लॉकडाउन के कारण Fuel की मांग 45.8 फीसदी गिरी, 2007 के बाद सबसे कम खपत

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नई दिल्ली। कोरोनावायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों के कारण अप्रैल महीने में भारत में ईंधन की मांग पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 45.8 फीसदी कम रही है। सरकार की ओर से शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2020 में 9.93 मिलियन टन ईंधन की खपत हुई है। यह 2007 के बाद सबसे कम खपत रही है। आमतौर पर खपत को ही मांग का पैमाना माना जाता है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल महीने के पहले दो हफ्तों में सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 50 फीसदी कम ईंधन की बिक्री की। अप्रैल 2020 में पिछले साल के मुकाबले 55.6 फीसदी कम डीजल की खपत हुई और इसकी कुल खपत 3.25 मिलियन टन रही। देश में परिवहन और सिंचाई में प्रमुख रूप से डीजल का इस्तेमाल होता है। लेकिन लॉकडाउन के कारण परिवहन सेवाएं ठप पड़ी हैं।

पेट्रोल की मांग 60.6 फीसदी गिरी
पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले इस साल पेट्रोल की बिक्री में 60.6 फीसदी की गिरावट आई है। इस अवधि में कुल 0.97 मिलियन टन की बिक्री हुई। पेट्रोल के इस्तेमाल मुख्य तौर पर निजी चारपहिया और दोपहिया वाहनों में होता है। लेकिन लॉकडाउन के कारण इन वाहनों का इस्तेमाल पूरी तरह से ठप पड़ा है। आपको बता दें कि खाद्य तेलों को छोड़कर सभी प्रकार के तेल ईंधन में शामिल होते हैं।

एलपीजी की बिक्री 12.1 फीसदी बढ़ी
पेट्रोल-डीजल से इतर एलपीजी की बिक्री में अप्रैल महीने में 12.1 फीसदी का इजाफा हुआ है और इस अवधि में 2.13 मिलियन टन एलपीजी की बिक्री हुई है। वहीं नेफ्था की बिक्री 9.5 फीसदी गिरकर 0.86 मिलियन टन रही है। पिछले साल के मुकाबले अप्रैल के पहले 15 दिनों में रिटेलर्स ने 21 फीसदी अधिक एलपीजी की बिकरी की है। वहीं सड़क बनाने में इस्तेमाल होने वाले बिटुमिन की बिक्री 71 फीसदी और तेल का इस्तेमाल 40 फीसदी घटा है।

20 अप्रैल के बाद बढ़ी मांग
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले सप्ताह ही कहा था कि लॉकडाउन में औद्योगिक गतिविधियों और परिवहन को छूट मिलने से तेल की मांग में रिकवरी आई है। केंद्र सरकार ने 20 अप्रैल से कोरोनावायरस से मुक्त इलाकों में कई गतिविधियों में छूट दी थी। आपको बता दें कि 25 मार्च से चल रहा लॉकडाउन अभी 17 मई तक लागू रहेगा।