Sunday, June 16, 2024
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331 फर्जी कंपनियों के शेयरों की ट्रेडिंग बंद

नई दिल्ली। बाजार विनियामक सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने सोमवार को स्टॉक एक्सचेंज को उन 331 संदेहास्पद शेल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया जो स्टॉक मार्केट्स से लिस्टेड हैं।

काले धन की समस्या से निपटने की कोशिशों के तहत सेबी ने कहा कि इस महीने इन कंपनियों के शेयर ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध नहीं होंगे। मंगलवार से ही इन शेयरों की ट्रेडिंग दोनों स्टॉक एक्सचेंजों, बीएसई और एनएसई पर रोक दी गई।

शेल कंपनियां वैसी संदेहास्पद संस्थाएं होती हैं जिनका इस्तेमाल अक्सर अवैध धन के शोधन में लगाया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो शेल कंपनियां काले पैसे को सफेद करने में लगी होती हैं। हालांकि, शेल कंपनी की परिभाषा कंपनीज ऐक्ट में नहीं दी गई है।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के मुताबिक, इन सभी लिस्टेड सिक्यॉरिटीज को तत्काल प्रभाव से स्टेज VI ग्रेडेड सर्विलांस मेजर (जीएसएम) में रखा जा चुका है।

अगर इस लिस्ट से इतर भी कोई लिस्टेड कंपनी जीएसएम के किसी भी स्टेज के तहत चिह्नित हुई है तो उसे भी सीधे जीएसएम स्टेज VI में डाल दिया जाएगा।

सोया खली उत्पाद निर्यात में 237 % की छलांग

इंदौर। सोया खली और इससे बने उत्पादों का निर्यात जुलाई में लगभग 237 प्रतिशत बढ़कर 98,000 टन पर पहुंच गया। जुलाई 2016 में देश से इन उत्पादों का निर्यात 29,000 टन के स्तर पर रहा था।

प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया सोपा के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने आज यह जानकारी दी।

पाठक ने बताया कि मौजूदा विा वर्ष में अप्रैल से जुलाई के बीच देश से सोया खली और इससे बने उत्पादों के निर्यात का आंकड़ा 4.69 लाख टन रहा जो पिछले विा वर्ष की इस अवधि में इनके 1.19 लाख टन के निर्यात से करीब 294 प्रतिशत अधिक है।

तेल विपणन वर्ष (अक्तूबर 2016 से सितंबर 2017 तक)  में अक्तूबर से जुलाई के बीच देश के सोया खली और इससे बने उत्पादों का निर्यात 373 प्रतिशत के बड़े उछाल के साथ 16.46 लाख टन पर पहुंच गया।

पिछले तेल विपणन वर्ष की समान अवधि में देश से इन उत्पादों का निर्यात 3.48 लाख टन के स्तर पर रहा था।सोया खली वह उत्पाद है, जो प्रसंस्करण इकाइयों में सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचा रह जाता है।

यह उत्पाद प्रोटीन का बड़ा स्रोत है। इससे सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य उत्पादों के साथ पशु आहार तथा मुर्गयिों का दाना भी तैयार किया जाता है।

रेरा में प्रॉजेक्ट रजिस्ट्रेशन पर ही बिल्डरों को लोन

मुंबई। जो बिल्डर्स नए रियल एस्टेट रेगुलेशन ऐक्ट (रेरा) से बचने की कोशिश कर रहे थे, वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। बैंकों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के साथ सलाह करने के बाद यह फैसला किया है कि उन प्रॉजेक्ट्स को लोन नहीं दिया जाएगा, लोन नहीं देंगे, जो रेरा के तहत रजिस्टर्ड नहीं हैं।

बैंकों से लोन नहीं मिलने के डर से बिल्डरों को सभी प्रॉजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन रेरा के तहत कराना पड़ेगा। एक बैंक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘हमें बचाव के कुछ उपाय करने होंगे। रेरा का मकसद ग्राहकों का पैसा लेकर रातोंरात फरार होने वाले बिल्डरों पर लगाम लगाना है।

इसलिए हम उन प्रॉजेक्ट्स को कर्ज नहीं देंगे, जो नए रियल एस्टेट कानून के तहत रजिस्टर्ड नहीं होंगे।’ उन्होंने बताया, ‘इन रेगुलेशंस के मुताबिक चलने में हमारा भी फायदा है। लोन देने में पहले सावधानी बरतना जरूरी है। बाद में पछताने से कोई फायदा नहीं होता।’

बैंकों ने कुछ रियल एस्टेट कंपनियों को कर्ज देने के लिए प्रमोटरों से पर्सनल प्रॉपर्टीज की गारंटी मांगी है। एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने बताया, ‘हम बहुत आशंकित हैं। अगर हम कानून के मुताबिक, कर्ज देते हैं तो जिस तरह से इसे बनाया गया है, उससे हमारे हितों की रक्षा नहीं होगी।

अगर ऐसी प्रॉपर्टी में बैड लोन की सूरत बनती है तो ग्राहकों का पैसा लौटाने का प्रावधान है। हमारे बारे में ऐसे प्रोविजन नहीं किए गए हैं। इसलिए हम रियल एस्टेट सेक्टर को कर्ज देने में बहुत सावधानी बरत रहे हैं।’

नए रियल ऐस्टेट (रेगुलेशन एंड डिवेलपमेंट) एक्ट, 2016 (रेरा) में बिल्डर को किसी प्रोजेक्ट के लिए ग्राहकों से ली गई 70 पर्सेंट रकम अलग बैंक खाते में रखनी होगी। इससे उसके पास किसी अन्य कामकाज के लिए 30 पर्सेंट रकम हाथ में होगी।

पहले वह ग्राहकों से लिए गए पूरे पैसे का इस्तेमाल उस प्रोजेक्ट के अलावा किसी और काम में कर सकता था। रियल एस्टेट इंडस्ट्री की संस्था अपने सदस्यों से रेरा के तहत प्रोजेक्ट को रजिस्टर कराने की अपील कर रही है, लेकिन इस मामले में उसे बहुत सफलता नहीं मिली है।

बिल्डरों की सबसे बड़ी संस्था, कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया यानी क्रेडाई के प्रेजिडेंट जे शाह ने कहा, ‘हमने अपने सभी मेंबर डिवेलपर्स से उनके प्रॉजेक्ट्स को रेरा के तहत रजिस्टर कराने को कहा है। उन्होंने इसका वादा भी किया है।’

शाह ने कहा, ‘रेरा का मकसद यह है कि ग्राहकों को तकलीफ ना सहनी पड़े। डिवेलपर्स रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई कर रहे हैं। इसे तेजी से प्रोसेस करने के लिए अथॉरिटी के लेवल पर इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाया जाना चाहिए।

यह काम तेजी से होना चाहिए क्योंकि ग्राहक पजेशन का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, रजिस्ट्रेशन होने तक हम मार्केटिंग या फाइनैंसिंग की दिशा में काम नहीं कर सकते।’

ऐमजॉन देश में फूड रिटेलिंग बिजनस शुरू करेगी

नई दिल्ली। ऐमजॉन दिवाली से पहले देशभर में फूड रिटेलिंग बिजनस शुरू करने को तैयार है। कंपनी की योजना से वाकिफ सूत्रों ने यह जानकारी दी है। इस बिजनस में कंपनी अपनी सब्सिडियरी ऐमजॉन रिटेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के जरिए कदम रखने जा रही है।

उसके बाद वह देश में एक प्राइवेट ग्रॉसरी ब्रांड भी बनाएगी, जैसा कि वह अमेरिका में पहले कर चुकी है। ऐमजॉन के फूड रिटेलिंग बिजनस प्लान पर सबकी नजर है क्योंकि इससे इस सेगमेंट में प्राइस वॉर शुरू होने के आसार हैं।

दरअसल, अमेरिकी कंपनी ग्राहकों को लुभाने के लिए आकर्षक कीमतों पर प्रॉडक्ट्स बेचने की रणनीति पर चलती आई है। ऐमजॉन को हाल में सरकार से ऑनलाइन और फिजिकल स्टोर्स के जरिये फूड और ग्रॉसरी बेचने और स्टोर करने की इजाजत मिली है।

कंपनी इस सेगमेंट में अगले पांच साल में 50 करोड़ डॉलर का निवेश करने का इरादा रखती है। इस वेंचर के तहत ऐमजॉन भारत में बने प्रॉडक्ट्स बेचेगी। वह बाहरी कंपनियों से खरीदकर और अपने ब्रांड के तहत ये सामान ग्राहकों को बेचेगी।

कंपनी अभी कुछ शहरों में ऐमजॉन पैंट्री के तहत थर्ड पार्टी सेलर्स के फूड प्रॉडक्ट्स ऑफर करती है। वह बिग बाजार और हाइपरसिटी जैसे रिटेलर्स के साथ समझौते के तहत ऐमजॉन नाउ ऐप के जरिये एक दिन में ग्रॉसरी की डिलीवरी का भी वादा करती है।

हालांकि, यह सर्विस कुछ ही शहरों में दी जा रही है। इस बारे में पूछने पर ऐमजॉन इंडिया के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘हम भविष्य की योजनाओं पर टिप्पणी नहीं करते।’

रिटेल कंसल्टेंसी फर्म थर्ड आईसाइट के सीईओ देवांग्शु दत्ता ने बताया, ‘कंपनियों को रिटेल बिजनस को इंटीग्रेटेड एक्टिविटी के तौर पर लेना होगा।

अगर आप कई कई प्रॉडक्ट्स बेच रहे हैं और मल्टी-ब्रांड कंपनी हैं तो आपको मल्टी-फॉर्मेट में मौजूद रहना होगा। ऐमजॉन भी आगे चलकर फिजिकल स्टोर्स खोल सकती है।’

नोट छपाई पर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा

नई दिल्ली। नए बैंक नोट की छपाई को लेकर कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा में जमकर बवाल काटा। पार्टी का आरोप है कि सरकार एक ही डिनोमिनेशन के दो अलग-अलग प्रकार के नोट छाप रही है। यह मामला सदन में तब उठा जब कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने अपने साथ लाई एक ही नोट की दो तरह की फोटोकॉपी दिखाई।

उन्होंने कहा कि उन्हें पता चल गया है कि सरकार ने नोटबंदी क्यों की। सिब्बल ने कहा’ ‘रिजर्व बैंक दो तरह के नोट छाप रहा है, अलग-अलग साइज के, अलग-अलग डिजाइन के, अलग-अलग फीचर्स के।’ उन्होंने कहा, ‘आज हमें पता चला है कि ऐसा क्यों हो रहा है? जो नोट बीजेपी कार्यकर्ता के पास इलेक्शन के दौरान आए, वो यही नोट हैं।’

सिब्बल की ओर से यह आरोप लगाते ही सदन में मौजूद कांग्रेस पार्टी के तमाम संसद शेम-शेम करते हुए चिल्लाने लगे। विपक्ष की ओर से नेता सदन गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह इस सदी का सबसे बड़ा घोटाला है। दो किस्म के हजार के नोट और दो किस्म के पांच सौ के नोट छापे गए हैं। एक पार्टी चलाए और एक सरकार चलाए।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष पर शून्य काल का वक्त बर्बाद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘आप जब चाहें कागज उछाल कर पॉइंट ऑफ ऑर्डर का हवाला देने लगते हैं। इस तरह का गैर-जिम्मेदाराना रवैया बहुत दुखद है। विपक्ष जीरो आवर को लगातार डिस्टर्ब कर रहा है।’

बहरहाल, उपसभापति के लगातार अलग नोटिस देने की अपील के बाद भी हंगामा नहीं थमा तो सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।

सप्ताह में 5 दिन खुलेंगे बैंक, फैसला जल्दी ही

नई दिल्ली। आम लोगों के लिए बैंकों के खुलने और बंद होने का समय बदल सकता है। मुमकिन है कि बैंक सुबह 10 बजे के बजाय 9:30 बजे खुले और शाम 4 बजे तक ग्राहकों के काम निपटाए जाएं। ऐसा हुआ तो बैंक कर्मचारी सप्ताह में सिर्फ 5 दिन काम करेंगे। हर शनिवार और रविवार को बैंक बंद रहेंगे।

इस बारे में एक प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। बैंकों की संस्था इंडियन बैंक्स असोसिएशन (आईबीए) और बैंक यूनियनों के बीच पहले दौर की बातचीत हो चुकी है। इसी महीने दूसरे दौर की बातचीत के बाद अंतिम फैसला होने की संभावना है। अभी बैंक कर्मचारी आमतौर पर हर दिन करीब साढ़े छह घंटे काम करते हैं।

2 दिन का आराम हरेक सप्ताह मिले
हालिया बैठकों में बैंक यूनियनों ने कहा कि वे ग्राहकों को अतिरिक्त समय देने को तैयार हैं, पर उन्हें 5-डे वीक चाहिए। अभी बैंकों में हर दूसरे और चौथे शनिवार को छुट्टी रहती है। नैशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा कि समय बढ़े तो हर शनिवार की छुट्टी मिले।

ग्राहक बढ़े हैं तो समय भी बढ़े
सरकार का मानना है कि बैंकों के पास ग्राहकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में बैंकों को कैश डिपॉजिट, नए खाते खुलवाना, एफडी बनवाना, एफडी तुड़वाना और पासबुक में एंट्री जैसे कामों के लिए ज्यादा समय देना चाहिए।

यूनियन की मांग पर सैद्धांतिक सहमति
सरकार बैंक यूनियनों की मांग से सैद्धांतिक रूप से राजी है। शनिवार को शेयर मार्केट बंद होता है और कारोबार से संबंधित कामकाज कम रहता है। हर शनिवार और रविवार बंद रहने से बैंकों की ऑपरेशनल कॉस्ट भी घट सकती है।

 

दैनिक वस्तुओं पर राहत, फैसला अगली बैठक में

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नई दिल्ली । भले ही सेस के चलते बड़ी गाड़ियों के दाम बढ़ने की सूरत बन रही हो, मगर इसके उलट इडली व डोसा पाउडर, रसोई गैस लाइटर जैसे रोजमर्रा के सामान सस्ते हो सकते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल इन उत्पादों पर लगने वाली दरें घटाने को लेकर विचार कर रही है। इस बारे में कोई भी फैसला काउंसिल की नौ सितंबर को हैदराबाद में होने वाली बैठक में लिया जाएगा।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दो दर्जन से ज्यादा उत्पादों के मामले में विसंगतियां पाए जाने के बाद जीएसटी काउंसिल ने इन पर लगने वाली दरों पर विचार करने का फैसला किया है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद टैक्स से बचने के लिए कुछ फर्मो ने अपने ब्रांडों का पंजीकरण रद कराया है।

ऐसे मामलों निपटने के लिए फिटमेंट कमेटी ने काउंसिल से रजिस्टर्ड ब्रांडों के लिए 15 मई, 2017 को अंतिम तारीख (कटऑफ डेट) तय करने का प्रस्ताव किया है। अगर इस तारीख के बाद ब्रांड का पंजीकरण रद कराया भी गया है, तो भी उस पर जीएसटी लगेगा।

बिना ब्रांड वाले खाद्य उत्पादों को जीएसटी से छूट दी गई है। इसके उलट ब्रांडेड और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थो पर पांच फीसद जीएसटी लगता है।सूत्रों का कहना है कि जीएसटी फिटमेंट कमेटी ने दो दर्जन से अधिक जिंसों की नए दर ढांचे को मंजूरी दी है। इस संदर्भ में प्रस्ताव निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय को भेजा है।

उसने कहा कि जीएसटी काउंसिल की पांच अगस्त को हुई बैठक में इनमें से कुछ जिंसों पर लगने वाली दरों पर विचार किया। उनमें से कुछ के मामले में दरों में कमी किए जाने को हरी झंडी दी। बाकी वस्तुओं के बारे में नौ सितंबर की अगली बैठक में विचार किया जाएगा।

इन पर है टैक्स में कमी का प्रस्ताव
हालांकि सूत्रों ने यह नहीं बताया कि किन वस्तुओं पर कर की दरें कम की गई हैं। उसके अनुसार सूखी इमली और भुने चने पर जीएसटी की मौजूदा दर को 12 से घटाकर पांच फीसद करने का प्रस्ताव किया गया है। इसी तरह प्रस्ताव में कस्टर्ड पाउडर पर जीएसटी की मौजूदा 28 के बजाय 18 फीसद रखने की बात कही गई है।

इडली व डोसा पाउडर पर 18 की जगह 12 फीसद टैक्स लगाने का प्रस्ताव है। प्लास्टिक रेनकोट, रबर बैंड, कंप्यूटर मॉनिटर और रसोई गैस लाइटर पर जीएसटी दर मौजूदा 28 से घटाकर 18 फीसद की जा सकती है।

धूपबत्ती, धूप और अन्य इसी प्रकार की वस्तुओं पर मौजूदा 12 से घटाकर पांच फीसद करने का प्रस्ताव है। इससे धूपबत्ती भी जीएसटी के मामले में अगरबत्ती के स्तर पर आ जाएगी। झाड़ू और सफाई ब्रश पर कोई कर नहीं लगाने का प्रस्ताव है, जबकि अभी इस पर फीसद टैक्स है।

हवन सामग्री पर लगेगा पांच फीसद कर
हवन सामग्री पर पांच फीसद जीएसटी लगेगा। अभी इस पर जीएसटी की दर शून्य है। हालांकि मिट्टी की मूर्तियों पर टैक्स की दर को 28 से घटाकर पांच फीसद किया जाएगा।

शेयर बाजार की मामूली बढ़त के साथ शुरुआत

नई दिल्ली । मंगलवार के कारोबारी सत्र में भारतीय शेयर बाजार में मामूली बढ़त देखने को मिल रही है। करीब 9.45 बजे प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 23 अंक की बढ़त के साथ 32297 के स्तर पर और निफ्टी 12 अंक की बढ़त के साथ 10,069 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर मिडकैप में 0.09 फीसद की बढ़त और स्मॉलकैप में 0.12 फीसद की कमजोरी देखने को मिल रही है। 

वैश्विक बाजार में मिले जुले संकेत
अंतरराष्ट्रीय बाजार में मिले जुले संकेतों के चलते तमाम एशियाई बाजारों में कमजोरी देखने को मिल रही है। जापान का निक्केई 0.37 पीसद की कमजोरी के साथ 19981 के स्तर पर, चीन का शांधाई 0.20 फीसद की कमजोरी के साथ 3273 के स्तर पर और कोरिया का कोस्पी 0.16 फीसद की कमजोरी के साथ 2394 के स्तर पर कारोबार कर रहे हैं।

टाटा स्टील टॉप गेनर
दिग्गज शेयर्स की बात करें तो निफ्टी में शुमार शेयर्स में से 25 हरे निशान में, 25 गिरावट के साथ और एक बिना किसी परिवर्तन के कारोबार कर रहा है। सबसे ज्यादा तेजी हिंडाल्को, टाटा स्टील, वेदांता लिमिटेड, बजाज ऑटो और आईशर मोटर्स के शेयर्स में देखने को मिल रही है। वहीं, गिरावच इंफ्राटेल, आईओसी, एनटीपीसी, बीपीसीएल और कोटक बैंक के शेयर्स में है।

सरकारी बैंकों ने 2.5 लाख करोड़ का कर्ज बट्टे खाते में डाला

रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक बैंकों को कर रियायतों का लाभ पाने के लिए फंसे कर्जो की पर्याप्त धन राशि बट्टे खाते में डालनी होती है।

नई दिल्ली । पिछले पांच वित्त वर्षो के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज (एनपीए) बट्टे खाते में डाल दिये यानी इन कर्जो की वसूली नामुमकिन मानकर उनके लिए धनराशि का प्रावधान किया। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के हवाले से वित्त मंत्रलय ने दी है।

भारतीय स्टेट बैंक और उसके पांच सहयोगी बैंकों समेत 27 सार्वजनिक बैंकों ने बीते वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 81,683 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले। पिछले पांच साल में यह सर्वाधिक राशि है। इससे पिछले वित्त वर्ष में बट्टे खाते में डाली गई राशि के मुकाबले यह 41 फीसद ज्यादा है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समूह ने इस दौरान 27,574 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले। मौजूदा वित्त वर्ष में पहले दिन यानी एक अप्रैल को सहयोगी बैंकों का एसबीआई  में विलय हो गया।

बैंकों द्वारा बट्टे खाते में डाली गई राशि के बारे में जारी रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक सार्वजनिक बैंकों ने वित्त वर्ष 2012-13 में 27,231 करोड़, 2013-14 में 34,409 करोड़, 2014-15 में 49,018 करोड़, 2015-16 में 56586 करोड़ और 2016-17 में 81,683 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले।

बीते वित्त वर्ष में पंजाब नेशनल बैंक ने 9205 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया ने 7346 करोड़ और केनरा बैंक ने 5545 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले। इसी तरह बैंक ऑफ बड़ौदा ने 4348 करोड़, कॉरपोरेशन बैंक ने 3574 करोड़, इंडियन ओवरसीज बैंक ने 3066 करोड़ और आइडीबीआई बैंक ने 2868 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले।

रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक बैंकों को कर रियायतों का लाभ पाने के लिए फंसे कर्जो के लिए पर्याप्त धन राशि बट्टे खाते में डालनी होती है। आरबीआई ने बैंकों को इसकी अनुमति दी है कि वे मुख्यालय स्तर पर किसी फंसे कर्ज के लिए राशि बट्टे खाते में डाल सकते हैं। साथ ही वे शाखा स्तर पर वसूली के लिए प्रयास जारी रख सकते हैं।

रिजर्व बैंक के अनुसार 31 मार्च 2017 को सार्वजनिक बैंकों का कुल एनपीए यानी फंसे कर्ज उनके कुल कर्जो के मुकाबले 12.47 फीसद थे। इन बैंकों के कुल कर्ज 51.42 लाख करोड़ रुपये थे जबकि उनके फंसे कर्ज 6.41 लाख करोड़ रुपये थे। बैंकों का एनपीए तेजी से बढ़ने से सरकार अत्यधिक चिंतित है।

गरीबों के लिए रसोई गैस पर सब्सिडी जारी रहेगी

अगरतला। सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि गरीबों के लिए घरेलू इस्तेमाल के रसोई गैस सिलेंडर (एलपीजी) पर सब्सिडी जारी रहेगी। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमारी घरेलू इस्तेमाल के लिए एलपीजी पर सब्सिडी समाप्त करने की कोई योजना नहीं है।

गरीब और आम लोगों के लिए एलपीजी और केरोसिन पर सब्सिडी जारी रहेगी।’ गौरतलब है कि सरकार के आदेश पर पेट्रोलियम कंपनियां हर महीने सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत बढ़ा रही हैं।

प्रधान ने बताया कि पूर्वोत्तर में एलपीजी के संकट से निपटने के लिए चटगांव से त्रिपुरा तक प्राकृतिक गैस के परिवहन को पाइपलाइन बिछाने के लिए उनके मंत्रालय ने बांग्लादेश सरकार से बात की है।

प्रधान ने कहा, ‘हम पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी से बांग्लादेश के पार्वतीपुर में डीजल के परिवहन के लिए पाइपलाइन बिछा रहे हैं। असम में नुमालीगढ़ रिफाइनरी से सिलिगुड़ी तक डीजल के परिवहन के लिए पाइपलाइन है।

इसके बदले में हमने चटगांव से त्रिपुरा तक गैस पाइपलाइन का प्रस्ताव दिया है। हम इस मामले को राजनयिक स्तर पर आगे बढ़ा रहे हैं। मैं जल्द बांग्लादेश जाऊंगा।’