Saturday, September 28, 2024
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हिप्र में दो-तिहाई बहुमत से सत्ता में लौटी बीजेपी, मोदी लहर ने गुजरात बचाया

नई दिल्‍ली। राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष की मजबूत किलेबंदी के बावजूद मोदी लहर ने गुजरात बचा लिया। बीजेपी ने गुजरात में लगातार छठी बार सत्‍ता में वापसी की है। हालांकि इस बार उसे 16 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। 182 में से बीजेपी के हिस्‍से में 99 सीटें आई हैं, जबकि कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत हासिल हुई है।

2012 में बीजेपी ने 115 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दूसरी ओर पहाड़ी राज्‍य हिमाचल की बात करें तो यहां बीजेपी करीब दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्‍ता में लौटी है। 2012 में कांग्रेस ने बीजेपी से सत्‍ता छीन ली थी।  
 
रिफॉर्म्स के लिए तैयार है देशः मोदी
दोनों राज्यों में जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “गुजरात और हिमाचल की जनता ने विकास के रास्ते को चुना। इस मार्ग से ही जनता की समस्याओं का हल निकलेगा। वैश्विक प्रतिस्पर्धा के युग में भारत को आगे जाना है तो विकास की नई ऊंचाइयों को पार करना होगा।”

उन्होंने कहा, “इन नतीजों से एक बात साबित हो गई है कि देश रिफॉर्म्स के लिए तैयार है। परफॉर्म करने को तैयार है और ट्रांसफॉर्म होकर रहेगा। लोकतंत्र में चुनाव सरकार के काम का लेखा-जोखा होते हैं।”

उन्होंने कहा, “हिमाचल ने जिस प्रकार से नतीजे दिखाए हैं, वे इस बात का सबूत हैं कि अगर आप विकास नहीं करते। गलत कामों में उलझे हैं तो पांच साल बाद जनता आपको स्वीकार नहीं करेगी।”
 
नई सरकार को बधाई: राहुल
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जनता के फैसले को स्वीकार करते हुए नई सरकारों को बधाई दी। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, “कांग्रेस जनता के फैसले को स्वीकार करती है और दोनों राज्यों की नई सरकार को बधाई देती है। मैं गुजरात और हिमाचल प्रदेश के लोगों को हमें प्यार देने के लिए दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।”
 
 ये परफॉर्मेंस की जीत: शाह
उधर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, ”देश की राजनीति में परफॉर्मेंस बेस्ड पॉलिटिक्स की जीत हुई है। इसका पूरा श्रेय राज्य की जनता और कार्यकर्ताओं को जाता है। गुजरात में हम छठी बार सरकार बनाने जा रहे हैं। हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है। इतने घोर जातिवादी प्रचार के बाद भी 1.25% की बढ़ोतरी हुई है।”

गुजरात के नतीजे (कुल सीटें-182)
पार्टी        जीत     वोट शेयर (% में)
बीजेपी      99            49.1
कांग्रेस      77            41.4
अन्‍य         6              9.5
 
हिमाचल प्रदेश के नतीजे (कुल सीटें- 68)
पार्टी      जीत     वोट शेयर (% में)
बीजेपी    44            48.7
कांग्रेस    21            41.8
अन्‍य       3              9.5

जीएसटीआर-1 फॉर्म में मंथली और क्वार्टरली फाइलिंग के विकल्प उपलब्ध

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नई दिल्ली । वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) जिसने नई कर व्यवस्था की तकनीकी सेटअप तैयार किया है ने बताया कि उसने अपने पोर्टल पर एक नया विकल्प उपलब्ध करवाया है जिसकी मदद से टैक्सपेयर जीएसटीआर-1 भरते समय मंथली और क्वार्टरली विकल्प का चयन कर पाएंगे।

किसे मिलेगा तिमाही रिटर्न का फायदा: इस नए विकल्प का फायदा उन कारोबारियों को मिलेगा जिनका पिछले वित्त वर्ष में कुल टर्नओवर 1.5 करोड़ तक का रहा है या फिर इतना टर्नओवर चालू वित्त वर्ष में होने का अनुमान है वो इस विकल्प (तिमाही रिटर्न) का इस्तेमाल कर सकते हैं। फॉर्म GSTR-1 एक करदाता की सभी बिक्री का सारांश देता है।

यह फैसला जीएसटी काउंसिल की 23वीं बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक ही किया गया है। इस विकल्प के मिल जाने के बाद करदाता प्रासंगिक रिटर्न अवधि के लिए GSTR 1 फाइल कर सकते हैं। इसमें कहा गया है कि करदाता जो तिमाही रिटर्न दाखिल करने का विकल्प चुनते हैं, उन्हें ड्रॉप डाउन मेनू से तिमाही के अंतिम महीने का चयन करना होगा।

इसके अलावा, सभी करदाता, जो मासिक रिटर्न दाखिल करने का विकल्प चुनते हैं वो अब अगस्त से नवंबर तक जीएसटी 1 फाइल कर सकते हैं। पिछले महीने का रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है।

जीएसटीएन की स्थापना इसलिए की गई है ताकि वो केंद्र के साथ साथ राज्य सरकारों,करदाताओं और हितधारकों को जीएसटी कार्यान्वयन के लिए आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवा मुहैया करवाए। आपको बता दें कि वस्तु एवं सेवा कर को 1 जुलाई 2017 को पूरे देश में लागू कर दिया गया था।

आयकर विभाग ने 7,961 करोड़ की अघोषित आय उजागर की

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नई दिल्ली। आयकर विभाग ने नोटबंदी के बाद 7,961 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता लगाया है। यह आंकड़ा पिछले साल नवंबर महीने से लेकर इस साल के मार्च महीने तक का है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बीते साल नोटबंदी का फैसला 8 नवंबर को लिया था। इस फैसले के बाद ही 9 नवंबर 2016 से उस वक्त बाजार में प्रचलित 500 और 1000 रुपए के नोट अमान्य कर दिए गए थे जो कि कुल करेंसी का 86 फीसद हिस्सा थे।

लोकसभा में दिए गए लिखित जवाब में वित्त राज्यमंत्री पॉन राधाकृष्णन ने बताया कि विभाग ने इस अवधि के दौरान हमने 900 समूहों के ठिकानों पर छापेमारी की थी जिसमें करीब 900 करोड़ रुपए जब्त किए गए और 7,961 करोड़ रुपए की अघोषित आय का पता चला।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल नोटबंदी की घोषणा कालेधन पर अंकुश लगाने, जाली करेंसी को खत्म करने और भ्रष्टाचार का खात्मा करने के इरादे से की थी। 

मंत्री ने आगे कहा कि एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) में उपलब्ध डेटा के मुताबिक नोटबंदी के बाद 30 नवंबर 2017 तक राज्य पुलिस की ओर से करीब 18.70 करोड़ रुपए के जाली नोट पकड़े गए थे, जबकि इससे पिछले वर्ष करीब 15.70 करोड़ रुपए के जाली नोट पकड़े गए थे।

मोटोरोला ने पेश किए 3 नये मोटो मोड्स

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नई दिल्ली। मोटोरोला ने भारत में अपने प्रीमियम प्रमुख मोटो जेड फ्रेंचाइजी के लिये तीन नये मोटो मोड्स की घोषणा की। इनमें जेबीएल साउंडबूस्ट 2 स्पीकर मोड, मोटो टर्बोपावर पैक बैटरी मोड और गेमपैड मोड शामिल हैं। अपने मोटो जेड, मोटो जेड प्ले या मोटो जेड2 प्ले स्मार्टफोन को एक हैंडहेल्ड गेमिंग कंसोल में बदलें, इसे प्रीमियम जेबीएल साउंड दें या सफर के दौरान अपने फोन को टर्बो चार्ज करें।

आपको चाहे कुछ भी करना हो, आपके लिये एक मोड मौजूद है। ये सभी तीनां मोड्स 17 दिसंबर से फ्लिपकार्ट और मोटोरोला के सभी एक्सक्लूसिव स्टोर्स- मोटो हब्स पर बिक्री के लिये उपलब्ध होंगे।

मोटो मोड्स के साथ यूजर अपने मोटो जेड सीरीज स्मार्टफोन्स को बिल्कुल वैसा बना सकते हैं, जैसी उनकी जरूरत हो और जब जरूरत हो। मोटो मोड्स चुम्बकीय रूप से फोन के साथ जुड़ जाते हैं और बाधारहित उन्नत कार्यात्मकता उपलब्ध कराते हैं।

इनमें पिछले उत्पादों की तरह ही कुछ क्रांतिकारी नई खूबियों को पेश किया गया है, जैसे कि मोटो इंस्टा-शेयर प्रोजेक्टर, हैसलब्लैड ट्रू जूम या जेबीएलो साउंडबूस्ट, हैंडसेट के पीछे चुम्बकीय रूप से नये मोड्स स्नैप और नई एवं उन्नत कार्यात्मकता, जोकि यूजर्स को कहीं से भी अपने जुनून को पूरा करने में सक्षम बनाती है।

नवाचार एवं बेमिसाल उपभोक्ता अनुभव के अपने सिद्धांत के अनुरूप मोटोरोला ने रेंटोमोजो के साथ अपनी तरह की पहली अनूठी साझेदारी की है। इस गठबंधन से ग्राहकों को इन नवीनतम मोटो मोड्स को खरीदने से पहले ही उनका अनुभव प्राप्त होता है।

वे 23 दिसंबर से सिर्फ 399 रूपये में एक सप्ताह के लिये अपने पसंदीदा मोटो मोड को किराये पर ले सकते हैं। यह सर्विस शीर्ष 8 महानगरों में उपलब्ध होगी और ग्राहकों को इन नये मोटो मोड्स की सुविधा एवं आनंद का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

सुधीन माथुर, प्रबंध निदेशक, मोटोरोला मोबिलिटी इंडिया ने कहा, ‘‘ नये मोड्स के माध्यम से असीमित संभावनाओं के वादे के साथ एक बेहतर मोबाइल भविष्य का निर्माण करने की हमारी प्रतिबद्धता को बरकरार रखा है।‘‘

रेंटोमोजो के साथ साझेदारी हमारी इस समझ पर आधारित है कि हमारे ग्राहक बेहतर हैं। इसके अलावा यह सुनिश्चित करती है कि हम उन बाधाओं को हटाने के लिये काम करें, जो उन्हें नई नवाचारों को अपनाने से रोकती है। यह एक अनूठी अवधारणा है और हमें पूरा भरोसा है कि हमारे ग्राहक इसे अपनायेंगे।‘‘

गुजरात में भाजपा की जीत: सेंसेक्स 138, निफ्टी 55 अंक मजबूत

नई दिल्ली। गुजरात चुनाव की काउंटिंग में बीजेपी को गुजरात में बहुमत मिल रहा है। बीजेपी की जीत से शेयर मार्केट मजबूत होकर बंद हुआ है। शुरुआती रुझानों में जहां सेंसेक्स 803 अंक टूटा था, वहीं निचले स्तरों से 941 अंक मजबूत होकर बंद हुआ।

कारोबार के अंत में सेंसेक्स 138 अंक मजबूत होकर 33601 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 55 अंक मजबूत होकर 10388 के स्तर पर बंद हुआ। 

मेटल, सरकारी बैंक और फार्मा में तेजी
शुरुआती कारोबार में निफ्टी पर सभी 11 इंडेक्स लाल निशान में थे। लेकिन, बाद में रिकवर होकर सभी इंडेक्स हरे निशान में आ गए। मेटल, सरकारी बैंक और फार्मा शेयरों में तेजी आ गई। मेटल इंडेक्स में 2.32 फीसदी, पीएसयू  बैंक इंडेक्स में 2.95 फीसदी, फार्मा इंडेक्स में 1.90 फीसदी की तेेजी है।

वहींं, निफ्टी बैंक इंडेक्स में 1.11 फीसदी, आईटी इंडेक्स में 0.02 फीसदी, एफएमसीजी इंडेक्स में 0.49 फीसदी, ऑटो इंडेक्स में 1.47 फीसदी, रियल्टी इंडेक्स में 0.92 फीसदी और प्राइवेट बैंक इंडेक्स में 0.81 फीसदी की तेेजी है।

मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भारी गिरावट 
शुरूआती कारोबार में बाजार में गिरावट के चलते मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी भारी गिरावट देखने को मिली रही है। बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 333 अंक गिरकर 16 हजार 641 अंक पर कारोबार कर रहा है। वहीं, बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स 434 अंक टूटकर 17 हजार 736 अंक पर कारोबार कर रहा है।

वंडर सीमेंट साथ: 7 क्रिकेट महोत्सव, ध्यानचंद इलेवन बना जोनल विजेता

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कोटा। विश्व के सबसे बड़े कंज्यूमर इंगेजमेंट प्रोग्राम ‘‘वंडर सीमेंट साथः7 क्रिकेट महोत्सव’ में 51 जिला स्तर की विजेता टीमों के बीच 8 ज़ोन में मुकाबला हुआ। तहसील, जिला और ज़ोनल स्तर पर मैच खेलने के बाद पुरुष व महिला खिलाड़ियों की विजेता टीमें अब टूर्नामेंट के अंतिम स्तर में प्रवेश कर गई हैं।

कोटा में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि ओम बिरला, प्रहलाद गुंजल, चेतन कुमावत, के.जी. मंत्री, मोहम्मद इरशाद , सुशील शर्मा तथा वंडर सीमेंट के बिजनेस पार्टनर संजय गोयल ने जोनल विजेता ध्यानचंद इलेवन को ट्राॅफी, प्रमाणपत्र, और 35,000 रूपए के नकद ईनाम से सम्मानित किया।

वंडर सीमेंट के निदेशक विवेक पाटनी ने प्रतिस्पर्धा की प्रगति पर बताया कि वंडर सीमेंट साथः7 क्रिकेट महोत्सव को राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के राज्यों के लोगों ने खूब सराहा और प्रतियोगिता को जबरदस्त सार्वजनिक प्रतिक्रिया मिली। साथः7 का फाइनल मैच 24 दिसंबर को राजस्थान के उदयपुर में आयोजित होगा।

जोन स्तर पर खेलने वाली प्रत्येक टीम को क्रिकेट किट भेंट की गई और हर ज़ोन की विजेता टीम को ट्राॅफी, प्रमाणपत्र, और 35,000 रूपए के नकद ईनाम से सम्मानित किया गया। टूर्नामेंट के अंतिम स्तर के लिए 8 ज़ोन की विजेता टीमें अब फाइनल्स में भिड़ेंगी। टूर्नामेंट की चैम्पियन टीम को 3,50,000 रुपये और उप विजेताओं का क्रमशः 1,40,000 रुपये और 70,000 रुपये की पुरस्कार राशि भेंट की जाएगी।

इस टूर्नामेंट के द्वितीय संस्करण में विजेताओं के लिए कुल पुरस्कार राशि 40 लाख रुपये  है। प्रतियोगिता का फाइनल मैच 24 दिसंबर को झीलों कि नगरी उदयपुर में भारतीय क्रिकेट टीम के भूतपूर्व कप्तान कपिल देव की उपस्थिति में खेला जाएगा। इसका सीधा प्रसारण नियो स्पोर्टर्स चैनल पर किया जायेगा।

साथः7 क्रिकेट महोत्सव के तहसील, जिला और ज़ोनल स्तर के मैचों में खिलाड़ियों ने कुल 12 शतक बनाए हैं। इस वर्ष 60 से ज्यादा महिला टीमों का पंजीकरण प्राप्त हुआ और टूर्नामेंट में महिला खिलाड़ियों की भागीदारी 1000 से अधिक रही है। मैचों में खिलाड़ियों ने दमदार प्रदर्शन किया। जनता ने भी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया और मैच का खूब आनंद उठाया। 

गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत, जीएसटी नहीं बन पाया मुद्दा

अहमदाबाद। बेहद दिलचस्प रहे गुजरात विधानसभा चुनाव में रुझानों और नतीजों से यह साफ हो रहा है कि जीएसटी-नोटबंदी और पटेल फैक्टर से लेकर आदिवासी-दलितों के मुद्दे ने भी ना तो बीजेपी को कोई बड़ा नुकसान पहुंचाया और ना ही कांग्रेस को कोई खास फायदा दिलाया। बीजेपी अपने गढ़ को बचाने में कामयाब रही। आपको बताते हैं गुजरात विधानसभा चुनाव की 5 बड़ी बातें:

काम नहीं किया हार्दिक फैक्टर
चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा हार्दिक फैक्टर की ही थी। हार्दिक पटेल की अगुवाई में हुए पाटीदार आंदोलन के चलते माना जा रहा था कि बीजेपी को बड़ा नुकसान हो सकता है।

जिस तरह हार्दिक ने बीजेपी के विरोध और कांग्रेस के समर्थन का ऐलान किया, उसे देखते हुए बीजेपी को बड़े नुकसान की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन रुझानों से साफ है कि सौराष्ट्र-कच्छ के इलाके को छोड़कर प्रदेश के बाकी सभी इलाकों में पटेलों ने बीजेपी का भरपूर साथ दिया है।

जीएसटी नहीं बन पाया मुद्दा
प्रदेश के सबसे बड़े शहर और व्यापारिक केंद्र सूरत में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन यह समझने के लिए काफी है कि चुनाव में जीएसटी कोई बड़ा मुद्दा नहीं बन पाया। कांग्रेस ने व्यापारियों की जीएसटी से नाराजगी को मुद्दा बनाने की कोशिश की थी।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने GST को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ तक बोल दिया था, लेकिन व्यापारियों ने नाराजगी के बावजूद बीजेपी का साथ नहीं छोड़ा। सूरत शहर 12 सीटें शहर में से 11 पर बीजेपी या तो लीड कर रही या जीत चुकी है।

यहां सिर्फ मांडवी सीट पर कांग्रेस आगे चल रही है। खास बात यह है कि पटेलों का गढ़ मानी जाने वाली वारछा रोड सीट पर भी फिलहाल बीजेपी आगे है।

शहरों में बीजेपी का दबदबा कायम
चुनाव से पहले ही यह माना जा रहा था कि शहरों में बीजेपी की स्थिति मजबूत बनी रहेगी। शहरी क्षेत्रों में बीजेपी को भारी समर्थन हासिल हुआ है।

राजधानी अहमदाबाद सहित सूरत, वडोदरा, राजकोट जैसे सभी शहरी क्षेत्रों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है। शहरों में तो बीजेपी छाई ही ही, साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी पार्टी ने बढ़िया परफॉर्म किया है।

आदिवासी इलाकों में भी बीजेपी आगे
पाटीदारों के छिटकने की आशंका के बीच बीजेपी ने बाकी समुदायों को साथ जोड़े रखने पर खासा जोर दिया था। यही वजह है कि कांग्रेस के समर्थक माने जाने वाले प्रदेश के आदिवासी इलाकों में भी बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा है। प्रदेश के दक्षिणी इलाके में आदिवासियों का काफी असर है, जहां बीजेपी कुल 33 में से 22 सीटों पर आगे है।

सौराष्ट्र-कच्छ में कांग्रेस को बढ़त
एग्जिट पोल्स से संकेत मिला था कि सौराष्ट्र-कच्छ के इलाके में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। अनुमान के मुताबिक, कांग्रेस फिलहाल इन इलाकों की 54 में से 30 सीटों पर लीड कर रही है। शुरुआती रुझानों में कांग्रेस उत्तर गुजरात में भी आगे थी, लेकिन मतगणना आगे बढ़ने के साथ वह बीजेपी से पिछड़ गई।

गुजरात और हिमाचल में भाजपा जीत की ओर अग्रसर

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में भाजपा जीत की तरफ बढ़ रही है और हिमाचल प्रदेश में भी वह सत्ता में आती हुई दिख रही है। दोनों राज्यों में भाजपा काफी आगे चल रही है। हिमाचल प्रदेश में शुरुआती रुझानों के अनुसार भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर सीट पर कांग्रेस के राजेंद्र राणा से पीछे चल रहे हैं।

गुजरात में लगातार छठी बार सरकार बनाती दिख रही भाजपा 182 सदस्ईय विधानसभा सीटों में से 100 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि विपक्षी कांग्रेस 70 सीटों पर आगे है। राज्य की 175 सीटों के रुझान आए हैं। अब तक भाजपा को 49.2 फीसदी और कांग्रेस 41.5 फीसदी वोट मिले हैं।

गुजरात में भाजपा की जीत तय: नीतीश
शुरुआती रुझानों से पता चला था कि गुजरात में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर चल रही है, बाद में भाजपा ने निर्णायक बढ़त हासिल कर ली। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 115 और कांग्रेस को 61 सीटें मिली थीं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार राकांपा, भारतीय ट्राइबल पार्टी और निर्दलीय पांच सीटों पर आगे चल रहे हैं।

शुरुआत में पीछे चल रहे गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी अब राजकोट-पश्चिम विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार इंद्रनील राज्यगुरू से आगे हो गए हैं। उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल मेहसाणा में कांग्रेस उम्मीदवार जीवन भाई पटेल से 3,000 मतों के अंतर से पीछे चल रहे हैं।

कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडयि़ तीसरे चरण की मतगणना के बाद पोरबंदर से सिर्फ 50 मतों से पीछे चल रहे थे। कांग्रेस के अल्पेश ठाकोर भी आगे चल रहे हैं।  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल मांडवी सीट पर भाजपा के वीरेंद्र सिंह जडेजा से पीछे चल रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश में 62 सीटों के उपलब्ध रुझानों के अनुसार भाजपा 37 और कांग्रेस 22 सीटों पर आगे है। राज्य में कुल 68 सीटें हैं। मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह आरकी और उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह शिमला (ग्रामीण) से आगे चल रहे हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 36 और भाजपा को 26 सीटें मिली थीं।

फेसबुक-ट्विटर पर भी अब बुक कीजिए LPG सिलेंडर

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कोटा । फेसबुक और ट्विटर अब चैटिंग या सामाजिक दायरा बढ़ाने तक ही सीमित नहीं रह गए है बल्कि इनके जरिये आप घर की जरूरतें भी पूरी कर सकते हैं। आईओसी (इंडियन ऑयल कारपोरेशन) ने गैस बुकिंग की सुविधा फेसबुक और ट्विटर पर देकर इसकी शुरुआत कर दी है।

अब आईओसी के उपभोक्ता फेसबुक और ट्विटर पर भी सिलेंडर बुक करा सकेंगे। वह पूर्व में तीन बुकिंग की डिटेल भी देख सकेंगे। बुकिंग और डिलीवरी की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आईओसी ने यह नई व्यवस्था शुरू की है। इसका फायदा देशभर के 11.50 करोड़ आईओसी उपभोक्ताओं को मिलेगा।

फेसबुक पर ऐसे बुक होगा सिलेंडर
फेसबुक पर सिलेंडर बुक कराने के लिए अपने फेसबुक अकाउंट पर लॉगिन करके आईसी के फेसबुक पेज पर जाकर बुक नाउ का बटन दबाकर अपना अकाउंट कंफर्म करना होगा। इसके बाद मोबाइल स्क्रीन पर आपका नाम व ईमेल आईडी आ जाएगी।

एलपीजी आइडी देने के बाद आपकी ईमेल आइडी गैस एजेंसी में रजिस्टर्ड हो जाएगी। इसके बाद पुनः बुक नाउ का विकल्प सामने आएगा। उपभोक्ताओं को अपना नाम व एजेंसी का नाम दिखाई देगा।

एक क्लिक करते ही गैस बुक हो जाएगी। इसके बाद बुकिंग की पुष्टि दिखाई देगी। एजेंसी में रजिस्टर्ड ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर पर भी बुकिंग की सूचना भेजी जाएगी।

अभी बुकिंग के दो ऑनलाइन माध्यम
सिलेंडर बुक कराने के लिए उपभोक्ताओं के पास ऑनलाइन बुकिंग कराने के अभी दो माध्यम हैं। पहला 8726024365 मोबाइल नंबर पर एसएमएस भेजकर और दूसरा इसी नंबर पर कॉल करके सिलेंडर बुक कराते हैं। कॉल आइवीआरएस (इंटीग्रेटेड वाइस रिस्पांस सिस्टम) पर आधारित है।

ये आती हैं दिक्कतें
मौजूदा ऑनलाइन बुकिंग व्यवस्था में कई दिक्कतें आती हैं। जैसे एसएमएस भेजने पर रिस्पांस मैसेज नहीं मिलता, जिससे पता ही नहीं चलता कि बुकिंग कंफर्म हुई या नहीं। आईवीआरएस सिस्टम से भी बुकिंग तो हो जाती है, लेकिन नेटवर्क धीमा रहा तो रिस्पांस मैसेज नहीं मिलता।

देश में इस बार खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर!

नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र में इस साल भी पिछले वर्ष का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हासिल हो सकता है। वर्ष 2017-18 के दौरान अच्छी वर्षा से खाद्यान्न उत्पादन 27.5 करोड़ टन के आंकड़े के आस-पास रह सकता है।

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कृषि उपज का दाम समर्थन मूल्य से नीचे आता है, तो किसानों की दिक्कत बढ़ सकती है।  कम कीमतों की वजह से दबाव झेल रहे किसानों को राहत देते हुए महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने किसानों का 90,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने की घोषणा की है। हालांकि, केंद्र ने भी उनकी अल्पावधि दिक्कतों को दूर करने के लिए कदम उठाए हैं। 
 
विशेषज्ञों ने चेताया है कि कृषि क्षेत्र में संकट बढ़ रहा है। बंपर फसल उत्पादन के बावजूद पिछले दो साल में किसानों की आमदनी बुरी तरह प्रभावित हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र को कृषि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए जिससे किसानों को संकट से बचाया जा सके।

 हालांकि, सरकार का कहना है कि कृषि क्षेत्र काफी अच्छा काम कर रहा है और जमीनी स्तर पर चीजें सुधर रही हैं। सरकार द्वारा उठाए गए नीतिगत कदमों का असर अगले छह से आठ महीने के दौरान देखने को मिलेगा।  कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने हालांकि कहा है, इस साल हमने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है।

कुछ चुनौतियां हैं जिन्हें हम दूर कर रहे हैं। हम किसानों के कल्याण को प्रतिबद्ध हैं। मंत्री ने कहा कि उत्पादन की लागत घटाने और 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

किसानों को सिर्फ एक या दो फसलों पर निर्भर नहीं रहने को कहा जा रहा है। किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे अन्य गतिविधियों मसलन पॉल्ट्री, मधुमक्खी पालन, मछलीपालन तथा सुअर पालन आदि पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। 
 
कृषि सचिव शोभना पटनायक ने चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर चार प्रतिशत रहने का विश्वास जताया है। पटनायक ने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में कम बारिश तथा बाढ़ की स्थिति के बावजूद खाद्यान्न और बागवानी फसलों का  उत्पादन बेहतर रहने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि कुल कृषि उत्पादन पिछले साल के स्तर पर रहेगा। खरीफ का उत्पादन कुछ कम रह सकता है, लेकिन रबी की फसल बेहतर रहेगी। खरीफ सत्र के दौरान असम, बिहार, गुजरात और राजस्थान में बाढ़ की स्थिति रही। वहीं कर्नाटक, छत्तीसगढ़ तथा तमिलनाडु के कुछ हिस्सों को कम बारिश की स्थिति का सामना करना पड़ा। 
 
फसल वर्ष 2016-17 में खाद्यान्न उत्पादन रिकार्ड 27.56 करोड़ टन रहा है, जबकि इससे पिछले दो साल सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ा था। बंपर फसल उत्पादन के चलते 2016 में दाम टूट गए और इस साल भी यह स्थिति जारी रही। दलहनों, तिलहनों और कुछ नकदी फसलों के दाम उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चले गए। किसानों पर इसका बुरा असर पड़ा। 
 
पटनायक ने हालांकि कहा कि कृषि उत्पादों के दाम में गिरावट की स्थिति अल्पकालिक दबाव वाली रही। सरकार ने इस मामले में तुरंत कदम उठाए हैं। जिन दलहनों और तिलहनों के दाम समर्थन मूल्य से नीचे चले गए थे उनकी सरकारी स्तर पर खरीदारी की गई।

इसके साथ ही दालों के निर्यात की अनुमति दी गई। खाद्य तेलों के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाया गया। साथ ही कुछ तिलहनों के आयात पर भी इसे बढ़ाया गए ताकि सस्ते आयात पर रोक लग सके। अन्य उपायों के साथ ही वर्ष के दौरान देश के कुछ भागों में प्याज के दाम 80 रुपये किलो तक पहुंच गए थे।