कर्नाटक में 3 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बिजाई, अभी रकबा और बढ़ने की उम्मीद

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मैसूर। दक्षिणी राज्य- कर्नाटक में मानसून की अच्छी बारिश होने से किसानों को खरीफ फसलों की अगैती बिजाई करने का सुनहरा अवसर मिल रहा है। पिछले साल की तुलना में इस बार वहां धान, दलहन (खासकर तुवर) एवं मोटे अनाजों (विशेषकर मक्का) के उत्पादन क्षेत्र में शानदार बढ़ोत्तरी हुई है और इसकी बिजाई की प्रक्रिया अगले कई सप्ताहों तक जारी रहेगी।

कर्नाटक के किसान इस बार खरीफ कालीन तिलहन फसलों की खेती में भी भारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं जिससे वहां इसका उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 73 हजार हेक्टेयर से लगभग छह गुणा (600 प्रतिशत) उछलकर 4.30 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। इसके तहत खासकर सोयाबीन एवं मूंगफली के रकबे में जबरदस्त इजाफा देखा जा रहा है।

समीक्षाधीन अवधि के दौरान कर्नाटक में सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 26 हजार हेक्टेयर से उछलकर 3.03 लाख हेक्टेयर तथा मूंगफली का बिजाई क्षेत्र 14 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 82 हजार हेक्टेयर की ऊंचाई पर पहुंच गया। अन्य तिलहनों की खेती सीमित क्षेत्रफल में हुई है। सोयाबीन एवं मूंगफली का रकबा आगे और बढ़ने की उम्मीद है।

सोयाबीन के उत्पादन में कर्नाटक चौथे स्थान पर रहता है जबकि तीन शीर्ष उत्पादक प्रांतों- मध्य प्रदेश,महाराष्ट्र एवं राजस्थान में इसकी बिजाई जल्दी ही जोर पकड़ने की संभावना है।वहां मानसून की बारिश के साथ सोयाबीन की बिजाई भी तेज गति से होने लगेगी। जहां तक मूंगफली का सवाल है जो गुजरात और राजस्थान इसके दो सबसे अग्रणी उत्पादक राज्य है जबकि कर्नाटक में भी इसका अच्छा उत्पादन होता है।