Sunday, September 29, 2024
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अधिकारियों के बच्चों को नहीं मिलेगा आरक्षण, कैबिनेट की मुहर

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पहले ओबीसी के लिए आरक्षित पदों को दरकिनार कर आय मापदंडों की गलत व्याख्या और पदों की समतुल्यता के अभाव में गैर क्रीमीलेयर मान लिया जाता था

नई दिल्ली। पीएसयू, बीमा कंपनियों और सरकारी बैंकों के अधिकारियों के बच्चे अब ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं ले सकेंगे। ऐसी कंपनियों-संस्थाओं में अब नीचे के स्तर पर कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों को ही ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलेगा।

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सरकारी पदों के साथ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों, बीमा कंपनियों में पदों की समतुल्यता तथा ओबीसी के आरक्षण लाभ दिए जाने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।

इसके साथ ही केंद्रीय नौकरियों की तरह पीएसयू में भी निचली श्रेणी में कार्य कर रहे कर्मचारियों के बच्चों को क्रीमी लेयर का दायरा 6 लाख से 8 लाख बढ़ाने का लाभ मिलेगा। यह प्रस्ताव बीते 24 साल से लंबित था।

कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार सामाजिक न्याय के तहत ओबीसी के सभी तबकों को लाभ पहुंचाने के लिए कृत संकल्प है।

इस फैसले केबाद केंद्रीय सेवाओं की तरह पीएसयू सहित अन्य संस्थाओं में निम्न श्रेणियों में कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों के लिए ओबीसी आरक्षण का लाभ प्रशस्त होगा। पीएसयू और ऐसे ही संस्थानों में कार्यरत अधिकारियों के बच्चों को ओबीसी आरक्षण का लाभ हासिल होने पर रोक लगेगी।

क्योंकि इससे पहले ओबीसी के लिए आरक्षित पदों को दरकिनार कर आय मापदंडों की गलत व्याख्या और पदों की समतुल्यता के अभाव में गैर क्रीमीलेयर मान लिया जाता था। इस कारण वास्तव में गैर क्रीमीलेयर उम्मीदवार इस सुविधा से वंचित रह जाते थे।

इससे पहले भी मोदी सरकार ने ओबीसी को साधने के लिए कई तरह की पहल की है। कैबिनेट की पिछली बैठक में ओबीसी कोटे में कोटे की व्यवस्था के लिए आयोग के गठन के साथ ही क्रीमी लेयर की सीमा को 6 लाख से बढ़ा कर 8 लाख रुपये कर दिया था।

इससे पहले सरकार ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का निर्णय ले चुकी है। हालांकि अभी इस फैसले के लागू होने में संसद की बाधा बरकरार है।

विप्रो के 11 हजार करोड़ के शेयर बायबैक को मंजूरी

नई दिल्ली । देश की तीसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी विप्रो ने कहा है कि उसके  ने 11,000 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कंपनी ने बायबैक के लिए रिकॉर्ड तारीख 15 सितंबर तय की है। कंपनी ने पिछले महीने जानकारी दी थी कि वह 34.38 करोड़ शेयर वापस खरीदेगी। इसकी कुल कीमत करीब 11,000 करोड़ रुपये होगी।

शेयर बायबैक से कंपनी की प्रति शेयर आय सुधरेगी और इस तरह वह शेयरधारकों को सरप्लस नकदी वापस कर सकेगी। मौजूदा सुस्ती की बाजार स्थितियों में शेयर के मूल्य को भी इस कदम से समर्थन मिल सकता है।

बीते 30 जून 2017 को कंपनी के पास कुल 5432 करोड़ रुपये नकदी व नकदी के समक्ष इंस्ट्रूमेंट और 31,772 करोड़ रुपये का निवेश था। इस तरह कंपनी का कुल सरप्लस 37,204 करोड़ रुपये था।

इंफोसिस के पूर्व चेयरमैन आर शेषशाई ने शेयरधारकों से झूठ बोला: नारायण मूर्ति
कंपनी के पूर्व बोर्ड की ओर से लगाए गए व्यक्तिगत हमलों को सिरे से खारिज करते हुए इंफोसिस के फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति ने मंगलवार को खुलासा किया कि एक व्हिसिल ब्लोअर ने पूर्व चेयरमैन आर शेषशाई पर गंभीर आरोप लगाया था।

उन्होंने कहा कि व्हिसिल ब्लोअर का कहना था कि आर शेषशाई ने 24 जुलाई को कंपनी की 33वीं सालाना आम बैठक (एजीएम) में कंपनी के शेयरधारकों के सामने झूठ बोला था।

मूर्ति ने ग्लोबल इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स को कॉन्फ्रेंस कॉल में संबोधित करते हुए कहा, “सालाना आम बैठक में शेषशाई ने पूर्व सीएफओ (चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर राजीव बंसल) के लिए किए गए भुगतान के बारे में झूठ बोला जिसमें दावा किया गया कि यह उनकी (बंसल) लंबी सेवा के चलते किया गया था और कंपनी से उस रहस्य को छिपाया जिसके साथ समझौता किया जा रहा था।

मामूली बढ़त से खुलने के बाद लुढ़का सेंसेक्स

नई दिल्ली। गुरुवार को मार्केट की शुरुआत मामूली बढ़त के साथ हुई लेकिन जल्द ही बाजार लुढ़क गया। सेंसेक्स 39 अंकों की बढ़त के साथ 31,685 पर खुला और निफ्टी 21 अंक की तेजी के साथ 9,906 अंकों पर खुला।

बाजार खुलने के कुछ ही देर में सेंसेक्स 130 अंक तक टूटा वहीं निफ्टी में 20 अंकों की गिरावट आई। एनटीपीसी के शेयरों में 2 प्रतिशत की गिरावट आई। मिडकैप शेयरों की बात करें तो शुरुआती कारोबार में सुस्ती बनी है और उसमें 0.06 प्रतिशत की गिरावट है।

स्मॉकैप इंडेक्स भी अंडरपर्फॉम्ड है और 0.3 प्रतिशत नीचे ट्रेड कर रही हैं। डॉलर के मुकाबले रुपया भी गुरुवार को 2 पैसे कमजोर रहा। रुपया डॉलर के मुकाबले 64.03 पर है। बुधवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 64.01 पर बंद हुआ था। टॉप गेनर्स में रियल्टी इंडेक्स डेल्टा कॉर्प, गोदरेज प्रॉपर्टीज, ओबरॉय और यूनिटेक रहे।

तेज हवा चली तो हैंगिंग ब्रिज पर बंद हो जायेगा यातायात

बियरिंग मूवमेंट बढ़ने और लोड सहन क्षमता से अधिक होने (टोलरेंस लिमिट क्रॉस करने) पर ब्रिज का यातायात रोकना पड़ेगा, हालांकि एेसा कभी-कभी और कुछ समय के लिए ही होगा।

कोटा। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के तहत कोटा में बने हैंगिंग ब्रिज पर सहन क्षमता से ज्यादा मूवमेंट हुआ तो यातायात थम जाएगा। तेज हवा या आंधी की स्थिति में ब्रिज पर लगे मोशन सेंसर इसके मूवमेंट को दर्ज करेंगे। ज्यादा वेरिएशन आने पर ब्रिज पर कुछ समय के लिए यातायात रोका जाएगा। मोशन सेंसर्स की मॉनिटरिंग फ्रांस और दिल्ली में होगी।

नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के सीजीएम एमके जैन ने बताया कि यह ब्रिज दूसरे ब्रिजों से बिलकुल अलग है। केबल स्टे ब्रिज में नीचे की तरफ बियरिंग लगे हुए हैं। एेसे में हवा का प्रेशर ज्यादा और लोड बढऩे पर ब्रिज का मूवमेंट होगा।

इसको दर्ज करने के लिए ऑटोमेटिक सेंसर लगे हैं। बियरिंग मूवमेंट बढऩे और यह सहन क्षमता से अधिक होने (टोलरेंस लिमिट क्रॉस करने ) पर ब्रिज का यातायात रोकना पड़ेगा। हालांकि एेसा कभी-कभी और कुछ समय के लिए ही होगा।

पब्लिक एनाउंस सिस्टम
गैमन इंडिया लिमिटेड ने सुरक्षा की दृष्टि से एक व्हीकल पर पब्लिक एनाउंस सिस्टम तैयार कराया है। यह ब्रिज व बाइपास के कुछ हिस्से पर लोगों को वाहन पार्क करने और ब्रिज पर यातायात में बाधा पहुंचाने वाले वाहनों को रोकने का काम कर रहा है। ब्रिज के दोनों ओर लगे अवरोध भी हटा दिए हैं।
 
अब स्पेशल दिन ही सतरंगी लाइट्स
उद्घाटन समारोह के लिए एनएचएआई ने ब्रिज पर सतरंगी लाइट्स लगवाई थी। इन्हें अब हटवा दिया गया है। अब खास मौकों और त्योहारों पर ही इस तरह की लाइट्स लगवाई जाएंगी।

मोदी ने किया था हैंगिंग ब्रिज का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने 29 अगस्त को उदयपुर से बटन दबाकर कोटा के हैंगिंग ब्रिज का लोकार्पण किया था। राजस्थान को नई पहचान देने वाले इस ब्रिज का लोकार्पण होते ही कोटा में चम्बल ब्रिज पर मौजूद कोटा के हजारों लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई। 

कोटा में विधायकों के एतराज से नहीं बढ़ी डीएलसी दरें

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प्रॉपर्टी डीलर या कॉलोनाइजर जिन दरों पर रजिस्ट्री कराते हैं, उनके हिसाब से डीएलसी का आकलन करना ठीक नहीं है।

 कोटा। जिले की कृषि, आवासीय एवं वाणिज्यिक भूमि की डीएलसी दर निर्धारित करने के लिए बुधवार को कलेक्ट्रेट स्थित टैगोर हाल में डीएलसी कमेटी की बैठक हुई। बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों सहित शहर के जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में प्रशासन ने कई कॉलोनियों में 40 से 50 फीसदी तक डीएलसी दर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा, जिस पर विधायकों ने कड़ी आपत्ति जताई।

बैठक में मौजूद कोटा उत्तर विधायक प्रहलाद गुंजल कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र की एक-एक कॉलोनी की प्रस्तावित डीएलसी देखी और कहा कि दरें बहुत ज्यादा हैं। गरीब आदमी रजिस्ट्री कराने का सपना भी नहीं देख सकता। दरें आमजन के हित में हो।

प्रशासन की तरफ से बताया गया कि अंतिम डीएलसी 2015 में तय की गई थी, उसके बाद दो साल से डीएलसी नहीं बढ़ी है। राज्य सरकार के नियम हैं कि हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए। इस पर विधायकों ने कहा कि न्यूनतम दो साल के हिसाब से 20 फीसदी की वृद्धि की जा सकती है, लेकिन कई कॉलोनियां बस्तियां ऐसी हैं, जहां यह भी ज्यादा है।

कॉलोनाइजर्स के हिसाब से आंकलन सही नहीं : संदीप शर्मा
प्रशासनने यह भी कहा कि नए कोटा क्षेत्र की कई कॉलोनियों में अभी से 50 से 70 प्रतिशत तक ज्यादा दर पर रजिस्ट्रियां हो रही है, जाहिर है इन जमीनों की कीमत ज्यादा है। ऐसे में दरें बढ़ाना तर्कसंगत है। विधायकों ने कहा कि हमें गरीबों को भी ध्यान में रखना होगा।

प्रॉपर्टी डीलर या कॉलोनाइजर जिन दरों पर रजिस्ट्री कराते हैं, उनके हिसाब से डीएलसी का आकलन करना ठीक नहीं है। विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि मंत्रालयिक कर्मचारियों की हड़ताल के कारण बड़ी संख्या में लोग अपने भूखंड, मकानों की रजिस्ट्री नहीं करवा पाए। जिनको पूर्व निर्धारित दरों पर ही रजिस्ट्री करवाने के लिए समय दिया जाए।

बैठक में महापौर, यूआईटी अध्यक्ष, एडीएम, उप पंजीयक, न्यास सचिव आदि मौजूद थे। से 20 फीसदी की वृद्धि की जा सकती है, लेकिन कई कॉलोनियां बस्तियां ऐसी हैं, जहां यह भी ज्यादा है।

अगला कदम चुनावों में कालेधन पर रोक: जेटली

नोटबंदी की वजह से देश के कई हिस्सों में सक्रिय माओवादी और कश्मीर के अलगाववादियों को फंड का टोटा पड़ गया है।

नई दिल्ली। नोटबंदी के आंकड़ों पर आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट जारी होने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि नोटबंदी से नकली नोटों का पता चला है इसका उद्देश्य कैश लेन-देन को कम करना था। कालेधन पर लगाम के लिए नोटबंदी जैसा कदम जरूरी था।

धन जब्त करना नोटबंदी का उद्देशय नहीं था। इसका असर अलगाववादियों, आतंकवाद और नक्सलियों पर पड़ा। वहीं इससे डायरेक्ट टैक्स में भारी बढ़ोत्तरी हुई।

चुनावों में इस्तेमाल होने वाले कालेधन के इस्तेमाल पर जेटली ने बताया कि सरकार का अगला कदम अब चुनावों में ब्लैक मनी के इस्तेमाल पर पूरी तरह से लगाम लगाना है।’

गौरतलब है कि आरबीआई ने आज नोटबंदी के आंकड़ों की रिपोर्ट देश के सामने रखी। जिसमें बताया गया कि इस फैसले से 99 फीसदी पुराने नोट वापस आए जिनकी वैल्यू 15.44 लाख करोड़ है। नोटबंदी के बाद सिस्टम का लगभग सारा पैसा बैंकों में वापस आ गया।​ 

वहीं नोटबंदी के बाद नए नोटों की छपाई पर हुए खर्च के बारे में बताया कि इन्हें छापने में अब तक सरकार के 7,965 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।

इससे पहले नोटबंदी को लेकर जेटली ने कहा था कि नोटबंदी की वजह से देश के कई हिस्सों में सक्रिय माओवादी और कश्मीर के अलगाववादियों को फंड का टोटा पड़ गया है। उन्होंने कहा था कि इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी करने वाले प्रदर्शनकारियों की संख्या घट गई है।

पिछले वित्त वर्ष में पकड़े गये 7.62 लाख जाली नोट

नयी दिल्ली। पिछले वित्त वर्ष में कुल 7,62,072 जाली नोट पकड़े गये जो वित्त वर्ष 2015-16 में पकड़े गये 6.32 जाली नोटों की तुलना में 20.4 प्रतिशत अधिक है।

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2016-17 के वार्षिक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी। रिजर्व बैंक की रपट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष में नोटबंदी के बाद पांच सौ रुपये और एक हजार रुपये के जाली नोट तुलनात्मक रूप से अधिक संख्या में पकड़े गये।

बैंक ने कहा कि नोटबंदी के बाद जाली भारतीय करेंसी नोट एफआईसीएन के अनुपात का देश भर में आकलन करने का अभियान चालाया गया। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस अभियान से पता चला है कि करेंसी चेस्ट स्तर पर प्रति दस लाख नोट में 500 रुपये के 7.1 नकली नोट तथा एक हजार रुपये 19.1 नकली नोट पकड़े गए।

यह औसत रिजर्व बैंक की मुद्रा जांच एवं प्रसंस्करण प्रणाली के औसत से ऊँचा है। वर्ष 2015-16 के दौरान रिजर्व बैंक की जांच प्रणाली में प्रति दस लाख नोट में 500 रुपये के 2.4 तथा एक हजार रुपये के लिए 5.8 नोट नकली पाए गए जो 2016-17 में बढ़कर क्रमशः 5.5 और 12.4 के स्तर पर पहुंच गए।

रबी के लिए फसली ऋण वितरण 1 सितम्बर से

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प्रारम्भ में  31 मार्च, 2018 तक 6 हजार करोड़ रुपये किए जाएंगे वितरित -सहकारिता मंत्री

जयपुर। सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने बुधवार को बताया कि प्रदेश में काश्तकारों को एक सितम्बर से 31 मार्च, 2018 तक 6 हजार करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त फसली ऋण का वितरण प्रारम्भ किया जाएगा। यह ऋण रबी के सीजन के लिए होगा।

किलक ने बताया कि वर्ष 2017-18 में राज्य के किसानों को 15 हजार करोड़ रुपये के अल्पकालीन फसली ऋण वितरण का लक्ष्य रखा है और लगभग 25 लाख से अधिक किसानों को इससे लाभान्वित किया जा रहा है।

 किलक ने कहा कि राज्य में वर्ष 2016-17 में 23.31 लाख किसानों को 13840.46 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त फसली ऋण बांटा था।

उन्होंने बताया कि ब्याज मुक्त फसली ऋण लेने वाले किसानों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए मात्र 27.50 रुपये प्रीमियम पर 6 लाख रुपये का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा का लाभ दिया जा रहा है।

सहकारिता मंत्री ने बताया कि रबी सीजन के लिए जिलेवार ऋण राशि वितरण के लक्ष्य तय कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि रबी सीजन में केन्द्रीय सहकारी बैंक श्री गंगानगर सर्वाधिक 540 करोड रुपये का ऋण वितरित करेगा।

 हनुमानगढ़ 530 करोड, पाली 410 करोड, भीलवाड़ा एवं जालौर 330-330 करोड, सीकर 290 करोड़, जयपुर 280 करोड़, बाड़मेर 260 करोड़, चित्तोडगढ़ 250 करोड़, झुंझूनू 230 करोड़, झालावाड़ 210 करोड़, जोधपुर एवं सवाईमाधोपुर 200-200 करोड़, अजमेर 190 करोड़ रुपये का अल्पकालीन ऋण वितरण सदस्य कृषकों को करेगा।

किलक ने बताया की इसी प्रकार से केन्द्रीय सहकारी बैंक चूरू 180 करोड़, उदयपुर 170 करोड़, अलवर 160 करोड़, बीकानेर एवं कोटा 150-150 करोड़, बांसवाड़ा एवं भरतपुर 140-140 करोड़, बूंदी एवं सिरोही 120-120 करोड़, दौसा, डूंगरपुर एवं नागौर 90-90 करोड़, जैसलमेर 80 करोड़, बांरा 60 करोड़ तथा टोंक 10 करोड़ रूपये का ब्याज मुक्त फसली सहकारी ऋण देगा।

बंद हुए 1000 रुपये के 99 फीसदी नोट RBI लौटे

रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के दौरान बैन किए 1000 के पुराने नोटों में से करीब 99 फीसदी बैंकिंग सिस्टम में वापस लौट आए हैं।

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वार्षिक रिपोर्ट 2016-17 को जारी किया है। इस रिपोर्ट में नोटबंदी के बाद मार्च 2017 तक की स्थिति की जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के दौरान बैन किए गए 1000 रुपये के पुराने नोटों में से करीब 99 फीसदी बैंकिंग सिस्टम में वापस लौट आए हैं। 1000 रुपये के 8.9 करोड़ नोट (1.3 फीसदी) नहीं लौटे हैं।

आरबीआई के मुताबिक नए नोटों की छपाई पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में (3,421 करोड़ रुपये) यह खर्च करीब दोगुना हुआ है।

नोटबंदी के बाद बैंकिंग सिस्टम में नोटों का सर्कुलेशन 20.2 फीसदी (YoY) घटा है। इस साल सर्कुलेशन में नोटों की वैल्यू 13.1 लाख करोड़ है जबकि पिछले साल (मार्च) यह 16.4 लाख करोड़ थी।

2000, 500 रुपये की नई डिजाइन के भी नकली नोट पकड़े 
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बैंकिंग सिस्टम में मार्च 2017 तक 762,072 नकली नोट पकड़े गए। सबसे बड़ी चिंता की बात 2000 और 500 रुपये की नई डिजाइन के भी नकली नोटों के सामने आने की है।

आरबीआई के मुताबिक 2000 रुपये के नोट की नई डिजाइन के 638, और 500 रुपये के नोट की नई डिजाइन के 199 नकली नोट पकड़े गए।

स्टॉकिस्टों की लिवाली से चना और दाल की कीमतों में तेजी

नयी दिल्ली। स्टॉकिस्टों की लिवाली के कारण चना और इसकी दाल की कीमतों में तेजी को छोड़कर दिल्ली के थोक दाल दलहन बाजार में आज अन्य दलहनों की कीमतों में स्थिरता का रुख रहा।

बाजार सूत्रों ने कहा कि फुटकर विक्रेताओं की मांग में तेजी के बाद स्टॉकिस्टों की ताजा लिवाली के कारण मुख्यत: चना औैर इसके दाल की कीमतों में तेजी आई।

राष्ट्रीय राजधानी में चना की कीमत तेजी के साथ 6,200 .. 6,800 रुपये प्रति किवंटल हो गई जो कीमत पहले 6,000 .. 6,700 रुपये प्रति किवंटल थी। इसके दाल स्थानीय और बेहतरीन गुणवत्ता की कीमतें भी 200 .. 200 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 6,900 .. 7,300 रुपये और 7,300 .. 7,400 रुपये प्रति किवंटल हो गई।

बेसन शक्तिभोग और राजधानी की कीमतें भी तेजी के साथ क्रमश: 2,700 .. 2,700 रुपये प्रति 35 किग्रा का बैग हो गई जो कीमतें पूर्व में क्रमश: 2,600 .. 2,600 रुपये प्रति 35 किग्रा का बैग थीं।

दलहन के बंद भाव : रुपया प्रति किवंटल में भाव  इस प्रकार रहे…उड़द 5,000 .. 6,100 रुपये, उड़द छिलका :स्थानीय: 5,100 .. 5,200 रुपये, उड़द बेहतरीन 5,200 .. 5,700 रुपये, धोया 5,600 .. 5,800 रुपये, मूंग 5,100 .. 5,800 रुपये, दाल मूंग छिलका स्थानीय 5,800 .. 6,000 रुपये, मूंग धोया स्थानीय 6,400 .. 6,900 रुपये और बेहतरीन लिटी 6,900 .. 7,100 रुपये।

मसूर छोटी 3,900 .. 4,100 रुपये, बोल्ड 3,950 .. 4,200 रुपये, दाल मसूर स्थानीय 4,200 .. 4,700 रुपये, बेहतरीन लिटी 4,300 .. 4,800 रुपये, मलका स्थानीय 4,550 .. 4,750 रुपये, मलका बेहतरीन लिटी 4,650 .. 4,850 रुपये, मोठ 3,800 .. 4,200 रुपये, अरहर 4,400 रुपये, दाल अरहर दड़ा 6,400 .. 8,200 रुपये।

चना 6,200 .. 6,800 रुपये, चना दाल स्थानीय 6,900 .. 7,300 रुपये, बेहतरीन लिटी 7,300 .. 7,400 रुपये, बेसन :35 किग्रा: शक्तिभोग 2,700 रुपये, राजधानी 2,700 रुपये, राजमा चित्रा 7,800 .. 10,100 रुपये, काबुली चना छोटी 10,100 .. 11,300 रुपये, डाबरा 2,700 .. 2,800 रुपये, आयातित 4,700 .. 5,100 रुपये, लोबिया 4,800 .. 5,000 रुपये, मटर सफेद 2,625 .. 2,650 रुपये और हरी 2,675 .. 2,775 रुपये।