नई दिल्ली । कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने पांच बैंकों के साथ समझौता किया है। इसके तहत बैंकों के जरिये ईपीएफओ को पीएफ की बकाया राशि आसानी से जमा कराई जा सकेगी। इसके अलावा सदस्यों को इनके जरिये सदस्यों को पीएफ, पेंशन और इंश्योरेंस राशि का भुगतान भी प्राप्त होगा।
ईपीएफओ ने बैंक ऑफ बड़ौदा, आइसीआइसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इससे उसे 125 करोड़ रुपये हर साल बचत होगी और पीएफ की राशि जल्दी मिलने से निवेश में तेजी आएगी। इससे सदस्यों को भी मिलेगा।
सेवायोजक इन बैंकों में अपने बैंक खाते से आसानी से पीएफ की राशि नेट बैंकिंग के जरिये ईपीएफओ के खाते में जमा कर सकेंगे। अभी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को सेवायोजकों से पीएफ भुगतान लेना होता है और उसे अपने बैंक खाते में जमा करना होता है। इस पर उसे 12 प्रति ट्रांजैक्शन का खर्च भी उठाना पड़ता है।
केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त वी. पी. जॉय ने संवाददाताओं को बताया कि सदस्यों को भुगतान करने में ट्रांजैक्शन चार्ज के रूप में संगठन को हर साल करीब 350 करोड़ रुपये का व्यय उठाना पड़ता है। भारतीय स्टेट बैंक के अलावा पीएनबी, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन व्यवस्था चालू होने के बाद यह खर्च घटकर 175 करोड़ रुपये रह गया।
इन बैंकों के साथ समझौते के बाद खर्च घटकर मात्र 50 करोड़ रुपये रहने की संभावना है।संगठन सात और बैंकों के साथ इसी तरह का समझौता करने के लिए बातचीत कर रहा है। इन बैंकों में आइडीबीआई बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन, इंडियन ओवरसीज बैंक, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।
इस मौके पर श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि ट्रांजैक्शन चार्ज कम होने के बाद संगठन प्रशासनिक शुल्क घटाने पर विचार कर सकता है। अभी तक प्रशासनिक खर्च घटाकर 0.65 किया जा चुका है। इससे पहले यह खर्च 1.10 फीसद तक था। यह चार्ज पीएफ अंशदान के साथ सेवायोजक से लिया जाता है।