नयी दिल्ली। भारत में वित्त वर्ष 2019-20 में रिकॉर्ड 49.97 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया। यह वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है। बृहस्पतिवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में इसकी जानकारी दी गयी। आंकड़ों के अनुसार, यह पिछले चार वित्त वर्ष में भारत में एफडीआई की सबसे तेज वृद्धि है।
वित्त वर्ष 2015-16 में एफडीआई 35 प्रतिशत बढ़ा था। एफडीआई को लेकर आंकड़े 2000-01 से जारी किये जा रहे हैं। वित्त वर्ष 2015-16 की वृद्धि तब से ही सर्वाधिक है। इससे पहले वित्त वर्ष 2018-19 में भारत में 44.36 अरब डॉलर का एफडीआई आया था। पुराने एफडीआई की आय के वित्त वर्ष 2019-20 में देश में ही पुन: निवेश तथा अन्य पूंजी को शामिल करने पर वर्ष के दौरान कुल एफडीआई साल भर पहले के 62 अरब डॉलर की तुलना में 73.45 अरब डॉलर रहा।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मेक इन इंडिया के पक्ष में एक और तथ्य, 2019-20 में भारत में आया एफडीआई 18 प्रतिशत बढ़कर 73 अरब डॉलर हुआ। कुल एफडीआई 2013-14 के स्तर से दो गुना हुआ, जब यह महज 36 अरब डॉलर था। दीर्घ अवधि के इन निवेशों से रोजगार सृजन में तेजी आयेगी।’’ उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 के दौरान सेवा क्षेत्र में सर्वाधिक 7.85 अरब डॉलर का एफडीआई आया।
इसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र में 7.67 अरब डॉलर, दूरसंचार क्षेत्र में 4.44 अरब डॉलर, व्यापार क्षेत्र में 4.57 अरब डॉलर, वाहन क्षेत्र में 2.82 अरब डॉलर, निर्माण क्षेत्र में दो अरब डॉलर और रसायन क्षेत्र में एक अरब डॉलर का एफडीआई आया। इस दौरान सिंगापुर से सर्वाधिक 14.67 अरब डॉलर का एफडीआई आया। यह लगातार दूसरा वित्त वर्ष है जब भारत में सर्वाधिक एफडीआई सिंगापुर के रास्ते से आया है।
हालांकि यह 2018-19 में आये 16.22 अरब डॉलर के एफडीआई की तुलना में कम है। इसके अलावा मॉरीशस से 8.24 अरब डॉलर, नीदरलैंड से 6.5 अरब डॉलर, अमेरिका से 4.22 अरब डॉलर केमेन द्वीप से 3.7 अरब डॉलर, जापान से 3.22 अरब डॉलर, फ्रांस से 1.89 अरब डॉलर, ब्रिटेन से 1.42 अरब डॉलर, साइप्रस से 87.9 करोड़ डॉलर और जर्मनी से 48.8 करोड़ डॉलर का एफडीआई आया।