मोबाइल कंपनियों ने रोका 1000 करोड़ का निवेश

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नई दिल्ली। जीएसटी रिजीम में ड्यूटी को लेकर चीजें साफ नहीं होने के कारण हैंडसेट मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट में 1,000 करोड़ से भी ज्यादा का निवेश अटका पड़ा है। दरअसल, हैंडसेट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों, कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स और कंपोनेंट मेकर्स को जीएसटी के तहत लोकल मैन्युफैक्चरर्स के लिए ड्यूटी में रियायतों को लेकर स्पष्टीकरण का इंतजार है, जिसे 1 जुलाई से लागू किया जाना है।

ओपो, विवो, माइक्रोमैक्स और लावा के अलावा फॉक्सकॉन, फ्लेक्स और आईफोन बनाने वाली इकाई विस्ट्रॉन कॉर्प जैसे इंटरनैशनल इनवेस्टर्स के लिए ड्यूटी में रियायतों का जारी रहना बेहद जरूरी है, ताकि वो मेक इन इंडिया अभियान में शिरकत कर सकें।

इस बीच, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लागू होने के मद्देनजर फॉक्सकॉन जैसी मैन्युफैक्चरर और कुछ हैंडसेट कंपनियां जून में अपने प्रॉडक्शन में 40 फीसदी तक कटौती करने की तैयारी में हैं, जबकि कुछ कंपनियों की योजना कंपोनेंट सप्लाई को रोकने की है, ताकि तैयार माल की इनवेंटरी को कम किया जा सके।

इंडियन सेल्युलर असोसिएशन के प्रेसिडेंट पंकज महेंद्रू ने LEN_DEN NEWS को बताया, ‘1,000 करोड़ से भी ज्यादा के इनवेस्टमेंट अटके पड़े हैं और इस निवेश को ड्यूटी डिफरेंशियल या जीएसटी के तहत बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाए जाने के बारे में चीजें साफ होने का इंतजार है।’ यह असोसिएशन एपल, सैमसंग और माइक्रोमैक्स समेत तमाम हैंडसेट कंपनियों की नुमाइंदगी करती है।

मोबाइल फोन पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने जाने के सरकार के कदम से लोकल स्तर पर तैयार फोन की कीमतें 4-5 फीसदी बढ़ जाएंगी और यह इंपोर्टेड फोन की कीमत के बराबर हो जाएगी। लिहाजा, डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग का फायदा खत्म हो जाएगा, जो मौजूदा ड्यूटी डिफरेंशियल स्ट्रक्चर के कारण मिलता है।

असोसिएशन ने 5,000 रुपये से कम के फोन को जीएसटी से छूट मुहैया कराने या इन पर 5 फीसदी जीएसटी मुहैया कराने के लिए फाइनेंस मिनिस्ट्री से दखल की मांग की है, ताकि ऐसे फोन की कीमत कम रखी जा सके। असोसिएशन का कहना है कि बाकी फोन के लिए 12 फीसदी जीएसटी की दर रखी जा सकती है।

असोसिएशन ने मिनिस्ट्री को मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग के लिए ‘पार्ट्स’ की भी परिभाषा तय करने को कहा है, जिन पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। इसमें यह भी कहा गया है कि सब-पार्ट्स को भी 12 फीसदी की टैक्स सीमा के दायरे में रखा जाना चाहिए। सरकार ने जहां इंडस्ट्री को अपने सहयोग का आश्वासन दिया है, वहीं इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।’

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईट मिनिस्ट्री में एडिशनल सेक्रेटरी अजय कुमार ने बताया, ‘मेक इन इंडिया बेहद अहम प्रोग्राम है और पिछले 2.5 साल में इसने जबरदस्त रफ्तार पकड़ी है। हमारी कोशिश यह सुनिश्चित करने की है कि रफ्तार सुस्त नहीं पड़े।’ जीएसटी के 1 जुलाई से लागू होने से ज्यादातर फोन की कीमतों में बढ़ोतरी होगी।