Monday, July 8, 2024
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टैक्स कम नहीं हुआ तो तबाह हो जाएगी मार्बल इंडस्ट्री

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राजेश मरचुनिया

कोटा । टैक्स कम नहीं हुआ तो तबाह हो जाएगी मार्बल इंडस्ट्री।  जीएसटी से पूरी मार्बल इंडस्ट्री डरी हुई है। सारे कर मिलाकर मौजूदा टैक्स 5 फीसदी है जबकि जीएसटी के तहत अब इसे 28 फीसदी स्लैब में रखा गया है। इंडस्ट्री का कहना है कि इससे पूरी इंडस्ट्री तबाह हो जाएगी और लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

हरीश बाफना, राजनगर

मार्बल एवं ग्रेनाइट विक्रेता राजेश मरचुनिया ने Len-den News को बताया कि जीएसटी दरों का एलान होते ही मार्बल इंडस्ट्री की चमक फीकी हो गई। टैक्स में सीधे 23 फीसदी का इजाफा कमर तोड़ देगा। एक लाख के मॉल पर पहले 5000 रुपये टैक्स लगता था, अब 28000 रुपये लगेगा। यानी ग्राहक पर 23000 रुपये का भार पड़ेगा।

राजनगर के मारबल विक्रेता हरीश बाफना ने बताया कि राजस्थान मार्बल कारोबार का गढ़ है। राज्य के 24 जिलों में खनन होता है। मार्बल कारोबारियों का कहना है कि जीएसटी की ऊंची दरों के कारण यहां की 20,000 इकाइयों पर बंदी का खतरा मंडरा रहा है। कारोबारियों की मांग है कि मार्बल पर मौजूदा दर के आसपास ही जीएसटी दर रखी जाए। उन्होंने बताया कि उम्मीद है 11 जून को होने वाली जीएसटी कौंसिल की बैठक में दर कम करने पर विचार होगा।

जीएसटी परिषद की नियमों में संशोधन के लिये बैठक 11 जून को

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नयी दिल्ली। जीएसटी परिषद की रविवार को बैठक होगी। बैठक में उन कुछ दरों की समीक्षा की जाएगी जिसको लेकर उद्योग ने अप्रसन्नता जतायी है। इसके अलावा मसौदा नियमों में संशोधन पर भी चर्चा होगी।

वित्त मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता वाली परिषद की सितंबर 2016 में गठन के बाद यह 16वीं बैठक है। इसमें राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, बैठक के एजेंडे में तीन जून को हुई जीएसटी परिषद की 15वीं बैठक के ब्योरे की पुष्टि, जीएसटी के मसौदा नियमों में संशोधन तथा विभिन्न व्यापार उद्योग तथा उनके संगठनों से मिले अनुरोध के आधार पर जरूरत होने पर दर समायोजन को मंजूरी शामिल है।

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के एक जुलाई से लागू होने से पहले परिषद की 11 जून को होने वाली बैठक संभवत: अंतिम होगी। विभिन्न उद्योग संगठनों ने कर दरों की समीक्षा का आग्रह किया है। उनका कहना है कि जीएसटी का प्रभाव मौजूदा कराधान स्तर से कहीं अधिक होगा।वाहन उद्योग ने मझोले और बड़े आकार की हाइब्रिड कारों पर जीएसटी दर की समीक्षा की मांग की है। इन कारों पर 43 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव है जो मौजूदा 30.3 प्रतिशत प्रभावी कर से अधिक है।

 

टाटा मोटर्स कंपनी में अब कोई नहीं होगा बॉस!

 मुंबई। रेवेन्यू के मामले में देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी टाटा मोटर्स ने अपने सभी एंप्लॉयीज के पदनाम को समाप्त करने का ऐलान किया है। ऐसा कंपनी के अंदर रचनात्मक माहौल पैदा करने और टीम वर्क को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।  इससे समानता को बढ़ावा मिलेगा।

कंपनी के द्वारा समाप्त किए गए पदों में जनरल मैनेजर, सीनियर जनरल मैनेजर, डेप्युटी जनरल मैनेजर, वाइस प्रेजिडेंट, सीनियर वाइस प्रेजिडेंट जैसे महत्वपूर्ण पद भी हैं। बुधवार को जारी एक सर्कुलर को माध्यम से टाटा मोटर्स ने अपने कर्मचारियों को यह जानकारी दी है।

कंपनी ने एंप्लॉयीज को जारी किए गए सर्कुलर में कहा कि उससे वह डेजिगनेशंस और पदानुक्रम के माइंडसेट से मुक्त हो सकेंगे। कंपनी के एक सीनियर एग्जिक्यूटिव ने कहा कि इससे टाटा मोटर्स के 10,000 एंप्लॉयीज प्रभावित होंगे।

नई व्यवस्था के तहत टीम के सभी मैनेजर्स को ‘हेड’ का दर्जा दिया जाएगा। उनके नाम के बाद उनके विभाग का नाम दिया जाएगा यानी मैनेजर्स अब एक तरह से टीम हेड कहलाएंगे। इसके अलावा सबसे निचले स्तर पर काम करने वाले एंप्लॉयीज के नाम के साथ उनका विभाग जुड़ा होगा।

बीते कुछ सालों में कई ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने वरिष्ठता क्रम को 14 लेवल्स की बजाय 5 लेवल्स तक ही सीमित कर दिया है। टाटा मोटर्स में चीफ एचआर गजेंद्र एस. चंदेल ने कहा, ‘एंप्लॉयीज से ज्यादा संख्या पदों की हो चुकी थी। इसलिए  इसको समाप्त करने का फैसला लिया।’ 

अब मरीजों का रिकॉर्ड मेडकॉर्ड्स से होगा डिजिटल

*अरविन्द 

अच्छी पहल : कोटा में मरीजों की मेडकॉर्ड्स से बनने लगी डिजिटल मेडिकल प्रोफाइल। शनिवार से दादाबाड़ी डिस्पेंसरी में मिलेगी यह निशुल्क सुविधा। क्षेत्र के सालाना 70 हजार मरीजों का हेल्थ रिकॉर्ड रहेगा सुरक्षित।

कोटा। दादाबाड़ी क्षेत्र के मरीजों में डॉक्टर का पर्चा या जांच रिपोर्ट गुम हो जाने का डर खत्म हो जाएगा। शनिवार को सांसद ओम बिरला ने दादाबाड़ी सरकारी डिस्पेंसरी में मेडकॉर्ड्स डिजिटल हेल्थ केअर सुविधा का शुभारंभ  किया ।

डिस्पेंसरी प्रभारी डॉ.राजेंद्र शर्मा के अनुसार, आसपास के क्षेत्र से प्रतिमाह 7000 से अधिक रोगियों को डॉक्टर्स के पर्चे व जांच रिपोर्ट सुरक्षित रखने की सुविधा मिलने से गरीब वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि डिस्पेंसरी में लगी मेडकॉर्ड्स डिवाइस में मरीज का नाम रजिस्टर्ड होने के बाद मोबाइल पर उन्हें सारा हेल्थ रिकॉर्ड निशुल्क मिलता रहेगा। एक बार डॉक्टर को दिखाने के बाद आजीवन डाटा सुरक्षित होने से रोगी अपने मोबाइल से कहीं भी किसी भी विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श ले सकेंगे। 

एक माह पूर्व कोटा से हुई शुरुआत
इससे पहले 9 मई को भीमगंजमंडी सरकारी डिस्पेंसरी में डिजिटल हेल्थकेअर के लिए ‘मेडकॉर्ड्स’ की सुविधा चालू की गई। शहर के दो आईटी ग्रेजुएट्स व को-फाउंडर श्रेयांस मेहता, निखिल बाहेती की टीम ने पीएम  नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत हेल्थ केअर को डिजिटाइज करने की शुरूआत सबसे निचले स्तर पर कोटा की सरकारी डिस्पेंसरी से की। इन दिनों राजस्थान, मप्र, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, उप्र, बिहार, झारखंड व हिमाचल प्रदेश के हजारों रोगी इसका लाभ उठा रहे हैं।

25 दिन में 175 गांवों के हजारों रोगियों को लाभ
भीमगंजमंडी डिस्पेंसरी में डॉ.सुधीर उपाध्याय ने बताया कि क्षेत्र में अब तक 4533 रोगी अपने हैल्थ रिकार्ड डिजिटाइज कर चुके हैं, जिससे मरीजों का डायग्नोसिस करने में कम समय लग रहा है। इनमें 175 गांवों के मरीज शामिल हैं। झालवाड़ से 382, राजगढ़ मप्र से 380, बूंदी से 270, बारां से 176, छबड़ा से 75, रायपुर से 71, इटावा से 65 तथा आगर मप्र से 52 रोगियों ने मेडकॉर्ड्स पर अपना हैल्थ रिकॉर्ड डिजिटल सुरक्षित किया। वे अपने रिकॉर्ड को मोबाइल पर निशुल्क अपलोड कर सकते हैं।

ऐसे तैयार करें मेडिकल प्रोफाइल
उन्होंने बताया कि डिस्पेंसरी में रोगी को एक बार मेडकार्ड्स पर लॉगइन करना है। इसमें नाम, मोबाइल नंबर व क्षेत्र भरते ही वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मोबाइल पर आएगा, उसे भरते ही रोगी का अकाउंट खुल जाएगा। वह अपने सारे मेडिकल रिकॉर्ड अपलोड कर सकता है। इससे भविष्य के लिए मरीज की मेडिकल प्रोफाइल बन जाएगी। जिसे किसी भी विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाना संभव हो सकेगा।

यह मिलेगा फायदा
डॉक्टर्स के प्रेस्क्रिप्शन तथा जांच रिपोर्ट मोबाइल पर उपलब्ध होने से रोगियों को देश-विदेश
के विशेषज्ञों से परामर्श मिल सकेगा। उनमें बीमारी के समय डॉक्टर का पर्चा या जांच रिपोर्ट गुम होने का भय खत्म हो जाएगा। रोगी हेल्पलाइन नंबर 7816811111 पर अन्य जानकारी ले सकते हैं।

अगला चरण रामपुरा सेटेलाइट में
कोटा शहर के सभी सरकारी अस्पतालों में निशुल्क मेडकॉर्ड्स डिजिटल हेल्थकेअर सुविधा चालू करने की योजना पर काम हो रहा है। अगले चरण में जल्द ही रामपुरा सेटेलाइट अस्पताल में यह सुविधा शुरू की जाएगी। जल्द ही मेडकॉर्ड्स के जरिए एमबीएस हॉस्पिटल एवं जेके लोन हॉस्पिटल के हजारों मरीजों के डिजिटल रिकॉर्ड को सुरक्षित ढंग से मोबाइल पर उपलब्ध कराने की योजना प्रारंभ होगी। दो एनजीओ ने इसमें सहयोग करने में रूचि दिखाई। 30 जुलाई को श्रीराम मंदिर, स्टेशन की जांच लैब को भी इससे डिजिटाइज किया जाएगा।

15 अंक का हो सकता है GST आईडेंटिफिकेशन नंबर

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नई दिल्ली । वस्तु एवं सेवा कर, यानी जीएसटी को एक जुलाई से लागू कराने का सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। वहीं इस कानून को लेकर हो रही तैयारियों के बीच व्यापारी वर्ग ने जीएसटी पोर्टल पर माइग्रेशन प्रक्रिया के लिए आवेदन करना भी शुरू कर दिया है। हाल ही में दूसरी बार माइग्रेशन के लिए जीएसटी पोर्टल को खोला गया है। लेकिन ऐसे में लोगों के मन में कुछ बड़े सवाल उठ रहे हैं। जैसे कि जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर है क्या, यह होगा कैसा…और इसमें क्या कुछ शामिल होगा?

जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर (GSTIN) है क्या?

अभी तक के नियमों के हिसाब से अगर कोई व्यापारी वैट में रजिस्टर्ड होता है तो उसे उसके राज्य सरकार की ओर से एक टिन नंबर जारी किया जाता है। इसी तरह एक सर्विस प्रोवाइडर को सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी) की ओर से सेवा कर पंजीकरण संख्या दी जाती है। जीएसटी के अंतर्गत इन सभी टैक्स पेयर्स को एक ही मंच पर लाया जाएगा और प्रशासनिक रुप से इन्हें एक ही अथॉरिटी की ओर से रजिस्ट्रेशन दिया जाएगा। सरकार ने इसके लिए जीएसटीएन को बनाया है। सभी रजिस्ट्रेशन करने वालों को एक यूनीक गुड्स एंड सर्विस आईडेंटिफिकेशन नंबर GSTIN दिया जाएगा।

कब से मिलेगा जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर?

जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर मिलना कब से शुरू होगा और आखिर जीएसटी नंबर होगा कैसा ! ये दो बड़े सवाल हैं जो व्यापारी वर्ग के मन में हैं। माना जा रहा है कि जीएसटी एक्ट के लागू होने के बाद जीएसटी पोर्टल एक्टिवेट हो जाएगा और इसके बाद ही जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर मिलना शुरू हो जाएंगे।

कैसा होगा जीएसटी नंबर?

एक्सपर्ट्स की मानें तो जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर 15 डिजिट का एक खास एल्फान्यूमेरिक नंबर होगा। इस नंबर के जरिए व्यापारी से जुड़ी हर जरूरी जानकारी को पता लगाया जा सकेगा। जीएसटी आने के बाद हर टैक्स पेयर को राज्य के हिसाब से पैन आधारित एक 15 डिजिट वाला गुड्स एंड सर्विस टैक्स पेयर आईडेंटिफिकेशन नंबर (GSTIN) दिया जाएगा।

इस नंबर में क्या होगा खास

  • 15 डिजिट के इस एल्फान्यूमेरिक नंबर में पहले दो डिजिट स्टेट कोड होंगे जो बताएंगे कि टैक्सपेयर किस राज्य का रहने वाला है।
  • अगले 10 डिजिट में टैक्सपेयर का पैन नंबर होगा।
  • 13वां डिजिट एक राज्य के भीतर रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) संख्या के आधार पर आवंटित किया जाएगा।
  •  14वां डिजिट बाई-डिफॉल्ट Z होगा।
  • अंतिम डिजिट चेक कोड के लिए होगा।

आधार कार्ड के बिना भी भर सकेंगे इनकम टैक्स रिटर्न, सुप्रीम कोर्ट ने कहा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिनके पास आधार कार्ड नहीं है वे भी आयकर रिटर्न भर सकते हैं। अदालत ने कहा है कि फिलहाल पैन हासिल करने और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता नहीं है। अनिवार्यता सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में आधार से जुड़े प्राइवेसी के मामले में आखिरी फैसले पर तय होगी। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि आधार से लिंक न किए गए पैन को तब तक अवैध नहीं ठहराया जा सकता जब तक संविधान पीठ यह निर्धारित नहीं कर देती कि आधार, व्यक्ति की निजता केअधिकार का उल्लंघन है या नहीं? सरकार के मुताबिक, करीब 115 करोड़ लोगों के पास आधार है।सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आधार से लिंक न करने पर पैन को अवैध करार देने के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

अदालत ने कहा है कि यह जरूर है कि फर्जी पैन कार्ड होना खतरे की बात है लेकिन सरकार को आधार को पैन से लिंक करने से होने वाले परिणामों पर विचार करना चाहिए। हालांकि पीठ ने कहा कि जिनके पास आधार है उन्हें इसे पैन कार्ड से लिंक करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आधार से संबंधित अधिकारियों या ठेकेदारों द्वारा डेटा लीक करने की आशंका न हो।

न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने आयकर अधिनियम की धारा-139 एए को सही ठहराते हुए कहा कि यह असंवैधानिक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने आधार के साथ पैन को जोड़ने के मामले में सरकार के आदेशों पर रोक लगा दिया है, जब तक की संविधान बेंच का फैसला न आ जाए। 

पैन कार्ड को आधार से ऐसे करें लिंक:

  • आयकर विभाग ने ई-फाइलिंग वेबसाइट incometaxindiaefiling.gov.in पर एक नया लिंक शुरु किया है।
  • इस लिंक के माध्यम से लोगों को अपने पैन कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने में आसानी होगी।
  • इस लिंक को ओपन करते ही एक पेज ओपन होगा। इसमें बाईं ओर सर्विसेज के ठीक नीचे लिंक आधार (न्यू) का ऑप्शन दिखाई देगा।
  • इसको क्लिक करते ही एक विंडो ओपन होगी।इसमें आपको मांगी गई जानकारियां दर्ज करनी होंगी।
  • इसमें आपको पैन नंबर, आधार नंबर और आधार में दर्ज अपने सही सही नाम का उल्लेख करना होगा।
  • इसके ठीक नीचे एक कैप्चा होगा जिसे आपको भरना होगा। इसके ठीक नीचे लिंक आधार का एक बटन आपको दिखाई देगा।
  • इस बटन पर सबमिट करते ही आपका आधार कार्ड पैन कार्ड से लिंक हो जाएगा। 

 

गिरावट का दौर खत्म , दो दिन में सोयाबीन 120 रुपये उछली

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मुंबई। सोयाबीन की कीमतों में गिरावट का दौर लगभग खत्म हो गया है। दो दिन में सोयाबीन के दाम में करीब 120 रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मंदी और न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे बिकने वाली सोयाबीन की कीमतें बढ़कर 2,900 रुपये पर पहुंच गई। पिछले सप्ताह सोयाबीन की कीमतें पांच साल के निम्नतम स्तर पर पहुंच गई थी।

वायदा बाजार में सोयाबीन की कीमतें 2,650 रुपये तक बोली गई थीं, लेकिन मॉनसूनी फुहारों के साथ बुआई सीजन शुरू होते ही कीमतों में सुधार होने लगा है। वायदा बाजार और हाजिर बाजार में सोयाबीन की कीमत 2,900 रुपये प्रति क्ंिवटल पर पहुंच गई। एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन की कीमतें बढ़कर 2,900 रुपये के ऊपर तक पहुंच गईं।

जून अनुबंध 2,746 रुपये, जुलाई 2,829 रुपये, अगस्त अनुबंध 2,900 रुपये अक्टूबर अनुबंध में 2,907 रुपये बोली गई। हाजिर बाजार में सोयाबीन 2,900 रुपये के ऊपर पहुंच गई।  पिछले सप्ताह देश की सबसे बड़ी मंडी इंदौर में सोयाबीन के दाम 2,700 के नीचे पहुंच गए थे जिससे किसानों और कारोबारियों के बीच झड़प भी हो गई थी और इंदौर मंडी को बंद करना पड़ा था।

सोयाबीन की कीमतें एमएसपी के नीचे पहुंच जाने से किसान नाराज थे। उनका कहना था कि सरकार ने एमएसपी 2,775 रुपये प्रति क्ंिवटल तय किया है लेकिन कारोबारी आपसी सांठगांठ करके कीमतें गिराते हैं और सरकार द्वारा तय की गई कीमत से कम पर माल खरीदते हैं। अगर उनको सरकारी कीमत बताई जाती है तो वे धमकी देते हैं कि अपना माल लेकर मंडी के बाहर निकल जाओ।

 

‘समान अवसर’ देने के लिए UGC-NET का नियम बदला

नई दिल्ली। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने नैशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (NET) पास करने के मानक में बदलाव करने का फैसला किया है ताकि रिजर्व्ड कैटेगरीज के सामने जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट्स को ‘समान अवसर’ मुहैया कराया जा सके। अधिकारियों ने Len-den News को बताया कि यह निर्णय यूजीसी की बुधवार को हुई बैठक में किया गया था।

NET का आयोजन यूजीसी की ओर से सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन कराता है। उच्चतर शिक्षा क्षेत्र में शिक्षक बनने के लिए यह परीक्षा पास करना जरूरी होता है। यूजीसी ने तय किया है कि NET में शामिल होने वाले कैंडिडेट्स के टॉप 6% हिस्से को ही असिस्टेंट प्रोफेसर की एंट्री लेवल पोजिशन के लिए योग्य घोषित किया जाएगा और उसके बाद इस 6% में आरक्षण नीति लागू की जाएगी।

क्या बदलाव हुआ?
यूजीसी के मौजूदा नियमों के अनुसार, चारों आरक्षित श्रेणियों में से हर एक की मेरिट लिस्ट के टॉप 15% कैंडिडेट्स को पास घोषित घोषित किया जाता है, लेकिन इसमें आरक्षित वर्गों के कैंडिडेट्स के लिए मिनिमम मार्क्स का लेवल कम रखा जाता है।

मौजूदा नियमों के मुताबिक, सभी तीनों पेपर्स में मिले अंकों के आधार पर मिनिमम मार्क्स से ऊपर अंक पाने वाले कैंडिडेट्स की मेरिट लिस्ट विषयवार और आरक्षित वर्गों (अन्य पिछड़ा वर्ग, डिसएबल्ड पर्संस, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) के अनुसार बनाई जाती है। फिर हर कैटेगरी के टॉप 15% कैंडिडेट्स को NET क्वॉलिफाइड घोषित किया जाता है।

बदलाव क्यों?
केरल हाई कोर्ट ने नायर सर्विस सोसायटी की रिट पिटीशन पर जनवरी 2017 में एक आदेश दिया था, जिसमें आरक्षित वर्गों के लिए न्यूनतम अंक की शर्त में रियायत देने के UGC-NET एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को असंवैधानिक बताकर खारिज कर दिया गया था क्योंकि इसे जनरल कैंडिडेट्स के खिलाफ माना गया। इसे देखते हुए यूजीसी ने नया निर्णय किया।

यह निर्णय जल्द सीबीएसई को भी बता दिया जाएगा। हाई कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि रिजर्व्ड कैटेगरी के कैंडिडेट्स के लिए कम मिनिमम मार्क्स होने से इन वर्गों के अभ्यर्थी जनरल कैंडिडेट्स के मुकाबले ज्यादा संख्या में मिनिमम मार्क्स की शर्त पूरी करते हैं और क्वॉलिफाई कर जाते हैं।

डेटा ट्रेंड्स को खंगाला 

हाई कोर्ट के ऑर्डर के बाद यूजीसी ने एक कमिटी बनाई, जिसने NET के पिछले 20 वर्षों के डेटा ट्रेंड्स को खंगाला और फिर नए फॉर्म्युले का सुझाव दिया। कमिटी ने कहा है कि विभिन्न श्रेणियों के औसतन 5.5-5.6% कैंडिडेट्स यह परीक्षा पास करते रहे हैं। इसे देखते हुए उसने सिफारिश की थी कि 6% से ज्यादा कैंडिडेट्स को पास घोषित न किया जाए।

अगर सभी पेपर्स देने वाले 40 हजार कैंडिडेट्स ने कुल 40% या इससे ज्यादा अंक हासिल किए तो नए फॉर्म्युले के अनुसार, सभी को जनरल यानी अनारक्षित कैटिगरी का माना जाएगा, भले ही उनकी असल कैटिगरी जो भी हो। इनमें से मान लें कि अगर अंग्रेजी विषय में 2000 लोगों को कुल 40% या ज्यादार अंक मिले हों तो उन सभी को अनारक्षित माना जाएगा।

अलीबाबा के जैक मा बने एशिया के सबसे अमीर

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पेइचिंग, ब्लूमबर्ग। चीन में आर्थिक मंदी के बावजूद, जैक मा एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। चीन की ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के मालिक जैक मा की कुल संपत्ति अनुमानों से अधिक रातोंरात 2.8 बिलियन डॉलर (करीब 17.9 हजार करोड़ रुपए) बढ़ गई। ब्लूमबर्ग की अरबपतियों की लिस्ट के मुताबिक जैक मा अब एशिया के सबसे अमीर और दुनिया के 14वें सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं।

अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग के मालिक जैक मा की संपत्ति इस साल 54.5 हजार करोड़ रुपए बढ़कर 41.8 बिलियन डॉलर (करीब 2.6 लाख करोड़ रुपए) पहुंच गई है। रातोंरात इतनी लंबी छलांग का कारण अलीबाबा की कंपनी के रेवन्यू ग्रोथ का अनुमानों से कई अधिक रहना है।जैक मा के अलीबाबा में 13 प्रतिशत शेयर हैं जो रेकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए।

चीन की ऑनलाइन शॉपिंग और सोशल मीडिया पर एकछत्र राज करने वाली अलीबाबा अब म्यूजिक और विडियो स्ट्रीमिंग में भी हाथ आजमाने जा रही है। अलीबाबा अपनी शॉपिंग साइट्स में विडियो के जरिए डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग बढ़ा रहा है। अलीबाबा इस हफ्ते इन्वेस्टर्स के साथ मीटिंग में कंपनी के नए प्रयोगों पर बात करने वाले हैं।

जीएसटी की जगह फीस कम क्यों नहीं करते कोचिंग संचालक

पेरेंट्स का  कहना है कि  “फ़ीस कम होगी तो नहीं पड़ेगा छात्रों पर भार “

कोटा। कोचिंग पर जीएसटी की दर 18 फीसदी होते ही संचालकों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया। यह तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे पेरेंट्स की जेब से नहीं उनकी जेब से जा रहा हो। कुछ प्रिंट मीडिया भी उनके पक्ष में बयान लेकर छाप रहे हैं। अगर छात्रों और पेरेंट्स के इतने ही हितेषी हैं तो अपनी फीस साल दर साल क्यों बढ़ा रहे हैं। जीएसटी की जगह फीस कम क्यों नहीं करते कोचिंग संचालक पेरेंटस पर तो वैसे ही भार कम हो जायेगा । 

शहर के कोचिंग से लेकर हॉस्टल तक सब मनमाने तरीके से छात्रों के अभिभावकों को से पैसा ऐंठ रहे हैं ।इतना ही नहीं अब तो कोचिंग संचालकों ने भी अपने खुद के हॉस्टल शुरू कर दिए हैं। जो लीज पर चल रहे हैं । प्रॉपर्टी डीलर्स से मिलकर पहले अपने फायदे का सौदा करते हैं , फिर वहां कोचिंग शुरू कर देते हैं । जिस एरिया में यह संस्थान अपने पैर पसारते वहां जमीनों के दाम आसमान छूने लगते हैं। कुछ कोचिंग संचालक तो रियल एस्टेट के मालिक तक हैं।

लंबे समय से हो रही है छूट की मांग 

कोटा के कोचिंग संचालक लंबे समय से सरकार से मांग कर रहे हैं कि कोचिंग काे भी सामान्य शिक्षा की तरह मानकर कुछ सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। सर्विस टैक्स में कटौती की मांग भी इसमें शामिल है। कोटा में 1.25 लाख स्टूडेंट्स मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग करते हैं। अब तक सालाना 187 करोड़ रुपए की राशि सरकार के अकाउंट में जाती थी, जो जीएसटी के बाद बढ़कर सालाना 225 करोड़ रुपए के करीब पहुंच जाएगी। जीएसटी का असर मात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल पर ही नहीं, सीए, सीएस अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां करवाने वाले इंस्टीट्यूट पर भी पड़ेगा। 

कोचिंग संचालकों का कहना है कि कोचिंग इंडस्ट्री को एजुकेशन सेक्टर नहीं मानने वाली सरकारें ही बच्चों पर बोझ बढ़ाती जा रही हैं। काउंसिल की ओर से जारी नई दरों के बाद अब कोचिंग छात्रों को 15 प्रतिशत सर्विस टैक्स की जगह 18 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। कोटा में औसतन कोचिंग फीस एक लाख रुपए है।

अब तक जो छात्र एक लाख की फीस पर 15 हजार रुपए बतौर सर्विस टैक्स दे रहा था, अब उसको 18 हजार रुपए देना होगा। दो साल की कोचिंग पर छह और तीन साल की कोचिंग पर नौ हजार रुपए अतिरिक्त टैक्स देना होगा। जीएसटी लागू होने के बाद छात्र पर औसतन तीन हजार रुपए का अतिरिक्त भार जाएगा। पेरेंट्स का  कहना है कि जितना असर टैक्स बढ़ने से पड़ने वाला है , उतनी ही फीस कोचिंग संचालक कम कर दें। 

कोचिंग को ही इंडस्ट्री का नाम
शहर में कोचिंग संचालक दी एएसआई एसोसिएशन के मेंबर बन गए। फिर अधिकारयों से सांठगांठ कर इंद्रप्रस्थ इंडस्ट्रियल एरिया की उद्योगों की सस्ती भूमि खरीद ली।  उद्योगों की जगह खड़ीं हो गई विशालकाय इमारतें। इस तरह औद्यौगिक नगरी बन गई कोचिंग नगरी। अब वह कोचिंग को इंडस्ट्री का नाम देने लगे। 

नोट -यदि अभिभावक एवं छात्र हमारी बात से सहमत हैं तो आप कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया दीजिये। आप अपना नाम गोपनीय रखना चाहें या कोचिंग के संबंध में कोई शिकायत हो तो दस्तावेज के साथ हमें मेल कीजिये।

Mail id- lendennews1956@gmail.com or dineshmaheshwari6@gmail.com