Vinyanjali Sabha: जो मरण का उत्सव मनाते हैं, वह मौत को भी जीत जाते हैं

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संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज की विन्यांजलि सभा

कोटा। Acharya Vidyasagar Vinyanjali: सकल दिगम्बर जैन समाज कोटा के तत्वावधान में सोमवार को अपराजेय साधक, आदर्श योगी, ध्यानध्याता-ध्येय के पर्याय, कुशल काव्य शिल्पी राष्ट्रीय संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज की विन्यांजलि सभा का आयोजन जैन जनउपयोगी भवन में आयोजित किया गया।

प्रचार सचिव मनोज जैन अदिनाथ ने बताया कि श्रमणरत्न मुनिश्री 108 आदित्यसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में शहर के विभिन्न राजनेता,सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, विभिन्न धर्म के प्रतिनिधि, संत एवं विभिन्न मंदिर समितिओं के पदाधिकारी, जैन समाज के सैकडों लोगो ने अपनी भावपूर्ण विन्याजंलि अर्पित की।

सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नांता ने बताया कि आचार्य वि़द्यासागर के जीवन चरित्र को बताकर आदित्यसागर महाराज ने त्याग व तप की महिमा वर्णन किया। उन्होने राष्ट्रीय संत के गौरवमय जीवन के अनुसरण की सीख जैनधर्मांवलमियों को दी।

विन्यांजलि सभा में विधायक संदीप शर्मा, रविन्द्र त्यागी, एलन निदेशक गोविंद माहेश्वरी, सकल दिगम्बर जैन समाज, सकल दिगम्बर जैन समाज समिति के अध्यक्ष विमल चंद जैन नान्ता, कार्याध्यक्ष जेके जैन, प्रचार सचिव मनोज जैन आदिनाथ, पुलिस अधिकारी अंकित जैन, जगदीश जिन्दल, नरेश जैन वैद, विनोद जैन टोरडी, विकास जैन अजमेरा, प्रकाश बज, आनंद राठी, महेंद्र गर्ग, निशा जैन वैद, विजय दुगेरिया जफर मोहम्मद, कमलेश सावला, रितेश सेठी, रेखा हिंगड़, सुरेश हरसोरा, संजय जैन निर्वाण समेत बड़ी संख्या में जैन समाज के लोगों ने अपनी विनम्र विन्यांजलि अर्पित की। संचालन अमित जैन सौगानी ने किया।

सर्वधर्म विनयांजली सभा में इस अवसर कबीर पंथी संत प्रभाकर जी ने कहा कि आचार्य विद्यासागर महाराज जैसे विरले ही होते हैं, जो स्वयं पर कल्याण की भावना से धरती पर जन्म लेते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे भी इसी वर्ष उनके दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि आचार्य विद्यासागर महाराज जन जन के संत थे। उनके बताये मार्ग का अनुसरण कर उन सिद्धांतों को आत्मसात् करते हुए हमे अपने जीवन का कल्याण करना है। उद्योगपति आनंद राठी, परसराम झमनानी, कोचिंग संस्थान से जुड़े गोविंद माहेश्वरी, गौसेवा से जुड़े डॉ. महेंद्र गर्ग आदि ने कहा कि विद्यासागर महाराज के दर्शन करने वे सभी नियमित रूप से उनके प्रवास अथवा चातुर्मास स्थल पर जाते रहें है।

सभा में समाज के अध्यक्ष विमल जैन नांता ने कोटा में आचार्य श्री विद्यासागर पर बनी फ़िल्म के बारे में अपने संस्मरण रखे महामंत्री विनोद जैन टॉरडी ने कहा कि मुनि श्री चिन्मय सागर जी महाराज की प्रेरणा से प्रथम बार आचार्य श्री के दर्शनों का सौभाग्य मिला।

अपराजेय साधक, विद्याहंस थे आचार्य श्री
आचार्य श्री विद्यासागर के दिव्य चरित्र का बताते हुए मुनि आदित्यसागर ने कहा कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे।

शोकाकुल नहीं श्रृद्धांवत बनें
अपना जन्मोत्सव तो सभी मनाते है परन्तु वह लोग निराले हाते हैं जो अपना मरणोत्सव भी मनाएं। संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज की समाधिपूर्वक देवलोकगमन पर हमें शोकाकुल नहीं होना अपितु हमें श्रृद्धांवत होकर उनके दिखाए मार्ग पर चलना है। हमें मुनि को नहीं, अपितु मुनि की मानना है अर्थात उनके उपदेशों को जीवन में अमल करना है। उन्होंने कहा कि हम भाग्यशाली है कि हम मृत्यु महोत्सव के साक्षी हैं।

कई भाषाओं के जानकार थे मुनिश्री
आचार्य विद्यासागर जी संस्कृत, प्राकृत सहित हिन्दी, मराठी और कन्नड़ भाषा जानते थे। उन्होंने हिन्दी और संस्कृत में कई किताबें लिखी हैं। 100 से अधिक शोधार्थियों ने उनके जीवन पर मास्टर्स और डॉक्ट्रेट के लिए अध्ययन किया है। उनके कार्य में निरंजन शतक, भावना शतक, परीषह जाया शतक, नीति शतक और शरमाना शतक शामिल हैं। उन्होंने काव्य मूक माटी की भी रचना की है। इसे कई विश्वविद्यालयों के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है। आचार्य विद्यासागर जी के शिष्य मुनि क्षमासागर जी ने उन पर आत्मान्वेषी नामक जीवनी लिखी है। इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हो चुका है। मुनि प्रणम्यसागर जी ने उनके जीवन पर अनासक्त महायोगी नाम से काव्य लिखा है।

आचार्य का त्याग
उन्होंने बताया कि आचार्य ने कठोर जीवचार्या की पालना की आजीवन तेल, दही, शक्कर, नमक, चटाई का त्याग किया और साथ ही हरी सब्जी, अंग्रेजी औषधियां, समिति ग्रास भोजन, दिन मे एक बार अंजुलि भर पानी पानी, थूकने का त्याग, बिना चादर, गद्दे से एक करवट सोना सहित कई कठोर नियमों को जीवन अनुसरण किया।