कोटा। राशन घोटाले की एसीबी जांच में बड़े खुलासे हुए हैं। रसद विभाग से जब्त किए गए रिकॉर्ड से पता चला है कि जनता का राशन डीलर तो डकार ही रहे हैं, लेकिन इसमें रसद विभाग भी पाक-साफ नहीं है। विभाग के स्तर से डीलरों को किए जा रहे गेहूं व केरोसिन के आवंटन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आ रही है।
एसीबी अधिकारियों ने पूरे दिन रिकॉर्ड का विश्लेषण किया। इसे समझने में रसद विभाग में कार्यरत दो संविदाकर्मियों की मदद ली गई। तभी पता चला कि राशन के आवंटन में अधिकारी मनमर्जी कर रहे हैं। जिसे चाहो ज्यादा और जिसे चाहो कम आवंटन किया जा रहा है। रिकॉर्ड की जांच से एक और बड़ी बात यह पता चली कि बड़ी संख्या में ऐसे राशन डीलर हैं, जिनके खाते में पुराना गेहूं और केरोसिन बकाया बोल रहा है। कुछ तो ऐसे हैं, जिनके सालभर से राशन बकाया चल रहा है।
नियम यह कहता है कि इनसे रिकवरी की जाए और रिकवरी नहीं कराने पर डीलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए। लेकिन, कार्रवाई तो छोडि़ए रसद विभाग के अफसरों ने इन दुकानों पर जाकर भौतिक सत्यापन तक नहीं किया गया। उल्टा इन्हें लगातार नया राशन आवंटित किया जाता रहा।
जांच में 15 डीलरों को ज्यादा मिला आवंटन
बीपीएल परिवार में प्रत्येक सदस्य के हिसाब से 5 किलो और अंत्योदय परिवार को 35 किलो गेहूं देने का प्रावधान है। अब मान लीजिए किसी डीलर के पास बीपीएल की 1000 यूनिट है और अंत्योदय के 10 राशन कार्ड है तो उक्त फार्मूले के तहत उसे 53.5 क्विंटल गेहूं आवंटन किया जाना चाहिए। लेकिन रसद विभाग ने किसी डीलर को 48 तो किसी को 60 क्विंटल आवंटन कर रखा है।
ऐसा क्यों किया गया? इसे लेकर जवाब दिया गया कि बकाया होने की अवस्था में कोटे का 15 प्रतिशत आवंटित किया जा सकता है, लेकिन इसमें भी पता चला कि किसी डीलर को 25 तो किसी को 40 प्रतिशत आवंटित कर दिया गया। अब तक 15 ऐसे डीलरों का रिकॉर्ड जांचा जा चुका है, जिसमें ज्यादा आवंटन किया गया है।
डीलरों ने एसीबी से किया संपर्क:एसीबी सूत्रों ने बताया कि कुछ राशन डीलरों ने खुद एसीबी से संपर्क कर बताया है कि आवंटन को लेकर घूसखोरी का खेल चलता है। लेकिन ये डीलर सामने नहीं आना चाहते और न ही बयान देने को तैयार हुए। उनका कहना है कि यदि खुलकर सामने आए तो यह तय है कि विभाग हमारे लाइसेंस रद्द कर देगा, ऐसे में रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।
इनसे मिली जानकारियों के आधार पर भी एसीबी पड़ताल करेगी। संभव है कि सोमवार को एसीबी रसद विभाग के अधिकारियों से पूछताछ करे। पोस मशीनों की शुरुआती जांच में पता चला कि इनमें 3 माह तक का वितरण का रिकॉर्ड होता है, स्टॉक का रिकॉर्ड इनमें नहीं होता।
आवंटन में मिली गड़बड़ी
आवंटन में गड़बड़ी प्रथम दृष्ट्या प्रतीत होती है। रसद विभाग और कुछ राशन डीलरों की मिलीभगत की जांच की जा रही है। इस प्रकरण में रिकॉर्ड बहुत सारा है और पूरा सच रिकॉर्ड से ही सामने आएगा, जिसका विश्लेषण करने में समय लगेगा। – ठाकुर चंद्रशील, एएसपी, एसीबी कोटा