कोटा। लागत नहीं मिलने से निराश किसान लहसुन सड़क पर फेंक रहे हैं। लहसुन की फसल करके किसान परेशान हैं। फसल के उचित दाम नहीं मिलने की उम्मीद टूटने पर अर्जुनपुरा गांव के किसान ने लहसुन को कचरे में फेंक दिया है। किसान जेपी गहलोत ने बताया कि 4 बीघा जमीन में लहसुन किया था।
घर पर जब लहसुन जमाया, तो करीब 10 कट्टा लहसुन बिखर गया। इसकी उसने कांट-छांट करवाना मुनासिब नहीं समझा। चूंकि लहसुन की ग्रेडिंग करवाने में उसे 7 से 8 मजदूर लगाने पड़ते। प्रति मजदूर 200 रुपए खर्च करने पड़ते। मंडी तक लहसुन पहुंचाने में उसे 240 रुपए खर्च करने पड़ते। जहां उसका लहसुन 3 से 4 रुपए किलो बिकता। 50 किलो लहसुन के बैग पर उसे 150 से 200 रुपए मिलते। फेंके गए लहसुन को मजदूर कचरे में छांट कर ले जा रहे हैं।
किसानों को भावांतर देने की मांग
राजस्थान व मध्यप्रदेश में एक ही पार्टी की सरकारें हैं। लेकिन, किसानों के प्रति दोनों सरकारों का नजरिया अलग-अलग है। नीमच जिले के गांव जावद के रहने वाले लहसुन उत्पादक किसान बबलू धाकड़ के अनुसार मध्यप्रदेश सरकार वहां किसानों को भावांतर योजना के तहत प्रति क्विंटल 800 रुपए की प्रोत्साहन राशि दे रही है।
इससे उन्हें बड़ी राहत मिल रही है। गेहूं खरीद खरीद में भी समर्थन मूल्य 1735 रुपए प्रति क्विंटल के भाव के अलावा 265 रुपए की प्रोत्साहन राशि दे रही है। राजस्थान सरकार किसानों को ऐसा कोई लाभ लहसुन व गेहूं खरीद पर नहीं दे रही है। हाड़ौती किसान यूनियन के विपणन प्रभारी चौथमल नागर ने मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रदेश के किसानों के लहसुन की खरीद में भावांतर योजना का लाभ देने की मांग की है।
वहीं, अखिल भारतीय किसान सभा लहसुन की खरीद को 30 जून तक करने की मांग को लेकर आंदोलित है। इधर, हाड़ौती किसान आंदोलन मंच ने मीटिंग करके सरकार से मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजे के रूप में 15 लाख रुपए की सहायता राशि दिए जाने की मांग की है। मीटिंग में कुंदन चीता, सुरेश गुर्जर, रणवीर सिंह आदि मौजूद रहे।