जीएसटी इम्पेक्ट : 22 राज्यों ने हटाए चेक पोस्ट, 2300 करोड़ बचेंगे

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नई दिल्ली। एक देश, एक टैक्स के नारे के साथ शुक्रवार की आधी रात से लागू किए गए गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स से भारत की अर्थव्यवस्था को सालाना 2,300 करोड़ रुपये की भारी बचत होगी। अब तक राज्यों के चेक पोस्ट्स पर ट्रकों को जगह-जगह रुकना पड़ता था। अब जीएसटी के चलते इनकी आवाजाही तेज होगी और रास्ते की बाधाएं हटने से भारी बचत होगी।

वर्ल्ड बैंक की 2005 की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘चेकपॉइंट्स पर ट्रकों को होने वाली देरी के चलते सालाना 9 अरब रुपये से लेकर 23 अरब रुपये तक का नुकसान होता है।’ ऑपरेटिंग आवर्स के इस नुकसान को टालकर इस स्थिति से बचा जा सकता है। हालांकि इस आंकड़े में तमाम चेक पोस्ट्स से निकलने के लिए ट्रकों की ओर दी जाने वाली घूस को शामिल नहीं किया गया है, वरना यह आंकड़ा 900 करोड़ रुपये से 7200 करोड़ तक पहुंच सकता है।

स्टडी के मुताबिक इस तरह की घूस से इकॉनमी को सीधे तौर पर कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन सरकार को मिलने वाले राजस्व को जरूर चपत लगती है। लेकिन, अब चेक पोस्ट्स पर ट्रकों का लेट होना बीते दौर की बात हो सकता है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे कई राज्यों ने 1 जुलाई के बाद से ही चेक पोस्ट्स की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। आने वाले दिनों में कई और राज्य इस ओर अपने कदम बढ़ा सकते हैं।

जीएसटी से पहले के दौर में चेक पोस्ट गुड्स के मूवमेंट पर टैक्स कलेक्ट करते थे। रेवेन्यू सेक्रटरी हसमुख अधिया ने कहा, ‘जहां तक टैक्सेशन की बात है तो अब चेक पोस्ट्स का दौर खत्म हो जाएगा। इसके अलावा भी कई चेक पोस्ट्स होती हैं, जैसे स्टेट चेक पोस्ट्स। इनमें शराब पर स्टेट एक्साइज वसूला जाता है। यह व्यवस्था पहले की तरह ही बनी रहेगी।’

जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों ने फील्ड ऑफिसर्स अडवायजरी जारी कर गुड्स के मूवमेंट को न रोकने और नए नियमों के पालन का आदेश दिया है। असम और उत्तर प्रदेश ने अपने अधिकारियों को ई-वे बिल की व्यवस्था लागू होने तक जीएसटी पहचान नंबर, इनवॉइस नंबर, टैक्स इनवॉइस और लॉजिस्टिक्स फर्म के रजिस्ट्रेशन को चेक करने का आदेश दिया है। सरकार जीएसटी लागू होने के 6 महीने के भीतर ही ई-वे बिल लाने की योजना पर काम कर रही है। इससे ट्रकों की आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी।

जानें, कैसी होगी ई-वे बिल की व्यवस्था
इसके तहत 50,000 रुपये से अधिक के सामान को राज्य या राज्य से बाहर ले जाने के लिए जीएसटी-नेटवर्क की वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इस प्रस्ताव के तहत जीएसटी-एन के जरिए जो ई-वे बिल जनरेट होगा, वह 1 से 15 दिन तक वैध होगा। यह वैधता सामान ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगी। जैसे 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-बिल बनेगा, जबकि 1,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 15 दिन की वैधता वाला ई-बिल तैयार होगा।