बैंकिंग संशोधन विधेयक पारित, बैंक ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के प्रावधान शामिल
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 को मंगलवार को लोक सभा में मंजूरी मिल गई। इस विधेयक का उद्देश्य निवेशकों के हितों की सुरक्षा को सुदृढ़ करना, ग्राहक शिकायत और बैंकों के संचालन मानकों में सुधार लाना है।
विधेयक में बैंकों से संबंधित 19 संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। इनमें भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, बैंकिंग नियमन अधिनियम और बैंकिंग कंपनी (अधिग्रहण और अंडरटेकिंग का हस्तांतरण) कानून में संशोधन शामिल हैं।
विधेयक को पेश करते हुए सीतारमण ने कहा, ‘प्रस्तावित विधेयक में संचालन मानकों में सुधार, बैंकों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को रिपोर्टिंग में निरंतरता प्रदान करना, जमाकर्ताओं और निवेशकों के लिए बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करना, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में लेखा गुणवत्ता में सुधार करना और सहकारी बैंकों के चेयरमैन तथा और पूर्णकालिक निदेशकों को छोड़कर अन्य निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाना शामिल है।’
राज्य सभा में विधेयक के पारित होने पर यह कानून बन जाएगा। इसमें बैंकिंग नियमन अधिनियम की विभिन्न धाराओं में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है ताकि बैंक के खाताधारकों को अपने खाते में अधिकतम 4 नॉमिनी बनाने की अनुमति होगी। अभी ग्राहक केवल एक नॉमिनी बना सकते हैं। यह सुविधा मिलने से कानूनी उत्तराधिकारियों के लिए जटिलता कम होगी।
खाताधारक या लॉकर धारक के साथ ही एकमात्र नॉमिनी की भी मृत्यु होने की स्थिति में उत्तराधिकारी को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सीतारमण ने कहा, ‘जमाकर्ता बारी-बारी से या एक बार में ही चार नॉमिनी बना सकते हैं जबकि लॉकर के लिए बारी-बारी नॉमिनी बनाने का ही विकल्प उपलब्ध होगा।’
बारी-बारी से नॉमिनी बनाने पर यह सुनिश्चित होगा कि यदि पहला नॉमिनी मौजूद नहीं है तो उसके बाद वाला नॉमिनी प्रभावी हो जाएगा। इससे निरंतरता बनी रहेगी और कानूनी उत्तराधिकारियों के लिए जटिलताएं कम होंगी।
भारतीय स्टेट बैंक कानून और बैंकिंग कंपनीज (अधिग्रहण एवं अंडरटेकिंग हस्तांतरण) कानून में संशोधन से बिना दावे वाले शेयर, ब्याज और बॉन्ड की राशि को निवेशक शिक्षा एवं सुरक्षा कोष में हस्तांतरित करने की सुविधा होगी। वर्तमान में सरकारी बैंकों में केवल बिना दावे वाले लाभांश को ही इस कोष में हस्तांतरित करने का प्रावधान है।
बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन ‘महत्त्वपूर्ण हित’ को नए सिरे से परिभाषित करता है जिससे शेयरधारिता की सीमा 5 लाख रुपये से बढ़कर 2 करोड़ रुपये हो जाएगी। इसमें नियामकीय अनुपालन के लिए बैंकों को वित्तीय आंकड़ों की सूचना देने की तिथियों को बदलकर हर महीने की 15वीं और आखिरी तारीख करने की बात कही गई है।
मौजूदा समय में बैंकों को हर महीने के दूसरे और चौथे शुक्रवार को यह सूचना भेजनी होती है। विधेयक में सहकारी बैंकों के निदेशकों (चेयरमैन और पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) के कार्यकाल को मौजूदा 8 साल से बढ़ाकर 10 साल करने का भी प्रस्ताव है।