नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि बैंकों की ब्याज दरें किफायती होनी चाहिए, खास तौर पर ऐसे समय में जब सरकार चाहती है कि उद्योग अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ाएं मगर उधारी लागत काफी ज्यादा है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के वार्षिक व्यापार और आर्थिक सम्मेलन में सीतारमण ने कहा, ‘जब आप भारत की वृद्धि की आवश्यकताओं को देखते हैं, और कई तबकों से यह राय सामने आती है कि उधारी की लागत वास्तव में काफी ज्यादा है। ऐसे समय में जब हम चाहते हैं कि उद्योग तेजी से आगे बढ़ें और क्षमता निर्माण हो, बैंक ब्याज दरें कहीं अधिक सस्ती होनी चाहिए।’
खुदरा और छोटे कर्ज लेने वालों के लिए बैंकों की उधारी दरें रीपो दर से जुड़ी हैं। कॉरपोरेट ऋण सीमांत लागत-आधारित उधार दर (एमसीएलआर) से जुड़े होते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि आपूर्ति और मांग पक्ष के कारण मुद्रास्फीति में अस्थिरता बनी हुई है। प्याज, टमाटर और आलू की कीमतों का दबाव मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर दिख रहा है। अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दर 6.2 फीसदी रही।
सीतारमण ने कहा, ‘इन तीन चीजों को छोड़कर अन्य चीजों के दाम सही मायने में 3 या 4 फीसदी से नीचे हैं। मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहती कि क्या जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं को मुद्रास्फीति मानदंड, सूचकांक या कुछ और का हिस्सा होना चाहिए या नहीं और इसे मौद्रिक नीति समिति के निर्णय को प्रभावित करना चाहिए या नहीं।’
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति जटिल मामला है जो आम लोगों को प्रभावित करता है। सरकार खाद्य तेलों और दालों सहित अन्य की आपूर्ति में सुधार के लिए काम कर रही है। इसके साथ ही सरकार मांग और आपूर्ति की कमी के कारण मुद्रास्फीति में अस्थिरता को कम करने के लिए भंडारण सुविधाओं के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
अर्थव्यवस्था में नरमी की चिंता पर सीतारमण ने कहा, ‘सरकार घरेलू और वैश्विक दोनों कारकों से उत्पन्न चुनौतियों से अवगत है। मगर अनावश्यक चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हाल के उच्च-आवृत्ति संकेतक निरंतर वृद्धि का संकेत दे रहे हैं।’
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि बैंकों को कोर बैंकिंग पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए क्योंकि ‘भ्रामक तरीके से उत्पादों की बिक्री’ ने अप्रत्यक्ष रूप से ग्राहकों के लिए उधार लेने की लागत बढ़ा दी है। उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को अपने उत्पाद और सेवाओं को लेकर ग्राहकों के बीच विश्वास पैदा करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘खास तौर पर जहां बैंक बीमा उत्पादों के वितरण की सुविधा प्रदान करते हैं। मैं बैंक के लक्ष्यों पर उचित विचार करने के लिए यह कहना चाहती हूं। हालांकि इसने देश भर में बीमा पहुंच को बेहतर बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है लेकिन गलत तरीके से बिक्री की घटनाओं से चिंता भी बढ़ी है। वित्त मंत्री ने कहा कि लोगों का विश्वास जीतने के लिए बैंकों को पारदर्शिता, नैतिक प्रथाओं और स्पष्ट संचार रणनीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए।