Sunday, October 6, 2024
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जीएसटी से अर्थव्यवस्था में आया अस्थाई गतिरोध अब खत्म: एससी गर्ग

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नई दिल्ली। आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग ने मंगलवार को कहा कि जीएसटी लागू होने के प्रभाव स्वरूप आर्थिक गतिविधियों में जो अस्थाई गतिरोध आया था वह अब समाप्त हो चला है। अगस्त में विनिर्माण क्षेत्र में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई इससे इसका संकेत मिलता है।

औद्योगिक उत्पादन और थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि नरम और अनुकूल मुद्रास्फीति दर आज आम बात हो गई है। अगस्त माह में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही।

इससे पहले दो माह के दौरान यह नकारात्मक बनी रही। जीएसटी लागू होने के चलते जून और जुलाई माह में विनिर्माण क्षेत्र में क्रमश: 0.5 प्रतिशत और 0.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।

औद्योगिक क्षेत्र का कुल उत्पादन अगस्त माह में 4.3 प्रतिशत रहा है। औद्योगिक क्षेत्र के इस प्रदर्शन में खनन और ऊर्जा क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन का इसमें उल्लेखनीय योगदान रहा। पूंजीगत सामान का उत्पादन भी अधिक रहा।

उल्लेखनीय है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तीन साल के सबसे निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर रही।

आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी पड़ने के बावजूद रिजर्व बैंक ने हाल की अपनी नीतिगत समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर को 6 प्रतिशत पर यथावत रखा।

प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ है नीति आयोग

नई दिल्ली। नौकरियों में आरक्षण पर की बहस में नीति आयोग भी शामिल हो गया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने मंगलवार को कहा कि हम निजी क्षेत्र की नौकिरयों में आरक्षण के खिलाफ है। उन्होंने स्वीकार किया कि निजी क्षेत्र में अधिक रोजगार बढ़ाने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है।

कई राजनीतिक दलों के नेता निजी क्षेत्र की नौकरियों में अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए आरक्षण की वकालत कर रहे हैं। इस बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि निजी क्षेत्र में नौकरियों में आरक्षण नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर साल 60 लाख लोग श्रम बाजार में शामिल हो रहे हैं।

सरकार इनमें से 10-12 लाख लोगों को ही रोजगार दे पा रही है। ऐसे में निजी क्षेत्र में और अधिक रोगजार बढ़ाने की जरूरत है। कुछ लोग अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार पा लेते हैं। अब यह भी परिपूर्ण हो चुका है। बता दें कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने हाल में निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग की थी।

पूर्व में भी कई राजनीतिक दल इसी तरह की मांग रख चुके हैं। कनार्टक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी पिछले साल निजी क्षेत्र में आरक्षण की वकालत की थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कुछ माह पूर्व निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग उठाई थी।

सोने की खरीदारी से पहले जानिए आपके शहर में क्या हैं दाम

नई दिल्ली/ कोटा । धनतेरस और दिवाली के आस-पास लोग सोने और चांदी की जमकर खरीदारी करते हैं क्योंकि यह त्यौहार समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। लोग इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं ताकि उनके घर में भी धन और वैभव आए।

 धनतेरस का त्यौहार दिवाली से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है।  हम अपनी इस स्टोरी के जरिए आपको देश के प्रमुख शहरों में सोने की कीमत के बारे में बताने जा रहे हैं।

दिल्ली में सोने के दाम: अगर आप राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रहते हैं और आप धनतेरस के मौके पर सोने की खरीदारी करने जा रहे हैं तो आपको जान लेना चाहिए कि आज आपके शहर में 22 कैरेट शुद्ध सोने की कीमत 2,875 रुपए प्रति ग्राम है। वहीं 24 कैरेट प्योर गोल्ड के दाम 3,072 रुपए प्रति ग्राम है।

 मुंबई में क्या हैं दाम: वहीं अगर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की बात करें तो स्टैंडर्ड गोल्ड (22 कैरेट) के दाम 2,938 रुपए प्रति ग्राम हैं और 24 कैरेट प्योर गोल्ड के दाम 3,135 रुपए प्रति ग्राम है।

बैंगलुरू में क्या हैं दाम: इसके अलावा आईटी हब के नाम से मशहूर बैंगलुरू में स्टैंडर्ड गोल्ड 22 कैरेट के दाम 2,793 रुपए प्रति ग्राम हैं। वहीं 24 कैरेट गोल्ड के दाम 2,987 रुपए प्रति ग्राम हैं।

चेन्नई में क्या हैं दाम: धनतेरस के दिन चेन्नई में 22 कैरेट सोने के दाम 2,844 रुपए प्रति ग्राम हैं। इसके अलावा 24 कैरेट शुद्ध सोने के दाम 3,042 रुपए प्रति ग्राम हैं।

हैदराबाद में आज क्या हैं दाम: हैदराबाद में 22 कैरेट स्टैंडर्ड गोल्ड के दाम 2,844 रुपए प्रति ग्राम हैं। वहीं 24 कैरेट गोल्ड 3,042 रुपए प्रति ग्राम की दर से बिक रहा है।

कोलकाता में क्या हैं दाम: कोलकाता में 22 कैरेट स्टैंडर्ड गोल्ड के दाम 2,941 रुपए प्रति ग्राम हैं। वहीं 24 कैरेट गोल्ड 3,138 रुपए प्रति ग्राम की दर से बिक रहा है।

पटना : बिहार की राजधानी पटना में 22 कैरेट स्टैंडर्ड गोल्ड के दाम 2,941 रुपए प्रति ग्राम हैं। वहीं 24 कैरेट गोल्ड 3,138 रुपए प्रति ग्राम की दर से बिक रहा है।

भोपाल : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 22 कैरेट स्टैंडर्ड गोल्ड के दाम 2,938 रुपए प्रति ग्राम हैं। वहीं 24 कैरेट गोल्ड 3,135 रुपए प्रति ग्राम की दर से बिक रहा है।

चंडीगढ़ : चंडीगढ़ में में 22 कैरेट स्टैंडर्ड गोल्ड के दाम 2,875 रुपए प्रति ग्राम हैं। वहीं 24 कैरेट गोल्ड 3,072 रुपए प्रति ग्राम की दर से बिक रहा है।

 लखनऊ में क्या हैं दाम: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में  22 कैरेट स्टैंडर्ड गोल्ड के दाम 2,875 रुपए प्रति ग्राम हैं। वहीं 24 कैरेट गोल्ड 3,072 रुपए प्रति ग्राम की दर से बिक रहा है।

अहमदाबाद में क्या हैं दाम: अहमदाबाद में 22 कैरेट स्टैंडर्ड गोल्ड के दाम 2,936 रुपए प्रति ग्राम हैं। वहीं 24 कैरेट गोल्ड 3,133 रुपए प्रति ग्राम की दर से बिक रहा है।

कोटा सर्राफा : चांदी 40600 रुपये प्रति किलोग्राम। सोना केटबरी 30750 रुपये प्रति दस ग्राम,  सोना 35870 रुपये प्रति तोला।  सोना शुद्ध 30900 रुपये प्रति दस ग्राम,  सोना 36040 रुपये प्रति तोला।

दिवाली पर एक घंटे के लिए खुलेगा शेयर बाजार

नई दिल्ली । देश के बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज 19 अक्टूबर को दिवाली के दिन मुहुर्त ट्रेडिंग आयोजित करेंगे। इस साल दिवाली के दिन एक घंटे के लिए शेयर बाजार खुलेगा।

मुहुर्त ट्रेडिंग शाम 6.30 बजे से 7.30 बजे तक की जाएगी। यह जानकारी स्टॉक एक्सचेंज ने दी है। वहीं, प्री ओपनिंग सेशन शाम 6.15 बजे से 6.30 बजे तक आयोजित किया जाएगा।

मुहुर्त का होता है इसका प्रतीकात्मक महत्व-
लोग इस दौरान खरीदे गए शेयर्स को दीर्घ अवधि के लिए रखते हैं। कुछ लोग इनपर प्रॉफिट कमाते हैं, तो कुछ उसी दिन बेच देते हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इसे टोकन मनी के रूप में देखते हैं। इस दिन स्टॉक ब्रोकर्स अपने ऑफिस में दिये जलाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और मिठाई बांट कर दिन की शुरुआत करते हैं।

यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। गुजरातियों और मारवाड़ियों के लिए दिवाली से नया वर्ष शुरू हो जाता है। इस दिन पुरानी अकाउंट बुक बंद कर दी जाती हैं और नये संवत की शुरुआत के साथ नई अकाउंट बुक खोली जाती हैं।

क्या है परंपरा-
उत्तर भारत के व्यापारी दिवाली से नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत करते हैं। धनतेरस और दिवाली के दिन अपनी अकाउंट बुक और तिजोरी की पूजा करते हैं। पूजा से पहले अकाउंट बुक पर एक सिक्का रखा जाता है।

यहां सिक्के का महत्व धन से है। ऐसा माना जाता है कि दिवाली पूजा की रात को देवी लक्ष्मी पूजा स्थल पर आती हैं। इसलिए व्यापारी और दुकानदार रातभर दिये और लाइट जलाकर जागते हैं।

धनतेरस पर निफ्टी ने क्लोजिंग का नया स्तर छुआ

नई दिल्ली। धनतेरस के मौके पर इक्विटी बेंचमार्क सामान्य स्तर पर बंद हुए, हालांकि निफ्टी ने क्लोजिंग का नया स्तर छू लिया। मंगलवार को 30 शेयरों का बीएसई सेंसेक्स 24.48 पॉइंट्स गिरकर 32,609.16 पर बंद हुआ, लेकिन 50 शेयरों का एनएसई निफ्टी 3.60 अंक चढ़कर 10,234.50 के नए स्तर पर बंद हुआ।

कुल मिलाकर दिनभर का कारोबारी प्रदर्शन अच्छा रहा। बीएसई पर 1,367 शेयरों ने तेजी दिखाई जबकि 1,301 शेयर कमजोर हुए। सेंसेक्स सुबह 20.77 अंकों की तेजी के साथ 32,654.41 पर खुला और 24.48 अंकों या 0.08 फीसदी की तेजी के साथ 32,609.16 पर बंद हुआ।

दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 32,675.21 के ऊपरी और 32,556.74 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप में तेजी रही। बीएसई का मिडकैप सूचकांक 64.27 अंकों की तेजी के साथ 16,114.50 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 89.98 अंकों की तेजी के साथ 17,066.15 पर बंद हुआ।

इधर, निफ्टी 3.2 अंकों की मामूली गिरावट के साथ सुबह 10,227.65 पर खुला और 3.60 अंकों या 0.04 फीसदी की मजबूती के साथ 10,234.45 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 10,251.85 के ऊपरी और 10,212.60 के निचले स्तर को छुआ।

बीएसई के 19 में से 15 सेक्टरों में तेजी रही। सर्वाधिक तेजी वाले सेक्टरों में दूरसंचार (2.77 फीसदी), रियल्टी (0.79 फीसदी), तेल और गैस (0.74 फीसदी), पूंजीगत वस्तुएं (0.43 फीसदी) और ऊर्जा (0.40 फीसदी) प्रमुख रहे। बीएसई के गिरावट वाले सेक्टरों में बैंकिंग (0.24 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (0.24 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं (0.20 फीसदी) और वित्त (0.03 फीसदी) रहे।

मंगलवार के कारोबार में सिप्ला, भारती एयरटेल, एशियन पेंट्स, बजाज ऑटो, हीरो मोटोकॉर्प, बीपीसीएल, एचपीसीएल और इंडियाबुल्स हाउजिंग जैसे शेयरों ने सबसे ज्यादा तेजी आई और ये 1 से 4 प्रतिशत तक मजबूती हासिल की जबकि ऐक्सिस बैंक, टाटा मोटर्स, बजाज फाइनैंस और डॉ. रेड्डीज लैब्स के शेयर 1-1 प्रतिशत कमजोर होकर बंद हुए।

नैशनल हाइवेज को लीज पर देकर 10,000 करोड़ जुटाएगी सरकार

नई दिल्ली। सरकार पांच और नैशनल हाइवेज को जल्द लीज पर देकर रोड कंस्ट्रक्शन के लिए फंड जुटाएगी। रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाइवेज मिनिस्ट्री को मौजूदा फाइनैंशल इयर में टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) मॉडल के तहत 14 ऑपरेशनल नैशनल हाइवेज को लीज पर देने से लगभग 10,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।

इस मॉडल के तहत, हाइवेज को 30 वर्षों की अवधि के लिए कॉम्पिटिटिव बिडिंग के जरिए लीज पर प्राइवेट इक्विटी और पेंशन फंड्स और अन्य इन्वेस्टर्स को दिया जाएगा।

इनके लिए सरकार को चुकाई गई रकम के बदले इन्वेस्टर्स को टोल मिलेगा और उन्हें कॉन्ट्रैक्ट की अवधि के दौरान प्रॉजेक्ट को मेनटेन करना होगा।

रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाइवेज मिनिस्ट्री का दावा है कि इन्वेस्टर्स को इन प्रॉजेक्ट्स से अच्छा रिटर्न मिलेगा क्योंकि देश में टोल कलेक्शन सालाना 7-8 पर्सेंट बढ़ रहा है।

आंध्र प्रदेश और गुजरात में लगभग 700 किलोमीटर की लंबाई के 9 प्रॉजेक्ट्स के लिए पहली ही बिड मंगाई जा चुकी हैं। कंपनियां इन प्रॉजेक्ट्स के लिए 9 जनवरी तक बिड दे सकती हैं।

इस वर्ष के अंत तक और हाइवेज को लीज पर देने के लिए बिड मंगाई जा सकती हैं। सरकार को पहले चरण में हाइवेज को लीज पर देने से करीब 6,000 करोड़ रुपये और दूसरे चरण में लगभग 4,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। सरकारी फंडिंग से बने सभी नैशनल हाइवे प्रॉजेक्ट्स की मालिक नैशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) है।

सरकार आने वाले वर्षों में चरणबद्ध तरीके से कुल 75 ऑपरेशनल नैशनल हाइवेज को लीज पर देने की योजना बना रही है। मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘इस वर्ष हमें नैशनल हाइवेज को दो चरणों में लीज पर देने से लगभग 10,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।

इन प्रॉजेक्ट्स को लेकर इन्वेस्टर्स से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।’ इन हाइवे प्रॉजेक्ट्स में पीएसपी इन्वेस्टमेंट्स, सीपीपीआईबी, सीडीपीक्यू और अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (एडीआईए) सहित कुछ इन्वेस्टर्स ने दिलचस्पी दिखाई है।

रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाइवेज मिनिस्ट्री हाइवेज के कंस्ट्रक्शन की अपनी महत्वाकांक्षी योजना के लिए बजट के अलावा अन्य सोर्स से फंड जुटाने पर भी विचार कर रही है।

मिनिस्ट्री ने मौजूदा फाइनैंशल ईयर में 15,000 किलोमीटर की सड़कें बनाने का बड़ा लक्ष्य रखा है। मिनिस्ट्री को इस वर्ष बजट में लगभग 65,000 करोड़ रुपये का ऐलोकेशन मिला था।

दवाओं की कीमतों को काबू करने की तैयारी

मुंबई। दवाओं की कीमतों को काबू में करने के लिए चार साल पुराने ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) में प्रस्तावित बदलाव के जरिए नॉन-शेड्यूल्ड ड्रग्स को प्राइस कंट्रोल के तहत लाया जा सकता है।

कीमत तय करने के तरीके में बदलाव के जरिए ऐसा किया जा सकता है। दवा कंपनियों का कहना है कि अगर ऐसा कर दिया गया तो इंडस्ट्री की ग्रोथ को चोट पहुंचेगी और बाजार में प्रतिस्पर्द्धा के माहौल को नुकसान होगा।

जो दवाएं कीमत नियंत्रण प्रणाली के दायरे से बाहर होती हैं, उन्हें नॉन-शेड्यूल्ड ड्रग्स कहा जाता है। अभी प्राइस कंट्रोल के तहत लगभग 370 दवाएं हैं।

नैशनल फार्मासूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) और फार्मासूटिकल डिपार्टमेंट के प्रतिनिधियों ने जो प्रस्ताव बनाया है, उसमें नॉन-शेड्यूल्ड ड्रग्स को प्राइस कंट्रोल में लाने के अलावा आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में कीमत तय करने की मौजूदा प्रणाली को बदलने का सुझाव भी दिया गया है।

सुझाव में कहा गया है कि सभी ब्रैंड्स और जेनरिक दवाओं के साधारण औसत को ध्यान में रखते हुए एक पर्सेंट से ज्यादा बाजार हिस्सेदारी वाले ब्रैंड्स का साधारण औसत लिया जाए।

बड़ी भारतीय दवा कंपनियों की प्रतिनिधि संस्था इंडियन फार्मासूटिकल अलायंस ने कहा कि यह संशोधन ‘इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचाएगा।’

उसने कहा कि मौजूदा प्राइस कंट्रोल पॉलिसी के असर का आकलन किए बिना बदलावों पर चर्चा की गई। आईपीए के महासचिव डी जी शाह ने कहा, ‘डीपीसीओ 2013 को अभी चलने देना चाहिए।

चार साल में ही बदलाव करना जल्दबाजी होगी। अफोर्डेबिलिटी और ऐक्सेस सुनिश्चित करने में इसने योगदान देना शुरू कर दिया है।’

शाह ने कहा कि टोटल मार्केट के मुकाबले आवश्यक दवाओं की लिस्ट वाले प्रॉडक्ट्स की तेज ग्रोथ से भी दवाओं का ठीक से उपयोग होने का संकेत मिल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘लिहाजा डीपीसीओ 2013 में बदलाव शुरू करने से पहले एक औपचारिक इंपैक्ट ऐनालिसिस करना महत्वपूर्ण है।’ एनपीपीए के चेयरमैन को भेजी गई ईमेल का जवाब नहीं आया।

मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक, जिन कंपनियों ने 2013 के पहले कॉम्बिनेशन ड्रग्स (ये दवाएं आवश्यक सूची में हो सकता है कि न हों) लॉन्च की थीं।

वे प्राइस कंट्रोल के बाहर रहेंगी और जो कंपनी नई दवा लॉन्च करना चाहेगी, उसे ड्रग रेग्युलेटर के पास आवेदन करना होगा। ड्रग रेग्युलेटर रीटेल प्राइस तय करता है।

हालांकि मौजूदा प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर कोई कंपनी ऐसी दवा लॉन्च कर रही हो, जो एक शेड्यूल्ड और एक नॉन-शेड्यूल्ड ड्रग का कॉम्बिनेशन हो सकती हो तो रेग्युलेटर उस दवा की कीमत तय करेगा।

इसका अर्थ यह हुआ कि जिन कंपनियों ने 2013 के पहले इसी तरह की दवाएं बाजार में उतारी होंगी, उन्हें करंट सीलिंग प्राइस का पालन करना ही होगा।

नए बदलाव के तहत सीलिंग प्राइस की गणना उस मैन्युफैक्चरर की ओर से अप्लाई किए गए प्राइस के आधार पर होगी, जो नई दवा के लिए सबसे पहले मंजूरी मांगेगी। पेटेंटेड दवाओं पर यह फॉर्मूला लागू नहीं होगा।

शाह ने कहा कि इस कदम के चलते ‘नई दवाएं’ लॉन्च करने में कंपनियां उत्साह नहीं दिखाएंगी और मार्केट में कॉम्पिटिशन घटेगा।

धनतेरस के दिन मामूली गिरावट के साथ खुले बाजार

नई दिल्ली। मंगलवार को धनतेरस के दिन शेयर बाजार मामूली गिरावट के साथ खुला। सेंसेक्स 27 अंको की गिरावट के साथ 32,606 को स्तर पर खुला जबकि निफ्टी 17 अंको की गिरावट का साथ 10,213 पर खुला।

सुबह 9 बजकर 38 मिनट पर सेंसेक्स 38 अंको की गिरावट के साथ 32,593 के स्तर पर जबकि निफ्टी भी 7 अंक गिरावट के साथ 10,223 अंक पर कारोबार कर रहा था।

सोमवार को अमेरिकी बाजारों ने अच्छा कारोबार किया, जिसका पॉजिटिव असर भारतीय बाजार के कारोबार पर भी पड़ने की उम्मीद है।

हालांकि क्रूड ऑइल की कीमत अमेरिका और ईरान के बीच टेंशन की वजह से फिर बढ़ गई है। इसका असर धनतेरस के दिन भारतीय बाजारों के कारोबार पर पड़ सकता है।

इससे पहले सोमवार को शेयर बाजार में उत्साह देखने को मिला। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों बढ़त के साथ बंद हुए। सेंसेक्स 201 अंक चढ़कर 32,633 पर बंद हुआ था, वहीं निफ्टी भी 63 अंको की तेजी साथ 10,233 पर बंद हुआ था।

मेडिकल कॉलेज की अव्यवस्था देख बिरला बोले, पैसा नहीं तो सांसद कोष से दूँ

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शहर में डेंगू-स्वाइन फ्लू समेत अन्य मौसमी बीमारियों के कहर के बीच सांसद ओम बिरला ने सोमवार को न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल का औचक दौरा किया और बोले

कोटा। शहर में डेंगू-स्वाइन फ्लू समेत अन्य मौसमी बीमारियों के कहर के बीच सांसद ओम बिरला ने सोमवार को न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल का औचक दौरा किया। वार्डों में अव्यवस्थाएं मिलने और न्यू इमरजेंंसी वार्ड वैकल्पिक तौर पर शुरू नहीं होने पर सांसद ने जिला कलक्टर से फोन पर कड़ी नाराजगी जताई।

कहा कि अस्पताल में बैंचों पर लोगों का इलाज चल रहा है, 30 बेड का न्यू इमरजेंसी वार्ड खाली है, वहां मरीजों को शिफ्ट कर आरएमआरएस से स्टाफ लगा दो। इस पर जिला कलक्टर ने जब एप्रुव्ल लेने का तर्क दिया दिया तो सांसद बोल पड़े कि ‘लोग मर रहे, अब भी एप्रुव्ल लोगे क्या। चिकित्सा मंत्री व सैके्रट्री से बात लेता हूं।’

जब कलक्टर ने वार्ड का उद्घाटन नहीं होने का तर्क दिया तो सांसद ने नाराजगी जताई और कहा कि हमें उद्घाटन का शौक नहीं है, तीन माह के लिए आरएमआरएस से अतिरिक्त स्टाफ लगाकर इमरजेंसी वार्ड चालू कराओ। स्टाफ लगाने के लिए पैसे नहीं है तो सांसद कोष से उपलब्ध करा दूंगा। आप कहो तो दस-दस हजार में कार्मिक लगा दूं। हमारा काम है लोग यहां आने पर स्वस्थ होकर घर जाएं।
 
गौरतलब है कि बीस दिन पहले विधायक संदीप शर्मा ने भी अस्पताल का दौरा किया था। उस समय न्यू इमरजेंसी वार्ड को चालू कर अतिरिक्त नर्सिंग स्टाफ लगाने को कहा था, लेकिन न स्टाफ लगा, न वार्ड चालू हुआ।

निरीक्षण के दौरान अस्पताल के मेल मेडिकल वार्ड में पलंग के साथ बैंचों पर मरीज मिले। शिशु वार्ड में एक पलंग पर दो-दो बच्चे भर्ती मिले। सांसद ने अधीक्षक को बच्चों के लिए सर्जिकल वार्ड में वैकिल्पक व्यवस्था करने के कहा है।
 
अवैध एंबुलेंस पर जताई आपत्ति
सांसद ने अस्पताल में पनप रही मोटरसाइकिल पार्किंग व अवैध एम्बुलेंस संचालन पर अधीक्षक डॉ. देवेन्द्र विजयवर्गीय से कड़ी नाराजगी जताई। कहा कि मरीजों से लूट हो रही, इनकी गुंडागर्दी बंद करो।
 
सड़ रहे गलियारे
निरीक्षण के समय अस्पताल में गंदगी पसरी थी। गायनिक वार्ड के सामने हाल बुरे दिखे। सुविधा घर गदंगी से भरे थे। रैलिंग पर सड़ांध थी, सांसद खुद मुंह ढककर निकले। गंदगी पर भी सांसद ने अधीक्षक से नाराजगी जताई। कहा कि जो सफाई ठेकेदार काम नहीं करें, उसे हटाओ। हालांकि अधीक्षक ने बताया कि तीन माह पहले सफाई का टेण्डर खत्म हो गया। एक्सटेंशन में चल रहा है।

28 फीसदी जीएसटी स्लैब में वस्तुओं की संख्या कम की जाएंगी :अढिया

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नई दिल्ली। जीएसटी के 28% स्लैब में वस्तुओं की संख्या कम की जाएगी। लेकिन इससे पहले टैक्स रेवेन्यू का आकलन किया जाएगा। इसके लिए अफसरों की समिति बनाई गई है। रेवेन्यू के आकलन में तीन-चार महीने लग सकते हैं। यह बात राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने कही है। वह सोमवार को एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि जीएसटी में एक्साइज और वैट दोनों को शामिल किया गया है, जबकि पहले बहुत से प्रोडक्ट्स एमएसएमई द्वारा बनाए जाने के कारण उन पर एक्साइज से छूट थी।  1 जुलाई से लागू जीएसटी में वस्तुओं और सेवाओं को छह कैटेगरी में रखा गया है- 0%, 5%, 12%, 18% और 28% टैक्स।

एक कैटेगरी उन वस्तुओं की है जिन पर सेस लगता है। राजस्व सचिव ने बताया, फिटमेंट कमेटी देखेगी कि इन वस्तुओं पर एक्साइज और वैट से कितना कलेक्शन होता था। अगर अंतर ज्यादा रहा तो 28% स्लैब में चरणबद्ध तरीके से वस्तुओं को कम किया जाएगा। अढिया ने इस बात से इनकार किया कि रिटर्न फाइलिंग में देरी पर सरकार पेनाल्टी से छूट देने की सोच रही है।

उन्होंने कहा, जैसे ही हम कहेंगे कि मार्च 2018 तक जुर्माना नहीं लगेगा, वैसे ही कम्प्लाइंस रेट कम हो जाएगा। सरकार यह कैसे कह सकती है कि आप जब चाहें रिटर्न फाइल कर सकते हैं। छूट देना भी हुआ तो उस पर बाद में विचार होगा, अभी नहीं। अभी हमारा जोर बिजनेस में अनुशासन लाने पर है।

जुलाई के लिए 55 लाख, अगस्त के लिए 48 लाख और सितंबर के लिए अभी तक 10 लाख कारोबारियों ने शुरूआती रिटर्न जीएसटीआर-3बी फाइल किया है। लेकिन जुलाई का अंतिम रिटर्न जीएसटीआर-1 सिर्फ 46 लाख ने भरा है।

जीएसटीएन पोर्टल पर तकनीकी दिक्कतों की वजह से सरकार ने जुलाई के जीएसटीआर-3बी रिटर्न की फाइलिंग में देरी पर लेट फीस से छूट दी थी।

एमएसएमई के प्रोडक्ट पर टैक्स काफी बढ़ गया है : अभी जो रेट तय किए गए हैं, वह एक्साइज और वैट के आधार पर हैं। लेकिन कई इंडस्ट्रीज ऐसी हैं जिनमें 95% प्रोडक्शन छोटी-मझोली कंपनियां (एमएसएमई) करती हैं। जीएसटी से पहले उन्हें एक्साइज ड्यूटी नहीं देनी पड़ती थी।

उनके प्रोडक्ट पर सिर्फ वैट लगता था। जीएसटी रेट तय करने में एक्साइज और वैट दोनों को जोड़ा गया है। इससे उन प्रोडक्ट्स पर टैक्स रेट पहले की तुलना में काफी अधिक हो गया है। इक्का-दुक्का आइटम्स पर रेट घटाने के बजाय पूरे 28% स्लैब की समीक्षा करने की जरूरत है।

जमीन को भी जीएसटी के दायरे में लाना पड़ेगा: अढियाने कहा- रियल्टी को तभी जीएसटी में शामिल किया जा सकता है जब कंपनियों को सभी टैक्स का क्रेडिट लेने की सहूलियत मिले। इसके लिए जमीन को भी जीएसटी के दायरे में लाना पड़ेगा। यह स्टांप ड्यूटी के साथ होगा या अलग, यह बड़ा मुद्दा है। अभी स्टांप ड्यूटी से राज्यों को काफी राजस्व मिलता है।