Monday, June 24, 2024
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S60 Polestar: वोल्वो ने लॉन्च की 250kmph स्पीड वाली कार

नई दिल्ली । स्वीडन की आॅटो कंपनी वोल्वो ने शुक्रवार को नई दिल्ली में वोल्वो एस60 पोलस्टार कार लॉन्च की। अपनी पहली परफॉर्मेंस कार के जरिए कंपनी के टार्गेट पर लग्जरी सेगमेंट है। वोल्वो ने इस साल भारत में 2 हजार कारें बेचने का लक्ष्य रखा है। वोल्वो एस60 पोलस्टार में 2 लीटर ट्विन चार्ज्ड पेट्रोल इंजन दिया गया है।

1996 में पोलस्टार की एक मोटरस्पोर्ट कंपनी के तौर पर शुरुआत हुई थी और 2015 में वोल्वो ने इसका अधिग्रहण किया। उसके बाद से यह कंपनी परफॉर्मेंस कारें भी बनाने लगी है। वोल्वो एस 60 पोलस्टार कंपनी की सबसे तेज कार है। यह महज 4.7 सेकंड में शून्य से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पकड़ने में सक्षम है। इसकी अधिकतम स्पीड 250 किलोमीटर प्रति घंटा है।

इस कार की दिल्ली में एक्स शोरूम कीमत 52 लाख 50 हजार रुपये रखी गई है। वोल्वो ने बीते वर्ष भारत में कुल 1,600 कारें बेची थीं।
कार की लॉन्चिंग पर वोल्वो आॅटो इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर टॉप वॉन बॉन्सडॉर्फ ने बताया कि एस 60 पोलस्टार की लॉन्चिंग के साथ ही अब लग्जरी सेगमेंट में कंपनी के पास कम्प्लीट रेंज है।

बाजार के लिहाज से देखें तो वोल्वो एस 60 पोलस्टार की सीधी टक्कर मर्सेडीज सी43 एएमजी, सीएलए 45 एएमजी और आउडी एस5 से होगी। वोल्वो का यह नौंवा मॉडल है जिसे भारत में लॉन्च किया गया है। वोल्वो आॅटो इंडिया भारत में 8 लग्जरी मॉडल्स बेचती है। इनमें वी40 लग्जरी हैचबैक, एस60 सेडान और एसयूवी एक्ससी 90 आदि कारें शामिल हैं।

जीएसटी के तहत बनेगा ग्राहक कल्याण कोष

नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर ग्राहकों के हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा। कोई भी कारोबारी या सेवा प्रदाता ग्राहकों के हितों को नुकसान न पहुंचा सके, इसके लिए सरकार विशेष उपाय करने जा रही है।

सरकार एक जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद एक “ग्राहक कल्याण कोष” स्थापित करेगी। इस कोष से महिलाओं, आदिवासियों और दलितों के उन संगठनों को अनुदान मिलेगा, जो ग्राहकों के हित में काम कर रहे हैं। साथ ही ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए काम करने वाले सामान्य संगठन और केंद्र व राज्य सरकारों के विभाग भी इस कोष से अनुदान प्राप्त कर सकेंगे।केंद्रीय जीएसटी कानून, 2017 की धारा 57 के तहत ग्राहक कल्याण कोष का गठन किया जाएगा।

इस कानून की धारा 58 में कोष के उपयोग के बारे में प्रावधान किए गए हैं। जीएसटी का उचित अधिकारी जब यह निश्चित कर ले कि रिफंड की राशि का भुगतान असेसी को नहीं किया जा सकता, तब वह इस रकम को ग्राहक कल्याण कोष में ट्रांसफर करने का आदेश जारी कर सकता है।समिति करेगी इस्तेमाल का फैसलासरकार ने जीएसटी के रिफंड संबंधी जिन नियमों का मसौदा तैयार किया है, उसमें इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश तय किए गए हैं। नियमों यह भी बताया गया है कि इस कोष का इस्तेमाल किस तरह किया जाए।

यह फैसला करने के लिए एक स्थायी समिति बनाई जाएगी।इसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और सदस्य सचिव होगा। साथ ही इसमें कुछ सदस्य भी होंगे। यह समिति उन उपायों की सिफारिश करेगी जिनके जरिये ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए इस कोष का इस्तेमाल किया जा सकेगा। समिति को तीन महीने में कम से कम एक बार बैठक करनी होगी।खास बात यह है कि महिलाओं, आदिवासियों और दलितों द्वारा संचालित ग्राहकों की सहकारी समितियों, गांव और मंडल स्तर की समितियों को इस कोष से अनुदान मिल सकेगा।

इसके अलावा केंद्र सरकार और राज्य सरकारें भी इस कोष से अनुदान प्राप्त कर सकेंगी।हालांकि इनको यह राशि ग्राहकों के हितों की रक्षा के उपायों पर खर्च करनी होगी। केंद्रीय ग्राहक संरक्षण परिषद (सीसीपीसी) और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) इस कोष से अनुदान देने के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश तैयार कर जीएसटी काउंसिल को सौंपेंगे।

जीएसटी के बाद भी देश भर में एक नहीं होगा सोने का भाव

* दिनेश माहेश्वरी
कोटा। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद देशभर में सोना एक ही दाम पर बिकने संबंधी अटकलों पर बुलियन डीलर्स ने विराम लगा दिया है। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि सोने पर टैक्स की दर एक हो सकती है, लेकिन हर शहर-कस्बे में सोने की कीमत मांग, सप्लाई और दूरी के हिसाब से तय होती है। खासकर दूर-दराज के इलाकों में पहुंचते-पहुंचते सोना महंगा हो जाता है। ऐसे में छोटे शहरों-कस्बों के व्यापारी ऊंचे दाम पर ही गहने बेचते हैं। इसके चलते जीएसटी लागू होने के बाद भी पूरे देश में एक दाम पर सोना बिकने की संभावना कम है।

इसलिए एक नहीं हो सकता दाम

  •  सोने की कीमतें हाजिर में उपलब्धता के आधार पर तय होती हैं। मसलन कोटा  में सोने की मांग ज्यादा व सप्लाई कम है, तो बुलियन डीलर मार्जिन बढ़ा देता है। इसके उलट सप्लाई ज्यादा और मांग कम हो तो मार्जिन कम हो जाता है।
  • दूरदराज के इलाकों तक सोना पहुंचाने पर ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और जुड़ जाता है। इसके अलावा परिवहन में जोखिम के कारण बुलियन डीलर सोना पहुंचाने पर प्रति दस ग्राम 100 से 200 रु. तक अतिरिक्त चार्ज लेते हैं।
  •  दूर-दराज के इलाकों में कम्युनिकेशन कमजोर होने से स्थानीय व्यापारी अपने हिसाब से कीमतें तय करते हैं।
  •  हर डीलर सोने पर प्रीमियम (ऑन) अपने हिसाब से तय करता है। इससे हर डीलर के पास सोने के भाव अलग-अलग होते हैं। प्रीमियम डॉलर/रुपए कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव और अन्य स्थानीय खर्च के लिए वसूला जाता है।
  • प्रीमियम रोज तय होता है। डीलर का मार्जिन इसके अतिरिक्त होता है।

जीएसटी से महंगे होंगे गहने

जीएसटी के लिए चार दरें 5, 12, 18 और 28% तय की गई हैं। हालांकि किन वस्तुओं और सेवाओं पर इनमें से किस दर से टैक्स लगेगा यह तय करने का काम प्रगति पर है। इस पर अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल को करना है। सूत्रों का कहना है कि जीएसटी के तहत सोने पर टैक्स की दर 3-4% के बीच रह सकती है। यानी सोने के गहने के लिए अलग टैक्स स्लैब रखा जाएगा। इससे जीएसटी लागू होने के बाद सोने के गहने खरीदना महंगा होगा।

केरल में ही गहने सस्ते होंगे

अभी देश में केरल को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में एक से दो फीसदी के बीच वैट है। वहीं, केरल में पांच फीसदी वैट लिया जा रहा है। इसके चलते जीएसटी के बाद केवल केरल में ही गहने सस्ते होंगे, बाकी जगह दाम बढ़ जाएंगे। लेकिन पहली जुलाई से देशभर में जीएसटी के लागू होने के बाद राज्यों के अलग-अलग वैट से छुटकारा मिल जाएगा।

जीएसटी की दर पर सरकार-उद्योग में मतभेद

जीएसटी में सोने के गहनों पर टैक्स की दर क्या हो, इसे लेकर न सिर्फ इंडस्ट्री के बीच मतभेद है, बल्कि राज्य सरकारों के बीच भी मतभेद है। हालांकि अंतिम फैसला जीएसटी काउंसिल को लेना है। लेकिन इतना तय है कि जीएसटी के तहत सोने के गहने के लिए अलग से टैक्स स्लैब की व्यवस्था होगी।

इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी संभव

सरकार सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी को 10 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर सकती है। इसके अनुपात में जीएसटी रेट बढ़ाया जा सकता है।

जून तक सोना 31 हजार पार होने की संभावना

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कोटा। सीरिया अफगानिस्तान में आईएसआईएस के ठिकानों पर अमेरिकी हमले तथा उत्तर कोरिया को लेकर उपजे ग्लोबल तनाव की वजह से घरेलू बाजार में सोना फिर तीस हजार रुपए प्रति दस ग्राम के पार होने की संभावना है। जानकारों का कहना है कि जून तक सोने का स्तर 31 हजार रुपए का बन जाए तो भी हैरानी नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि पिछले एक महीने के दौरान सोना 1,500 रुपए प्रति दस ग्राम महंगा हो चुका है, जबकि पिछले एक साल में सोने के भाव  करीब 2,400 रुपए प्रति दस ग्राम बढ़े हैं। 
ग्लोबल तनाव की वजह से सोने की कीमतों में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। इसके चलते घरेलू बाजार में सोना पांच सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। अभी जयपुर सर्राफा बाजार में सोना स्टैंडर्ड के भाव 29,700 तथा 22 कैरेट जेवराती सोने के भाव 28,200 रुपए प्रति दस ग्राम है। सोने की कीमतें और बढ़ेंगी और जून के अंत तक सोना एक साल बाद फिर 31 हजार के स्तर को पार कर सकता है। कमोडिटी विशेषज्ञ भी पूरे साल के नजरिए से सोने में निवेश को सुरक्षित मान रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि हाल ही जिस तरह की भौगोलिक तनाव की स्थिति बनी है, उससे सोने को सपोर्ट मिला है। अनिश्चितता की वजह से ग्लोबल बाजार में सोना 5 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। वहीं, ग्लोबल बाजार में सोने में आई तेजी से भारत में हाजिर बाजार में सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। ग्लोबल बाजार में सोने की कीमतें 1286 डॉलर प्रति औंस और घरेलू बाजार में सोना 29,850 प्रति 10 ग्राम पहुंच गया। ऐसे में अमेरिका की ओर से अफगानिस्तान पर सबसे बड़ा गैर-परमाणु बम हमले से अगले सप्ताह ग्लोबल बाजार में सोने के भाव बढ़ने की संभावना है।
यह रहेंगे दाम बढ़ने के कारण
  • भौगोलिक तनावकी वजह से ग्लोबल बाजार में अनिश्चितता की स्थिति से सुरक्षित निवेश को लेकर सोने में लोगों का रुझान बढ़ा।
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ने से घरेलू बाजार में हाजिर में मांग बढ़ेगी।
  • अमेरिकी सेंट्रल बैंक फैडरल रिजर्व की ओर से इस साल ब्याज दर एक बार से ज्यादा बढ़ाए जाने की उम्मीद कम है। इससे सोने को सपोर्ट मिला।
  • सोने में निवेश मांग में सुधार हुआ है। डेटा देखने से साफ लगता है कि ईटीएफ में होल्डिंग बढ़ी है।
  • निवेशकों कीधारणा में बदलाव आया है। अक्षय तृतीया नजदीक है, लोग सोने में खरीददारी करेंगे।
  • वहीं,अगर लोअर स्लैब में रखा गया तो जीएसटी से भी सोने को सपोर्ट मिलने की संभावना है।

आईआईटी में अब पहले से ज्यादा छात्राओं को मिलेगा दाखिला

नई दिल्ली।  एकेडमिक सेशन 2018 से देश के 31 आईआईटी में छात्राओं की तादाद बढ़ जाएगी। आईआईटी में छात्र-छात्राओं का अनुपात सही करने के लिए नए एकेडमिक सेशन में बीटेक प्रोग्राम में लड़कियों को स्पेशल कोटे के तहत दाखिला मिलने लगेगा। 
ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड (जैब) की शनिवार को आयोजित बैठक में लड़कियों को आगे बढ़ाने के मकसद से सुपर न्यूमररी कोटा के तहत बीस फीसदी अतिरिक्त  सीटों पर लड़कियों को दाखिला देने का फैसला हुआ है। लड़कियों को बेशक दाखिले में स्पेशल कोटा लागू होने का लाभ मिलेगा, लेकिन उससे लड़कों की सीट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
 
ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड की शनिवार को दिल्ली में आयोजित बैठक में देशभर के सभी आईआईटी प्रबंधन ने लड़कियों के लिए 20 फीसदी अतिरिक्त सीटों पर दाखिले पर सहमति दे दी है। सभी आईआईटी में यह कोटा तीन सालों में बढ़ाना होगा। इसके तहत पहले साल (2018)14 फीसदी अतिरिक्त सीट तो दूसरे साल (2019) में 17 फीसदी और तीसरे साल  (2020) में बीस फीसदी तक सीट बढ़ाई जाएंगी।
 हालांकि इस नियम का लाभ उन्हीं छात्राओं को मिलेगा, जिन्होंने पिछले बोर्ड एग्जाम में बीस पर्सेंटाइल के साथ टॉप किया होगा। ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (जोशा) की इस बैठक में आईआईटी और एनआईटी (देश भर में 32 एनआईटी हैं) में संयुक्त काउंसलिंग से दाखिला करवाने पर भी चर्चा हुई। इसके तहत उक्त संस्थानों में दाखिला काउंसलिंग के लिए सात राउंड (पिछले साल तक आईआईटी व एनआईटी में दाखिला काउंसलिंग के छह राउंड आयोजित होते थे।) आयोजित होंगे।
 इस साल यदि कोई छात्र चौथे राउंड की काउंसिलिंग के दौरान सीट छोड़ता या कोर्स छोड़ता है तो उस पर 50 फीसदी तक जुर्माना लगेगा, जो कि उसकी दाखिला फीस से काटा जाएगा।  इस बैठक में आईआईटी और एनआईटी प्रबंधन से पूछा गया कि वे अपने कैंपस में कौन-कौन से कोर्स बंद करवाना चाहते हैं या किसमें सीट कम या ज्यादा करना चाहते हैं। उक्त प्रबंधन को कहा गया है कि जिन कोर्स में छात्रों को दाखिला लेने में रूचि नहीं है, उन्हें अपनी मर्जी से बंद या सीट कम कर सकते हैं।  

ड्यूटी फ्री चीनी आयात की मियाद 30 जून तक बढ़ी

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कोटा ।  केंद्र सरकार ने जिस 5 लाख टन रॉ शुगर के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट की इजाजत दी है उसकी मियाद को बढ़ा दिया गया है। सरकार की तरफ से जारी किए गए नोटिफिकेशन के मुताबिक 5 लाख टन रॉ शुगर का इंपोर्ट 30 जून तक किया जा सकता है, पहले सिर्फ 15 जून तक ही रॉ शुगर के इंपोर्ट की इजाजत थी। सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक आयात होने वाले रॉ शुगर को 2 महीने के अंदर रिफाइन करके बाजार में उतारना पड़ेगा।

 राजस्थान में सरसों उत्पादन रिकॉर्ड स्तर के करीब

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कोटा । देश के सबसे बड़े सरसों उत्पादक राज्य राजस्थान में इस साल सरसों उत्पादन को लेकर पहले जो अनुमान जारी किया गया था अब उसमें सुधार किया गया है और इस साल उत्पादन रिकॉर्ड स्तर के करीब पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।  राजस्थान कृषि विभाग की ओर से जारी 2016-17 के लिए तीसरे अग्रिम अनुमान में 3 लाख टन का इजाफा किया गया है।

कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल राज्य में 37.30 लाख टन सरसों उत्पादन अनुमानित है, जो 2012-13 के बाद सबसे अधिक उत्पादन होगा, 2012-13 के दौरान देश में 37.60 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था जो अबतक का रिकॉर्ड है। राजस्थान कृषि विभाग ने फरवरी में अपना दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया था जिसके में 33.61 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान लगाया गया था लेकिन ताजा रिपोर्ट में उत्पादन अनुमान में करीब 3 लाख टन का इजाफा किया गया है।

देशभर में सरसों का सबसे ज्यादा उत्पादन राजस्थान में होता है और राज्य में अगर सरसों की पैदावार बढ़ती है तो इसका असर पूरे देश के उत्पादन आंकड़ों पर भी दिखेगा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने दूसरे अनुमान में पूरे देश का सरसों उत्पादन 79.12 लाख टन अनुमानित किया है, कृषि मंत्रालय की तरफ से तीसरा अग्रिम अनुमान अगले महीने जारी होगा और हो सकता है सरसों के उत्पादन अनुमान में भी इजाफा किया जाए।

दिल्ली-चंडीगढ़ रूट पर 200 की रफ्तार से चलेगी ट्रेन

नई दिल्ली। दिल्ली-आगरा रूट पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने के बाद रेलवे अब दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार हासिल करने की तैयारी कर रहा है।

इस परियोजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 245 किलोमीटर लंबा दिल्ली-चंडीगढ़ कॉरिडोर उत्तर भारत के सबसे व्यस्त मार्गों में एक है। इस रूट पर देश में पहली बार 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाया जाएगा।

अधिकारी ने बताया कि देश के नौ रूटों को सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने के लिए चुना गया है। इनमें दिल्ली-आगरा और दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर 200 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेन चलाई जाएगी।

इसके अलावा दिल्ली-कानपुर, नागपुर-बिलासपुर,मैसूर-बेंगलुरु-चेन्नई, मुंबई-गोवा, मुंबई-अहमदाबाद, चेन्नई-हैदराबाद और नागपुर-सिकंदराबाद रूटों पर 160 से लेकर 200 किलोमीटर तक की रफ्तार से गाड़ी चलाई जाएगी।फ्रांसीसी रेलवे एसएनसीएफ इन परियोजनाओं पर आने वाले कुल खर्च का ब्योरा इस साल अक्टूबर तक सौंप देगा। फ्रांस के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में भारतीय रेलवे के अधिकारियों से मिलकर दिल्ली-चंडीगढ़ रूट पर सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने की संभावना पर बात की है।

इसी पटरी का होगा इस्तेमाल

रेल मंत्रालय ने 200 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए इसी ट्रैक का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। मंत्रालय ने इन पटरियों को अपग्रेड करने के लिए फ्रेंच रेलवे को मसौदा तैयार करने को कहा है।

खर्च का ये है अनुमान

मोटे तौर पर दिल्ली-चंडीगढ़ रूट पर सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने में 10 हजार करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। इसके अलावा 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने में 46 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर खर्च अलग से आने का अनुमान है।

दो घंटे से कम का होगा सफर

सेमी हाई स्पीड ट्रेन से दिल्ली और चंडीगढ़ की दूरी महज एक घंटा 50 मिनट रह जाएगी। इस समय 110 किलोमीटर की रफ्तार से चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस से यात्रा में साढ़े तीन घंटे समय लगता है। यह ट्रेन सिर्फ अंबाला में रुकेगी।

 

गूगल ने भारत में लाॅन्च की फूड डिलीवरी और होम सर्विस ऐप

गूगल ने प्लेस्टोर पर एक यूटीलिटी ऐप Areo लाॅन्च किया है और यह अभी केवल भारत में ही उपलब्ध है, विशेषकर अभी मुंबई और बेंगलुरु में। यह ऐप एंड्राइड स्मार्टफोन के जरिए खरीदार और विक्रेता के बीच इंटरफेस है।Areo एक लोकल सर्विसेज ऐप्लिकेशन है जिससे आप खाना ऑर्डर कर सकते हैं, बिल्स पे कर सकते हैं, ब्यूटिशन से लेकर इलेक्ट्रिशियन और प्लंबर को भी बुला सकते हैं।

यानी कि गूगल एरियो ऐप दरअसल कई अलग-अलग सर्विसेज देता है जैसे फूड डिलिवरी सेक्शन में आप फासोस, फ्रेशमेनू और बाॅक्स8 में से किसी की सर्विस चुन सकते हैं। ब्यूटी और रिपेयर्स जैसी कैटिगरी के लिए अर्बनक्लेप मेन सर्विस प्रोवाइडर है। यहां टाइम स्लॉट का ऑप्शन दिया जाएगा जिसके मुताबिक आप शेड्यूल करा सकते हैं। इस एप पर कार्ड, नेटबैंकिंग या कैश ऑन डिलिवरी सेवा से भुगतान किया जा सकता है।