Saturday, June 29, 2024
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बुलेट ट्रेन के लिए शिलान्यास सितंबर माह तक

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नई दिल्ली। भारत में बुलेट ट्रेन को वास्तविक धरातल पर जाने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार इस साल सितंबर में पहला कदम बढ़ा सकती है। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड कॉरिडोर परियोजना के मुंबई में भूमि पूजन और शिलान्यास के दौरान मोदी के साथ जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी शामिल हो सकते हैं। इस परियोजना की लागत 97,636 करोड़ रुपये आने का अनुमान है।

हिंदू परंपरा के अनुसार निर्माण कार्य शुरू करने से पहले धरती माता के सम्मान और उनके आशीर्वाद के लिए भूमि पूजन किया जाता है।
 हालांकि भारत में सभी बड़ी परियोजनाओं में ऐसी परंपरा रही है लेकिन यह पहला मौका होगा जब इस तरह के आयोजन में कोई वैश्विक नेता शिरकत करेंगे।

 भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रम सितंबर में हो सकता है। हालांकि अभी इसकी तिथि तय नहीं है। LEN-DEN NEWS ने इस परंपरा के बारे में एक पुजारी से बात की, तो उन्होंने कहा कि इमारत आदि बनाने से पहले संगठन के वरिष्ठ सदस्यों या परिवार के मुखिया द्वारा यह अनुष्ठान  किया जाता है। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार भी इसी भारतीय परंपरा का पालन कर सकती है।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 508 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को 2023-24 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। फरवरी 2016 में मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना के विकास के लिए विशेष उद्देश्य वाली कंपनी नैशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लि. का गठन किया था। जापान सरकार ने इस परियोजना की लागत का 81 फीसदी तक कर्ज 0.1 फीसदी सालाना ब्याज पर उपलब्ध कराने की सहमति जताई है।

यह कर्ज 50 वर्षों के लिए दिया जाएगा, जिसमें शुरुआती 15 साल कर्ज पुनर्भुगतान में छूट दी जाएगी। इस परियोजना में 50 फीसदी हिस्सेदारी रेल मंत्रालय और 25-25 फीसदी हिस्सेदारी महाराष्ट्र और गुजरात सरकार की होगी। यह ट्रेन जापानी शिंकेंसेन हाई स्पीड तकननीक पर आधारित होगी। शिंकेंसन जापान में तेज रफ्तार रेल लाइनों का नेटवर्क है और सुरक्षा तथा सुविधा के लिए यह दुनिया भर में जाना जाता है।

रफ्तार बढ़ाने के लिए भारतीय रेल बहुआयामी रणनीति पर काम कर रही है, जिसके तहत हाई स्पीड ट्रेन, सेमी हाई स्पीड ट्रेनों के परिचालन के साथ ही मौजूदा ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने की योजना भी शामिल है। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड कॉरिडोर के अलावा, पांच अन्य गलियारों पर भी काम होगा। इन गलियारों में ट्रेनों की रफ्तार 300 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। 

मोबाइल कंपनियों ने रोका 1000 करोड़ का निवेश

नई दिल्ली। जीएसटी रिजीम में ड्यूटी को लेकर चीजें साफ नहीं होने के कारण हैंडसेट मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट में 1,000 करोड़ से भी ज्यादा का निवेश अटका पड़ा है। दरअसल, हैंडसेट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों, कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स और कंपोनेंट मेकर्स को जीएसटी के तहत लोकल मैन्युफैक्चरर्स के लिए ड्यूटी में रियायतों को लेकर स्पष्टीकरण का इंतजार है, जिसे 1 जुलाई से लागू किया जाना है।

ओपो, विवो, माइक्रोमैक्स और लावा के अलावा फॉक्सकॉन, फ्लेक्स और आईफोन बनाने वाली इकाई विस्ट्रॉन कॉर्प जैसे इंटरनैशनल इनवेस्टर्स के लिए ड्यूटी में रियायतों का जारी रहना बेहद जरूरी है, ताकि वो मेक इन इंडिया अभियान में शिरकत कर सकें।

इस बीच, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लागू होने के मद्देनजर फॉक्सकॉन जैसी मैन्युफैक्चरर और कुछ हैंडसेट कंपनियां जून में अपने प्रॉडक्शन में 40 फीसदी तक कटौती करने की तैयारी में हैं, जबकि कुछ कंपनियों की योजना कंपोनेंट सप्लाई को रोकने की है, ताकि तैयार माल की इनवेंटरी को कम किया जा सके।

इंडियन सेल्युलर असोसिएशन के प्रेसिडेंट पंकज महेंद्रू ने LEN_DEN NEWS को बताया, ‘1,000 करोड़ से भी ज्यादा के इनवेस्टमेंट अटके पड़े हैं और इस निवेश को ड्यूटी डिफरेंशियल या जीएसटी के तहत बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाए जाने के बारे में चीजें साफ होने का इंतजार है।’ यह असोसिएशन एपल, सैमसंग और माइक्रोमैक्स समेत तमाम हैंडसेट कंपनियों की नुमाइंदगी करती है।

मोबाइल फोन पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने जाने के सरकार के कदम से लोकल स्तर पर तैयार फोन की कीमतें 4-5 फीसदी बढ़ जाएंगी और यह इंपोर्टेड फोन की कीमत के बराबर हो जाएगी। लिहाजा, डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग का फायदा खत्म हो जाएगा, जो मौजूदा ड्यूटी डिफरेंशियल स्ट्रक्चर के कारण मिलता है।

असोसिएशन ने 5,000 रुपये से कम के फोन को जीएसटी से छूट मुहैया कराने या इन पर 5 फीसदी जीएसटी मुहैया कराने के लिए फाइनेंस मिनिस्ट्री से दखल की मांग की है, ताकि ऐसे फोन की कीमत कम रखी जा सके। असोसिएशन का कहना है कि बाकी फोन के लिए 12 फीसदी जीएसटी की दर रखी जा सकती है।

असोसिएशन ने मिनिस्ट्री को मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग के लिए ‘पार्ट्स’ की भी परिभाषा तय करने को कहा है, जिन पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। इसमें यह भी कहा गया है कि सब-पार्ट्स को भी 12 फीसदी की टैक्स सीमा के दायरे में रखा जाना चाहिए। सरकार ने जहां इंडस्ट्री को अपने सहयोग का आश्वासन दिया है, वहीं इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।’

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईट मिनिस्ट्री में एडिशनल सेक्रेटरी अजय कुमार ने बताया, ‘मेक इन इंडिया बेहद अहम प्रोग्राम है और पिछले 2.5 साल में इसने जबरदस्त रफ्तार पकड़ी है। हमारी कोशिश यह सुनिश्चित करने की है कि रफ्तार सुस्त नहीं पड़े।’ जीएसटी के 1 जुलाई से लागू होने से ज्यादातर फोन की कीमतों में बढ़ोतरी होगी।

ग्राहकों से सेवा शुल्क वसूली पर आरबीआई सख्त

  • ग्राहकों को भगाने के लिए सेवा शुल्क का सहारा ले रहे हैं बैंक
  • पर्यवेक्षी समीक्षा में होगा शिकायतों पर गौर
  • बैंक खाता संख्या पोर्टेबिलिटी शुरू करने की वकालत
  • ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए धोखाधड़ी, साइबर हमलों के मामले में जल्द दिशानिर्देश

मुंबई। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मूंदड़ा ने आज कहा कि कुछ बैंक खातों में न्यूनतम औसत राशि रखने और अन्य सुविधाएं देने में शुल्क के बहाने ग्राहकों को उनकी कुछ सेवाएं लेने से रोक रहे हैं। उन्होंने साथ ही आधार और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के विभिन्न प्लेटफॉर्म के जरिये बैंक खाता संख्या पोर्टेबिलिटी शुरू करने की वकालत की।

डिप्टी गवर्नर ने एक कार्यक्रम में कहा कि बैंकों को न्यूनतम औसत शेष या प्रमुख सेवाओं के लिए शुल्क तय करने की आजादी है, लेकिन आम आदमी को बैंकिंग सुविधाओं से वंचित करने के लिए इनको बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कुछ संस्थानों में ऐसा देखने को मिला है। ज्यादातर बैंकों ने खाते में न्यूनतम तय राशि नहीं रखने पर शुल्क लेना शुरू किया है। साथ ही वे बैंकिंग संबंधित सुविधाओं के लिए शुल्क ले रहे हैं। 

मूंदड़ा ने कहा कि बैंकों द्वारा चुनिंदा सेवाओं के लिए शुल्क लेने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन नियमों को इस तरीके से डिजाइन न किया जाए कि ग्राहक सुविधाओं से वंचित हो जाएं। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की चिंता सभी लोगों को बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने तक सीमित है। केंद्रीय बैंक यह नहीं देख रहा कि ग्राहकों को ये सुविधाएं देने के लिए बैंक कितना शुल्क लगा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 2016-17 की पर्यवेक्षी समीक्षा में बैंकों द्वारा ग्राहकों से ज्यादा सेवा कर वसूलने और गलत ढंग से वित्तीय उत्पादों जैसे म्युचुअल फंड, बीमा पॉलिसी और रिटेल बॉन्ड बेचने की शिकायतों पर गौर किया जाएगा। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि पिछले दो साल में आधार नामांकन हुआ है, एनपीसीआई ने प्लेटफॉर्म बनाया है। बैंकिंग लेनदेन के लिए कई ऐप शुरू किए गए हैं।

ऐसे में खाता संख्या पोर्टेबिलिटी की भी संभावना बनती है। खाता संख्या पोर्टेबिलिटी शुरू होने के बाद कुछ नहीं बोलने वाला ग्राहक बैंक से बात किए बिना दूसरे बैंक के पास चला जाएगा। मूंदड़ा ने यह भी कहा कि बड़ी संख्या में बैंक बैंकिंग कोड्स ऐंड स्टैंडर्ड बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा डिजाइन आचार संहिता का पालन नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने साथ ही कहा कि धोखाधड़ी के जरिये होने वाले इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए जल्दी ही अंतिम दिशा निर्देश किया जाएगा। इन नियमों में अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के मामले में ग्राहकों की देनदारी को सीमित रखने का प्रावधान किया जा सकता है।

केंद्रीय बैंक ने पिछले साल अगस्त में इस बारे में नियमों के मसौदे को सार्वजनिक किया था और उस पर सुझाव एवं टिप्पणियां आमंत्रित की गई थीं। मूंदड़ा ने कहा कि हाल के वर्षों में बैंकिंग सेवाओं के मामले में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल लगातार बढ़ा है। लेकिन इसके साथ ही सुरक्षा से जुड़े जोखिम भी सामने आए हैं।

ये जोखिम कई चर्चित साइबर धोखाधड़ी हमलों, व्यक्तिगत सूचनाओं की चोरी व एटीएम धोखाधड़ी और इंटरनेट बैंकिंग घपलों के रूप में सामने आए हैं। मूंदड़ा ने कहा कि इसके अंतिम दिशानिर्देशों में धोखाधड़ी वाले लेनदेन की जानकारी देने की समयसीमा, अवैध लेनदेन के मामले में ग्राहक द्वारा वहन की जाने वाली देनदारी और इस तरह की घटनाओं में बैंकों की जवाबदेही के बारे में स्पष्ट तौर पर जिक्र होगा।

एसएमएस के माध्यम से जोड़ें आधार को पैन से

नई दिल्ली। आयकर विभाग ने करदाताओं को एसएमएस सुविधा का उपयोग कर आधार संख्या को पैन से लिंक करने के लिए कहा है। देश के प्रमुख समाचार पत्रों में दिए गए विज्ञापनों में विभाग ने एसएमएस के माध्यम से आधार और पैन को आपस में लिंक करने की जानकारी दी है।

इसके लिए किसी व्यक्ति को अपने फोन से बड़े अक्षरों में यूआईडीपीएएन के बाद खाली जगह छोड़कर अपनी आधार संख्या और फिर उसके बाद अपनी पैन संख्या को लिखकर 567678 या 56161 को एसएमएस भेजना होगा। इसके अलावा विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाकर भी इनको आपस में लिंक किया जा सकता है।

आयकर विभाग ने हाल में शुरू की थी ई-फैसेलिटी सर्विस
आयकर विभाग ने PAN के साथ आधार को लिंक करने की नई ई-फैसेलिटी हाल में शुरू की थी। इसके लिए विभाग ने ई-फाइलिंग वेबसाइट पर होम पेज पर नया लिंक https://इन्कमटैक्सइंडिएफिलिंग.गॉव.इन दिया है। लिहाजा अब किसी भी इनडिविजुअल को दोनों यूनिक आइडेंटिटीज को आपस में लिंक करना आसान हो जाएगा।

ये हैं आधार और PAN को आपस में लिंक करने का तरीका
इसके लिए सबसे पहले ई-फाइलिंग वेबसाइट के होमपेज पर दिए गए इस लिंक को क्लिक करना होगा। नया पेज खुलने के बाद इसमें अपने आधार नंबर और पैन नंबर के साथ आधार कार्ड के हिसाब से अपने नाम की डिटेल देनी होगी। इन सबके बाद यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा इस डिटेल का वेरिफिकेशन किया जाएगा। सब सही मिलता है तो आधार और पैन कार्ड का लिंक कंफर्म कर दिया जाएगा।

जीएसटी लागू होने से पहले ही हाहाकार , हर कोई चाहता है टैक्स कम देना

नई दिल्ली।जीएसटी लागू होने से पहले ही हाहाकार मचना शुरू हो गया है। हर कोई टैक्स कम देना चाहता है। यह तो विरोध करने वाले उद्योग और व्यापार जगत के लोग हैं।आम उपभोक्ता जिसकी जेब से टैक्स वसूला जायेगा, वह तो खामोश है। कभी वह यह नहीं कहता 18 की जगह 5 फीसदी ही टैक्स ले लो।

जीएसटी की दरों को लेकर सरकार को सैकड़ों ज्ञापन और अनुरोध पत्र मिल रहे हैं। इनमें बड़ी कंपनियों से लेकर दूसरे औद्योगिक संगठन शामिल हैं। अभी जीएसटी परिषद को 7 वस्तुओं की दरें तय करनी हैं। इनमें सोना, कपड़े, हस्तशिल्प उत्पाद, जूते चप्पल, बीड़ी और खेती में इस्तेमाल खाद, बीज आदि शामिल हैं। इसके लिए इसी सप्ताह बैठक होनी है। सोने पर 5 फीसदी कर लगाने का प्रस्ताव किया जा रहा है। 
 
दरों में कमी की मांग करने वालों में हिंदुस्तान यूनिलीवर भी शामिल है जो सर्फ एक्सेल, रिन, विम और व्हील जैसे घरेलू उपभोग के सामान बनाती है। कंपनी ने डिटर्जेंट पर कम दर लगाने की जोरदार पैरवी करते हुए कहा है कि इसका इस्तेमाल टॉयलेट आदि की सफाई के लिए किया जाता है।

कंपनी का तर्क है कि उसके उत्पाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा देते हैं। इसी आधार पर कंपनी ने अनुरोध किया है कि डिटर्जेंट को 28 फीसदी की ऊंची कर श्रेणी से निकाला जाए क्योंकि इतना ज्यादा कर स्वच्छ भारत की भावना के खिलाफ है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि एचयूएल चाहती है कि अगर कम दर संभव न हो तो इसे 18 फीसदी की कर श्रेणी में रखा जाए। 
 
इस बीच बिस्कुट निर्माता पारले जी ने भी बिस्कुटों पर कम दर की मांग की है और कहा है कि इन्हें कर के निचले स्तर पर रखा जाना चाहिए। कंपनी की दलील है कि बिस्कुट न केवल गरीब खाते हैं बल्कि आंगनवाडिय़ों में भी इनका वितरण होता है। केंद्र सरकार 100 रुपये प्रति किलो से अधिक महंगे बिस्कुटों पर 18 फीसदी के जीएसटी का प्रस्ताव कर रही है।

जबकि 100 रुपये किलो से कम कीमत वाले बिस्कुटों पर यह 12 फीसदी होगा। इस समय 100 रुपये किलो से कम के बिस्कुटों पर कोई उत्पाद शुल्क नहीं लगता है। अलबत्ता विभिन्न राज्य बिस्कुटों पर 4.5 से 14.5 फीसदी के बीच मूल्य वर्धित कर लगाते हैं।  केंद्र सरकार सोने पर 5 फीसदी कर का प्रस्ताव ला सकती है।

उसका मानना है कि सोना आम उपभोग की वस्तु नहीं है और इस बहुमूल्य धातु के लिए कम या विशेष दर की कोई तुक नहीं है। इस समय सोने पर 8 फीसदी का उत्पाद शुल्क लगता है। केरल को छोड़कर बाकी राज्यों में 2 फीसदी मूल्य वर्धित कर लगता है। केरल में इसकी सीमा 5 फीसदी है। केरल सोने पर 5 फीसदी जीएसटी के लिए जोर दे रहा है। 
 
जीएसटी के तहत हस्तशिल्प उत्पादों का भी कर छूट का दर्जा छिन सकता है। केंद्र इनको कर दायरे में शामिल करने का प्रयास कर रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर जैसे बड़े हस्तशिल्प उद्योग वाले राज्यों को झटका लग सकता है। जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू ने हस्तशिल्प सामान को जीएसटी से छूट दिए जाने की पैरवी की है। 
 

यूडी टैक्स : पुखराज समेत 3 बिल्डरों के चेक बाउंस

कोटा। नगर निगम में नगरीय कर (यूडी टैक्स) के लाखों के चेक हो गए बाउन्स हो गए हैं, लेकिन निगम बड़े बिल्डर्स समूह के दबाव में कार्रवाई से बच रहा है।

निगम प्रशासन ने मार्च में बकाया यूडी टैक्स वसूली करने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाकर कार्रवाई की थी। इस दौरान बड़े बिल्डरों ने निगम को यूडी टैक्स के अग्रिम तिथि के चेक सौंप दिए थे, लेकिन यह चेक अब बाउन्स हो गए हैं। राजस्व अनुभाग ने उपायुक्त व आयुक्त को इसकी सूचना दे दी है। इस बाबत राजस्व समिति के चेयरमैन महेश गौतम लल्ली ने कहा कि बकाया यूडी टैक्स के दिए गए तीन फर्मों के चेक अनादरित हुए हैं।

इनके चेक हुए बाउन्स

बघेरवाल ग्रुप
 49,59,000 रुपए का का चेक बाउंस
पुखराज ग्रुप
5,22,369 रुपए का चेक बाउंस
एलीमेट इन्फोटैक्स ग्रुप
3,52,000 रुपए का चेक बाउंस

कोटा के हॉस्टलों में लगेंगे एंटी सुसाइड पंखे, अधिक वजन होते ही नीचे जाएंगे

कोटा| शहर को सुसाइड फ्री सिटी बनाने की मुहिम में अब हॉस्टल एसोसिएशन ने अपनी योजनाओं को लागू करने का काम भी शुरू कर दिया है। इसके तहत एंटी सुसाइड फैन की पहली खेप मंगलवार को कोटा पहुंच गई है। अभी पांच सौ पंखे ही मंगवाए गए हैं।

एसोसिएशन का लक्ष्य करीब पांच हजार पंखों को हॉस्टल के रूम में लगाने का है। इस पंखे में करीब 350 रुपए की एक खास डिवाइस लगाई गई है। कंपनी के इंजीनियर्स ने हॉस्टल संचालकों को पंखे का डेमोंस्ट्रेशन देते हुए इसके मैकेनिज्म के बारे में बताया। पूर्व अध्यक्ष मनीष जैन ने बताया कि पंखे की खासियत है कि ये 18-20 किलो से अधिक वजन होते ही पंखा लटक जाएगा, लेकिन गिरेगा नहीं, इससे छात्र सुरक्षित रहेगा और उसको चोट भी नहीं लगेगी।

सेंसर पंखों की थी प्लानिंग
जैन ने बताया कि इससे पहले सेंसर लगाने की योजना थी, लेकिन इसमें कई प्रकार की तकनीकी दिक्कत रही थी। इसी कारण यह प्लान को बदला गया। राजीव गांधी नगर, जवाहर नगर, तलवंडी, इंद्राविहार सहित अन्य क्षेत्रों में स्थित हॉस्टल में यह पंखे लगाए जाएंगे। कीमत कम होने के कारण हर हॉस्टल संचालक उसको खरीद सकेगा।

राजस्थान में निजी दवाईयों की दुकानें बंद रही

जयपुर / कोटा। राजस्थान केमिस्ट एसोसिएशन द्वारा प्रस्तावित ई पोर्टल के विरोध में आज प्रदेश भर में दवाई की दुकानें बंद रहने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। राजस्थान सरकार की नि:शुल्क दवाइयों और सहकारिता विभाग की दवाई की दुकानें खुली रहीं।

राजस्थान केमिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी अजय अग्रवाल ने आज की हड़ताल को पूरी तरह से सफल होने का दावा करते हुए कहा कि प्रदेश भर में करीब तीस हजार से अधिक दवा दुकानें बंद रही। एसोसिएशन ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को ज्ञापन भी दिया है।

ज्ञापन में कहा गया है कि ई पोर्टल के आरंभ होने से दवाई की दुकानों पर कामकाज बढ़ने से भीड़ बढ़ेगी और व्यवसायियों पर अतिरिक्त आर्थिक भार भी पड़ेगा। राजस्थान केमिस्ट एसोसिएशन दवाई की दुकानों के लिए लागू किये जाने वाले ई पोर्टल का विरोध कर रहा है।

एक रुपये का नया नोट गुलाबी और हरे रंग का होगा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार एक रुपये का नया नोट जारी करने जा रही है। हालांकि पुराने नोट भी चलते रहेंगे। यह नया नोट गुलाबी और हरे रंग का होगा। करीब 2 दशक तक एक रुपये के नोट की छपाई बंद रहने के बाद 2015 में इसे दोबारा लॉन्च किया गया था।

बताया जा रहा है कि नए नोट के डिजाइन में कोई बदलाव नहीं किया गया है, सिर्फ रंग अलग होगा। नोट के पिछले हिस्से में सागर सम्राट की ही तस्वीर होगी।एक रुपये का नोट सरकार जारी करती है और इस पर वित्त मंत्रालय के सचिव का हस्ताक्षर होता है, जबकि अन्य नोट पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर होता है। 

आरबीआई की ओर से जारी प्रेस रिलीस में कहा गया है कि सरकार नए नोटों की छपाई कर चुकी है और जल्द ही इन्हें चलन में लाया जाएगा। आरबीआई के मुताबिक नोट पर ‘GOVERNMENT OF INDIA’ के ऊपर देवनागरी में ‘भारत सरकार’ लिखा होगा। इसके अलावा हिंदी और इंग्लिश में वित्त मंत्रालय के सचिव शशिकांत दास के हस्ताक्षर हिंदी और इंग्लिश में होंगे।

इस पर नए 1 रुपये के सिक्के की प्रतिलिपि और रुपये का साइन (₹) होगा। गौरतलब है कि इससे पहले सरकार ने पिछले साल 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था और 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे