सबसे ज्यादा दमा रोगी राजस्थान में, IMA की सीएमई में बोले चिकित्सक

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कोटा। इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन कोटा तथा अस्थमा भवन जयपुर के तत्वावधान में शनिवार को झालावाड़ रोड स्थित एक होटल में सीएमई का आयोजन किया गया। जिसमें अस्थमा भवन जयपुर के निदेशक तथा राजस्थान हाॅस्पीटल के अध्यक्ष डाॅ. विरेन्द्र सिंह और अस्थमा भवन की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डाॅ. निष्ठा सिंह ने संबोधित किया। वायु से संबंधित रोगों और शरीर में स्थित बाधक तत्वों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि राजस्थान में दमा रोगियों की संख्या पिछले 30 सालों में तेजी से बढी है। दमा धूम्रपान और आंतरिक प्रदूषण के कारण होता है, जिसे सीओपीडी भी कहा जाता है। जिसका मतलब स्थायी रूप से श्वास नलियों का खराब होना है। दमा रोगियों की संख्या के मामले देश में राजस्थान की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। दमा रोग के मामले में राजस्थान प्रथम स्थान पर है और उत्तरप्रदेश दूसरे स्थान पर है। राजस्थान में सीओपीडी को मृत्यु का सबसे बड़ा कारण माना गया है।

डाॅ. निष्ठा सिंह ने ‘‘फेफड़े की बीमारियो के निदान में अत्याधुनिक तकनीक’’ पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि हार्मोन में बदलाव के कारण पुरुषों की तुलना में महिलाएं अस्थमा से अधिक पीड़ित हो रही हैं। आम तौर पर 40 से 45 वर्ष की उम्र के पहले महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आती हैं। सीओपीडी का प्रमुख कारण धुएँ का संपर्क होना है। धूम्रपान, घरेलू प्रदूषण, चूल्हे पर खाना बनाने और बढ़ते प्रदूषण ने भी श्वसन संबंधी रोगों को बढाया है।

आईएमए के सचिव डाॅ. केवल डंग ने कहा कि दमा के मामले में कोटा की स्थिति भी कुछ खास अच्छी नहीं है। ग्रामीण इलाकों में 90 फीसदी महिला और बच्चों में दमे का मुख्य कारण चूल्हे पर खाना बनाना हैै।

अध्यक्ष डाॅ. एस सान्याल ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में खाना बनाने के लिए गैस का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा किया जाए। धुम्रपान पर प्रभावी रोक के द्वारा दमे को रोका जा सकता है। साथ ही उन्होंने ज्यादा से ज्यादा पेड़ बचाने और लगाने की सलाह दी। इस दौरान डाॅ. एस जेलिया, डाॅ. अनिल सक्सेना, डाॅ. एचएल परिहार, एवं डाॅ. प्रतिमा जायसवाल समेत कईं चिकित्सक मौजूद रहे।