उत्पादन में सरकार का आकलन फेल, कई राज्यों में गेहूं के भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे

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नई दिल्ली। गेहूं के दाम लगातार रिकॉर्ड स्तर पर बने हुए हैं। दक्षिण भारत के राज्यों में गेहूं 3400 रुपये क्विंटल के स्तर तक पहुंच चुका है। दक्षिण के राज्यों को एमपी, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा से गेहूं की पर्याप्त आपूर्ति नहीं मिल रही है। ऐसे में वे उत्तर प्रदेश के भरोसे है।

इस बीच स्थानीय बाजार में डर है कि सरकार ने अब भी बिक्री पर ध्यान नहीं दिया तो आटा-गेहूं की महंगाई और बढ़ेगी। इस बीच आटा मिल मालिकों ने सरकार से इस वित्तीय वर्ष के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) शुरू करने या इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती करने की मांग की है।

दरअसल, गेहूं के दामों में बीते कुछ महीनों से अप्रत्याशित तेजी देखी जा रही है। इसके पीछे का कारण त्योहारी सीजन में भी ओपन मार्केट (ओएमएसएस) में सरकार द्वारा गेहूं की बिक्री नहीं करना है। जबकि इसकी असली वजह ये है कि गेहूं के उत्पादन के मामले में सरकार का आकलन और गणित दोनों फेल हो चुका है।

इससे बाजार में गेहूं को लेकर स्थिति पैदा हो गई है। केंद्र सरकार ने दावा किया था कि इस साल गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 113.29 मिलियन टन हुआ है। जबकि बाजार की स्थिति बिल्कुल इससे उलट है।

कारोबारियों का कहना है कि सरकार के आंकलन से असल उत्पादन कहीं नीचे है। इस बीच सरकार ने आम आदमी को राहत देने के लिए भारत ब्रांड से 30 रुपये प्रति किलोग्राम आटा की बिक्री शुरु की है। आमतौर पर यह देख जाता है कि जब सरकारी बिक्री के असर से खुले बाजार में भाव कम होते है। लेकिन आटा के मामले में ऐसा नजर नहीं आ रहा है।

दूसरी तरफ अब सरकार गेहूं के दामों पर नियंत्रण की बजाय राजनीतिक कदम में जुटी हुई है। सरकार का ध्यान अब भी ओपन मार्केट सेल पर नहीं है। बल्कि चुनावी गणित देखते हुए पीडीएस में गेहूं और आटा बिक्री पर जोर लगा रही है।

हालांकि इससे बाजार के दामों पर लंबे समय में कोई खास फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है। कारोबारियों का कहना है कि, बाजार में डर है कि सरकार ने अब भी बिक्री पर ध्यान नहीं दिया तो आटा-गेहूं की महंगाई और बढ़ेगी। मिलों ने बीते महीने में सरकारी बिक्री की उम्मीद में माल नहीं पकड़ा। उनके पास अब स्टाक कम है। किसान के पास भी ज्यादा माल नहीं है।

मौजूदा स्थिति में उत्तर प्रदेश में कुछ मात्रा में गेहूं उपलब्ध है, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और पंजाब जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में सप्लाई नहीं हो पा रही है। कृषि मंत्रालय की यूनिट एग मार्केट के आंकड़ों के मुताबिक, गेहूं की मौजूदा औसत बाजार कीमत 2,811रुपए प्रति क्विंटल है, जो इस साल के न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,275 से काफी ऊपर है। जबकि पिछले महीने में रिटेल प्राइस में 2.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इससे फिलहाल इसकी कीमत 31.98 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है।