नई दिल्ली । वस्तु एवं सेवा कर, यानी जीएसटी को एक जुलाई से लागू कराने का सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। वहीं इस कानून को लेकर हो रही तैयारियों के बीच व्यापारी वर्ग ने जीएसटी पोर्टल पर माइग्रेशन प्रक्रिया के लिए आवेदन करना भी शुरू कर दिया है। हाल ही में दूसरी बार माइग्रेशन के लिए जीएसटी पोर्टल को खोला गया है। लेकिन ऐसे में लोगों के मन में कुछ बड़े सवाल उठ रहे हैं। जैसे कि जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर है क्या, यह होगा कैसा…और इसमें क्या कुछ शामिल होगा?
जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर (GSTIN) है क्या?
अभी तक के नियमों के हिसाब से अगर कोई व्यापारी वैट में रजिस्टर्ड होता है तो उसे उसके राज्य सरकार की ओर से एक टिन नंबर जारी किया जाता है। इसी तरह एक सर्विस प्रोवाइडर को सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी) की ओर से सेवा कर पंजीकरण संख्या दी जाती है। जीएसटी के अंतर्गत इन सभी टैक्स पेयर्स को एक ही मंच पर लाया जाएगा और प्रशासनिक रुप से इन्हें एक ही अथॉरिटी की ओर से रजिस्ट्रेशन दिया जाएगा। सरकार ने इसके लिए जीएसटीएन को बनाया है। सभी रजिस्ट्रेशन करने वालों को एक यूनीक गुड्स एंड सर्विस आईडेंटिफिकेशन नंबर GSTIN दिया जाएगा।
कब से मिलेगा जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर?
जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर मिलना कब से शुरू होगा और आखिर जीएसटी नंबर होगा कैसा ! ये दो बड़े सवाल हैं जो व्यापारी वर्ग के मन में हैं। माना जा रहा है कि जीएसटी एक्ट के लागू होने के बाद जीएसटी पोर्टल एक्टिवेट हो जाएगा और इसके बाद ही जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर मिलना शुरू हो जाएंगे।
कैसा होगा जीएसटी नंबर?
एक्सपर्ट्स की मानें तो जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर 15 डिजिट का एक खास एल्फान्यूमेरिक नंबर होगा। इस नंबर के जरिए व्यापारी से जुड़ी हर जरूरी जानकारी को पता लगाया जा सकेगा। जीएसटी आने के बाद हर टैक्स पेयर को राज्य के हिसाब से पैन आधारित एक 15 डिजिट वाला गुड्स एंड सर्विस टैक्स पेयर आईडेंटिफिकेशन नंबर (GSTIN) दिया जाएगा।
इस नंबर में क्या होगा खास
- 15 डिजिट के इस एल्फान्यूमेरिक नंबर में पहले दो डिजिट स्टेट कोड होंगे जो बताएंगे कि टैक्सपेयर किस राज्य का रहने वाला है।
- अगले 10 डिजिट में टैक्सपेयर का पैन नंबर होगा।
- 13वां डिजिट एक राज्य के भीतर रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) संख्या के आधार पर आवंटित किया जाएगा।
- 14वां डिजिट बाई-डिफॉल्ट Z होगा।
- अंतिम डिजिट चेक कोड के लिए होगा।