Friday, October 18, 2024
Home Blog Page 4830

55 साल की उम्र में वीआरएस लेने वालों के लिए वित्तीय अनुशासन जरूरी

कोटा । 55 साल की उम्र में वीआरएस लेने वालों के लिए वित्तीय अनुशासन जरूरी है। इंस्ट्रूमेंटेंशन लिमिटेड के कर्मचारियों को बड़ी रकम वीआरएस के रूप में मिलने वाली है, जो उनके जीवन भर की संचित कमाई है। उम्र के इस पड़ाव पर यह राशि वित्तीय सूझ-बूझ के साथ निवेश करने से ही जीवन आनंद दायक हो सकता है।
ओम एनक्लेव में रविवार को आयोजित निवेशक जागरुकता कार्यक्रम में यह जानकारी निवेश सलाहकार पंकज लड्ढा ने दी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. रामपाल  थे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के पहले 1947 में आम भारतीय की औसत आयु 37 वर्ष थी। जो मेडिकल सुविधाओं के चलते अब करीब 65 वर्ष हसो गई है। साथ ही अगले 20 वर्षों में यह औसत आयु 80 वर्ष हो जाएगी। इस मौके पर निवेश सलाहकार लड्ढा ने कहा कि रिटायरमेंट फंड को इस तरह से निवेश करना चाहिए वह करीब 15 प्रतिशत का रिटर्न देने की क्षमता रखता हो। ताकि, अगले 30 वर्षों की व्यवस्था हो सके। सहवक्ता सीए अनन्त लड्ढा ने बताया कि परम्परागत निवेश जैसे एफडी में ब्याज दर घटने से रिटायरमेंट फंड को निवेश करने के अन्य विकल्पों पर अच्छे निवेश सलाहकार की सलाह जरूर लेनी चाहिए। जो महंगाई से पार पा सके और धन को बचा सके। लेकिन, किसी भी तरह के गारटेंड रिटर्न के नाम के प्रोडक्ट में भ्रमित नहीं होना चाहिए। म्युचुअल फंड में कोई भी गारंटेड रिटर्न या गारटेंड डिविडेंड के नाम के प्रोडक्ट में भ्रमित नहीं होना चाहिए। म्युचुअल फंड में कोई भी गारंटेड रिटर्न देने वाला प्रोडक्ट नहीं होता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड के एमसी माहेश्वरी, ने कहा कि निवेश सलाहकारों की यह सामाजिक जिम्मेदारी बनती है कि वे आईएल कर्मचारियों को उचित सलाह दें। इस अवसर दपर आईएल के ओमप्रकाश शर्मा, संजय शर्मा, महेश लखोटिया, एमए अंसारी समेत कई कर्मचारी मौजूद थे।
वीआरएस लेने वालों के लिए निवेश योजना
विकल्प निवेश प्रतिशत में
लार्ज केप इक्विटी                                  40 प्रतिशत
मिड व स्माल केप                                 10 प्रतिशत
ग्रोथ इक्विटी फंड                                  10 प्रतिशत
एफडी या डेंट फंड                               30 प्रतिशत
लिक्विड फंड                                         5 प्रतिशत
सोना जरूरत के अनुसार                      5 प्रतिशत
या गोल्ड ब्रांड

महंगा हुआ सब्सिडी वाला एलपीजी सिलेंडर, अब देने होंगे 5.57 रुपए ज्यादा

0

नई दिल्ली। सब्सिडी वाले रसोई गैस (एलपीजी) की कीमत में 5.57 रुपए प्रति सिलेंडर का इजाफा किया गया है, जबकि एविएशन फ्यूल के दाम में 5 फीसद की कमी की गई है। यह बीते दो महीने के बढ़त के ट्रेंड से ठीक उलट की स्थिति है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय रुझानों के अनुरूप गैर-सब्सिडी वाले रसोई गैस (एलपीजी) की दर में 14.50 रुपए प्रति सिलेंडर के हिसाब से कटौती की गई है।जेट फ्यूल या एटीएफ की कीमत में 2,811.38 रुपए प्रति किलोलीटर की दर से कटौती की गई है जो कि करीब 5.1 फीसद बैठती है। इस कटौती के साथ ही जेट फ्यूल की कीमत 51,428 रुपए प्रति किलोलीटर हो गई है। ऑयल कंपनियों ने बताया कि नई दरें 1 अप्रैल से ही लागू हो गई हैं।
जेट फ्यूल की कीमतों में की गई यह कटौती उस सीमांत वृद्धि के संदर्भ में है जिसमें 1 मार्च को 214 रुपए प्रति किलो लीटर और 1 फरवरी को 3 फीसद का इजाफा देखने को मिला था।इसी के साथ ही बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर, जिनकी खरीद उन लोगों की ओर से की जाती है जिन्होंने या तो सब्सिडी छोड़ रखी है या फिर जिन्होंने 14.2 किलो वाले सालाना 12 सिलेंडर का कोटा पूरा कर लिया है और जिसे बाजार से कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाता है, उसकी कीमत भी 737.50 रुपए (14.2 किलो) से घटाकर 723 रुपए कर दी गई थी।

हर 3 से 4 साल में बदल सकते हैं नोट के सुरक्षा मानक, सरकार बना रही योजना

नई दिल्ली। सरकार उच्च मूल्य वर्ग के 500 और 2000 रुपए के बैंक नोटों के सुरक्षा फीचर में वैश्विक मानकों के साथ हर 3-4 साल में बदलाव करने की सोच रही है ताकि जाली नोटों की समस्या से निजात मिल सके। सरकार ने यह फैसला नोटबंदी के बाद पिछले चार महीने में भारी मात्रा में जाली मुद्रा पकड़े जाने के मद्देनजर किया है।गुरुवार को राजधानी में एक उच्चस्तरीय बैठक में चर्चा हुई। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि के अलावा वित्त और गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि ज्यादातर विकसित देश अपने मुद्रा नोटों में सुरक्षा फीचर हर 3-4 साल में बदल देते हैं। भारत के लिए इस नीति का पालन करना अनिवार्य है। भारतीय नोटों के डिजाइन में बदलाव लंबे समय से लंबित है।वर्ष 2000 में 1000 रुपए का नोट चलन में आया था और तब से लेकर नोटबंदी तक उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया। वहीं 1987 में 500 रुपए के नोट चलन में आया था और इसमें एक दशक पहले ही बदलाव किया गया था। अधिकारियों के अनुसार, नए मुद्रा नोटों में भी अतिरिक्त सुरक्षा फीचर नहीं हैं। हाल ही में पकड़े गए जाली नोटों में पाया गया है कि 17 सुरक्षा फीचर में से कम से कम 11 की नकल की गई है।

NEET 2017: सीबीएसई ने जारी किया नया पोर्टल, ऐसे करें आवेदन

शुक्रवार को जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने 25 वर्ष से ज्यादा उम्र के अभ्यर्थियों को भी ‘NEET’ परीक्षा में बैठने के लिए योग्य कर दिया वहीं सीबीएसई ने अब NEET 2017 परीक्षा के लिए एक नया पोर्टल लॉन्च कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद NEET परीक्षा में आवेदन करने की तारीख भी 5 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है। सभी इच्छुक अभ्यर्थी जो पहले के नियम की वजह से आवेदन नहीं दे सके थे, वो अब अपना आवेदन अंतिम तारीख तक पूरा कर सकते हैं।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट बेंच एक पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एक छात्र ने परीक्षा में हिस्सा लेने के लिए जारी किए गए ऐज क्राइटेरिया पर सवाल उठाया था।
इससे पहले सीबीएसई के एक नोटीफिकेशन में ये बताया गया था कि NEET-2017 परीक्षा में 25 वर्ष तक के उम्मीदवार ही बैठ सकते हैं। साथ ही छात्रों को अधिकतम तीन बार परीक्षा में बैठने की अनुमति होगी।
आपको बता दें कि ‘NEET’ देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए लिया जाने वाला एग्जाम है जिसमें हिस्सा लेकर छात्र देशभर के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन ले सकेंगे।
ऐसे करें आवेदन: 
-इच्छुक उम्मीदवार संबंधित वेबसाइट पर लॉग इन करें
-वेबसाइट पर 25 वर्ष से अधिक उम्र के आवेदक यहाँ पर क्लिक करें
-मांगी जा रही जरूरी जानकारी भरें

आईटीआर फॉर्म के लिए ई-फाइलिंग शुरू

नई दिल्ली। आयकर विभाग ने निर्धारण वर्ष 2017-18 के लिए कुछ आयकर रिटर्न फॉर्म (ITR) की ई-फाइलिंग सुविधा की शनिवार से शुरुआत कर दी। आयकर विभाग के अनुसार दो आईटीआर फार्म आईटीआर-1 (सहज) और आईटीआर-4 (सुगम) अब उसके ई-पोर्टल incometaxindiaefiling. gov.in पर उपलब्ध होंगे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बाकी पांच आईटीआर फार्म भी जल्द ही उसके ई-पोर्टल पर फाइलिंग के लिये उपलब्ध होंगे। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने निर्धारण वर्ष 2017-18 में आयकर रिटर्न भरने के लिये सभी सातआईटीआर फार्म कल जारी कर दिये।
इनमें एक पन्ने का सरल आयकर रिटर्न फार्म ‘आईटीआर-1’ भी शामिल है। यह फॉर्म वेतनभोगी तबके के लिये और ऐसे लोगों के लिये है जिनकी 50 लाख रुपये तक की आय है और एक मकान तथा ब्याज से आय होती है। वित्त वर्ष 2016-17 की आय के लिये इस वर्ष 31 जुलाई तक रिटर्न भरनी होगी।

BOX OFFICE:  ‘नाम शबाना’ ने पहले दिए कमाए 4.75 करोड़

मुम्बई। बॉलिवुड ऐक्ट्रेस तापसी पन्नू स्टारर फिल्म ‘नाम शबाना’ ने बॉक्स ऑफिस पर औसत शुरुआत की है। boxofficeindia.com की खबर के मुताबिक, इस फिल्म ओपनिंग डे पर लगभग 4.75 करोड़ रुपये की कमाई की है।
‘नाम शबाना’ के प्रड्यूसर के मुताबिक, इस फिल्म ने पहले दिन 5.12 करोड़ रुपये की कमाई की है। अक्षय कुमार के होम प्रॉडक्शन में बनी यह फिल्म 2015 में आई फिल्म ‘बेबी’ का स्पिन ऑफ है। स्पिन ऑफ का मतलब यह है कि ‘बेबी’ के ही छूट गए कई पहलुओं को समेटकर नई फिल्म बना दी गई है।
‘पिंक’ फिल्म की अभिनेत्री तापसी पन्नू ‘नाम शबाना’ में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। इस फिल्म में वह एक अंडर कवर एजेंट की भूमिका में नजर आ रही हैं। अक्षय और तापसी के अलावा फिल्म में मनोज वाजपेयी और दक्षिण भारतीय अभिनेता पृथ्वीराज भी महत्वपूर्ण किरदारों में हैं।

‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ ने अभी तक कमाए 115 करोड़

मुम्बई। कोटा , झाँसी , जयपुर, मुम्बई और सिंगापुर में फिल्माई फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ की कमाई का चौथा हफ्ता शुरू हो चुका है। अब देखना यह है कि फिल्म अभी भी करोड़ों में कमा पाती है या नहीं।अभी तक इसकी कुल कमाई 112.13 करोड़ रुपए हो चुकी है। गुरूवार को भी इसने एक करोड़ रुपए कमाए थे। अब अगर यह लाखों में भी कमाए तो कुल कमाई 115 करोड़ रुपए के पार हो जाएगी।यह सबकुछ इस वीकेंड पर निर्भर करेगा। पूरे हफ्ते इस फिल्म ने ‘फिल्लौरी’ के मुकाबले आधी कमाई की है, जो बड़ी बात है। बता दें कि इस फिल्म ने 100 करोड़ रुपए की कमाई को 14 दिन में हासिल किया था। यह साल की चौथी फिल्म है जिसने 100 करोड़ रुपए से ज्यादा धंधा भारत में किया है। इससे पहले ‘रईस’, ‘काबिल’ और ‘जाॅली एलएलबी 2’ इस क्लब में एंट्री ले चुकी हैं।चार हफ्ते इसे रिलीज हुए हो गए हैं। वरुण धवन और आलिया भट्ट की इस फिल्म को माउथ पब्लिसिटी का खासा फायदा मिला। जानना मजेदार है कि आलिया भट्ट की किसी भी फिल्म ने इतनी कमाई नहीं की है। करण जौहर के प्रोडक्शन को ‘एे दिल है मुश्किल’ के बाद मिली यह दूसरी बड़ी सफलता ह

हाड़ौती में इस बार 1.72 लाख मीट्रिक टन धनिया उत्पादन का अनुमान

0

कोटा। हाड़ौती के चारों जिलों में मिलाकर इस बार धनिया 1 लाख 54 हजार 510 हैक्टेयर में धनिया की पैदावार हुई है। इस क्षेत्रफल में करीब 1.72 लाख मीट्रिक टन धनिया पैदा होने का अनुमान है। जो पिछले वर्ष के मुकाबले में इस बार 43 हजार मीट्रिक टन कम है।  हाड़ौती की मंडियों में नए धनिए की आवक शुरू हो चुकी है। रोजाना औसतन 40 से 50 हजार बोरी धनिया की आवक हो रही है। इस बार धनिया की फसल पिछले सालों के मुकाबले अच्छी है।
उद्यान विभाग का कहना है कि हाल ही में हुई बारिश एवं ओलावृष्टि का धनिया की फसल पर कोई असर नहीं पड़ा है। धनिया का रकबा इस बार जरूर कम रहा है। पिछले वर्ष 2015-16 में धनिया का रकबा चारों जिलों में मिलाकर 1 लाख 93 हजार 759 हैक्टेयर था। जबकि इस बार मात्र 1 लाख 54 हजार 510 हैक्टेयर है। जो पिछले साल से 39 हजार 259 हैक्टेयर कम है। हाड़ौती में सबसे ज्यादा धनिया इस बार झालावाड़ जिले में 83 हजार 750 हैक्टेयर में बोया है। परन्तु फिर भी पिछले वर्ष 14 हजार 606 हैक्टेयर रकबा कम हुआ है। पांच जिलों की तुलना करें तो सबसे कम रकबा हाड़ौती में सिर्फ कोटा का है, जहां 34600 हैक्टेयर में धनिया की बुवाई हुई है।  इसकी वजह किसानों का रुझान धनिया के प्रति कम होना है। इस फसल से ध्यान हटाकर किसानों ने लहुसन की बुआई अधिक की है। लहसुन इस बार 1 लाख 38 हजार 268 हैक्टेयर में बोया गया है। जो पिछले वर्ष के मुकाबले में दुगने से भी अधिक है। पिछले वर्ष लहसुन सिर्फ 65 हजार 311 हैक्टेयर में ही बोया गया था।
पिछले पांच साल में कौन से जिले में धनिया का कितना रकबा
वर्ष     कोटा        बारा      बूंदी   झालावाड़        संभाग
12-13 36704   45890     1244      72186         156024
13-14 48524   52713      843       76130          178210
14-15 67954  64815     3404    106697         242870
15-16 54830  35000   5600     98356          193759
16-17 34600  30750   5410      83750          154510
-प्रति हैक्टयर उत्पादन का अनुमान लाख हैक्टेयर
वर्ष             12-13   13-14   14-15     15-16     16-17
क्षेत्रफल 156000   178000  243000  194000  154000
उत्पादन 229000  114000  199000  215000  172000
उत्पादकता 147000 63000 82000    111000 112000

-दामों में 25 प्रतिशत की गिरावट

मंडियों में धनिया की आवक बढ़ने के साथ ही भाव भी गिरने लगे हैं। जो धनिया अप्रैल 2016 में 7100 रुपए क्विंटल था। फरवरी 2017 में 19 रुपए क्विंटल घटकर 5200 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया।

ऑफलाइन बंद, अब रीको में ऑनलाइन  करना होगा आवेदन

कोटा  । रीको कार्यालय पूरी तरह अब ऑनलाइन  हो चुका है। नई इंडस्ट्री के लिए भूखंड के आवेदन से लेकर, फाइनेंस, एनओसी, और नाम टांसफर जैसे सभी काम अब ऑनलाइन  ही स्वीकार किए जाएंगे। इस विभाग के ऑनलाइन होने से अब उद्यमियों को बार-बार रीको के अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
रीको के अधिकारियों का कहना था कि 1 फरवरी से पहले तक सब काम मेनुअल यानी आफलाइन था। अब सब काम ऑनलाइन  कर दिया गया है। यहां तक कि पुरानी फाइलें भी ऑनलाइन करने का काम किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में आलमारियों में रखी फाइलें भी जल्दी ही कंप्यूटर पर नजर आएंगी। अभी तक उद्यमियों को अपनी फाइलें आगे बढ़ाने के लिए बार-बार अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ते थे। कंप्यूटराइजेशन होने के बाद उद्यमी अपने कार्यालय पर घर पर बैठकर भी अपनी एप्लीकेशन दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन भेज सकेगा।
उद्यमी अपना रिकॉर्ड ऑनलाइन देख सकेंगे
उद्यमी अपना रिकॉर्ड ऑनलाइन देख सकेंगे। सारा काम पेपरलैस होने से सिस्टम में पूरी पारदर्शिता रहेगी। उद्यमी के आवेदन के बाद फाइल की ऑनलाइनही प्रोसेसिंग होगी। इंडस्ट्री के लिए चाहे बिजली का कनेक्शन लेना हो या पानी का। भूखंड भर भवन निर्माण की परमीशन लेनी हो या भूखंड ट्रांसफर की, उद्यमी अपने कार्यालय से आॅनलाइन कर सकेगा। फाइल का ऑनलाइनप्रोसेसिंग होने के बाद स्टेटस का भी पता लगाया जा सकेगा, कि फाइल किस स्टेज पर है।
-आवेदन के साथ ऑनलाइन  ही डॉक्यूमेंट भेजने होंगे
अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह का आवेदन है, उसका फोरमेंट विभागीय वेबसाइट पर रहेगा। साथ ही उसमें डॉक्यूमेंट अपलोड करने की भी व्यवस्था की गई है।
-शुल्क भी ऑनलाइन ही जमा होगा
-रीको कई तरह के चार्ज जैसे सर्विस चार्ज, आवेदन शुल्क चार्ज, भूखंड ट्रांसफर चार्ज, भवन निर्माण स्वीकृति चार्ज आदि वसूल करती है। यह शुल्क  भी ऑनलाइन  ही जमा कराने होंगे।
एसएसओ पर रजिस्ट्रेशन करना होगा
राजस्थान सरकार की एसएसओ यानी राजस्थान सिंगल साइन आन वेबसाइट पर पहले रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके लिए लॉग इन पासवर्ड बनाने के बाद सभी केवाईसी प्रक्रिया पूरी करनी होती है। इसके बिना सीधे रीको की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते। इसमें एक आईडेंटीटी से सभी तरह के आवेदन किए जा सकते हैं।

एक बार रद्द होने पर दोबारा कभी नहीं बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस

नई दिल्ली।    देश के किसी भी शहर में ड्राइविंग लाइसेंस रद्द होता हैं तो अब नई व्यवस्था के तहत कहीं भी ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बन पाएगा। केंद्र सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की जटिलता को समाप्त करने जा रही है। साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों को सख्त करने का निर्णय लिया है।
नेशनल पोर्टल से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू
सभी राज्यों में बनने वाले ड्राइविंग लाइसेंस को नेशनल पोर्टल से जोड़ने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। किसी भी शहर में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर लाइसेंस रद्द होता है, तो वह नेशनल पोर्टल में अपडेट हो जाएगा। दोबारा उस चालक का किसी भी शहर से लाइसेंस नहीं बन पाएगा।
आधार से भी जुड़ेगा लाइसेंस
वहीं आवेदनकर्ता को डीएल बनवाने के लिए आधार कार्ड देना होगा। इससे देशभर में फर्जी डीएल बनवाने के सिलसिले पर अंकुश लगेगा। सडक़ परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार वर्तमान में राज्यों के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) में लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनाया जाता है। आधार कार्ड को जोड़ने से व्यावसायिक वाहनों का ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में आसानी होगी। सड़क हादसों से हिट एंड रन केस करने वालों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा। फर्जी डीएल बनाने का धंधा करने वाले दलालों पर भी नकेल कसेगी। आधार कार्ड से कई दस्तावेजों की पूर्ति हो जाएगी। इससे बायोमेट्रिक टेस्ट के लिए लंबी लाइन से मुक्ति के साथ थम्ब्स इम्प्रेशन, फोटो के काम में बचत हो जाएगी।
नेशनल पोर्टल पर अपडेट होगा
तीन बार लगातार ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़ने जाने वाले चालकों का लाइसेंस पंच कर दिया जाएगा। लाइसेंस पर बने पहली बार हरा, दूसरी बार पीला और तीसरी बार लाल प्वाइंट पर ट्रैफिक पुलिस पंच करेगी तो वह नेशनल पोर्टल पर अपडेट होता चला जाएगा।