीं हुआ है। अंतरराष्ट्रीय कीमत के कारण सब्सिडी में बदलाव होता है। अधिकारी ने बताया, ‘पहले भी जहां एलपीजी पर वैट लगाया जाता था, उपभोक्ताओं को पता था कि उन्हें सब्सिडी के रूप में कर का भार झेलना पड़ेगा।

हालांकि, जीएसटी ने वाणिज्यिक एलपीजी सिलिंडर में 69 रुपये की कटौती की है। इससे पहले कमर्शल इस्तेमाल वाले एलपीजी सिलिंडर में 22.5 प्रतिशत टैक्स लगता था, जिसमें 8 प्रतिशत उत्पाद कर और 14.5 प्रतिशत वैट था, लेकिन जीएसटी के बाद सिर्फ इसपर 18 प्रतिशत टैक्स लग रहा है। इन सिलिंडरों की कीमत 1,121 से घटकर 1,052 रुपये हो गई है।

जीएसटी के दूसरे दिन भी ऑटो, कन्ज्यूमर गुड्स समेत कई सामानों में छूट की बहार

0

मुंबई/कोलकाता/नई दिल्ली।
जीएसटी लागू होने के दूसरे दिन यानी रविवार को कुछ कारों और दोपहिया वाहनों की कीमतें घटाने के ऐलान हुए जबकि कई कंपनियों ने आनेवाले दिनों में कुछ और कटौतियों का आश्वासन दिया। इनका कहना है कि 1 जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद बने प्रॉडक्ट्स सस्ते में मिलेंगे।

जापान की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा ने अपनी कारों के दाम में 13 प्रतिशत तक की कटौती की जबकि नई दिल्ली स्थित हीरो मोटोकॉर्प ने दोपहिया वाहनों के दाम 400 से 4,000 रुपये तक घटा दिए। उम्मीद की जा रही है कि ह्यूंदै मौटर्स, टाटा मोटर्स और फोर्ड इंडिया भी अगले कुछ हफ्ते में कीमतों में कटौती का ऐलान करेंगी।

कन्ज्यूमर गुड्स
रविवार को प्रमुख कन्ज्यूमर गुड्स कंपनियों ने भी अगले कुछ हफ्तों में कीमतें घटाने का भरोसा दिलाया। इनका कहना है कि 1 जुलाई के बाद बने सामान सस्ते में मिलेंगे। इससे पहले देश की सबसे बड़ी कन्ज्यूमर फर्म हिंदुस्तान यूनिलिवर ने कुछ सामानों के दाम घटा दिए तो कुछ के वजन बढ़ा दिए।

फूड सेक्टर की बड़ी कंपनी नेस्ले अपने मैगी केचअप, सेरलैक और कुछ डेयरी प्रॉडक्ट्स के दाम कम करेगी। नेस्ले के एमडी सुरेश नारायणन ने कहा, ‘जिन कैटिगरीज में टैक्स घटे हैं, उनमें 1 जुलाई के बाद बने सामानों की कीमतों में उचित कटौती की जाएगी। नई कीमत वाले स्टॉक मार्केट में आने तक ट्रांजिशन टाइम रहेगा।’

गोदरेज कन्ज्यूमर प्रॉडक्ट्स के एमडी विवेक गंभीर ने कहा कि उनके साबुनों के दाम घटाने या इनके वजन बढ़ाने की योजना है। इसी तरह, पेप्सिको, मैरिको, पार्ले और बिसलरी ने भी कहा है कि 1 जुलाई के बाद बने सामान सस्ते में दिए जाएंगे।

जीएसटी में लागत घटने का फायदा ग्राहकों को देने संबंधी कानून को लेकर कंपनियों का कहना है कि नए सामान के उत्पादन में जीएसटी का क्या असर होता है, उन्हें यह देखना है। पेप्सिको के चेयरमेन डी शिवकुमार ने कहा, ‘हम कीमत में तुरंत बदलाव नहीं कर रहे।

दरअसल, जहां तक संभव हो सके, मौजूदा कीमतों के जरिए ग्राहकों को पहले सुविधा और स्थिरता मुहैया कराना ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर किसी वस्तु का दाम 5 रुपये है तो इसे बढ़ाकर 5 रुपये 30 पैसे या 40 पैसे करने का कोई मतलब नहीं है। हम कीमतें स्थिर रख रहे हैं। हम जीएसटी का मुद्दा सुलझने तक वेट ऐंड वॉच की नीति अपना रहे हैं।’

इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स
हालांकि, जीएसटी से ग्राहकों को हर जगह फायदा नहीं होने वाला। कुछ कन्ज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के दाम थोड़ा बढ़ने की भी आशंका है। टेलिविजन, रेफ्रिजरेटर, एयर-कंडीशनर और वॉशिंग मशीनों के दाम 2.5 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं। अच्छी बात यह है कि यह पहले जताई जा रही आशंका से करीब-करीब आधा है।

40,000 रुपये का 42 इंच का एलआईडी टीवी अब 40,900 रुपये में मिलेगा जबकि 26,000 रुपये का 280 लीटर का फ्रॉस्ट-फ्री रेफ्रिजरेटर अब 500 रुपये महंगा हो जाएगा। इसी तरह, एसी और वॉशिंग मशीन के दाम भी 400 से 1,000 रुपये तक बढ़ेंगे। कुल मिलाकर, ज्यादातर प्रॉडक्ट्स के दाम में 1.5 से 2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि होगी।

मक्खन, पनीर, घी
अमूल ने कॉटेज चीज, डेयरी वाइटरनर और बेबी फूड के दाम घटा दिए, तो घी का दाम बढ़ा दिया है जबकि चीज, बटर और आइसक्रीम के दाम ज्यों के त्यों रखे गए हैं। अचार, जैम, टमॉटो कैचअप बनानेवाली कंपनियों ने जीएसटी में टैक्स बढ़ाने की शिकायत की है।

उनका कहना है कि 1 जुलाई से इनकी बिक्री घटी है। वहीं, ब्रैंडेड चावल और गेहूं का आटा बचनेवाले बोल रहे हैं कि उनके डिस्ट्रिब्यूटरों को नए सिस्टम से परेशानी तालमेल नहीं हो पा रहा है। राजधानी ग्रुप के राकेश जैन ने कहा कि उनकी कंपनी ने गेहूं के आटे का दाम 5 प्रतिशत यानी 1.20 प्रति किलो बढ़ा दिया है जो बढ़कर 25.20 रुपये प्रति किलो हो गया है।