Monday, July 1, 2024
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ऋण लेने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाएं बैंक- वसुंधरा राजे

राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की बैठक

कोटा । मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने बैंकिंग कम्पनियों से कहा है कि कृषि ऋण जारी करने की प्रक्रिया को सरल एवं पारदर्शी बनाया जाए ताकि किसानों को समय पर ऋण उपलब्ध हो सके और उन्हें इस प्रक्रिया में देरी के कारण खुले बाजर से अधिक ब्याज दर पर कर्ज लेने को मजबूर न होना पडे़। उन्होंने कहा कि बैंक इसकी पूरी व्यवस्था करें कि किसानों को ऋण आवेदन करने के बाद इस प्रक्रिया की पूरी जानकारी एसएमएस पर मिलती रहे। 

राजे गुरुवार को कोटा स्थित आरएएसी ग्राउण्ड में ग्राम-2017 के आयोजन स्थल पर राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की बैठक को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश के विकास को ध्यान में रखते हुए भामाशाह योजना के प्रभावी क्रियान्वयन सहित बैंकिंग तंत्र से जुड़ी कई ठोस पहल की हैं।

उद्योगों के विकास एवं मकानों के निर्माण के लिए स्टांप ड्यूटी की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए से घटाकर 5 लाख की गई है। भामाशाह रोजगार सृजन योजना के अंतर्गत शिक्षित बेरोजगारों, महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं दिव्यांगजन को 5 लाख से 10 लाख रुपए तक के ऋण पर 4 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी दी जा रही है।

अच्छे लोन रिकॉर्ड वाले किसानों को ब्याज में छूट देने के लिए 370 करोड़ रुपए का प्रावधान वर्ष 2017-18 के राज्य बजट में किया गया है। सरकार ने लघु अवधि ऋणों की अधिक लागत के कारण सहकारी बैंकों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए 150 करोड़ रुपए का प्रावधान करने का भी निर्णय लिया है।

किसान किसी भी एटीएम से निकासी कर सकें, इसके लिए सहकारी बैंकों के किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को 26 लाख रूपे किसान डेबिट कार्ड जारी किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बैठक में उपस्थित बैंक प्रतिनिधियों से कहा कि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों विशेषकर कृषि क्षेत्र पर फोकस किया जाये और ऋण जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए ताकि प्रदेश में उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सके। 

राजे ने दूर-दराज के क्षेत्रों में भी बैंकिंग सेवाओं का पर्याप्त विस्तार करने के निर्देश देते हुए कहा कि सरकार ऎसे इलाकों में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 20 हजार माइक्रो एटीएम उपलब्ध करवा रही है। उन्होंने ग्राम पंचायत स्तर से नीचे ऎडिशनल बिजनेस कॉरेस्पोन्डेन्ट लगाने के काम में तेजी लाने के निर्देश दिये। 

प्रमुख शासन सचिव वित्त पी.एस. मेहरा, प्रमुख शासन सचिव एमएसएमई सुबोध अग्रवाल ने विभिन्न योजनाओं में बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी अपेक्षाओं के बारे में अवगत कराया। इस अवसर पर कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी, आरबीआई के सीजीएम पी.के. जैना, एसबीआई के सीजीएम विजय रंजन, नाबार्ड की सीजीएम सरिता अरोड़ा सहित विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकिंग संस्थानों के उच्चाधिकारी, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी उपस्थित थे। 

ग्राम कोटा-2017 : 955 करोड़ के 21 एमओयू, किसान आगे बढ़ने को तैयार 

कोटा।  मुख्यमंत्री  वसुन्धरा राजे की उपस्थिति में ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट कोटा-2017 के दूसरे दिन गुरूवार को कृषि, कृषि प्रसंस्करण, कृषि विपणन एवं पशुपालन के क्षेत्र में 955 करोड़ 37 लाख रुपये के प्रस्तावित निवेश के कुल 21 एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये। इन एमओयू से 27 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना है। 

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि आज किसान नई तकनीक से जुड़ने, नवाचारों को अपनाने और आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं और इसी का परिणाम है कि ग्राम कोटा में हर रोज करीब 15 हजार से अधिक किसान पूरे उत्साह के साथ शिरकत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एवं निवेशकों को साथ मिलकर किसानों की आशाओं एवं आकांक्षाओं को पूरा करते हुए प्रदेश को समृद्ध बनाना है।
 
 राजे ने निवेशकों को बधाई देते हुए कहा कि हमारे लिए छोटे से छोटा निवेश भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें निवेश की राशि से अधिक प्रदेश के विकास में सहभागिता की भावना झलकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद निवेशकों ने इनसे तालमेल बिठाते हुए विषमताओं को संभावनाओं में बदलने का संकल्प लिया है।

उन्होंने इस अवसर पर कृषि विभाग की प्रमुख शासन सचिव  नीलकमल दरबारी को निर्देश दिए कि जिन जिलों में निवेश के प्रस्ताव आए हैं वहां के कलक्टरों से बात कर उन्हें निवेशकों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए कहें, ताकि यह निवेश जल्द से जल्द धरातल पर उतर सके। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर निवेशकों से बातचीत कर उनके निवेश प्रस्तावों के बारे में जानकारी ली ।

रॉयल काजू इण्डस्ट्रीज के प्रतिनिधि ने बताया कि वे काजू उत्पादन क्षेत्र से सैंकड़ों किलोमीटर दूर स्थित सीकर क्षेत्र को काजू प्रोसेसिंग का हब बनाना चाहते हैं। इस पर राजे ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि आप अपने इरादों में कामयाब होंगे। कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा कि हम मुख्यमंत्री  के निर्देशानुसार कृषि क्षेत्र में उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रोसेसिंग एवं वेल्यू एडिशन के लिए काम कर रहे हैं।

 

धनिया पर अफवाहों से बचें, NCDEX की सलाह

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मुंबई। धनिया की कीमतों में पिछले डेढ़ महीने से एकतरफा गिरावट पर कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX ने बुधवार को अपनी प्रतिक्रिया दी है।एक्सचेंज लगातार कड़े निगरानी और जोखिम प्रबंधन ढांचे के साथ धनिया में स्थिति की निगरानी कर रहा है। बाजार प्रतिभागियों को सलाह दी जाती है कि वे एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर कारोबार करते समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल नेटवर्क, एसएमएस, व्हाट्सएप इत्यादि जैसे विभिन्न माध्यमों के माध्यम से फैले निराधार अफवाहों का पालन न करें।

एक्सचेंज का कहना है कि हाल के दिनों में सिर्फ वायदा बाजार ही नहीं बल्कि हाजिर मंडियों में भी धनिया की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है, 2 मई से लेकर 24 मई के दौरान एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म पर धनिया में 22 फीसदी की भारी गिरावट आई है, इस दौरान एक्सचेंज पर मॉनिटर होने वाले कोटा मंडी के धनिया के भाव में 18 फीसदी और गुजरात के गोंडल में 22 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

इस दौरान कोटा और गोंडल मंडियों के भाव के लिए अगर सरकारी संस्था एगमार्कनेट के मॉडल प्राइस को देखें तो वह भी 21 फीसदी और 20 फीसदी घटा है। ऐसे में वायदा बाजार में जैसी गिरावट है वैसी ही गिरावट हाजिर मंडियों में भी देखी जा रही है। एक्सचेंज के मुताबिक धनिया में सट्टेबाजी को कम करने के लिए उनकी तरफ से कई कदम उठाए जा चुके हैं।

बिकवाली पर स्पेशल मार्जिन लगाया गया है, कंस्ट्रेशन मार्जिन के लिए ओपन इंटरेस्टर थ्रेशहोल्ड लेवल को घटाया गया है, ईएलएम मार्जिन में बढ़ोतरी की गई है और साथ में ज्यादा स्टॉक होल्डिंग पर अतीरिक्त शुल्क भी लगाया गया है। वर्तमान में, धनिया में एनसीडीईएक्स पर कुल खुले ब्याज 59,610 मीट्रिक टन है।

साथ ही करीब महीना (जून 2017) 43,180 मीट्रिक टन खुले ब्याज एक्सचेंज में कुल स्टॉक विभिन्न केंद्रों पर अनुमोदित गोदामों – गोंडाल, कोटा, रामगंज मंडी, जयपुर और बरान 32,100 मीट्रिक टन एक्सचेंज पर मई 2017 की समाप्ति के अनुबंध के लिए 4,410 मीट्रिक टन का कुल वितरण किया गया है।
 

जीएसटी व्यवस्था में सोने पर टैक्स का बोझ कम किया जाए: डब्ल्यूजीसी

कोलकाता। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने सरकार से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में सोने और स्वर्ण उत्पाद पर कर का प्रभाव कम करने का आग्रह किया है।

डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पी आर ने आज यहां बांग्ला में  नई वृहद भारत स्वर्ण रिपोर्ट पेश किए जाने के मौके पर कहा, हम उम्मीद करते हैं कि जीएसटी व्यवस्था में  सोने पर कर का कुल बोझ मौजूदा 12 प्रतिशत से घटकर आधा रह जाएगा।

यह रिपोर्ट 15 साल बाद प्रकाशित की गई है और अंग्रेजी, हिंदी, मलयालम और तमिल में  भी उपलब्ध है। फिलहाल सोने पर कुल कराधान 12 से 13 प्रतिशत बैठता है। इसमें 10 प्रतिशत सीमा शुल्क के अलावा एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क और राज्यों  के हिसाब से एक से डेढ़ प्रतिशत वैट शामिल है।

सोमसुंदरम ने कहा, जीएसटी व्यवस्था में हम मांग करते हैं कि सोने पर कर का बोझ 6-7 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। हमें इसके लिए कुछ इंतजार करना होगा, जब इस पर जीएसटी दरों  की घोषणा होगी।

उनसे पूछा गया कि जब सोना निष्क्रिय संपत्ति है तो सरकार को इस पर कर की दरें कम क्यों  करनी चाहिए, इस पर सोमसुंदरम ने कहा कि सोने का आयात इतना बुरा नहीं है जितना लगता है।

डब्ल्यूजीसी के अधिकारी ने उम्मीद जताई कि जीएसटी से स्वर्ण उद्योग में काफी पारदर्शिता आएगी। इससे गैरकानूनी आयात पर भी अंकुश लगेगा, जो सालाना 120 टन बैठता है।

जीएसटी से बच्‍चों का स्‍कूल बैग होगा महंगा

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर स्कूल के बस्ते पर बंदूक के केस के बराबर टैक्स लगेगा। जीएसटी काउंसिल ने स्कूली बस्ते पर इस कर की उच्चतम दर 28 प्रतिशत लगाने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि जीएसटी लागू होने पर नौनिहालों के स्कूली बस्ते महंगे हो सकते हैं।

जीएसटी काउंसिल ने 18-19 मई को श्रीनगर में हुई 14वीं बैठक में वस्तुओं और सेवाओं के लिए अलग-अलग दरें तय करने का फैसला किया था। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली इस काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल हैं।काउंसिल ने स्कूली बस्ते को ट्रंक, सूटकेस, एक्जीक्यूटिव केस, कैमरा केस, गन केस, ट्रैवलर बैग, स्पोर्ट बैग और ज्वैलरी बैग जैसे उत्पादों की श्रोणी में रखते हुए इस पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया है।

खास बात यह है कि स्कूली बस्ते भले ही चमड़े, प्लास्टिक या टेक्सटाइल के बने हों, उन सभी पर जीएसटी की उच्चतम दर ही लागू होगी।बैग का कारोबार करने वाले दिल्ली के व्यवसायी और पिनाकल इंटरनेशनल के प्रमुख प्रदीप कुमार आनंद का कहना है कि फिलहाल स्कूली बैग पर पांच प्रतिशत वैट लगता था।

ऐसे में बैग को लग्जरी उत्पादों की श्रोणी में रखकर उन पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने से आम लोगों के साथ लघु और मध्यम कारोबारियों को झटका लगेगा। स्कूली बैग को जीएसटी से मुक्त रखना चाहिए।वहीं, गाजियाबाद के बैग कारोबारी केसीएस रावत कहते हैं कि इससे उन उद्यमियों को झटका लगेगा जो सरकार की मेक इंडिया पहल के तहत देश के भीतर ही बैग मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ाना चाहते हैं।

स्कूली बस्तों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाना पूरी तरह अनुचित है। फिलहाल स्कूली बैग पर 12 प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क लगता है।अगर वैट और उत्पाद शुल्क को मिला भी लिया जाए तो भी जीएसटी की प्रस्तावित दर काफी अधिक होगी। काउंसिल ने स्कूली बस्तों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रावधान किया है।

साथ ही, विद्यार्थियों की पढ़ाई के काम आने वाली अन्य चीजों पर भी 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का प्रस्ताव किया है। ऐसी चीजों में ज्यॉमेट्री बॉक्स, कलर बॉक्स, पेंसिल शार्पनर और क्रेयान्स शामिल हैं।इन सभी पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का किया गया है। सरकार ने एक जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है।

ग्राम :स्मार्ट फार्म में दिखाई किसानों ने रूचि

कोटा।  ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) कोटा के दूसरे दिन स्मार्ट फार्म किसानों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। यहां कृषि की अत्याधुनिक तकनीकें प्रदर्शित की गई । 7800 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले स्मार्ट फार्म किसानों को कृषि में नवाचारों, सिचाई की तकनीकों, प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन व ऑर्गेनिक कृषि के बारे में जानने का मंच प्रदान किया  है।

यहां लगाए गए विशाल बूथ्स पर एलईडी डिस्प्ले के जरिए सरकार की विभिन्न कृषि नीतियों एवं प्रदान किए जा रहे प्रोत्साहनों के साथ-साथ राजस्थान की उभरती हुई कृषि की शक्तियों को प्रदर्शित किया  है। इस पैवेलियन में कुछ स्टॉल बैंकों व वित्तीय संस्थानों द्वारा लगाई गई हैं, जिन पर किसानों के कृषि ऋण व फसल बीमा जैसे वित्तीय मुद्दों का समाधान किया  है। 

इनके अलावा स्मार्ट फार्म में एसआरआईः सिस्टेमिक राइस इंटेंसिफिकेशन, गार्लिक प्रोसेसिंग मशीनें, कैमल मिल्क प्रोडक्ट्स, मधुमक्खी पालन, आधुनिक मंडियां, फिश फार्मिंग, फसल बीमा, बायो गैस प्लांट, सुगंधित तेल, मसाला तेल, पर्ल कल्चर और सोयाबीन प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स जैसे क्षेत्रें को भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया  है। 

नवीनतम तकनीक और नवाचार अपनाकर किसान बढाएं अपनी आय

ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट के तहत आयोजित जाजम चौपाल में कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा

कोटा।  कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा है कि केन्द्र व राज्य सरकार की मंशा है कि खेत में बुवाई से लेकर कटाई तक किसान की फसल हर तरह से सुरक्षित रहे। इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं संचालित कर किसान की खुशहाली सुनिश्चित की है।

श्री सैनी ने यह बात कोटा के आरसीसी मैदान पर ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट के तहत कृषि की नवीनतम तकनीक की जानकारी देने के लिए आयोजित जाजम चौपाल में उपस्थित काश्तकारों से कही। उन्होंने कहा कि ग्राम में बताई जा रही कृषि की नवीनतम तकनीक और नवाचार को खेती में अपनाकर किसान अपनी आय को बढा सकते हैं। साथ ही साथी काश्तकारों को भी नवाचारों और तकनीकों की जानकारी दें, जिससे वे भी इसका लाभ उठा सकें। 

ग्लोबल एग्रीटेक मीट के आयोजन के दौरान किसानों और जनप्रतिनिधियों का मनोरंजन करती लोक कलाकार

उन्होंने कहा कि काश्तकार जैविक खेती को अपनाएं। साथ ही बदल-बदल कर फसल की बुवाई करनी चाहिए। खाद व दवाईयों का उपयोग कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार ही करें। ज्यादा मात्रा में खाद् के प्रयोग से भूमि का उपजाउ क्षमता पर विपरीत प्रभाव पडता है। 
 
उन्होंने कहा कि काश्तकार ग्राम में ज्यादा से ज्यादा संख्या में शामिल होकर यहा प्रदर्शित खेती के नवीनतम तकनीक की जानकारी लें  और इसे अपनाएं। साथ ही इसमें किसी तरह की समस्या आए तो इसके लिए स्थानीय कृषि अधिकारियों एवं विशेषज्ञों से समाधान करें।

जाजम चौपाल में खान राज्यमंत्री सुरेन्द्र पाल सिंह टी.टी. ने कहा कि खेती स्वाभिमान का कार्य है। आप अपनी जमीन और फसल के मालिक है। उन्होंने किसानों को फसल की पैदावार बढाने के कई उपाय बताये। उन्होेंने कहा कि किसान सॉयल हेल्थ कार्ड अवश्य बनायें।  सांसद ओम बिरला ने कहा कि हाडौती संभाग में लहसुन की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसके लहसुन की हाईब्रिड बीज तैयार करने पर कार्य किया जा रहा है।  जाजम चौपाल में धन्नालाल एण्ड पार्टी के कलाकारों ने राजस्थानी नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियांं दी।

 

रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा सेंसेक्स, 448 अंक उछल कर 30750 पर हुआ बंद

मुंबई। अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मिल रहे संकेतों के चलते गुरुवार के कारोबारी दिन शेयर बाजार रिकॉर्ड तेजी के साथ बंद हुए है। सेंसेक्स ने जहां 448 अंक चढ़कर 30750 का स्तर छुआ वहीं निफ्टी भी 9505 पर जाकर बंद हुआ। मजबूत वैश्विक संकेतअंतरारष्ट्रीय बाजारों से मिल रहे मजबूती के संकेतों के बीच तमाम एशियाई बाजार बढ़त के साथ कारोबार कर रहे हैं।

फेड रिजर्व के बाद तेजी के साथ बंद हुए अमेरिकी बाजार

बुधवार को फेडरल रिजर्व की मीटिंग के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। फेड रिजर्व की मीटिंग के मिनट्स के बाद एसएंडपी500 ने रिकॉर्ड हाई का स्तर छुआ। प्रमुख सूचकांक डाओ जोंस 0.36 फीसद की बढ़त के साथ 21012 के स्तर पर, एसएंडपी500 चौथाई फीसद की बढ़त के साथ 2404 के स्तर पर और नैस्डैक 0.40 फीसद की तेजी के साथ 6163 के स्तर पर कारोबार कर बंद हुआ है। इसी तेजी का असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिला।

रुपया हुआ मजबूत
गुरुवार के कारोबारी सत्र में भारतीय रुपये की शुरुआत मजबूती के साथ हुई है। एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 19 पैसा मजबूत होकर 64.54 के स्तर पर खुला है। आपको बता दें कि बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे की मजबूती के साथ 64.73 के स्तर पर बंद हुआ था।

 

गर लिख दिया उसने, तो उसे मिटाने वाला कौन…….

शायर तरुमीत सिंह बेदी से LEN-DEN NEWS की विशेष बातचीत 

“गर लिख दिया उसने, तो उसे मिटाने  वाला कौन
तारीख गवाह है इस दुनिया में आज तक सिकंदर कौन “

आइये हम आपको मिलाते हैं ऐसे ही शख्स से, जो अभी  तक शायरी पर तीन किताबें लिख चुके हैं, यह शख्स कोटा ही नहीं बल्कि देश भर में शायर के रूप में अपनी पहचान बना चुके तरुमीत सिंह बेदी हैं । हालांकि वह पहचान के मोहताज नहीं हैं, वह खुद शायरी की दुनिया के ऐसे हस्ताक्षर हैं, जिनकी शायरी सुनने वाले के दिल को छू जाती है। शायरी की  पहली किताब उन्होंने वर्ष 2011 में “यादें “लिखी, यह किताब उन्होंने अपने पिता श्री जगदीश सिंह बेदी को समर्पित की।
उनकी दूसरी किताब “तस्सवुर” वर्ष 2013 में आई। यह किताब टाइम्स प्रकाशन ने छापी थी, जो अमेजॉन, फिल्पकार्ट, बुकअड्डा एवं क्रॉस वर्ल्ड आदि पर ऑनलाइन सेल हो रही है। उनकी तीसरी किताब पगडण्डी भी बाजार में आ चुकी है। इसे भी शायरी के शौकीनों ने हाथों हाथ लिया। तो आइये सुनते हैं उन्हीं की कहानी,उन्हीं की जुबानी जो  LEN-DEN NEWS के साथ  शेयर की

बेदी जी आप बिज़नेस मेन से शायर कैसे बने
 वर्ष 2009 में जब मेरा एक्सीडेंट हुआ, वह एक्सीडेंट इतना खतरनाक था, मगर उस समय मित्रो, शुभचिंतको की दुआ से आज आप सबके बीच हूँ। वह समय मेरी लाइफ का एक टर्निंग प्वाइंट था। वहीँ से पिता को याद करते हुए यादें लिखने का ख्याल आया। किताब लिखने के बाद प्रकाशक नहीं मिले तो खुद ही अपने दम पर किताब प्रकाशित कर दी। इसके बाद आज तक मुड़कर नहीं देखा। शायरी लिखने का सिलसिला जारी है

“अपने आप को बच्चे की तरह जिन्दा रखता हूँ
बढ़ा हो गया तो जिंदादिली निकल जाएगी “
इस शेर के साथ वह कुछ पल के लिए यादों में खो जाते हैं , फिर बोलते हैं …… “तस्सवुर” लिखने से पहले मुझे अमिताभ बच्चन की फिल्म का सीन याद आया। यह फिल्म मैंने अपने पिता के साथ देखी थी, जिसमें अमिताभ एक शेर कहते हैं कि –आँखें मूंद के बैठे हो “तस्सवुर” में किसी की , ऐसे में कोई छम से आ जाये तो क्या हो।

यह मेरा बहुत ही पसंदीदा शेर है। जब मैंने यह किताब लिखी तो मौका आया,  किताब का नाम बताने का… तभी दिल से आवाज आई “तस्सवुर” रख दे। यह किताब टाइम्स ग्रुप ने प्रकाशित की, जो बाद में ऑल इण्डिया रिलीज हुई। यह किताब रॉयल्टी में चल रही है। जो शायरी में बहुत कम देखा जाता है।

लोगों के पास शायरी समझने का वक्त नहीं, फिर भी आपकी तीन किताबे बाजार में छा गई
बेदी ने शायराना अंदाज में फिर अपनी बात यूँ बयां की–“जहां जज्बे, मोहब्बत, वफ़ाएं आबाद हों , वहां गुलिस्तां अपने आप खिलते हैं।” 
इस शेर के बाद बेदी इतने भावुक हो गए और बोले वैसे तो मैं इस काबिल नहीं कि मेरी किताब लोगों के दिल की आवाज का तराना बनकर इस जहाँ में गूंजे, लोगो की मोहब्बत है जिसने  मुझे इस मुकाम तक पहुंचा दिया। 

उन्होंने बताया कि इसके बाद मेरे जीवन में एक अद्भुत घटना घटी। वर्ष 2015 में सेंट पॉल स्कूल के प्रिंसीपल फादर क्लेरेंस एंथनी जो सात साल फादर भी और आठ साल पूर्व प्रिंसीपल रहे उनसे मुलाकात हो गई। स्कूल के गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन में उन्होंने इच्छा जाहिर की कि एक किताब उनके साथ संयुक्त रूप से लिखी जाये , जिसमें पवित्र बाइबिल के सन्देश की  हिंदी में व्याख्या कर कविता में लिखने का सुझाव दिया।

यह मेरे लिए बहुत काठी रास्ता था , क्योंकि पवित्र संदेशों को शायरी में ढालना आसान काम नहीं था। हालांकि किताब लिखी गई जो “पगडंडिया”के नाम से बाजार में आई। इस किताब को लिखने के बाद मैंने खुद अपना प्रकाशन हाउस शुरू कर दिया। यह जानकर मुझे ख़ुशी है कि इसकी ४००० प्रतिया तुरंत बिक गई। पगडंडियां मेरे फादर एवं प्रिंसीपल की निशानी है।

बेदी ने अपने संदेश में कहा है कि
“किसी भी कार्य को वजह से नहीं जज्बे और वफ़ा से करें
तो मंजिल मिलनी मुश्किल नहीं। “

बेदी का परिचय

  • अध्यक्ष कोटा पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन
  • चेयरमैन ऑर्गेनाइजेशन कमेटी फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया पेट्रोलियम ट्रेडर्स
  • महासचिव उम्मीद क्लब कोटा
  • अध्यक्ष कोटा सिख प्रतिनिधि सोसायटी
  • अध्यक्ष सेंट पॉल ओल्ड बॉयज एसोसिएशन
  • सक्रिय सदस्य हार्टवाइज

कोटा विश्व का 7वां सबसे अधिक घनी आबादी वाला शहर, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने जारी की लिस्ट

*दिनेश माहेश्वरी

कोटा । कोचिंग संस्थानों को लेकर अकसर चर्चा में रहने वाला शहर कोटा एक बार फिर सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम लिस्ट में कोटा को  7वां सबसे अधिक घनी आबादी वाला शहर बताया गया है। कोटा में प्रति वर्ग किमी 12100 लोग रहते हैं। हालांकि इस मामले में कोटा से आगे भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई है।

महाराष्‍ट्र की राजधानी मुंबई को दूसरा सबसे अधिक घनी आबादी वाला शहर बताया गया है, यहां 31,700 प्रति वर्ग किमी की आबादी पाई जाती है।  पहले स्थान पर ढाका वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की लिस्ट में बांग्‍लादेश की राजधानी ढाका को पहले स्थान पर रखा गया है।

यह विश्व में सबसे अधिक घनी आबादी वाला शहर है। यहां पर प्रति वर्ग किमी 44,500 की आबादी है। फोरम ने अपने लिस्ट में कुल 10 टॉप शहरों को शामिल किया है जहां सबसे ज्यादा आबादी पाई जाती है। 

मेडेलिन तीसरे स्थान पर
कोलंबिया की राजधानी मेडेलिन को लिस्ट में तीसरा स्थान दिया गया है। यहां 19,700 प्रति वर्ग किमी की आबादी पाई जाती है। जबकि फिलीपिंस की  राजधानी मनीला 14,800 प्रति वर्ग किमी की आबादी के साथ चौथे स्थान पर है।

मोरक्‍को के कासाब्लांका (14,200 प्रति वर्ग किमी) पांचवें स्थान पर है। नाइजीरिया  के लागोस की आबादी 13,300 प्रति वर्ग किमी है और इसे लिस्ट में छठे स्थान पर रखा गया है।  

7वें स्‍थान पर भारत का शहर कोटा है,  जबकि सिंगापुर (10,200 प्रति वर्ग किमी) 8वें और इंडोनेशिया का जकार्ता (9,600 प्रति वर्ग किमी) 9वें स्थान पर है। दुनिया की सबसे घनी आबादी वाले शहरों में एशिया के छह.शहर, तीन अफ्रीका के जबकि एक साउथ अमेरिका का है।

ये है शहर में आबादी बढ़ने की वजह

वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम ने कहा कि कई कारण से बहुत से लोग शहरी इलाकों में बसने का निर्णय लेते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में सामान्य तथ्य यह है कि लोग शहर में काम करने की वजह… से रहते हैं।