नई दिल्ली। GST Slabs: वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी की कई दरों के बजाय एक समान दर लागू करनी चाहिए। इसके साथ ही करों की दर बढ़ाने के बजाय इसका दायरा बढ़ाया जाए। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के पूर्व चेयरमैन पी.सी. झा ने कहा, इससे ज्यादा लोग टैक्स के दायरे में आएंगे और सरकारी खजाने में कर संग्रह भी ज्यादा होगा।
थिंक चेंज फोरम (टीसीएफ) की ओर से आयोजित सेमिनार में पी.सी. झा ने कहा, हमारे यहां जीएसटी में कई सारी दरें हैं। यह सही नहीं है। ऐसे में तीन दरों पर विचार करना सही होगा। कर अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि ऊंची दरें टैक्स चोरी को बढ़ावा देती हैं। भारत में अवैध व्यापार का आकार बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण ज्यादा कर है।
इससे देश की अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अर्न्स्ट एंड यंग एलएलपी के पार्टनर राजीव चुघ ने कराधान व्यवस्था में मौजूदा प्रावधानों को सरल बनाने की बात कही। टैक्स दरों में कमी से लोगों की खर्च योग्य आय बढ़ेगी। कंपनियां भी अधिक खर्च कर पाएंगी। इसे तर्कसंगत बनाया जाए, तो इससे अर्थव्यवस्था में तेजी आ सकती है।
मुकदमेबाजी को कम किया जाए
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा, टैक्स से संबंधित विभाग अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मुकदमेबाजी से मिलने वाले राजस्व पर काफी निर्भर हैं। हालांकि मुकदमेबाजी में सरकार की सफलता की दर निराशाजनक है। सरकार 50 प्रतिशत से अधिक मुकदमे सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से पहले ही हार जाती है।