‘पहले कई टैक्स दिखते नहीं थे, इसलिए ज्यादा लग रहा जीएसटी’ – अढिया

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नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था एक जुलाई से लागू जरूर हो गई है, लेकिन इसको लेकर अफवाहों और अटकलों का बाजार गरम है। अप्रत्यक्ष कर की नई व्यवस्था तमाम लोगों के लिए पहेली बनी हुई है। इस परेशानी का अहसास करते हुए राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने तमाम आशंकाओं को दूर करने का बीड़ा खुद उठा लिया है।

उन्होंने लोगों से सोशल मीडिया के जरिये अपुष्ट संदेश न फैलाने की अपील की है। अढिया ने रविवार को जीएसटी के बारे में बनी कुछ गलत धारणाओं को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर जीएसटी के बारे में बने कुछ सामान्य मिथक और उनसे जुड़े सच के बारे में बताया। इन्हें लेकर लोगों में घबराहट पैदा हो रही थी।

1. क्रेडिट कार्ड से बिल भरना
झूठ : अगर क्रेडिट कार्ड से यूटिलिटी बिलों का भुगतान किया जाता है, तो व्यक्ति को दो बार जीएसटी का भुगतान करना होगा।
सच : यह कतई गलत है।

2. कर की ऊंची दर
झूठ : जीएसटी के तहत नई दरें वैट की तुलना में ज्यादा हैं।
सच : यह सिर्फ देखने में ज्यादा लग रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले उत्पाद शुल्क और दूसरे टैक्स छिपे हुए होते थे। जीएसटी में इन सबको शामिल कर दिया गया है।

3. बिजनेस परमिट
झूठ : प्रोविजनल आइडी के साथ जीएसटी के तहत बिजनेस नहीं किया जा सकता है।
सच : प्रोविजनल आईडी फाइनल जीएसटिन होगा। इसके तहत व्यवसाय किया जा सकता है।

4. इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन
झूठ : जीएसटी के अंतर्गत कारोबार करने के लिए सभी इनवॉयस कंप्यूटर या इंटरनेट पर ही जेनरेट करने होंगे।
सच : इनवॉयस को हाथ से भी बनाया जा सकता है।

5. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
झूठ : पहले जो बिजनेस जीएसटी के दायरे से बाहर थे, कारोबार करने के लिए उन्हें अब नए रजिस्ट्रेशन की जरूरत होगी।
सच : कारोबार को जारी रखा जा सकता है। एक महीने में रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

6. इंटरनेट की आवश्यकता
झूठ : जीएसटी के तहत व्यापार करने के लिए हर वक्त इंटरनेट की जरूरत होगी।
सच : इंटरनेट की आवश्यकता सिर्फ मासिक जीएसटी रिटर्न फाइल करने के समय होगी।

7. रिटर्न की फाइलिंग
झूठ : हर महीने 3 बार रिटर्न फाइल करना होगा। छोटे डीलरों को भी रिटर्न फाइल करने के दौरान इनवॉयस के आधार पर पूरी डिटेल देनी होगी।
सच : सिर्फ एक रिटर्न है। उसके तीन भाग हैं। इसका पहला भाग डीलर के जरिये फाइल किया जाएगा। दो अन्य भाग कंप्यूटर से ऑटोमैटिक भरे जाएंगे।

कहीं कोई गड़बड़ी नहीं –
अढिया ने कहा कि जीएसटी का दूसरा दिन बिना किसी बड़ी समस्या के निकला। राज्य और केंद्र के अधिकारी व्यापार और उद्योगों को सूचना दे रहे हैं। सड़क किनारे ढाबे वालों से लेकर बडे़ रेस्तरां और किराना दुकानों तक से उत्साहजनक रिपोर्टे आ रही हैं।

सभी नई टैक्स प्रणाली को अपना रहे हैं। ड्राफ्ट एप्लिकेशन फाइल करके 25 जून तक 2.23 लाख नए डीलर जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) का हिस्सा बन गए हैं। इनमें से 63 हजार ने पूरा विवरण भी जमा कर दिया है। इनमें से 32 हजार को ताजा पंजीकरण भी दे दिया गया है।