Friday, May 24, 2024
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जीएसटी इम्पेक्ट : 22 राज्यों ने हटाए चेक पोस्ट, 2300 करोड़ बचेंगे

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नई दिल्ली। एक देश, एक टैक्स के नारे के साथ शुक्रवार की आधी रात से लागू किए गए गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स से भारत की अर्थव्यवस्था को सालाना 2,300 करोड़ रुपये की भारी बचत होगी। अब तक राज्यों के चेक पोस्ट्स पर ट्रकों को जगह-जगह रुकना पड़ता था। अब जीएसटी के चलते इनकी आवाजाही तेज होगी और रास्ते की बाधाएं हटने से भारी बचत होगी।

वर्ल्ड बैंक की 2005 की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘चेकपॉइंट्स पर ट्रकों को होने वाली देरी के चलते सालाना 9 अरब रुपये से लेकर 23 अरब रुपये तक का नुकसान होता है।’ ऑपरेटिंग आवर्स के इस नुकसान को टालकर इस स्थिति से बचा जा सकता है। हालांकि इस आंकड़े में तमाम चेक पोस्ट्स से निकलने के लिए ट्रकों की ओर दी जाने वाली घूस को शामिल नहीं किया गया है, वरना यह आंकड़ा 900 करोड़ रुपये से 7200 करोड़ तक पहुंच सकता है।

स्टडी के मुताबिक इस तरह की घूस से इकॉनमी को सीधे तौर पर कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन सरकार को मिलने वाले राजस्व को जरूर चपत लगती है। लेकिन, अब चेक पोस्ट्स पर ट्रकों का लेट होना बीते दौर की बात हो सकता है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे कई राज्यों ने 1 जुलाई के बाद से ही चेक पोस्ट्स की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। आने वाले दिनों में कई और राज्य इस ओर अपने कदम बढ़ा सकते हैं।

जीएसटी से पहले के दौर में चेक पोस्ट गुड्स के मूवमेंट पर टैक्स कलेक्ट करते थे। रेवेन्यू सेक्रटरी हसमुख अधिया ने कहा, ‘जहां तक टैक्सेशन की बात है तो अब चेक पोस्ट्स का दौर खत्म हो जाएगा। इसके अलावा भी कई चेक पोस्ट्स होती हैं, जैसे स्टेट चेक पोस्ट्स। इनमें शराब पर स्टेट एक्साइज वसूला जाता है। यह व्यवस्था पहले की तरह ही बनी रहेगी।’

जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों ने फील्ड ऑफिसर्स अडवायजरी जारी कर गुड्स के मूवमेंट को न रोकने और नए नियमों के पालन का आदेश दिया है। असम और उत्तर प्रदेश ने अपने अधिकारियों को ई-वे बिल की व्यवस्था लागू होने तक जीएसटी पहचान नंबर, इनवॉइस नंबर, टैक्स इनवॉइस और लॉजिस्टिक्स फर्म के रजिस्ट्रेशन को चेक करने का आदेश दिया है। सरकार जीएसटी लागू होने के 6 महीने के भीतर ही ई-वे बिल लाने की योजना पर काम कर रही है। इससे ट्रकों की आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी।

जानें, कैसी होगी ई-वे बिल की व्यवस्था
इसके तहत 50,000 रुपये से अधिक के सामान को राज्य या राज्य से बाहर ले जाने के लिए जीएसटी-नेटवर्क की वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इस प्रस्ताव के तहत जीएसटी-एन के जरिए जो ई-वे बिल जनरेट होगा, वह 1 से 15 दिन तक वैध होगा। यह वैधता सामान ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगी। जैसे 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-बिल बनेगा, जबकि 1,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 15 दिन की वैधता वाला ई-बिल तैयार होगा।

जीएसटी : कारों पर छूट की बरसात, उठायें फायदा

मुंबई। जीएसटी लागू होने के बाद मारुति सुजुकी ,ऑल्टो, बीएमडब्ल्यू मर्सेडीज और ऑडी ने कारों पर छूट देनी शुरू कर दी है। इन कंपनियों की कारों पर दो हजार से लेकर दो लाख रुपए की छूट मिल रही है। 

मारुति सुजुकी -मारुति सुजुकी इंडिया ने अपनी कारों पर 3 प्रतिशत तत्काल प्रभाव से छूट का ऐलान कर दिया था। हालांकि, इस ऑफर्स से सियाज व अर्टिगा के डीजल मॉडल्स को अलग रखा गया था। ऑल्टो पर 2,300 से 5,400 रुपये की छूट। वैगनआर पर 5,300 से 8,300 रुपये की छूट।

स्विफ्ट पर 6,700 से 10,700 रुपये की छूट दी गई है। बलेनो की कीमत में भी 6,600 से 13,100 रुपये की छूट मिली है। कंपनी ने इनके अलावा डिजायर में भी 8,100 से 15,100 रुपये तक की छूट दी है।

अर्टिगा की बात करें तो इसके पेट्रोल वैरिअंट में 21,800 रुपये तक की छूट व सियाज पेट्रोल पर 23,400 रुपये का बंपर डिस्काउंट चल रहा है। कंपनी ने विटारा ब्रेत्जा पर भी 14,400 से 14,700 रुपये तक का डिस्काउंट दिया है, वहीं एस-क्रॉस पर मारुति 17,700 से 21,300 तक की छूट दे रही है।

एसयूवी फॉर्च्युनर : कंपनी ने अपनी धाकड़ एसयूवी फॉर्च्युनर के दामों में 2.17 लाख रुपये की छूट दी है। इसी के साथ ही इनोवा क्रिस्टा पर 98,500 व करोला आल्टिस पर 92,500 रुपये घटाए गए हैं।

प्लैटिनम ईटिअस पर कंपनी ने 24,500 रुपये कम किए हैं तो ईटिअस लीवा पर 10,500 रुपये की छूट दी जा रही है। हालांकि, कंपनी ने हाइब्रिड वैरिअंट कैमरी और प्रियस के दामों में 3.5 लाख से 5.24 लाख रुपये की बढ़ोतरी की है।

बीएमडब्ल्यू : लग्जरी कार मेकर बीएमडब्ल्यू ने अपनी गाड़ियों पर 70,000 से 1.8 लाख रुपये तक की छूट दी है। हालांकि, कंपनी ने अपने फ्लैगशिप मॉडल आई8 की कीमत 4.8 लाख से 2.28 करोड़ रुपये बढ़ाई है।

टाटा मोटर्स  : टाटा मोटर्स के अधिकार वाली जैगुआर लैंड रोवर ने अपने वीइकल्स के दाम 7 प्रतिशत औसत के हिसाब से घटाए हैं। देशभर में इसके 25 आउटलेट्स पर कीमतें अपडेट हो गई हैं।

मर्सेडीज और ऑडी : शान की सवारी मर्सेडीज और ऑडी ने भी अपनी गाड़ियों की कीमतें घटाई हैं। आपको बता दें कि 1,500 सीसी तक 15 प्रतिशत व इससे ऊपर अधिकतम 28 फीसदी जीएसटी लागू होगा।

जीएसटी : अब ईएमआई पर सामान लेना हुआ महंगा

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नई दिल्ली। जीएसटीलागू होने के बाद से अगर आप क्रेडिट कार्ड के जरिए ईएमआई पर सामान लेते हैं तो ऐसा करना महंगा हो गया है। आपकी जेब पर हर महीने ईएमआई का बोझ बढ़ जाएगा, क्योंकि टैक्स रेट काफी बढ़ गया है। 

सर्विस टैक्स खत्म तो जीएसटी में हुआ 3 फीसदी का इजाफा
केंद्र सरकार ने सर्विस टैक्स को खत्म करके जीएसटी को लागू कर दिया है। जुलाई से आप जितनी बार भी अपने क्रेडिट कार्ड से सामान खरीदेंगे, उतनी बार आपको 18 फीसदी के हिसाब से जीएसटी देना होगा। इसके अलावा हर महीने आने वाले बिल पर भी जीएसटी देना होगा।

ईएमआई पर सामान लेने पर 36 फीसदी देना होगा जीएसटी
ईएमआई पर सामान लेने वालों को दोहरी मार पड़ेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ कंपनियों ने अपने इलेक्ट्रोनिक प्रॉडक्ट्स जैसे कि टीवी, फ्रिज,वाशिंग मशीन, एसी आदि के प्राइस में इजाफा कर दिया है, वहीं बैंकों ने भी कार्ड आदि से पेमेंट करने पर जीएसटी 3 फीसदी बढ़ाकर के 18 फीसदी कर दिया है।

क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर भी 18 फीसदी टैक्स हर महीने टोटल बिल में जुड़कर आएगा। इस हिसाब से देखा जाए तो हर महीने 3 फीसदी अतिरिक्त के हिसाब से 36 फीसदी टैक्स का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

आपने दो लाख रुपये का सामान खरीदा तो पहले आप 15 फीसदी के हिसाब से 300 रुपये टैक्स देते थे। वहीं अब 18 फीसदी के हिसाब से 360 रुपये देने पड़ेंगे। इस हिसाब से हर महीने आपको 40 रुपये अतिरिक्त टैक्स के तौर पर देने होंगे। 

होम लोन पर भी पड़ेगा असर
जीएसटी का असर केवल कंज्यूमर गुड्स की खरीद पर नहीं, बल्कि होम लोन की ईएमआई पर भी पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि बैंक अपने इंटरेस्ट रेट को कम नहीं कर रहे हैं और आरबीआई ने भी फिलहाल अपने रेपो रेट को स्थिर रखा है। इससे कस्टमर को हर महीने ईएमआई पर ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा, जिससे घर खरीदने के बजट पर असर पड़ेगा।  

जीएसटी इम्पेक्ट : सब्सिडी में कटौती से बढ़ेगी घरेलू गैस की कीमत

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नई दिल्ली। जुलाई से एलपीजी गैस सिलिंडर खरीदने के लिए लोगों को अपनी जेबें ढीली करनी पड़ेंगी। जीएसटी लागू किए जाने और सब्सिडी में की गई कटौती के कारण अब लोगों को 32 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। इसके अतिरिक्त दो साल की अनिवार्य निगरानी, इंस्टॉलेशन, नए कनेक्शन और अतिरिक्त सिलिंडर के दस्तावेजों के प्रशासनिक शुल्क पर पहले से ज्यादा खर्च करना होगा।

एलपीजी को जीएसटी के 5 प्रतिशत के स्लैब में रखा गया है। इससे पहले कई राज्यों को एलपीजी के लिए टैक्स नहीं देना होता था, जबकि कुछ राज्य को 2 से 4 प्रतिशत तक वैट देना होता था। जीएसटी लागू किए जाने के बाद उन राज्यों में एलपीजी सिलिंडर की कीमत में 12-15 रुपये की वृद्धि होगी, जहां एलपीजी पर टैक्स नहीं लगता है। जिन राज्यों में वैट लिया जाता है, वहां यह जीएसटी की दर और प्रचलित टैक्स के अंतर पर निर्भर करेगा।

हालांकि, जून से सब्सिडी में कटौती का असर भी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। ऑल इंडिया एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन के नैशनल सचिव विपुल पुरोहित ने बताया कि ‘उदाहरण तौर पर, आगरा के वैसे ग्राहक जो सब्सिडी के पात्र हैं, उन्हें जून तक दी गई 119.85 रुपये की सब्सिडी में कटौती की गई है। नई अधिसूचना के मुताबिक, अब सिर्फ 107 रुपये ही उनके बैंक खाते में आएंगे।’

इन दोनों का संयुक्त प्रभाव यह होगा कि हर सिलिंडर पर 32 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। अलग-अलग राज्यों की कीमत में अंतर होगा। कीमत में बदलाव की वजह अलग-अलग राज्यों में ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स में अंतर है।

वहीं, सरकारी ईंधन रिटेलर्स के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जीएसटी के कारण उपभोक्ताओं को दिए जाने वाली सब्सिडी में कोई अंतर नहीं हुआ है। अंतरराष्ट्रीय कीमत के कारण सब्सिडी में बदलाव होता है। अधिकारी ने बताया, ‘पहले भी जहां एलपीजी पर वैट लगाया जाता था, उपभोक्ताओं को पता था कि उन्हें सब्सिडी के रूप में कर का भार झेलना पड़ेगा।

हालांकि, जीएसटी ने वाणिज्यिक एलपीजी सिलिंडर में 69 रुपये की कटौती की है। इससे पहले कमर्शल इस्तेमाल वाले एलपीजी सिलिंडर में 22.5 प्रतिशत टैक्स लगता था, जिसमें 8 प्रतिशत उत्पाद कर और 14.5 प्रतिशत वैट था, लेकिन जीएसटी के बाद सिर्फ इसपर 18 प्रतिशत टैक्स लग रहा है। इन सिलिंडरों की कीमत 1,121 से घटकर 1,052 रुपये हो गई है।

जीएसटी के दूसरे दिन भी ऑटो, कन्ज्यूमर गुड्स समेत कई सामानों में छूट की बहार

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मुंबई/कोलकाता/नई दिल्ली।
जीएसटी लागू होने के दूसरे दिन यानी रविवार को कुछ कारों और दोपहिया वाहनों की कीमतें घटाने के ऐलान हुए जबकि कई कंपनियों ने आनेवाले दिनों में कुछ और कटौतियों का आश्वासन दिया। इनका कहना है कि 1 जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद बने प्रॉडक्ट्स सस्ते में मिलेंगे।

जापान की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा ने अपनी कारों के दाम में 13 प्रतिशत तक की कटौती की जबकि नई दिल्ली स्थित हीरो मोटोकॉर्प ने दोपहिया वाहनों के दाम 400 से 4,000 रुपये तक घटा दिए। उम्मीद की जा रही है कि ह्यूंदै मौटर्स, टाटा मोटर्स और फोर्ड इंडिया भी अगले कुछ हफ्ते में कीमतों में कटौती का ऐलान करेंगी।

कन्ज्यूमर गुड्स
रविवार को प्रमुख कन्ज्यूमर गुड्स कंपनियों ने भी अगले कुछ हफ्तों में कीमतें घटाने का भरोसा दिलाया। इनका कहना है कि 1 जुलाई के बाद बने सामान सस्ते में मिलेंगे। इससे पहले देश की सबसे बड़ी कन्ज्यूमर फर्म हिंदुस्तान यूनिलिवर ने कुछ सामानों के दाम घटा दिए तो कुछ के वजन बढ़ा दिए।

फूड सेक्टर की बड़ी कंपनी नेस्ले अपने मैगी केचअप, सेरलैक और कुछ डेयरी प्रॉडक्ट्स के दाम कम करेगी। नेस्ले के एमडी सुरेश नारायणन ने कहा, ‘जिन कैटिगरीज में टैक्स घटे हैं, उनमें 1 जुलाई के बाद बने सामानों की कीमतों में उचित कटौती की जाएगी। नई कीमत वाले स्टॉक मार्केट में आने तक ट्रांजिशन टाइम रहेगा।’

गोदरेज कन्ज्यूमर प्रॉडक्ट्स के एमडी विवेक गंभीर ने कहा कि उनके साबुनों के दाम घटाने या इनके वजन बढ़ाने की योजना है। इसी तरह, पेप्सिको, मैरिको, पार्ले और बिसलरी ने भी कहा है कि 1 जुलाई के बाद बने सामान सस्ते में दिए जाएंगे।

जीएसटी में लागत घटने का फायदा ग्राहकों को देने संबंधी कानून को लेकर कंपनियों का कहना है कि नए सामान के उत्पादन में जीएसटी का क्या असर होता है, उन्हें यह देखना है। पेप्सिको के चेयरमेन डी शिवकुमार ने कहा, ‘हम कीमत में तुरंत बदलाव नहीं कर रहे।

दरअसल, जहां तक संभव हो सके, मौजूदा कीमतों के जरिए ग्राहकों को पहले सुविधा और स्थिरता मुहैया कराना ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर किसी वस्तु का दाम 5 रुपये है तो इसे बढ़ाकर 5 रुपये 30 पैसे या 40 पैसे करने का कोई मतलब नहीं है। हम कीमतें स्थिर रख रहे हैं। हम जीएसटी का मुद्दा सुलझने तक वेट ऐंड वॉच की नीति अपना रहे हैं।’

इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स
हालांकि, जीएसटी से ग्राहकों को हर जगह फायदा नहीं होने वाला। कुछ कन्ज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के दाम थोड़ा बढ़ने की भी आशंका है। टेलिविजन, रेफ्रिजरेटर, एयर-कंडीशनर और वॉशिंग मशीनों के दाम 2.5 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं। अच्छी बात यह है कि यह पहले जताई जा रही आशंका से करीब-करीब आधा है।

40,000 रुपये का 42 इंच का एलआईडी टीवी अब 40,900 रुपये में मिलेगा जबकि 26,000 रुपये का 280 लीटर का फ्रॉस्ट-फ्री रेफ्रिजरेटर अब 500 रुपये महंगा हो जाएगा। इसी तरह, एसी और वॉशिंग मशीन के दाम भी 400 से 1,000 रुपये तक बढ़ेंगे। कुल मिलाकर, ज्यादातर प्रॉडक्ट्स के दाम में 1.5 से 2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि होगी।

मक्खन, पनीर, घी
अमूल ने कॉटेज चीज, डेयरी वाइटरनर और बेबी फूड के दाम घटा दिए, तो घी का दाम बढ़ा दिया है जबकि चीज, बटर और आइसक्रीम के दाम ज्यों के त्यों रखे गए हैं। अचार, जैम, टमॉटो कैचअप बनानेवाली कंपनियों ने जीएसटी में टैक्स बढ़ाने की शिकायत की है।

उनका कहना है कि 1 जुलाई से इनकी बिक्री घटी है। वहीं, ब्रैंडेड चावल और गेहूं का आटा बचनेवाले बोल रहे हैं कि उनके डिस्ट्रिब्यूटरों को नए सिस्टम से परेशानी तालमेल नहीं हो पा रहा है। राजधानी ग्रुप के राकेश जैन ने कहा कि उनकी कंपनी ने गेहूं के आटे का दाम 5 प्रतिशत यानी 1.20 प्रति किलो बढ़ा दिया है जो बढ़कर 25.20 रुपये प्रति किलो हो गया है।

जीएसटी से अब शेयर बाजार में पड़ सकता है खलल

मुंबई। जीएसटी की वजह से शेयर बाजार में चल रहे बुल रन में खलल पड़ सकता है। कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ पर नए टैक्स का क्या असर होगा, अभी तक मार्केट ऐनालिस्ट इसका अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। अगर मार्केट पर्टिसिपेंट्स को यह लगता है कि जीएसटी का कंपनियों पर लंबे समय तक नेगेटिव असर रहेगा, तो उससे निवेशकों का मूड खराब हो सकता है।

शेयर बाजार के महंगा होने से निवेशक पहले ही आशंकित हैं। देश की आजादी के बाद जीएसटी को सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म बताया जा रहा है। यह शनिवार से लागू हुआ है। इससे टैक्स चोरी कम होने की उम्मीद है। बिड़ला सनलाइफ म्यूचुअल फंड के को-चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर महेश पाटिल ने बताया, ‘बाजार पहले ही महंगा है।

ऐसे में जीएसटी की वजह से कोई मुश्किल आती है तो कुछ करेक्शन हो सकता है। मुझे लगता है कि यह बांधा लंबे समय तक नहीं बनी रहेगी। इसका असर कुछ वैसा ही होगा, जैसा नोटबंदी का हुआ था।’जून में पिछले साल नवंबर के बाद सेंसेक्स और निफ्टी में मंथली गिरावट आई। कैश मार्केट का वॉल्यूम मई की तुलना में 11.6 पर्सेंट गिरकर 27,291 करोड़ रुपये रह गया।

शेयर बाजार के दिग्गज रमेश दमानी ने कहा, ‘वोलैटिलिटी की वजह से कुछ घबराहट है, लेकिन कंपनियों का कहना है कि तीन महीने में सबकुछ सामान्य हो जाएगा।’ निवेशकों में बाजार के महंगा होने की वजह से घबराहट है। वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपियन यूनियन से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो विदेशी निवेशक इमर्जिंग मार्केट्स से पैसे निकालेंगे।

सेंसेक्स शुक्रवार को 30,921.61 और निफ्टी 9,520.90 पर बंद हुआ। जून के लाइफ टाइम हाई लेवल से ये इंडेक्स 2 पर्सेंट नीचे आ गए हैं। हालांकि, इस साल इनमें 16 पर्सेंट की मजबूती आ चुकी है। वन इयर फॉरवर्ड अर्निंग के हिसाब से बेंचमार्क इंडेक्स 18.2-18.9 के पीई पर ट्रेड कर रहे हैं। एशियाई बाजारों में यह सबसे अधिक वैल्यूएशन है। एशिया के दूसरे बाजारों का पीई 10-17 के बीच है और एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स 12.8 के पीई पर ट्रेड कर रहा है।

वोलैटिलिटी इंडेक्स भी 23 जून के 8.8 के लो लेवल से 33 पर्सेंट चढ़ा है। इससे शॉर्ट टर्म में रिस्क बढ़ने का संकेत मिल रहा है। जून के मध्य से विदेशी निवेशक 1,176 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए के चीफ क्रिस्टोफर वुड ने गुरुवार को कहा था कि वह इंडिया पर वेटेज कम कर रहे हैं। उनका कहना था कि एशियाई देशों में सीएलएसए को साउथ कोरिया और ताइवान से अधिक उम्मीद है।

वहीं, जेपी मॉर्गन में इंडिया इक्विटी रिसर्च के हेड भारत अय्यर ने कहा, ‘भारतीय बाजार 18-19 के पीई पर ट्रेड कर रहा है, जबकि कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ के अनुमान में कटौती हो रही है। विदेशी निवेशकों ने भी यहां पैसा लगाना कम कर दिया है।’ एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि शॉर्ट टर्म में भले ही बाजार को चुनौतियों का सामना करना पड़े, लेकिन मीडियम से लॉन्ग टर्म में इसमें मजबूती आएगी।

जीएसटी के बहाने कचौरी के दाम बढ़ाने का मौका

कोटा। वर्षों से टैक्स चोरी करते आ रहे कचौरी और नमकीन विक्रेताओं को जीएसटी के बहाने एक बार फिर दाम बढ़ाने का मौका मिल गया है। इन्होंने दाल बेसन और तेल के दाम घटने पर भी कीमत नहीं घटाई । अब जीएसटी लागू होते ही कहने लगे हैं दाम बढ़ाएंगे।

जीएसटी लागू होने से कचौरी का स्वाद महंगा हो सकता है। केन्द्र सरकार ने कचौरी में उपयोग होने वाली सामग्री पर 5 फीसदी जीएसटी लगा दिया है। कचौरी बनाने में काम आने वाले नौ आइटमों में पांच पर पहली बार टैक्स लगा है और अन्य चार सामानों पर टैक्स बढ़ गया है। 

दुकानदारों का मानना है कि कचौरी का स्वाद बढ़ाने वाले सभी आइटमों पर असर होने से इसकी लागत बढ़ेगी। ऐसे में मार्जिन कम होगा। उसकी भरपाई के लिए कचौरी के दाम बढ़ाए जा सकते हैं।

कोटा में करीब 1500 से ज्यादा दुकानों और इतने ही ठेलों पर हर रोज 6 लाख से ज्यादा कचौरियां बिकती हैं। ऐसे में कीमत बढऩे से शहरवासियों की जेब पर रोज लाखों का फटका लगना तय है। 

जीएसटी की पांच फीसदी की स्लैब में कई मसाले और सामान कचौरी बनाने में मैदा, बेसन, तेल, उदड़मोगर, सौंफ, धनिया, कालीमिर्च, लौंग व हींग का उपयोग होता है। इसमें मैदा, बेसन, दाल व सौंफ पर पहले टैक्स नहीं था। अब ब्रांडेड प्रोडक्ट पर पांच फीसदी जीएसटी लगाया है। 

अग्रसेन बाजार व्यापार संघ के महेन्द्र कांकरिया का कहना है कि आजकल तो मैदा, बेसन और दाल मिल से तैयार होकर कट्टों में आते हैं। इन पर ब्रांड का नाम होता है। इनको ब्रांडेंड माना जाएगा तो जीएसटी देना पड़ेगा।

हर सामान ही ब्रांडेड है, लागत भी बढ़ेगी
कचौरी बनाने में जो भी सामान आता है, वह अधिकांश ब्रांड के नाम से ही होता है। एेसे में मैदा, दाल, मसालों और तेल पर पांच फीसदी टैक्स लगेगा। जिससे कचौरी की लागत तीस से चालीस पैसा बढ़ जाएगी। यह भार ग्राहकों पर ही पड़ेगा। 
राजेन्द्र जैन,  नमकीन एंड स्वीट्स विक्रेता

कोटा स्टोन पर दूसरे दिन भी टैक्स क्लियर नहीं, 300 फैक्ट्रियों में लदान रुका

जीएसटी इम्पैक्ट : सैंड और कोटा स्टोन पर रॉयल्टी, जीएसटी लगने से खफा व्यापारी

 कोटा । जीएसटी लागू हुए दो दिन हो गए, लेकिन कोटा स्टोन पर कितना टैक्स लगेगा, अभी तक यह तय नहीं हो पाया है। इससे जिले की 300 से ज्यादा फैक्ट्रियों में लदान और विक्रय बंद हो गया है। वहीं, सैंड स्टोन पर रॉयल्टी 143 रुपए टन और 5 प्रतिशत जीएसटी से उनके धंधे पर दोहरी मार हो गई है। इससे पूरा कारोबार ठप पड़ा है। इसके लिए सैंड स्टोन कारोबारी मुख्यमंत्री वसुधरा राजे से मिलने की बात कर रहे हैं। 

कोटा स्टोन के स्लैब का पता नहीं लग पाया है। स्टोन  व्यापारी सेल्स टैक्स विभाग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहा है। हाड़ौती स्टोन एसोसिएशन के महासचिव मुकेश त्यागी ने बताया कि दो दिन से उपायुक्त एनके गुप्ता से बात कर रहे हैं, लेकिन वे कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

इससे कोटा जिले की 300 फैक्ट्रियों में काम ठप पड़ा है। रोजाना 5 से 6 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो रहा है। ऐसे में करीब 20 हजार लोगों के साथ रोजगार का संकट हो गया है। इसके लिए रविवार शाम को सभी व्यवसायियों ने मीटिंग की है, लेकिन किसी के कुछ समझ में नहीं रहा है। जल्द इस पर कोई नतीजा नहीं निकला तो आंदोलन किया जाएगा। केंद्र राज्य सरकार को जल्द ही इस बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

सैंड स्टोन का 40 से 50 करोड़ का कारोबार प्रभावित
हाड़ौती स्टोन मर्चेंट विकास समिति के संभागीय अध्यक्ष उत्तमअग्रवाल ने बताया कि सैंड स्टोन का काम दो दिन से बंद है। सैंड स्टोन पर दोहरा टैक्स देना पड़ रहा है। सरकार को रॉयल्टी से वैट हटाना चाहिए। इससे जीएसटी का प्रभाव सैंड स्टोन पर नहीं पड़ेगा। रोज 500 से ज्यादा गाड़ियां खान स्टॉक से भेजी जाती हैं, लेकिन सबका काम बंद है। इससे 1500 व्यापारी और 250000 लोगों का रोजगार बंद पड़ा है।

एक प्रकार का टैक्स नहीं लगाया है। इस संबंध में जन अभाव अभियोग के चेयरमैन श्रीकृष्ण पाटीदार से बात की है। जल्दी ही सीएम से मुलाकात करेंगे। आंदोलन के लिए मीटिंग बुलाई गई है। इसमें आंदोलन को लेकर चर्चा की जाएगी, नहीं तो व्यापार पूरा चौपट हो जाएगा।

बिल को लेकर असमंजस
ट्रकयूनियन के अध्यक्ष नवरत्न सिंह राजावत ने बताया कि कोटा सैंड स्टोन का लदान बंद होने से रविवार को भी 1500 ट्रक खड़े रहे। स्टोन व्यवसायी असमंजस में हैं कि वे कैसे और कितने का बिल बनाएं। स्टोन का मामला सही नहीं हुआ तो ट्रक चालकों के सामने भी संकट खड़ा हो जाएगा।

आज क्लियर हो जाएगा कोटा स्टोन का मैटर

यह सही है कि कोटा स्टोन को लेकर असमंजस है। इसके लिए काउंसिल से राय मांगी गई है। आज मामला क्लियर हो जाएगा। होटल वालों को दो तरह के ही टैक्स लेने हैं। इसमें आधा केंद्र और आधा राज्य सरकार का है। इसमें किसी तरह का कोई कन्फ्यूजन नहीं है।
-एनके गुप्ता, उपायुक्त सेल टैक्स

 

 

 

जीएसटी क्या है, नहीं पता राजस्थान के कृषि मंत्री को

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बारां। जीएसटी का गुणगान करते ना थक रहे राजस्थान की भाजपा सरकार के मंत्री को इसका मतलब तक नहीं पता। रविवार को बारां जिले के सर्किट हाउस में उस समय अजीबो-गरीब स्थिति बन गई, जब एक पत्रकार ने राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी से जीएसटी का मतलब पूछ लिया। मंत्री बहुत देर तक सोचते रहे और बाद में सिर्फ गुड्स बोलकर चुप्प हो गए। 

सर, ये जीएसटी क्या है? पत्रकार वार्ता में पूछे गए सीधे सवाल पर कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी अचकचा गए। जीएसटी लागू होने के फायदे बता रहे कृषि मंत्री से एक पत्रकार ने जीएसटी का पूरा नाम पूछ लिया। इस पर सैनी पहले तो चुप हो गए। फिर उन्होंने केवल गुडस् बोला। तभी पास बैठे प्रभारी मंत्री बाबूलाल वर्मा ने बात संभाली। वर्मा बात काटते हुए बोले कि कमाल करते हो फुलफॉर्म पूछ रहे हो। इसका अर्थ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स होता है।

गिनाने आए थे जीएसटी के फायदे 
इसके बाद सैनी ने कहा कि जीएसटी से कर प्रणाली में सुधार होगा। पहले 17 प्रकार के टैक्स लगने से व्यापारी परेशान रहते थे। 23 प्रकार के सर्विस चार्ज भी समाप्त कर दिए हैं। अब पूरे देश में सभी पर एक ही प्रकार का टैक्स लगाया है। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी।

किसानों के मुद्दे से बचते रहे 
शहर के झालावाड़ रोड स्थित आशीर्वाद गार्डन में आयोजित पत्रकार वार्ता में सैनी किसानों की आत्महत्या मामलों में सीधे कहने से बचे। सैनी बोले कि किसानों की आत्महत्या के मामले 174 सीआरपीसी में दर्ज हैं। संबंधित थानों की पुलिस अनुसंधान कर रही है। जांच के बाद ही पता चलेगा कि किसानों की आत्महत्या के पीछे क्या कारण रहे।

स्विस बैंक में जमा धन: भारत 88वें स्थान पर फिसला

नई दिल्ली। स्विट्जरलैंड के बैंकों में रखे धन के मामले में भारत करीब 4500 करोड़ रुपये के साथ फिसलकर 88वें स्थान पर आ गया है। वहीं ब्रिटेन पहले पायदान पर बना हुआ है। स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के ताजा आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार भारतीयों द्वारा रखा गया धन विदेशी ग्राहकों के स्विस बैंकों में रखे कोष का केवल 0.04 प्रतिशत है।

भारत 2015 में 75वें स्थान पर जबकि इससे पूर्व वर्ष में यह 61वें स्थान पर था। भारत वर्ष 1996 से 2007 तक लगातार स्विस बैंकों में विदेशियों के जमा धन के मामले में शीर्ष 50 देशों में शामिल था। 2004 में भारत इस मामले में 37वें स्थान पर था।काले धन की समस्या के समाधान के लिए स्विट्जरलैंड और भारत के बीच सूचना के स्वतऱ् आदान-प्रदान के लिए नए मसौदे से पहले ज्यूरिख स्थित एसएनबी ने यह आंकड़ा जारी किया।

एसएनबी के इन आंकड़ों में इस बात का जिक्र नहीं है कि भारतीयों, प्रवासी भारतीयों या विभिन्न देशों की इकाइयों के नाम पर अन्य ने कितना-कितना धन जमा किया हुआ है। स्विट्जरलैंड में बैंकिंग गोपनीयता के खिलाफ वैश्विक अभियान के बाद ऐसी धारणा है कि जिन भारतीयों ने अपना अवैध धन पूर्व में स्विस बैंकों में रखा था, वे उन्हें दूसरी जगहों पर स्थानांतरित कर सकते हैं। 

स्विस बैंक में कौन कहां
रूस- 19वें
चीन-25वें
ब्राजील- 52वें
दक्षिण अफ्रीका-61
पाकिस्तान- 71वें
बांग्लादेश- 89वें
नेपाल- 150वें
श्रीलंका- 151वें
भूटान-282वें