कोटा। शहर में कोई भी होर्डिंग्स अवैध नहीं होते। नगर निगम के बायलॉज में निजी भवनों पर होल्डिंग्स लगाने का नियम है, वह शुल्क भी निर्धारित है। उसी के तहत गत 20 वर्षों से नगर निगम क्षेत्र कोटा में निजी भवनों पर होर्डिंग्स लगे और विगत वर्ष नगर निगम को इससे ₹70 लाख की आय भी हुई।
सभी साइट्स पर निगम और मकान मालिक की परमिशन लेकर ही होर्डिंग लगाए गए। किन्तु एक राज्य स्तरीय समाचार पत्र जो खुद भी इस व्यवसाय से जुड़ा हुआ है,जानबूझ कर शहर के एडवर्टाइजर्स के परमिशन लेकर लगाए गए होर्डिंग्स को अवैध बताकर उनको बदनाम करने की साजिश रचता रहता है, जिससे वे आहत हैं।
मीडिया एडवरटाइजिंग एसोसिएशन कोटा के अध्यक्ष अनिल तिवारी एवं महासचिव आसिफ खान ने पत्रकार वार्ता में बताया कि वह समाचार पत्र हमारे होर्डिंग्स को अवैध बताने के लिए कुछ छुटभैया नेताओं से आंदोलन और प्रदर्शन कराता है। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम की समिति के महेश गौतम लल्ली के शहर में खुद अवैध होर्डिंग लगे हुए हैं,जो नगर निगम के अधिकारियों को नजर नहीं आते हैं।
उन्होंने बताया कि 2 अप्रैल 2019 को नगर निगम की ओर से एक विज्ञप्ति समाचार पत्रों में प्रकाशित कराई थी। जिसमे होर्डिंग हटाने के राज्य सरकार के आदेश बताये थे। आज तक नगर निगम ने विज्ञापन एजेंसियों को निजी भवनों से लगे होर्डिंग हटाने का कोई लिखित में नोटिस नहीं दिया गया है, जबकि सभी विज्ञापन एजेंसियों द्वारा नगर निगम में विगत वर्ष की भांति चेक प्रस्तुत कर दिया है, जिन्हें नगर निगम ने स्वीकार नहीं किया । उन्होंने पूछा कि यदि ऐसे आदेश थे तो उसकी एक प्रति उनको भी देनी चाहिए थी। किन्तु आज तक नही दी गई। क्या ऐसे आदेश सिर्फ कोटा के लिये ही थे।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के आदेश तो पुरे राजस्थान में होने चाहिए थे। किन्तु साजिश के तहत उनके होर्डिंग को अवैध बता कर हटा दिया जाता है। कोटा ही नहीं देश के बड़े शहरों में मकानों की छतों पर होर्डिंग लगे रहते हैं। उन्होंने बताया कि एक होर्डिंग की लागत पांच से सात लाख रुपये आती है। यदि परमिशन लेकर लगाए होर्डिंग भी हटा दिए जाएंगे तो उनका करोड़ों रुपया डूब जायेगा। शहर का फ्लेक्स का काम बंद हो जायेगा। बेरोजगारी बढ़ जाएगी।
नगर निगम होर्डिंग लगाने से पहले उसकी राशि के चेक एवं डीडी लेता है, । फिर राज्य सरकार का आदेश बताकर उनके होर्डिंग हटा ने का आदेश देता है। उधर, जिसके मकान पर होर्डिंग लगता है। उसके और एडवर्टाइजर्स के बीच एग्रीमेंट होता है। उसकी साईट का उपयोग करने के लिए मकान मालिक की भी लाखो का पेमेंट करना पड़ता है। बीच में हॉर्डिंग हटा देने से एवर्टाइजर्स का पेमेंट मकान मालिक में अटक जाएगा। इस तरह एडवर्टाइजर्स को करोड़ों का नुकसांन उठाना पड़ेगा।
उन्होने बताया छतों पर लगाए जाने वाले होर्डिंग सुरक्षा को ध्यान में रखकर लगाए जाते हैं। करीब 140 किमी स्पीड के चक्रवाती तूफान में होर्डिग फट सकते है। गिर नहीं सकते। क्योंकि अब चददर के नहीं बल्कि फ्लेक्स कपडे के बनते हैं। हाल ही में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव मैं भी प्रत्याशियों को निजी भवनों पर लगे होल्डिंग्स एलॉट किए गए थे, जब अवैध नहीं थे । स्वयं नगर निगम अपने निजी भवनों पर होर्डिंग लगाने के लिए किराए पर देता है ।
कोटा शहर ही नहीं सभी मेट्रोज में हार्डिंग से लग रहे हैं और यदि हार्डिंग हटने का आदेश राजस्थान सरकार पारित करती है तो पूरे राजस्थान में होना चाहिए जबकि जयपुर, कोटा उदयपुर में ही नहीं सभी शहरों में निजी भवनों पर होर्डिंग लगे हुए हैं । इस मामले में उन्होंने नगरीय विकास मंत्री को भी ज्ञापन देकर अपनी समस्या बताई है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसोसिएशन की कार्यकारिणी के जगदीश नामा, रवि खंडेलवाल, गगन जैन, रवि गौतम, अशोक भदौरिया, मासूम मंडलोई, दानिश खान आदि उपस्थित थे।