मुंबई। जो बिल्डर्स नए रियल एस्टेट रेगुलेशन ऐक्ट (रेरा) से बचने की कोशिश कर रहे थे, वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। बैंकों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के साथ सलाह करने के बाद यह फैसला किया है कि उन प्रॉजेक्ट्स को लोन नहीं दिया जाएगा, लोन नहीं देंगे, जो रेरा के तहत रजिस्टर्ड नहीं हैं।
बैंकों से लोन नहीं मिलने के डर से बिल्डरों को सभी प्रॉजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन रेरा के तहत कराना पड़ेगा। एक बैंक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘हमें बचाव के कुछ उपाय करने होंगे। रेरा का मकसद ग्राहकों का पैसा लेकर रातोंरात फरार होने वाले बिल्डरों पर लगाम लगाना है।
इसलिए हम उन प्रॉजेक्ट्स को कर्ज नहीं देंगे, जो नए रियल एस्टेट कानून के तहत रजिस्टर्ड नहीं होंगे।’ उन्होंने बताया, ‘इन रेगुलेशंस के मुताबिक चलने में हमारा भी फायदा है। लोन देने में पहले सावधानी बरतना जरूरी है। बाद में पछताने से कोई फायदा नहीं होता।’
बैंकों ने कुछ रियल एस्टेट कंपनियों को कर्ज देने के लिए प्रमोटरों से पर्सनल प्रॉपर्टीज की गारंटी मांगी है। एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने बताया, ‘हम बहुत आशंकित हैं। अगर हम कानून के मुताबिक, कर्ज देते हैं तो जिस तरह से इसे बनाया गया है, उससे हमारे हितों की रक्षा नहीं होगी।
अगर ऐसी प्रॉपर्टी में बैड लोन की सूरत बनती है तो ग्राहकों का पैसा लौटाने का प्रावधान है। हमारे बारे में ऐसे प्रोविजन नहीं किए गए हैं। इसलिए हम रियल एस्टेट सेक्टर को कर्ज देने में बहुत सावधानी बरत रहे हैं।’
नए रियल ऐस्टेट (रेगुलेशन एंड डिवेलपमेंट) एक्ट, 2016 (रेरा) में बिल्डर को किसी प्रोजेक्ट के लिए ग्राहकों से ली गई 70 पर्सेंट रकम अलग बैंक खाते में रखनी होगी। इससे उसके पास किसी अन्य कामकाज के लिए 30 पर्सेंट रकम हाथ में होगी।
पहले वह ग्राहकों से लिए गए पूरे पैसे का इस्तेमाल उस प्रोजेक्ट के अलावा किसी और काम में कर सकता था। रियल एस्टेट इंडस्ट्री की संस्था अपने सदस्यों से रेरा के तहत प्रोजेक्ट को रजिस्टर कराने की अपील कर रही है, लेकिन इस मामले में उसे बहुत सफलता नहीं मिली है।
बिल्डरों की सबसे बड़ी संस्था, कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया यानी क्रेडाई के प्रेजिडेंट जे शाह ने कहा, ‘हमने अपने सभी मेंबर डिवेलपर्स से उनके प्रॉजेक्ट्स को रेरा के तहत रजिस्टर कराने को कहा है। उन्होंने इसका वादा भी किया है।’
शाह ने कहा, ‘रेरा का मकसद यह है कि ग्राहकों को तकलीफ ना सहनी पड़े। डिवेलपर्स रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई कर रहे हैं। इसे तेजी से प्रोसेस करने के लिए अथॉरिटी के लेवल पर इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाया जाना चाहिए।
यह काम तेजी से होना चाहिए क्योंकि ग्राहक पजेशन का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, रजिस्ट्रेशन होने तक हम मार्केटिंग या फाइनैंसिंग की दिशा में काम नहीं कर सकते।’