नई दिल्ली। निवर्तमान आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि महंगाई और GDP ग्रोथ में बैलेंस बहाल करना आरबीआई के सामने सबसे जरूरी कार्य है। दास ने अपने फेयरवेल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) में अपार संभावनाएं हैं; यह भविष्य की मुद्रा है।
रिजर्व बैंक के 25 वें गवर्नर शक्तिकांत दास का छह वर्ष का कार्यकाल मंगलवार को समाप्त हो रहा है। सोमवार को सरकार ने संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) को नया आरबीआई गवर्नर (New RBI Governor) नियुक्त किया है। फिलहाल राजस्व सचिव का पद संभाल रहे मल्होत्रा 11 दिसंबर से पद संभालेंगे।
निवर्तमान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि नए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के पास व्यापक अनुभव है, यकीन है कि वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे। वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच पिछले छह वर्षों में समन्वय सबसे बेहतर रहा। वित्त मंत्रालय और आरबीआई का नजरिया कभी-कभी अलग-अलग हो सकता है, लेकिन मेरे कार्यकाल में हम ऐसे सभी मुद्दों को सुलझाने में सक्षम रहे हैं। आरबीआई गवर्नर व्यापक अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हैं।
गवर्नर दास ने कहा, हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है, लेकिन जैसा कि मैं देखता हूं… ग्रोथ कई कारकों से प्रभावित होती है सिर्फ रेपो दर से नहीं। हमारा प्रयास मौजूदा आर्थिक स्थितियों और परिदृश्य को देखते हुए मौद्रिक नीति को यथासंभव उपयुक्त बनाना रहा है।
6 साल का कार्यकाल रहा
- ऊर्जित पटेल के व्यक्तिगत कारणों से पद छोड़ने के बाद दास 12 दिसंबर 2018 को गवर्नर बने थे। दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वाले दास गवर्नर बनने से पहले राजस्व और आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव थे।
- कोविड के दौरान उनके नेतृत्व में रिजर्व बैंक ने नकदी और एसेट क्वालिटी की समस्याओं से निपटने के लिए पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों तरह के कदम उठाए।
- अमेरिका की ग्लोबल फाइनैंस मैगजीन ने लगातार दो साल तक वर्ष का सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय बैंकर चुना। उन्हें उन तीन शीर्ष केंद्रीय बैंक गवर्नरों में शामिल किया गया जिन्हें एप्लस श्रेणी मिली। यह श्रेणी मुद्रास्फीति नियंत्रण, आर्थिक वृद्धि के लक्ष्यों, मुद्रा स्थिरता और ब्याज दर प्रबंधन के आधार पर ए से एफ तक निर्धारित की गई थी।
- बीते छह सालों में दास ने देश की वित्तीय व्यवस्था को जिन चुनौतियों से सफलतापूर्वक बचाया उनमें IL&FS प्रकरण शामिल है। दास ने दो अन्य अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों येस बैंक और लक्ष्मी विकास बैंक को भी डूबने से बचाया। स्टेट बैंक के नेतृत्व में बैंकों के एक समूह ने येस बैंक की मदद की।
- मुद्रास्फीति के मोर्चे पर भी उनका कार्यकाल सफल रहा। दास के छह वर्ष के कार्यकाल में केवल एक बार ऐसा हुआ जब लगातार तीन तिमाहियों तक मुद्रास्फीति छह फीसदी के दायरे में नहीं रही। दास के कार्यकाल में सूचीबद्ध बैंकों का फंसा कर्ज भी सितंबर 2024 में 2.59 फीसदी रह गया जो कई वर्षों का न्यूनतम स्तर था।