नई दिल्ली। महाराष्ट्र के नासिक से एक ट्रेन 20 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगी। खास बात होगी कि यह यात्रियों से नहीं भरी होगी, बल्कि इसमें प्याज भरा होगा। केंद्र सरकार ने दीवाली से पहले प्याज की कीमतों को कम करने के लिए पहली बार रेलवे के जरिये 1,600 टन प्याज को दिल्ली के थोक बाजारों में आपूर्ति करने का फैसला किया है। यह प्याज ट्रेन के 42 डिब्बों में लदकर दिल्ली आएगा।
प्याज के मामले में यह केंद्र सरकार का अब तक का सबसे बड़ा थोक बाजार में आपूर्ति करने का हस्तक्षेप होगा, जो पहले कभी नहीं देखा गया। प्याज की बिक्री नीलामी के जरिये 35 रुपये किलो के आधार मूल्य पर की जाएगी। इस समय दिल्ली के खुदरा बाजार में प्याज का दाम 75 रुपये किलो से ज्यादा है। इस साल किसानों से प्याज खरीदने की औसत लागत 28 रुपये रही, जबकि पिछले साल यह लगभग 17 रुपये प्रति किलोग्राम थी।
सूत्रों ने कहा कि दिल्ली और इसके आसपास के बाजारों में 2,500 से 2,600 टन प्याज की दैनिक आपूर्ति होती है। अब एक ही ट्रेन (जो 53 ट्रक प्याज के बराबर है) से एक ही दिन में आधे से अधिक मात्रा में प्याज आएगा। इस ट्रेन को ‘कांदा एक्सप्रेस’ (प्याज के लिए मराठी शब्द कांदा है) नाम दिया गया है जो सही भी लगता है। कांदा एक्सप्रेस से आने वाला प्याज खुदरा भाव को स्थिर करने में मदद करेगा।
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा, ‘यह रेल परिवहन की ऐतिहासिक पहल है।’ उन्होंने कहा कि इसी तरह की व्यवस्था का लखनऊ, वाराणसी और असम, नगालैंड और मणिपुर सहित पूर्वोत्तर राज्यों तक विस्तार किया जाएगा। नाशिक मंडी में प्याज की कीमतों में गिरावट का असर जल्द ही इसकी खुदरा कीमतों पर दिखाई देने लगेगा।
यह ट्रेन सत्तारूढ़ पार्टी के किसान समर्थक अभियान में भी पूरी तरह फिट बैठती है क्योंकि महाराष्ट्र में अगले कुछ हफ्तों में विधान सभा चुनाव होने हैं। महाराष्ट्र का नाशिक देश के सबसे बड़े प्याज व्यापार केंद्रों में से एक है।
कई टिप्पणीकारों ने प्याज किसानों की नाराजगी को 2024 के आम चुनावों में कुछ इलाकों में सत्तारूढ़ महायुति की चुनावी हार को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद सरकार ने प्याज की कीमतों को बढ़ाने के लिए इस पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों में ढील दी है।
इस बीच, खरे ने यह भी कहा कि सरकार परिवहन में प्याज के नुकसान को कम करने के लिए सील बंद कंटेनर परिवहन के लिए कॉनकॉर्ड के साथ भी बातचीत कर रही है। रेलवे से प्याज की ढुलाई का निर्णय एक लागत प्रभावी उपाय है।
नाशिक से दिल्ली तक एक रेक (56 ट्रकों के बराबर) के परिवहन पर रेल द्वारा 70.20 लाख रुपये की लागत आती है, जबकि सड़क मार्ग से 84 लाख रुपये की लागत आती है। जाहिर है प्रत्येक रेक पर 13.80 लाख रुपये की बचत होगी।
प्याज की कीमतों में खुदरा हस्तक्षेप को और मजबूत करने के लिए दीवाली से पहले मोबाइल वैन की संख्या 600 से बढ़ाकर 1,000 की जाएगी। 4.7 लाख टन बफर स्टॉक में से 91,960 टन एनसीसीएफ और एनएएफईडी को आवंटित किया गया है, जबकि 86,000 टन गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और मणिपुर सहित विभिन्न राज्यों में भेजा गया है।