Thursday, November 14, 2024
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जीएसटी दरों पर सरकार ने लॉन्च किया मोबाइल ऐप

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नई दिल्ली।1 जुलाई को देशभर में लागू जीसटी की विभिन्न दरों को लेकर उहापोह दूर करने के लिए सरकार ने मोबाइल ऐप लॉन्च किया है। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) की ओर से लॉन्च किए गए GST Rate Finder नाम के ऐप में वस्तुओं एवं सेवाओं पर दरों की पूरी लिस्ट दी गई है।

ऐप में विभिन्न दरों के मुताबिक वस्तुओं को 7 कैटिगरी में बांटा गया है- 0 प्रतिशत, 0.25 प्रतिशत, 3 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। इसी तरह, सेवाओं को पांच कैटिगरी में बांटा गया है- 0 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत।

इसके साथ ही, अगर किसी खास वस्तु एवं सेवा पर लागू जीएसटी दर की जानकारी पाने के लिए सर्च ऑप्शन भी दिया गया है। यहां वस्तुओं एवं सेवाओं के नाम सर्च कर उस पर लागू जीएसटी दर का पता किया जा सकता है।

ज्यादातर लोग इस ऐप को बढ़िया बता रहे हैं जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह सीबीईसी की वेबसाइट पर पड़े पीएडीएफ फाइल का ही ऐप वर्जन है और कुछ नहीं।

हिमांशु गुरनानी ने ऐप को 5 स्टार रेटिंग देते हुए लिखा है- ‘पेचिदगियां सुलझाने और पारदर्शिता लाने के लिए सरकार का बेजोड़ प्रयास। आसानी से लागू करने की दिशा में अच्छा कदम।’ हालांकि, एकांश बंसल ने इसे बेकार ऐप बताते हुए महज एक स्टार दिया।

30 जुलाई से पहले करा लें बिल्डर रेरा में रजिस्ट्रेशन

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कोटा। रेग्युलेशन एंड डवलपमेंट एक्ट (रेरा) एक मई से पूरे देश में लागू हो चुृका है, लेकिन कोटा समेत प्रदेश के मात्र नौ बिल्डरों ने रेरा ऑथोरिटी में पंजीकरण कराया है। सरकार की हिदायत के बावजूद बिल्डर रेरा में रजिस्ट्रेशन नहीं करवा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि बिल्डर रेरा को लेकर मानसिक रूप से तैयार नहीं है। इसकी अंतिम तिथि 30 जुलाई है।

यह बात रोटरी बिनानी सभागार में सीए कोटा ब्रांच की ओर से आयोजित सीपीई सेमिनार में जयपुर से आए सीए संजय घीया ने कही। उन्होंने बताया कि रेरा से रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता आने के साथ कंपनियों व डवलपर्स की जवाबदेही भी बढ़ गई है। इसमें बिल्डर ग्राहकों से सिर्फ कॉपरेट एरिया के नाम पर ही पैसा वसूल कर सकेंगे। एेसा नहीं करने पर उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हो सकता है।

बढ़ेगी मुश्किलें : इंदौर के सीए पंकज शाह ने कहा कि केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने 10 इनकम कंप्यूटेशन स्टैंडडर्स जारी किए हैं, जिसके अनुसार इस वर्ष की आय की गणना कर टैक्स ऑडिट किया जाएगा। व्यापार और अन्य स्त्रोतों से आय दर्शाने वालों को भी इन 10 आईसीडीएस के बारे में बताना होगा। 

कोटा ब्रांच अध्यक्ष सौरभ जैन ने बताया कि सेमिनार में सेंट्रल काउंसिल सदस्य श्यामलाल अग्रवाल, सुरेन्द्र कुमार विजय एवं बद्रीविशाल माहेश्वरी ने भी विचार रखे।  सीए वीक का शुक्रवार को रोटरी बिनानी सभागार में समापन हुआ। इस मौके पर विभिन्न खेलकूद एवं प्रतियोगिताओं के विजेता-उपविजेताओं को पुरस्कृत किया गया।

जानकारी देने के बाद रजिस्टर्ड होगा प्रोजेक्ट 
रेरा के लागू होने के बाद डवलपर्स को प्रोजेक्ट से जुड़ी हर जानकारी जैसे प्लान, ले-आउट, सरकारी स्वीकृति, जमीन का टाइटल स्टेटस, प्रोजेक्ट पर काम करने वाला सब कॉन्टे्रक्ट, एयरपोर्ट अथॉरिटी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित लोकल बॉडीज आदि की स्वीकृति ऑथोरिटी को देनी होगी, इसके बाद ही रेरा की वेबसाइट पर प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड होगा।

अंतिम तिथि के बाद बिल्डर प्रोजेक्ट के प्रचार के लिए प्रिंट या इलेक्ट्रोनिक मीडिया में विज्ञापन नहीं दे सकेंगे। इतना ही  नहीं, प्रोजेक्ट की सोशल मीडिया पर या किसी को एसएमएस से भी जानकारी नहीं दे सकते। 

कृषि से करोड़ों की इनकम पर भी नहीं लगेगा जीएसटी, अखबारों का होगा रजिस्ट्रेशन

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नई दिल्ली। खेत में उगी वस्तुओं के बेचने से किसी किसान को यदि साल में करोड़ों रुपये की भी आमदनी होती है तो भी उसे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत पंजीकरण कराने या कर चुकाने की जरूरत नहीं होगी। यह स्पष्टीकरण केंद्रीय राजस्व सचिव हसमुख अढिया की तरफ से आया है।
 यहां कारोबारियों, टैक्स प्रोफेशनलों एवं मीडिया से जुड़े लोगों के लिए अयोजित जीएसटी की मास्टर क्लास में अढिया ने बताया कि किसानों को अपने खेत से उगे किसी भी सामान को बेचने पर जीएसटी देय नहीं होगा। 

इसलिए किसानों की आमदनी चाहे साल में एक लाख रुपये हो, दस लाख रुपये हो, बीस लाख रुपये हो या 50 लाख रुपये हो या एक करोड़ रुपये क्यों नहीं हो, उन्हें जीएसटी नेटवर्क में पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि जीएसटी में खेती से उगे सामान की बड़ी सरल परिभाषा तय की गई है, जो भी चीज खेत से उगा रहे हैं, उस पर टैक्स नहीं लगेगा।

कई राज्यों में रजिस्ट्रेशन कब      
राजस्व सचिव ने बताया कि यदि कोई कारोबारी कई राज्यों में अपना सामान बेचते हैं तो उन्हें सिर्फ वहां पंजीकरण कराना होगा, जिस राज्य से सामान बेच रहे हैं। लेकिन यदि उनका दफ्तर यदि कई राज्यों में है और हर राज्य के पते पर बिलिंग हो रही है तो उन्हें उन हर राज्य में पंजीकरण कराना होग, जहां से बिलिंग हो रही है।

जून में बना है मोबाइल बिल और क्रेडिट कार्ड, तो नहीं लगेगा जीएसटी

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नई दिल्ली। यदि आपकी किसी सर्विस का बिल जून में तैयार हुआ है और उसकी ड्यू डेट जुलाई है तो उस पर आपको जीएसटी नहीं चुकाना होगा। रेवेन्यू सेक्रटरी हसमुख अढ़िया नेइस बारे में भ्रम दूर करते हुए कहा कि 30 जून से पहले जनरेट हुए क्रेडिट कार्ड और मोबाइल बिल्स पर कोई जीएसटी लागू नहीं होगा।

यही नहीं यदि इन बिलों की ड्यू डेट जुलाई के महीने में है, तब भी कोई पुराने दर से ही टैक्स लागू होगा। लेकिन, यदि आपने जून में सेवा का उपभोग किया है और उसका बिल जुलाई में बनता है तो फिर आपको जीएसटी चुकाना होगा।

यही नहीं वेंडर्स को भी राहत देते हुए राजस्व सचिव अढ़िया ने कहा कि यदि वेंडर जुलाई के महीने में मैन्युफैक्चरर को कोई पेमेंट करता है और उनका इनवॉइस जून में बना हो तब भी उन्हें जीएसटी से पहले की टैक्स व्यवस्था के अनुसार ही पेमेंट करना होगा।

जीएसटी के तहत ज्यादातर सेवाओं पर 18 पर्सेंट का टैक्स लागू होगा, लेकिन पहले की व्यवस्था में 15 फीसदी का ही सर्विस टैक्स लगता था। जीएसटी लागू होने के बाद इसमें सर्विस टैक्स, एक्साइज टैक्स, वैट और अन्य करीब एक दर्जन टैक्स इसमें शामिल हो गए हैं।

जून का बिल जुलाई में बनेगा तो भरना होगा जीएसटी
हालांकि यदि जून में उपभोग की गई सेवा का बिल यदि जुलाई में तैयार होता है तो उसके पेमेंट पर जीएसटी लागू होगा। एक सीनियर टैक्स अधिकारी ने इस पूरे मसले को इस तरह बताया, ‘मान लीजिए आपका बिलिंग साइकल 25 जून को समाप्त हो रहा है और उसकी बिल 10 जुलाई को जनरेट होता है, लेकिन पेमेंट अडवांस में जमा न हुई हो तो आपके इनवॉइस पर जीएसटी लागू होगा।

इसकी वजह यह है कि जीएसटी के नियम के तहत इनवॉइस इशू करने की तारीख को ही सर्विस प्रोवाइड करने की तारीख माना जाता है।’ पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत इनवॉइस जनरेट होने या फिर पेमेंट करने के दौरान सर्विस टैक्स चार्ज होता था।

 

कोटा आईएल की 192 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करेगी सरकार :उद्योग मंत्री

कोटा| अब राज्य सरकार आईएल की जमीन का अधिग्रहण करेगी। जयपुर में हुई एक अहम बैठक में उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने ये निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रिवाइवल पैकेज के लिए उपलब्ध कराए गए ब्याज मुक्त ऋण के बकाया 136 करोड़ 26 लाख रुपए पर दंड स्वरूप लगाया गया ब्याज माफ किया जाएगा।

शेखावत ने बताया कि आईएल को लीज पर उपलब्ध कराई गई भूमि में से अब कोटा में 182 एकड़ और जयपुर के सीतापुरा में 10.59 एकड़ भूमि उपलब्ध है। इसमें से 0.59 एकड़ भूमि का मालिकाना हक आईएल का होने के कारण इस भूमि की बाजार दर के अनुसार राशि तय कर उस राशि का समायोजन ब्याज मुक्त ऋण के बदले किया जाएगा। राज्य सरकार ने आईएल के रिवाइवल के लिए राहत पैकेज के रूप में 145 करोड़ रुपए ब्याज मुक्त ऋण दिया था।

आईएल ने इसकी किश्तों का समय पर भुगतान नहीं किया जिसमें से 136 करोड़ 26 लाख बकाया है। शेखावत ने केंद्र सरकार से इस राशि का भुगतान करने का आग्रह किया। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त डीबी गुप्ता, राजीव स्वरूप, मुकेश शर्मा, केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव शिवानंद, आयुक्त उद्योग कुंजी लाल मीणा, रीको एमडी मुग्धा सिन्हा, निदेशक भारी उद्योग रितु पांडेय, आईएल के सीएमडी एमपी ईश्वर, अतिरिक्त निदेशक उद्योग एलसी जैन, संयुक्त सचिव उद्योग नीतू बारुपाल उपस्थित थे।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने कोटा और जयपुर में आईएल की स्थापना के समय जमीन उपलब्ध करवाई थी। बैठक में केन्द्र एवं राज्य सरकार के उच्च अधिकारी उपस्थिति थे। 

 

 

 

GST : डीलर्स को 30 सितंबर तक पुराना स्टॉक खाली करना होगा

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नई दिल्ली। उपभोक्ता कानून में कई कड़े प्रावधान किये गये हैं, जिसके तहत चरणबद्ध तरीके से सख्ती की जाएगी।जीएसटी दर लागू होने के बाद कई उत्पादों के मूल्य बढ़े हैं तो कुछ के घटे हैं। इसके लिए सभी उद्योगों को 30 सितंबर तक अपना पुराना स्टॉक खाली करने का समय दिया गया है। 

पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि उपभोक्ताओं के साथ धांधली करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उत्पादों की पैकिंग पर प्रिंट सूचना के अनुरूप उत्पाद के न होने पर सरकार सख्त कदम उठायेगी। यानी कहा कुछ और ग्राहक को दिया कुछ तो जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। इसके लिए अधिकतम एक लाख रुपये तक का जुर्माना और एक साल की जेल भी हो सकती है।

पासवान ने कहा कि पुराने स्टॉक के उत्पादों संशोधित अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) प्रिंट करना ही होगा। सभी कंपनियों से कहा गया है कि वे अपने न बिक पाये उत्पादों को बेचने से पहले उनके ऊपर प्रिंटेड स्टीकर जरुर लगायें, जिस पर सारी डिटेल दर्ज हो।जीएसटी लागू होने के बाद से उपभोक्ता हेल्प लाइनों पर कुल सात सौ से अधिक पूछताछ जीएसटी को लेकर की गई है।

इसके मद्देनजर राजस्व मंत्रालय से किसी विशेषज्ञ को हेल्प लाइन सेवा के लिए नियुक्त करने को कहा गया है। ताकि जीएसटी से जुड़ी समस्याओं का निदान आसानी से हो सके। एक अन्य सवाल के जवाब में पासवान ने सख्त लहजे में कहा कि उत्पादों की पैकिंग के भीतर कुछ और बाहर कुछ लिखा मिला तो खैर नहीं। इस संबंध में जब पूछा गया कि क्या कार्रवाई होगी, तो संबंधित अधिकारी से ब्यौरा देने को कहा।

उन्होंने कहा कि बकौल अधिकारी, अगर किसी व्यापारी अथवा निर्माता ने ऐसा किया तो पहली बार 25 हजार रुपये का जुर्माना होगा, जबकि दूसरी बार यही गलती दुहराने पर जुर्माने की राशि 50 हजार रुपये हो जाएगी। तीसरी बार यह गलती अंतिम होगी, जिस पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना अथवा एक साल की जेल काटनी होगी। विशेष परिस्थिति में दोनों सजा काटनी पड़े।

 

जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट कैसे लें, देखिये यह वीडियो

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कोटा। जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने के बारे में अभी तक करदाता डीलर्स पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं। जैसे कि पुराने स्टॉक या माल मंगाने के दौरान एडवांस्ड दी गई राशि पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगी या नहीं इस मामले को समझने के लिए डीलर्स रोजाना सीए और अपने टैक्स कंसल्टेंट के यहाँ चक्कर काट रहे हैं।

आपको जानकारी देने के लिए हमारे LEN-DEN NEWS चैनल  ने सीनियर टैक्स कंसल्टेंट अनिल काला से बातचीत की। इनपुट टैक्स क्रेडिट को समझने के लिए देखिये यह वीडियो —

जीएसटी के विरोध में कपड़ा व्यापारियों ने बनाई मानव शृंखला

कोटा। कपड़े से जीएसटी हटवाने की मांग को लेकर  शुक्रवार को व्यापारियों ने न्यू क्लॉथ मार्केट से रैली निकाली और एरोड्रम चौराहे पर मानव शृंखला बनाकर विरोध जताया।  तीन दिन से कपड़ा बाजार ठप रहने से अभी तक करीब 100 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है। इस दौरान न्यू क्लॉथ मार्केट समेत बजाजखाना, विजय मार्केट, शॉपिंग सेंटर, छावनी, स्टेशन और नए कोटा शहर की करीब 2000 दुकानें बंद रहीं। 

कोटा कपड़ा व्यापार संघर्ष समिति के बैनर तले कपड़ा व्यापारी सुबह 11 बजे न्यू क्लॉथ मार्केट एकत्रित हुए। यहां से दुपहिया वाहनों से रैली के रूप में सरोवर टॉकीज पहुंचे। यहां से ज्वाला तोप होकर कैनाल रोड से गुमानपुरा इंदिरा गांधी तिराहा पहुंचे। यहां से वह गुमानपुरा मेन बाजार होते हुए छावनी चौपाटी, शॉपिंग सेंटर पंजाब सभा भवन के सामने होते हुए एरोड्रम सर्किल पहुंचे। व्यापारियों ने केंद्र सरकार और वित्त मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की।

संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों का कहना है कि उन्होंने शांतिपूर्वक सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया है। किसी आमजन को उन्होंने मुसीबत में नहीं डाला है। इस दौरान गिर्राज न्याती, नरेश राजानी, विजय गैरा, तेजेंद्रपाल रिंपी, राजेश जैन, सूर्य प्रकाश, मुकेश मेवाड़ा, संजय हसमुख मौजूद रहे।

जीएसटी का असर : शनिवार को भी कपड़ा व्यापारी सुबह 11 बजे न्यू क्लॉथ मार्केट एकत्रित होंगे। यहां से दादाबाड़ी, तीनबत्ती, टीचर्स कॉलोनी, घटोत्कच्छ सर्किल पर आम लोगों को बताएंगे जीएसटी से क्या असर पड़ेगा।

जीएसटी  से स्पीड पोस्ट भी महंगी
जीएसटीका असर अब डाकघरों में भी नजर आने लगा है। यहां स्पीड पोस्ट पर 50 ग्राम से अधिक आर्टिकल पर एक रुपए की बढ़ोतरी की है। यहां 50 ग्राम तक चार्ज 40 रुपए था जो बढ़ाकर 41 रुपए कर दिया है। वहीं, इससे अधिक की मात्रा पर दूरी और वजन के आधार पर अधिक चार्ज लिया जाएगा।

 

अब सीधे मुख्यमंत्री को दर्ज कराई जा सकेगी शिकायत

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जयपुर। राजस्थान में रहने वाले लोग अब सीधे मुुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को शिकायत दर्ज करा सकेंगे। इसके लिए मुख्यमंत्री हेल्पलाइन शुरू की जा रही हैं। इसका नम्बर होगा 181 और शिकायत दर्ज होते ही परिवादी के मोबाइल पर शिकायत का नंबर और संबंधित विभाग को भेजे जाने का संदेश मिल जाएगा।

यह हेल्पलाइन 15 अगस्त से शुरू किए जाने की तैयारी की जा रही है। राजस्थान में अभी आॅनलाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए सम्पर्क पोर्टल बना हुआ है। इस पर इंटरनेट के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। 181 पर शिकायत दर्ज होने के बाद उसके मोबाइल पर इसका संदेश आएगा। शिकायत या समस्या को सबसे पहले संबंधित विभाग को भेजा जाएगा। हर समस्या के लिए अलग-अलग समयावधि निर्धारित की जाएगी।

निर्धारित समय मे समस्या निस्तारित ना हो पाने या परिवादी के असंतुष्ट होने की स्थिति में यह शिकायत जिला स्तरीय अधिकारी और इसके बाद जिला कलेक्टर को भेजी जाएगी। इस स्तर पर भी निस्तारित ना होने की दशा में परिवाद की सुनवाई खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा संबंधित अधिकारियों की मौजूदगी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाएगी और यह पता किया जाएगा कि समस्या का समाधान क्यों नहीं हुआ। इसके लिए मुख्यमंत्री राजे अब हर माह कलक्टरों से वीडियो काॅन्फ्रेंस करेंगी।

जीएसटी : बिना बिके सामान पर रिवाइज्ड एमआरपी का टैग नहीं लगाया तो जेल

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नई दिल्ली। 1 जुलाई से जीएसटी के लागू होने के बाद जो मैन्युफैक्चरर बिना बिके हुए सामान पर रिवाइज्ड एमआरपी का टैग नहीं लगाएगा उन पर पेनल्टी भी लगाई जा सकती है, जिसमें जेल भेजा जाना भी शामिल है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने शुक्रवार को उपभोक्ता संरक्षण कानूनों में संशोधन किया है।

यह कदम केंद्र सरकार के उस फैसले के बाद सामने आया है जिसमें सभी ट्रेडर्स से कहा गया है कि उन्हें अपने बिना बिके हुए माल पर मौजूदा एमआरपी के साथ ही संशोधित एमआरपी का टैग भी लगाना होगा।

उन्हें ऐसा 30 सितंबर तक करते रहना होगा, एक अक्टूबर से सामानों पर सिर्फ नई एमआरपी का उल्लेख करना ही पर्याप्त होगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि उपभोक्ताओं को यह अंदाजा लग सके कि जीएसटी के लागू होने के बाद उनपर कितना असर पड़ा है।

गुरुवार को, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ‘दोहरी’ एमआरपी नीति पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। यह एक ऐसी प्रैक्टिस है जिसकी मदद से मॉल, एयरपोर्ट और होटल जैसे स्थानों पर अपने प्रोडक्ट की हायर एमआरपी पर बिक्री किया करते थे।

इस आदेश के मुताबिक जो कि 1 जनवरी 2018 से अमल में आएगा, कंपनियों को प्रीमियम स्थानों पर पानी, शीतल पेय या स्नैक्स के लिए अलग कीमत वसूलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। महाराष्ट्र के लीगल मैट्रोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर से की गई अपील के बाद यह निर्णय लिया गया है।