Thursday, November 14, 2024
Home Blog Page 4783

EPFO ने किया पांच बैंकों के साथ करार, होगी 125 करोड़ रुपये की बचत

नई दिल्ली । कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने पांच बैंकों के साथ समझौता किया है। इसके तहत बैंकों के जरिये ईपीएफओ को पीएफ की बकाया राशि आसानी से जमा कराई जा सकेगी। इसके अलावा सदस्यों को इनके जरिये सदस्यों को पीएफ, पेंशन और इंश्योरेंस राशि का भुगतान भी प्राप्त होगा।

ईपीएफओ ने बैंक ऑफ बड़ौदा, आइसीआइसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इससे उसे 125 करोड़ रुपये हर साल बचत होगी और पीएफ की राशि जल्दी मिलने से निवेश में तेजी आएगी। इससे सदस्यों को भी मिलेगा।

सेवायोजक इन बैंकों में अपने बैंक खाते से आसानी से पीएफ की राशि नेट बैंकिंग के जरिये ईपीएफओ के खाते में जमा कर सकेंगे। अभी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को सेवायोजकों से पीएफ भुगतान लेना होता है और उसे अपने बैंक खाते में जमा करना होता है। इस पर उसे 12 प्रति ट्रांजैक्शन का खर्च भी उठाना पड़ता है।

केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त वी. पी. जॉय ने संवाददाताओं को बताया कि सदस्यों को भुगतान करने में ट्रांजैक्शन चार्ज के रूप में संगठन को हर साल करीब 350 करोड़ रुपये का व्यय उठाना पड़ता है। भारतीय स्टेट बैंक के अलावा पीएनबी, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन व्यवस्था चालू होने के बाद यह खर्च घटकर 175 करोड़ रुपये रह गया।

इन बैंकों के साथ समझौते के बाद खर्च घटकर मात्र 50 करोड़ रुपये रहने की संभावना है।संगठन सात और बैंकों के साथ इसी तरह का समझौता करने के लिए बातचीत कर रहा है। इन बैंकों में आइडीबीआई बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन, इंडियन ओवरसीज बैंक, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।

इस मौके पर श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि ट्रांजैक्शन चार्ज कम होने के बाद संगठन प्रशासनिक शुल्क घटाने पर विचार कर सकता है। अभी तक प्रशासनिक खर्च घटाकर 0.65 किया जा चुका है। इससे पहले यह खर्च 1.10 फीसद तक था। यह चार्ज पीएफ अंशदान के साथ सेवायोजक से लिया जाता है।

GST इफेक्ट : अब बैंकिंग सर्विसेज भी हो गई महंगी

कोटा । जीएसटी लागू होने के साथ ही 1 जुलाई से बैंकिंग सेवाएं महंगी हो गई हैं। जीएसटी काउंसिल ने बैंकों में 15 फीसदी तक लगने वाले सर्विस शुल्क को बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया है। इससे चेक लेना, डीडी बनवाना, पैसे निकालना, लॉकर सुविधा, एटीएम शुल्क, ईएमआई समय पर नहीं देने पर लगने वाला शुल्क आदि सभी 3 फीसदी महंगे हो गए हैं।

प्रवेश परीक्षाओं या किसी संस्थान की फीस जमा करने पर डीडी बनवाना पड़ता है। बैंक इस पर कमीशन लेते हैं। अब लोगों को यह तीन फीसदी महंगा पड़ेगा। इसी तरह लॉकर सुविधा शुल्क बढ़ गया है। 

बैंक मासिक आधार पर मुफ्त लेनदेन की छूट देता है। अगर 4 बार मुफ्त लेनदेन की सुविधा देता है तो इस लिमिट को पार करते ही जो चार्ज लगता है उसमें 3 फीसदी अतिरिक्त देना होगा। एटीएम से ट्रांजेक्शन भी महंगा हुआ है।

आम तौर पर बैंक 4 से 5 बार मुफ्त निकासी की छूट देते हैं। इस सीमा को पार करने पर बैंक अलग-अलग दर से शुल्क वसूलते हैं। इस पर सर्विस टैक्स (सेवा शुल्क) भी लिया जाता है, जो तीन प्रतिशत अतिरिक्त 18 फीसदी की दर से लिया जाएगा।

मिनिमम बैलेंस न रखने पर 3 फीसदी अतिरिक्त शुल्क : बैंक खातों में मिनिमम बैलेंस का ध्यान रखना होगा। यह अधिकांश बैंकों में 5000 रुपए है। मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर 18 फीसदी के हिसाब से शुल्क लगेगा।

अकाउंट बंद करने पर भी अधिक चार्ज: बैंक अकाउंट बंद करवाने के लिए भी शुल्क देना पड़ता है। सामान्य तौर पर बैंक इसके लिए 500 रुपए तक वसूलते हैं। ऊपर से इस पर सर्विस टैक्स देना होता है। अब 15 फीसदी के बजाय 18 फीसदी सर्विस टैक्स देना होगा।

 

सीनियर कर्मचारियों पर पर्क्स और गिफ्ट पर जीएसटी संभव 

0

नई दिल्ली । इंडिया इंक को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के नए अवतार का सामना करना पड़ सकता है। जानकारी के मुताबिक सीनियर कर्मचारियों के उनके कांट्रैक्ट में दर्ज सीमा से अधिक के पर्क्स और 50,000 से ज्यादा कीमत वाले गिफ्ट्स पर जीएसटी लगाया जा सकता है। हालांकि राहत की बात यह है कि कंपनियां इन इंट्रा-कंपनी ट्रांजैक्शंस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकेंगी।

सीनियर कर्मचारियों को देना पड़ सकता है कितना टैक्स?

सीनियर कर्मचारियों को पर्क/गिफ्ट के प्रकार के आधार पर 18 फीसद और 43 फीसद बैंड के हिसाब से टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है। नाम न उजागर करने की शर्त पर वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि नियोक्ता की ओर से कर्मचारियों को दिए जाने वाले गुड्स को सप्लाई के तौर पर देखा जाएगा, इसीलिए इस पर जीएसटी लगाया जाएगा।

हालांकि, कंपनियां इस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने में सक्षम होंगी।कंपनी की ओर से दिए जाने वाले पर्क्स और गिफ्ट्स पर नजर रखना सरकार के लिए मुश्किल नहीं होगा। कंपनियों की ओर से की जाने वाली सभी खरीदारी जीएसटीएन पर उपलब्ध होगी और ऑडिट के दौरान इसकी जानकारी मिल जाएगी।

आपको बता दें कि जीएसटी नियमों में कहा गया है कि एक कर्मचारी की नियोक्ता के लिए सर्विसेज पर एंप्लॉयमेंट से जुड़े होने की स्थिति में टैक्स नहीं लगेगा। हालांकि, अन्य प्रकार की सर्विसेज पर जीएसटी लग सकता है।

जीएसटी से बच गए तो भी लगेंगे दस तरह के टैक्स

0

नई दिल्ली। एक देश एक कर की अवधारणा को लेकर अगर आप कोई खुशफहमी पाले बैठे हैं तो भूल जाओ । एक जुलाई से लागू हुए वस्तु एवं सेवा कर कानून (जीएसटी) ने भले ही 17 तरीके के टैक्स (केंद्र और राज्य स्तर के) और 23 तरह के सेस (उपकर) को खत्म कर दिया हो, लेकिन अभी भी 10 तरीके के ऐसे टैक्स  हैं जो आगे भी जारी रहेंगे। इन्ही 10 टैक्स के बारे में बताने जा रहे हैं।

स्टांप ड्यूटी: प्रॉपर्टी खरीदने के दौरान रजिस्ट्रेशन के वक्त आपको स्टांप ड्यूटी अदा करनी होती है। आपको बता दें कि जीएसटी के अंतर्गत स्टांप ड्यूटी को शामिल नहीं किया गया है। यानी जीएसटी के बाद भी आपको इसे अदा करना होगा।

कस्टम ड्यूटी: कस्टम ड्यूटी को लेकर अभी भी काफी सारे लोगों में कन्फ्यूजन है। जानकारी के लिए बता दें कि कस्टम ड्यूटी विदेश से आयात होने वाले सामान पर लगाई जाती है। सरकार ने बेसिक कस्टम ड्यूटी (बीसीडी) को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है। यानी आपको आगे भी सरकार की ओर से तय दर से कस्टम ड्यूटी का भुगतान करना होगा।

व्हीकल रजिस्ट्रेशन फीस: कोई नया वाहन खरीदने पर आपको आरटीओ में व्हीकल रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान करना होता है। इसे भी जीएसटी के अंतर्गत नहीं लाया गया है। ऐसे में नई कार की खरीद पर भले ही निर्माता की ओर से आपको जीएसटी का फायदा मिल जाए, लेकिन रजिस्ट्रेशन फीसद में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

शराब पर एक्साइज ड्यूटी: शराब (लिकर) को भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। शराब पर एक्साइज ड्यूटी को इससे बाहर रखा गया है। इसे संविधान संशोधन विधेयक के माध्यम से जीएसटी में शामिल किया जाएगा। ऐसे में दो राज्यों के बीच शराब की कीमतों में अभी भी वही अंतर देखने को मिलेगा जैसा कि अभी है।  लिकर पर वैट भी बरकरार रहेगा।

बिजली की बिक्री और इसके उपभोग पर टैक्स: जीएसटी के कार्यकाल में आपके बिजली बिल पर भी कोई खास असर नहीं दिखेगा। यानी बिजली बिल पर अभी लगने वाला वैट और केंद्रीय उत्पायद शुल्क जारी रखेगा। जानकारी के लिए बता दें कि अभी भी राज्योंद के पास इस पर वैट लगाने का और केंद्र के पास एक्साभइज लगाने का अधिकार है।

टोल टैक्स: भले ही देश के 22 राज्यों में चेक पोस्ट हटाए जाने का आदेश दे दिया गया हो, लेकिन राजमार्गों पर लगने वाला टोल टैक्स अभी भी जारी रहेगा। यानी टोल टैक्स का भुगतान आपको पहले की ही तरह करते रहना होगा।

रोड टैक्स: जब आप कोई नया वाहन खरीदते हैं तो आपको वन टाइम रोड टैक्स का भुगतान करना होता है। यानी पहले की ही तरह आपको जीएसटी के कार्यकाल में भी रोड टैक्स का भुगतान करते रहना होगा। इसे भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।

मंडी शुल्क: देश में एक जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद केंद्र और राज्य के कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे, लेकिन मंडी में कृषि उपज की बिक्री पर लगने वाला मंडी शुल्क बरकरार रहेगा। मंडी शुल्क की दर देश के अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न है।।

नीति आयोग के सदस्य और कृषि विशेषज्ञ डा. रमेश चंद कहते हैं कि मंडी शुल्क कोई कर नहीं है क्योंकि इससे प्राप्त होने वाली धनराशि राज्य सरकार के खजाने में नहीं जाती बल्कि इसका इस्तेमाल मंडियों के रख-रखाव, प्रबंधन और स्टॉफ के लिए किया जाता है।

पंचायत शुल्क: वहीं देशभर में मौजूद पंचायतों की ओर से लगाए जाने वाले कर भी यथावत रहेंगे। इन्हें भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है लिहाजा ये भी पहले की तरह बरकरार रहेंगे।

म्युनिसिपल टैक्स: म्युनिसिपल टैक्स भी इन्हीं की तरह एक प्रकार का कर है जो पहले की ही तरह बना रहेगा। जानकारी के मुताबिक म्युनिसिपल टैक्स का जीएसटी से कोई लेना देना नहीं है लिहाजा यह टैक्स भी बना रहेगा।

ऑनलाइन रेल टिकट बुकिंग पर सितंबर तक सर्विस चार्ज नहीं

0

नई दिल्ली। रेल यात्रियों को टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग पर सितंबर तक सर्विस चार्ज में रियायत मिलती रहेगी। सरकार ने पिछले साल 8 नवंबर को हुई नोटबंदी के बाद डिजिटल ट्रांजैक्शंस को बढ़ावा देने के लिए इस छूट का ऐलान किया था। ट्रेन टिकटों की बुकिंग पर सर्विस चार्जेज 20 रुपये से लेकर 40 रुपये तक होते हैं।

सरकार ने इस छूट का ऐलान करते हुए 23 नवंबर, 2016 से 31 मार्च, 2017 तक टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग पर सर्विस चार्ज में पूरी तरह छूट का ऐलान किया था। इसके बाद सरकार ने इस छूट की सीमा को 30 जून तक के लिए बढ़ा दिया था। अब एक बार फिर से रेलवे ने सितंबर के आखिर तक इस छूट को जारी रखने का ऐलान किया है।

रेलवे के एक सीनियर अफसर ने कहा कि सरकार ने यात्रियों की सुविधा और डिजिटल ट्रांजैक्शंस को बढ़ावा देने के मकसद से इस छूट का ऐलान किया है। एक अनुमान के मुताबिक इस छूट से रेलवे की टिकटिंग एजेंसी आईआरसीटीसी को सालाना 500 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। रेल मंत्रालय ने इस नुकसान की भरपाई के लिए वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर मदद मांगी है। 

ट्रेड मार्क वाले ब्रांडेड अनाज पर ही लगेगा 5 % जीएसटी, वित्त मंत्रालय ने कहा

0

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को स्पष्ट किया है केवल उन ब्रैंडेड अनाज पर ही 5 फीसद की दर से (वस्तु एवं सेवा कर) जीएसटी लगेगा जो ट्रेड मार्क के साथ रजिस्टर्ड हैं। बाकी के अन्य अनाज छूट के दायरे में बरकरार रहेंगे।

 सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण उस समय आया है जब रजिस्टर्ड बैंड नेम को लेकर असमंजस की स्थिति चल रही थी। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि जीएसटी की पांच फीसद दर तब तक वस्तुओं की आपूर्ति पर नहीं लगेगी जब तक कि उसका ब्रैंड नेम या ट्रेड नेम रजिस्टर ऑफ ट्रेड मार्क्स में न हो और इसे ट्रेड मार्क्स एक्ट, 1999 के तहत ही लागू होना चाहिए।

केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) की दर चना, पनीर, नैचुरल हनी, गेहूं और अन्य अनाज, दालें, अनाज का आटा और दालें, साथ ही उन चीजों के अलावा जो यूनिट कंटेनर में होते है और जिनका रजिस्टर्ड ब्रैंड नेम है, निल (0 फीसद) रखी गई है। साथ ही इन सब चीजों की आपूर्ति, जब यूनिट कंटेनर में डाली जाए और उसका रजिस्टर्ड ब्रैंड नेम ही हो तो इन पर 2.5 फीसद की दर से सीजीएसटी लगेगा।

खिलाड़ियों ने जीता पदक तो राजस्थान में बिना परीक्षा-इंटरव्यू मिलेगी नौकरी

0

जयपुर। ओलिंपिक, एशियाड और कॉमनवेल्थ गेम्स तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में पदक (मेडल) जीतने वाले राजस्थान के खिलाड़ियों को अब राज्य में बिना किसी परीक्षा और इंटरव्यू के नौकरी मिलेगी। इसके लिए आयु सीमा में भी छूट दी जाएगी। राजस्थान में यह व्यवस्था पहली बार की जा रही है।

सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार, ओलिंपिक, एशियाड, कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वालों को राज्य सेवा के तहत पुलिस में डीएसपी, कॉलेज में लेक्चरर, कोच आदि के पद पर नियुक्ति मिलेगी। इसी तरह रजत और कांस्य पदक जीतने वालों को सब इंस्पेक्टर, आबकारी निरीक्षक, क्लर्क आदि पदों पर नियुक्ति दी जाएगी। 

शॉप विद् संगिनी मेले का समापन, महिलाओं ने की डिजिटल भुगतान से खरीदारी

कोटा। जैन सोशियल ग्रुप (जीएसजी) संगिनी की ओर से आयोजित दो दिवसीय शॉप विद् संगिनी मेले का समापन बुधवार को हो गया। समापन मुख्य अतिथि कैलाश खेड़ा के द्वारा किया गया। इस दौरान मेले में डिजिटल भुगतान से खरीदारी की ।

प्रोजेक्ट चेयरमैन सुनीता जैन ने बताया कि मेले में खरीददारी करने वाली अधिकतर महिलाओं ने मोबाइल से डिजिटल भुगतान भी किया। मेले में हेयर स्टाइल एसेसरीज एवं मोबाइल कवर प्रतियोगिता रखी गई। सचिव निकिता जैन ने संगिनी ग्रुप की सदस्याओं को भविष्य में डिजिटल भुगतान करने की सलाह दी।

हेयर स्टाइल प्रतियोगिता में प्रथम दृष्टि शर्मा एवं द्वितीय यशी जैन रहीं। मोबाइल कवर प्रतियोगिता में प्रथम मोनिका निहलानी एवं द्वितीय प्रीती अग्रवाल रहीं। पुरस्कार वितरण नीता दीपपुरा ने किया। समापन के दौरान ग्रुप की अध्यक्ष चंदन टोंग्या ने मेले में आई सभी महिला व्यापारियों को आभार व्यक्त किया।

कपड़ा व्यापार आज से अनिश्चितकालीन बंद, वित्त मंत्री का पुतला फूंका

कोटा।जीएसटी के विरोध में कपड़ा कारोबारियों ने गुरूवार से फिर अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा की है। इससे पहले बुधवार को भी कपड़ा कारोबारियों ने व्यापार बंद रखा और प्रदर्शन करते हुए वित्तमंत्री के पुतले की शवयात्रा निकाली। उसके बाद पुतले का दहन किया।

राजस्थान कपड़ा व्यापार महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष गिर्राज न्याती ने बताया कि  सूरत में कपड़ा व्यापारियों पर लाठीचार्ज के विरोध में गुरुवार से कपड़ा कारोबार अनिश्चितकालीन बंद किया जा रहा है। कपड़े पर 5 फीसदी जीएसटी लगा दिया है, जबकि 70 साल से कभी किसी भी कपड़े पर टैक्स नहीं लगा। कपड़े को टैक्स मुक्त करने के लिए यह आंदोलन किया जा रहा है। 

कपड़े पर जीएसटी लागू करने के विरोध में स्थानीय कपड़ा व्यापारियों ने बुधवार को कारोबार बंद रखा। दोपहर दो बजे न्यू क्लॉथ मार्केट में सभी कपड़ा व्यापारी एकत्र हुए। यहां से केंद्र सरकार के खिलाफ जीएसटी के विरोध में रैली निकाली। जो सब्जीमंडी क्षेत्र होते हुए पुन: न्यू क्लॉथ मार्केट परिसर पहुंची। यहां पर कपड़ा व्यापारियों ने सरकार के प्रदर्शन किया।

वित्त मंत्री का पुतला जलाया
कपड़ा व्यापारियों ने वित्तमंत्री के पुतले की शवयात्रा निकाली , जो जीएमए प्लाजा होती हुई जवाहर मार्केट सब्जीमंडी पहुंची। वहां पुतले का अंतिम संस्कार किया गया। व्यापारी अब इसके विरोध में गुरुवार को अर्द्धनग्न प्रदर्शन करेंगे। गौरतलब है कि जीएसटी का विरोध सबसे पहले कपड़ा व्यापारियों ने ही किया था। वह पहले भी कई बार कारोबार बंद कर चुके हैं।

आजादी के बाद पहली बार खादी पर टैक्स
खादी पर जीएसटी लागू करने के विरोध में पांच दिन से ब्रिक्री और प्रोडक्शन बंद है। सरकार ने आश्वासन दिया था कि टैक्स नहीं लगेगा। गांधी टोपी, राष्ट्रीय ध्वज और धागे को टैक्स फ्री किया है। इसके प्रभाव से खादी संस्थाएं खत्म जाएंगी।
-कमलकिशोर शर्मा, सचिव, हाड़ौती खादी ग्रामोद्योग समिति कोटा

इधर टैक्स तो उधर छूट रहेगी जारी : खादी पर सालभर केंद्र सरकार की ओर से उपभोक्ताओं को 15 प्रतिशत छूट दी जाती है। इसके अलावा गांधी जयंती से 31 जनवरी तक राज्य सरकार की ओर से 10 प्रतिशत अलग से छूट रहती है। कुल 25 प्रतिशत छूट मिलती है। जीएसटी लागू होने के बाद भी यह छूट उपभोक्ताओं को मिलती रहेगी।