MSP का कानून बनाए सरकार, भारतीय किसान संघ की केन्द्र से मांग

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कोटा। भारतीय किसान संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और संगठन मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक बुधवार को स्वामी विवेकानन्द विद्या निकेतन महावीर नगर तृतीय पर सम्पन्न हुई। जिसमें केन्द्र सरकार के द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों, किसानों के पराली जलाने और जीएम फसलों को अनुमति देने के प्रयास समेत विभिन्न संगठनात्मक विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान स्व. दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्मशताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों का विवरण भी प्रस्तुत किया गया।

बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष आईएन बसवे गौड़ा ने की। बसवे गौड़ा ने बताया कि संगठन का सदस्यता अभियान जनवरी 2021 से प्रारंभ होगा। जिसे देश के 6 लाख गांवों में से करीबन 1 लाख गांवों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए हर जिले को अलग अलग लक्ष्य दिए जाएंगे।

बैठक में तय किए गए बिन्दुओं को लेकर अध्यक्ष आईएन बसवे गौड़ा और राष्ट्रीय मंत्री मोहिनी मोहन ने बुधवार को पत्रकारों को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सर्वाैच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसानों को फसल अवशेष और पराली उपयोगी बनाने के लिए 2500 रुपये प्रति एकड़ सहायता राशि दी जाए। पंचायत स्तर पर किसानों को प्रशिक्षण देकर मशीनरी पर 50 प्रतिशत छूट दी जाए।

न्यायालय के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों की अवहेलना करते हुए राज्य सरकारें किसानों पर प्रकरण लादकर जुर्माना वसूल कर रहीं हैं। बिना सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालना किए किसानों पर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। इसके लिए भारतीय किसान संघ न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने का मामला सुप्रीम कोर्ट के पास लेकर जाएगा। बैठक में सरकारों से पराली जलाने के नाम पर वसूल गई अवैध जुर्माना राशि का वापिस करने की मांग की गई।

बैठक में जीईएसी द्वारा बीटी बैंगन को बिना चर्चा के अनुमति देने को गलत बताया गया। उन्होंने कहा कि यह अनुमति विशेषज्ञ समिति द्वारा तथा उच्चतम न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी करते हुए दी गई है। गैर कानूनी तरीके से जेनेटिक मोडिफाइड बीजों के प्रसार को रोकने के लिए राज्य और केन्द्र सरकार से मांग की गई। उन्होंने कहा कि 2002 में बीटी कपास की अनुमति मिली, लेकिन यह 2006 में विफल हो गई। जिसके बाद 2006 में बोलगार्ड-2 के नाम पर दूसरी बीटी कपास को लाया गया। यह भी वर्ष 2009 में विफल हो गई। इसके बावजूद बीटी बैंगन के नाम पर जीएम फसलों को प्रसारित करने का दुस्साहस किया जा रहा है। संसद की स्थाई समिति, सर्वाैच्च न्यायालय की एक्सपर्ट कमेटी और देशभर के किसान भी इसका विरोध कर चुके हैं।

मोहिनी मोहन ने बताया कि एचटीबीटी की फसलों से जो रसायन प्रयोग किया जाता है, वह कैंसर का कारण बनता है। जिस खेत में इस रासायनिक ग्लाईफोसेट का प्रयोग किया जाता है, उस फसल को छोड़कर शेष पौधों को नष्ट कर देता है। जिससे जैव विविधता और जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है। आज तक जितनी भी जीएम फसल आई है, किसी में भी अधिक उपजाऊ करने वाला गुणसूत्र प्रयोग नहीं हुआ है। इन प्रतिबंधित बीजों का निर्माण करने वाले निर्माताओं पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। इस बीज के नाम पर करोड़ों रूपए का बीज व्यापार किया जा चुका है, वह पैसा भी किसानों को वापस किया जाए।

कृषि कानूनों को लेकर 4 प्रस्ताव पारित

  1. केन्द्र सरकार के द्वारा पारित किए गए कृषि कानूनों को लेकर भारतीय किसान संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के द्वारा 4 प्रस्ताव पारित किए गए हैं।
  2. सरकार द्वारा घोषित उत्पादन को कम से कम से समर्थन मूल्य पर कृषि खरीदी का प्रावधान करने के लिए चौथा कानून बनाए।
  3. व्यापारियों का राज्य और केन्द्र में बैंक सिक्यूरिटी के साथ पंजीयन हो और वह जानकारी सरकारी पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध हो।
  4. कृषि संबंधी सभी विवादों के लिए स्वतंत्र कृषि न्यायालय क स्थापना हो तथा यह विवाद किसान के जिले में ही निपटाया जाए।

जीवन आवश्यक वस्तु अधिनियम में सुधार करते हुए भण्डारण सीमा पर से सभी निर्बंध हटाए गए हैं। विशेष परिस्थितियों में यह कानून लागू होगा। लेकिन उसमें से प्रस्संस्करण और निर्यातक को दी गई छूट समझ से परे है। इससे उपभोक्ता को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसे तर्कसंगत बनाना होगा।