‘बीमा सखी’ योजना लॉन्च, ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं को मिलेंगे हर महीने 7000 रुपये

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नई दिल्ली। बॉलीवुड शोमैन राजकपूर की बेटी रितु नंदा भारत की पहली सफल महिला बीमा एजेंट मानी जाती है, जिन्हें खुद एलआईसी ने सम्मानित किया है। रितु नंदा के नाम एक दिन में 17 हजार बीमा कराने का ग्रीनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड है। लेकिन रितु नंदा जैसी कहानी देश की दूसरी महिला बीमा एजेंटों की नहीं है।

रितु नंदा के महिला बीमा एजेंट के रूप में सफल होने के दशकों बाद भी भारत में बीमा एजेंट व्यवसाय में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। यदि आंकड़ों की बात करें, तो बीमा एजेंट के रूप में महिलाओं की हिस्सेदारी अभी भी बहुत कम है।

बीमा नियामक IRDAI की वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि 50 लाख करोड़ रुपये के जीवन बीमा उद्योग में कुल 24.50 लाख व्यक्तिगत एजेंट हैं, जिनमें मार्च 2022 तक 7 लाख महिला एजेंट हैं।

IRDAI ने कहा, “जीवन बीमा उद्योग के कुल 24.43 लाख व्यक्तिगत एजेंटों में से 71% पुरुष और 29% महिलाएँ हैं।” LIC में कुल महिला एजेंसी कार्यबल में 3.36 लाख या 48% महिलाएँ हैं, उनके निजी समकक्षों ने जीवन बीमा उद्योग में महिलाओं की कुल संख्या में 52% का योगदान दिया।

जीवन बीमा कंपनियों में, मैक्स लाइफ में कुल एजेंसी कार्यबल में महिला एजेंटों का अनुपात सबसे अधिक 43% है, उसके बाद एजेस फेडरल लाइफ और एसयूडी लाइफ इंश्योरेंस (प्रत्येक 42%) का स्थान है। दूसरी ओर, मार्च 2022 में कुल LIC एजेंटों में से 25% महिलाएँ थीं।

क्यों जरूरी है ज्यादा महिला बीमा एजेंट्स
आंकड़ों पर नज़र डाले तो साफ होता है कि देश में बदलते परिदृश्य में ज्यादा महिला बीमा एजेंट इस व्यवसाय के लिए फायदेमंद सौदा होगा, क्योंकि आंकड़ें बता रहे हैं कि बीमा पॉलिसी लेने में महिलाएं कहीं भी पुरूषों से कम नहीं हैं। आर्थिक रूप में स्वावलंबी होती महिलाएं बीमा क्षेत्र के लिए एक बड़ा ग्राहक समूह बनाती है। शहरी भारतीय महिलाओं की वित्तीय सुरक्षा 2019 में 57% से बढ़कर 2024 में 62% हो गई है। शहरी भारत की कामकाजी महिलाएँ वित्तीय सुरक्षा में सबसे आगे हैं, पाँच वर्षों में पहली बार जीवन बीमा स्वामित्व में पुरुषों से आगे निकल गई हैं।

मैक्स लाइफ इंश्योरेंस द्वारा इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट सर्वे (India Protection Quotient survey)(IPQ 5.0) के पाँचवें संस्करण के अनुसार, लगभग 77% कामकाजी भारतीय महिलाओं के पास जीवन बीमा है, जबकि पुरुषों के पास यह संख्या 74% है। पाँच वर्षों में पहली बार जीवन बीमा स्वामित्व में कामकाजी महिलाओं का पुरुषों से आगे निकलना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो भविष्य के उज्ज्वल भविष्य को दर्शाती है। इसी प्रकार, महिला गृहणियों ने 38 का protection quotient दिखाया, जबकि Knowledge Index 38 (2019) से बढ़कर 49 (2024) हो गया।

KANTAR के साथ साझेदारी में किए गए सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि पिछले पाँच वर्षों में शहरी भारतीय महिलाओं का वित्तीय सुरक्षा स्तर 33 से बढ़कर 40 हो गया है। कोरोना महामारी के बाद, वित्तीय सुरक्षा में महिलाओं का विश्वास 57% से बढ़कर 62% हो गया है, जबकि सभी महिलाओं के लिए जीवन बीमा स्वामित्व 67% से बढ़कर 71% हो गया है।

पीएम मोदी ने लॉन्च की ‘बीमा सखी’ योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को हरियाणा के पानीपत में ‘बीमा सखी’ योजना का शुभारंभ किया। इस योजना में देश की एक लाख महिलाओं को बीमा एजेंट के रूप में तीन साल की ट्रेनिंग दी जाएगी। पहले चरण में 35 हजार महिलाओं को बीमा सखी बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी।

ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं को पहले साल हर महीने 7000 रूपये, दूसरे साल 6000 रूपये और तीसरे साल 5000 रूपये स्टाइफंड दिया जाएगा। इस योजना के पीछे मोदी सरकार की मंशा कमजोर वर्गों की महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना और देश के वित्तीय कारोबार में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने की है।