नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर स्कूल के बस्ते पर बंदूक के केस के बराबर टैक्स लगेगा। जीएसटी काउंसिल ने स्कूली बस्ते पर इस कर की उच्चतम दर 28 प्रतिशत लगाने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि जीएसटी लागू होने पर नौनिहालों के स्कूली बस्ते महंगे हो सकते हैं।
जीएसटी काउंसिल ने 18-19 मई को श्रीनगर में हुई 14वीं बैठक में वस्तुओं और सेवाओं के लिए अलग-अलग दरें तय करने का फैसला किया था। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली इस काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल हैं।काउंसिल ने स्कूली बस्ते को ट्रंक, सूटकेस, एक्जीक्यूटिव केस, कैमरा केस, गन केस, ट्रैवलर बैग, स्पोर्ट बैग और ज्वैलरी बैग जैसे उत्पादों की श्रोणी में रखते हुए इस पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया है।
खास बात यह है कि स्कूली बस्ते भले ही चमड़े, प्लास्टिक या टेक्सटाइल के बने हों, उन सभी पर जीएसटी की उच्चतम दर ही लागू होगी।बैग का कारोबार करने वाले दिल्ली के व्यवसायी और पिनाकल इंटरनेशनल के प्रमुख प्रदीप कुमार आनंद का कहना है कि फिलहाल स्कूली बैग पर पांच प्रतिशत वैट लगता था।
ऐसे में बैग को लग्जरी उत्पादों की श्रोणी में रखकर उन पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने से आम लोगों के साथ लघु और मध्यम कारोबारियों को झटका लगेगा। स्कूली बैग को जीएसटी से मुक्त रखना चाहिए।वहीं, गाजियाबाद के बैग कारोबारी केसीएस रावत कहते हैं कि इससे उन उद्यमियों को झटका लगेगा जो सरकार की मेक इंडिया पहल के तहत देश के भीतर ही बैग मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ाना चाहते हैं।
स्कूली बस्तों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाना पूरी तरह अनुचित है। फिलहाल स्कूली बैग पर 12 प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क लगता है।अगर वैट और उत्पाद शुल्क को मिला भी लिया जाए तो भी जीएसटी की प्रस्तावित दर काफी अधिक होगी। काउंसिल ने स्कूली बस्तों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रावधान किया है।
साथ ही, विद्यार्थियों की पढ़ाई के काम आने वाली अन्य चीजों पर भी 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का प्रस्ताव किया है। ऐसी चीजों में ज्यॉमेट्री बॉक्स, कलर बॉक्स, पेंसिल शार्पनर और क्रेयान्स शामिल हैं।इन सभी पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का किया गया है। सरकार ने एक जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है।