विश्व मधुमेह दिवस पर सुवि नेत्र चिकित्सालय में हुआ जागरूकता पोस्टर का विमोचन
कोटा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) द्वारा 14 नवम्बर को विश्व मधुमेह दिवस (वर्ल्ड डायबिटीक डे) मनाया जाता है। इस वर्ष मनाये जाने वाले विश्व मधुमेह दिवस 2024 की थीम है ‘डायबिटिज एण्ड वेल बीईंग’।
विश्व मधुमेह दिवस के उपलक्ष्य में सुवि नेत्र चिकित्सालय कोटा में जागरूकता पोस्टर का विमोचन डॉ. सुरेश पाण्डेय , डॉ. एस. के. गुप्ता, डॉ. निपुण बागरेचा एवं डॉ. सोनम अरविन्द द्वारा किया गया। वर्ल्ड डायबिटीक डे हर वर्ष 14 नवम्बर को सर फ्रेडरिक बेंटिंग के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है, जिन्होंने 1922 में चार्ल्स बेस्ट के साथ इंसुलिन की खोज की थी। इस महत्वपूर्ण खोज के लिए 1923 में इनको नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था।
हर साल 10 लाख भारतीयों की मौत
सुवि नेत्र चिकित्सालय कोटा के नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि बदलती जीवन शैली से भारत में मधुमेह रोगी विश्व भर में चीन के बाद सबसे अधिक है। विश्वभर में 41.5 करोड़ रोगी डाइबिटिज से पीड़ित हैं, जिनकी संख्या सन् 2045 में बढ़कर 63 करोड़ हो जायेगी। इंटरनेशनल डायबिटीक फेडरेशन के अनुसार भारत में वर्तमान में लगभग 7.3 करोड़ व्यक्ति डाइबिटिज से पीडित हैं। यह संख्या सन् 2040 तक बढकर 12.3 करोड़ हो जायेगी। लगभग 10 लाख भारतीय रोगियों की प्रतिवर्ष डायबिटिज के कारण मृत्यु हो जाती है। डायबिटिक से पीडित रोगियों के कुल इलाज का बोझ लगभग 11 लाख करोड़ रुपये है।
डायबिटीज के दुष्प्रभाव
नेत्र विशेषज्ञ डॉ. एस. के. गुप्ता के अनुसार अनियंत्रित डायबिटीज (मधुमेह) का आँखों, हृदय, किडनी, पैरों पर दुष्प्रभाव हो सकता है। डायबिटिज रोगियों में अंधता का खतरा 25 गुना अधिक होता है। डायबिटीज (मधुमेह) आंखों की समस्याओं का खतरा बढ़ा सकती है। शरीर में इंसुलिन ठीक प्रकार से न बनने अथवा इंसुलिन का उपयोग उचित प्रकार से ना होने के कारण रोगी का ब्लड शुगर (ग्लूकोज) लेवल अधिक हो सकता है। रेटिना विशेषज्ञ डॉ. निपुण बागरेचा ने बताया कि बहुत ज्यादा ब्लड शुगर बढ़ने से आंखों में पर्दे (रेटिना) की सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है। पर्दे में सूजन होने से दिखाई देना कम हो सकता है अथवा आंखो के जेली नुमा विट्रियस नामक पदार्थ में रक्त स्राव होने से रोगी को दिखाई देना बन्द हो सकता है। नेत्र विशेषज्ञ डॉ. सोनम अरविन्द ने बताया कि मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को नियमित रूप से वर्ष में दो बार दवा डालकर अपनी आंखों एवं पर्दे (रेटिना) की विस्तृत जांच/उपचार करवाना जरूरी है।
कैसे पता लगाएं
डायबिटिक से पीड़ित रोगियों को आँखों के पर्दे की सघन जांच जैसे फण्डस एग्जामिनेशन एवं आप्टिकल कोहरेन्स टोमोग्राफी (ओ.सी.टी.) से पर्दे पर होने वाले सूजन का पता लगाया जा सकता है। आंँख के पर्दे की ब्लड वेसेल्स में लीकेज का पता लगाने के लिए एक विशेष प्रकार के एंजियोग्राम में डाई का उपयोग किया जा सकता है।
डायबिटिक रैटिनापैथी की प्रारम्भिक अवस्था का उपचार आमतौर पर एन्टी-वेजएफ इंजेक्शन अथवा फोटो कोगुलेशन नामक लेजर पद्धति से किया जाता है। लेजर ब्लड वेसेल्स को सील करके लीकेज अथवा इसके बढ़ने की रोकथाम करता है। यह प्रोसिजर खोई दृष्टि को वापस नहीं ला पाता तथापि, परदे के लेजर, एन्टी-वेजएफ इंजेक्शन अथवा विट्रियो रेटिनल सर्जरी के द्वारा डायबिटिज के रेटिना पर होने वाले दुष्प्रभाव को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
डाइबिटीज से बचाव
डाइबिटीज के नियत्रंण के लिए चिकित्सक द्वारा लिखी दवाइंयों का नियमित रूप उपयोग करें। रोजाना एक्सरसाईज करें, मोटापे को नियंत्रित रखें, खूब पानी पिएं, लो कार्ब, हाई फाइबर युक्त डायट का सेवन करें, विटामिन डी युक्त पदार्थों का सेवन करें। स्मोकिंग, अल्कोहल से परहेज करें।
डायबिटीज एण्ड वेल बीईंग
विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर 2024 की थीम ‘डायबिटीज एण्ड वेल बीईंग’ को सार्थक करते हुए देश के चिकित्सकों, चिकित्सा संस्थाओं सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं आदि सभी के सामूहिक प्रयासों से देश के जनमानस के बीच डायबिटीज के प्रति युद्ध स्तर पर जागरूकता बढ़ाते हुए भारत को मधुमेह की राजधानी बनने से रोकना होगा।