किसानों को वोट बैंक मानने वाली सरकार ने ही किसानों को छला

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खरीफ-2019 का मुआवजा अभी तक नहीं मिला

कोटा। किसानों को वोट बैंक मानने वाली सरकार ही किसानों को छल रही है। चुनाव के पहले बड़े-बड़े वादे करने वाली राजस्थान की गहलोत सरकार की पोल अब खुल चुकी है। खरीफ 2019 के दौरान संभाग भर में हुए फसल खराबे का मुआवजा आज तक नहीं मिला। लगातार ‘रब’ के रूठने से काश्तकार के सपने चकनाचूर होते रहे हैं, लेकिन किसानों के नाम पर राजनीतिक रोटियों सेकने वाला ‘राज’ भी अन्नदाता को राहत नहीं दे पाया। अब किसान केवल अपने हाल पर ही जीने को मजबूर हो चला है।

कनवास क्षैत्र के श्रीनाथ, धरमराज, बसंतीलाल हों या देवली क्षैत्र के रामप्रसाद, चन्द्रप्रकाश, रामदयाल हर किसी की एक जैसी व्यथा है। जिनका ओलावृष्टि में अपना सबकुछ लुट गया। किसी का धनिया काला पड़ गया तो किसी का चना पानी में बह गया। किसान के खेत में भले ही सन्नाटा पसरा हो, घर में दो दिन तक चूल्हा नहीं जला, लेकिन ‘राजकाज’ करने वाले अधिकारियों को अभी भी खराबा केवल 15 फीसदी ही नजर आया है।

भारतीय किसान संघ के प्रवक्ता आशीष मेहता ने बताया कि क्षैत्र में अधिकांश गांवों में घर लाने या फिर अगली फसल की बुवाई करने लायक बीज भी नहीं बचा है। लेकिन सरकारी नुमांइदे खराबे को कम से कम के दिखाने की कोशिश में जुटे हैं। जिलाध्यक्ष गिरीराज चौधरी ने बताया कि किसान प्राकृतिक आपदा तो मजबूरी में झेल लेता है, लेकिन सरकार और प्रशासन के स्तर पर भी कोई सहयोग नहीं मिलता है। जिससे किसानों की हालत लगातार बदतर होती गई है। उन्होंने बताया कि सभी राजनीतिक दल देशभर में किसानों की दुर्दशा के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन अपने हिस्से का प्रयास कोई नहीं करना चाहता है।

खरीफ 2019 में हुए खराबे में झालावाड़ जिले के पडासली के विजय सिंह ने 7 बीघा में, बकानी के शंभुसिंह ने 16 बीघा, बजरंगपुरा के लालसिंह, कनोदिया के श्रीकृष्ण पाटीदार, कैलाश कंवर, पचपहाड़ के नारायण सिंहगुराड़िया के उदयसिंह, मोयाखेड़ा के गोपाल सिंह ने सोयाबीन का खराबा झेला था। इसके बाद सरकारी प्रक्रिया प्रारंभ हुई तो सर्वे, गिरदावरी, कागज लेने संबंधी सभी औपचारिकताएं भी की गईं। इस दौरान किसानों को लगा कि सरकार के स्तर पर कुछ राहत मिल पाएगी।

इन किसानों का कहना है कि सरकार की राहत के इंतजार में बैंक के कईं चक्कर लगा चुके, लेकिन बैंक अकाउंट अभी तक खाली हैं। इस आपदा को भूलकर नई फसल से उम्मीद कर रहे थे। लेकिन फिर से नई आपदा ने सारे सपनों पर पानी फेर दिया। भारतीय किसान संघ जिला उपाध्यक्ष राधेश्याम गुर्जर तथा जिला प्रचार प्रमुख मुकेश मेहर ने बताया कि ओलावृष्टि से रायपुर, बकानी आदि क्षैत्रों में फिर से फसल को 50 से 100 फीसदी खराब किया है।

भारतीय किसान संघ के प्रान्तीय महामंत्री जगदीश कलमंडा ने बताया कि खरीफ- 2019 का मुआवजा केन्द्र सरकार के द्वारा बहुत पहले जारी कर दिया गया है। जिसे राज्य सरकार के द्वारा रोक लिया गया। पूर्व में प्रधानमंत्री फसल बीमा की क्लेम राशि भी सरकार के द्वारा रोकी गई थी। जिसको लेकर विधानसभा में प्रश्न लगने पर आनन फानन में 1100 करोड़ की राशि किसानों के खाते में स्थानान्तरित की गई थी।

अब खरीफ 2019 का मुआवजा देने को लेकर न तो सरकार गंभीर है और न ही विपक्ष ही किसानों की आवाज किसी प्लेटफाॅर्म उठा पा रहा है। हर राजनीतिक दल किसानों के नाम पर केवल अपनी राजनीति चमकाने में लगा है। किसान एक बार फिर सबकुछ भूलकर ‘सृजन’ में लग जाएगा। भारतीय किसान संघ किसानों के अधिकार की लड़ाई लड़ेगा। जिसके लिए यदि सड़कों पर उतरना पड़ा तो उसकी भी रणनीति तैयार की जाएगी।