नई फसल की जोरदार आवक से दाल दलहनों के भाव में नरमी के संकेत

0
53

मुम्बई। दाल दलहनों के घरेलू बाजार में अगले वर्ष के आरंभिक कुछ महीनों के दौरान नरमी का माहौल बन सकता है क्योंकि इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता में सुधार आने के आसार हैं।

खरीफ कालीन उड़द एवं मूंग के साथ अरहर (तुवर) की नई फसल की जोरदार आवक होने की संभावना है जबकि विदेशों से उड़द एवं तुवर के साथ पीली मटर का आयात होगा।

इधर केन्द्र सरकार ने भारत ब्रांड नाम के तहत रियायती मूल्य पर मूंग दाल की बिक्री आरंभ कर दी है जबकि चना दाल की बिक्री पहले से ही हो रही है। नैफेड द्वारा अपने स्टॉक से चना की भी नीलामी बिक्री की जा रही है।

लेकिन इसमें एक समस्या आ सकती है। रबी सीजन के सबसे प्रमुख दलहन- चना का रकबा गत वर्ष से पीछे चल रहा है और इसके उत्पादन में 10-15 प्रतिशत तक की गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा है।

मालूम हो कि खरीफ कालीन दलहन फसलों के उत्पादन में पहले ही भारी कमी आने के संकेत मिल चुके हैं। मसूर के क्षेत्रफल में भी बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है।

एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एन्ड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के चैयरमैन बिमल कोठारी ने “रबी फसलों की बिजाई के परिदृश्य एवं तुवर आउटलुक 2023-24” विषय पर आयोजित एक वेबीनार में अपनी आरंभिक टिप्पणी में कहा कि बिजाई क्षेत्र घटने से इस बार चना के उत्पादन में 10-15 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।

चैयरमैन के अनुसार यद्यपि दक्षिण-पश्चिम मानसून के देरी से आने तथा अनियमित एवं अनिश्चित बारिश होने के कारण खरीफ सीजन में तुवर की बिजाई और फसल की प्रगति प्रभावित हुई मगर नवम्बर की बारिश से फसल को कुछ फायदा हुआ और इसकी उपज दर में कुछ सुधार आने की उम्मीद है।

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने प्रथम अग्रिम अनुमान में तुवर का उत्पादन 34 लाख टन होने की संभावना व्यक्त की है लेकिन फिर भी यह घरेलू मांग एवं जरूरत से 12 लाख टन कम है। विदेशों और खासकर म्यांमार तथा उत्तरी अफ्रीकी देशों से आयात के जरिए इस कमी को पूरा करने का प्रयास हो रहा है।

जलवायु परिवर्तन एवं अल नीनो जैसे मौसम चक्र के कारण दलहनों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। तुवर एवं उड़द की उपलब्धता बढ़ाने के लिए इपगा अब ब्राजील, अर्जेन्टीना एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से नजदीकी सम्पर्क स्थापित कर रहा है ताकि वहां इन दलहनों के उत्पादन की संभावना तलाशते हुए खेती को प्रोत्साहित किया जा सके।

इपगा चेयरमैन के अनुसार चना की बिजाई लगभग पूरी हो चुकी है और इसका क्षेत्रफल करीब 10 प्रतिशत पीछे रह गया है। पिछले दो वर्षों के दौरान देश में करीब 120-130 का लाख टन टन चना का उत्पादन सरकार ने आंका जबकि चालू सीजन में उत्पादन इससे 10-15 प्रतिशत कम हो सकता है। सरकार ने 31 मार्च 2024 तक पीली मटर के शुल्क आयात की अनुमति दी है जिससे चना सहित अन्य दलहनों के दाम पर आंशिक प्रभाव पड़ने की संभावना है।